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राजस्थान नगरपालिका ( सामान क्रय और अनुबंध) नियम, 1974

 राजस्थान नगरपालिका ( सामान क्रय और अनुबंध) नियम, 1974

कुल नियम:- 17

जी.एस.आर./311 (3 ) – राजस्थान नगरपालिका अधिनियम, 1959 (1959 का अधिनियम सं. 38) की धारा 298 और 80 के साथ पठित धारा 297 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राज्य सरकार इसके द्वारा, निम्नलिखित नियम बनाती हैं, अर्थात्

 

नियम 1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ

(1) इन नियमों का नाम राजस्थान नगरपालिका (सामान क्रय और अनुबंध) नियम, 1974 है।

(2) ये नियम, राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से एक मास पश्चात् प्रवृत्त होंगे।

राजपत्र में प्रकाशन:- 16 फरवरी 1975 [भाग 4 (ग)(1)]

लागू या प्रभावी:- 16 मार्च 1975

[1. अधिसूचना सं. एफ. 3 (2) (75 एल.एस.जी./74 दिनांक 27-11-1974 राजस्थान राजपत्र भाग IV (ग) (I) दिनांक 16-2-1975 को प्रकाशित एवं दिनांक 16-3-1975 से प्रभावी।]

 

नियम 2. परिभाषाएँ – इन नियमों में, जब तक संदर्भ द्वारा अन्यथा अपेक्षित न हो,

(i) 'बोर्ड' के अन्तर्गत नगर परिषद् (Municipal Council) आती है;

(ii) 'क्रय अधिकारी' या 'माँगकर्त्ता अधिकारी से कार्यपालक (Executive Officer) अभिप्रेत है;

 

(iii) 'कार्यपालक अधिकारी' के अन्तर्गत नगर परिषद् का आयुक्त (Commissioner of the Municipal Council) आता है।

 

नियम 3. निविदा द्वारा सामान का क्रय और कार्य का निष्पादन आदि -

किसी ऐसे आदेश के अध्यधीन रहते हुए, जो राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त जारी किया जाये और इन नियमों में अन्यथा उपबंधित के सिवाय, ऐसी सामग्री या सामान के प्रदाय के लिए जिसमें रु.1000/- से अधिक का व्यय अन्तर्वलित हो या किसी ऐसे कार्य के निष्पादन के लिए, जिसमें रु. 2000/- से अधिक का व्यय अन्तर्वलित हो, कोई संविदा तब तक नहीं की जायेगी जब तक कि इसमें इसके आगे विहित निविदाएँ सम्यक् रूप से आमंत्रित न कर ली जायें और नियम 14 में यथा- उपबंधित सक्षम प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति प्राप्त न कर ली जाये।]

 

नियम 4. ( क ) सामान के क्रय करने की निविदाओं(tender) के मामले में, निविदाएँ आमंत्रित लिए निम्नलिखित समय सीमा का पालन किया जायेगा -

( 1 ) रु. 1 लाख की सीमा तक के सामान के क्रय के लिए –  7 दिन

(2) रु. एक लाख से दस लाख की सीमा तक के सामान के क्रय के लिए – 10 दिन

(3) रु. दस लाख से सौ लाख की सीमा तक के सामान के क्रय के लिए – 15 दिन

(4) रु. सौ लाख से अधिक के सामान के क्रय के लिए – 30 दिन

 

(ख) ऊपर खण्ड (क) में उल्लिखित समय सीमा की गणना उस तारीख से, जिसकी निविदा आमंत्रित करने का नोटिस समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ, उस तारीख तक, जिसको निविदादाताओं से निविदा प्रस्तुत करने हेतु कहा गया है, की जायेगी।

 

(1) सामान क्रय करने और लोक निर्माण कार्य के निष्पादन हेतु निविदाएँ आमंत्रित करने की नोटिस अवधि में जैसा नियमों में दिया गया है, को 24 घंटों ( से अधिक नहीं), जैसा कि प्रत्येक मामले की परिस्थिति में उचित समझा जावे, तक कटौती कर दी जायेगी । ऐसा निम्नलिखित अधिकारियों से गठित समिति द्वारा किया जायेगा -

(i) जिला मुख्यालय पर स्थित नगरपालिका परिषदें और नगरपालिका के कलक्टर

और अन्य नगरपालिका बोर्डों के मामलों में संबंधित उप-खण्ड अधिकारी या कलक्टर द्वारा अधिकृत अन्य अधिकारी जहाँ पर नगरपालिका बोर्ड का प्रशासक उप-खण्ड अधिकारी है;

(ii) संबंधित बोर्ड / नगरपालिका परिषद् का अध्यक्ष/पीठसीन अधिकारी

(iii) संबंधित नगरपालिका / बोर्ड का आयुक्त/ कार्यकारी अधिकारी ।

(2) कलक्टर या उप-खण्ड अधिकारी के निर्णय और जहाँ पर उप-खण्ड अधिकारी प्रशासक है वहाँ पर कलक्टर द्वारा अधिकृत, यथास्थिति, अधिकारी का आदेश अंतिम होगा।

(3) यह आदेश 'प्रशासन शहरों की ओर' से 2 अक्टूबर, 1981 से शुरू हुआ है, के समाप्त होने तक प्रभावी रहेगा।]

 

नियम 5. यदि किसी निविदा के आमंत्रण पर अपर्याप्त प्रकार या किसी अन्य कारण से निविदा उचित या पर्याप्त संख्या में प्राप्त नहीं हो तो नये सिरे से निविदाएँ आमंत्रित की जायेंगी और निविदा आमंत्रण को सभी संभाव्य निविदादाताओं के नोटिस में लाने के उपाय किये जायेंगे।

 

नियम 6. निविदा प्राप्त करने की प्रक्रिया निम्नलिखित रूप में होगी

(क) विज्ञापन द्वारा (खुली निविदाएँ) – 'खुली निविदा' प्रणाली अर्थात् सार्वजनिक विज्ञापन द्वारा निविदा आमंत्रण का उपयोग एक साधारण नियम के रूप में किया जायेगा और इस प्रणाली को, नीचे दिये गये मामलों में, जिनमें निविदाओं का प्राप्त किया जाने वाला अनुमानित अंगीकृत किया जायेगा। वादा है अध्यधीन, ऐसे समस्त (रु 5000/-) या अधिक हो,

(ख) सीमित संख्या में फर्मों को सीधे आमंत्रण द्वारा (सीमित निविदा)  

(i) सीमित निविदा प्रणाली ऐसे समस्त आदेशों के मामले में, जिनका अनुमानित मूल्य रु. (10,000/-) से कम हो, अंगीकृत की जायेगी।

(ii) सीमित निविदा और एक निविदा प्रक्रिया के प्रयोजनार्थ क्रय अधिकारी अच्छी विश्वसनीयता वाली ऐसी फर्मों की एक सूची तैयार रखेगा जो इस बात से समाधान करने में समर्थ रही है कि उनके पास उन सामानों, जिनका वे प्रस्ताव करें, का प्रदाय करने के लिए आवश्यक उपस्कर और सुविधाएँ हैं। सूची की कालिक परीक्षा और पुनरीक्षण किया जाना चाहिए और सूची में सम्मिलित करने के लिए किसी फर्म के आवेदन पर प्रतिभूति रकम के रूप में रु. 25/- प्राप्त होने पर ही, विचार किया जायेगा। सूची में फर्म का नाम जोड़े जाने के पूर्व, क्रय अधिकारी द्वारा संविदाओं को समाधान रूप से निष्पादित करने की फर्म की समर्थता को सुनिश्चित करने के लिए ऐसी पूछताछ की जायेगी जो आवश्यक समझी जाये।

 

(ग) केवल एक फर्म को आमंत्रण द्वारा (iii) एकल निविदा प्रणाली को उन मामलों में अंगीकृत किया जायेगा जिनमें क्रय की जाने वाले सामान या माल का अनुमानित मूल्य रु.1000/- से अधिक हो।

 

परन्तु उपर्युक्त सीमा निम्नलिखित मामलों पर लागू नहीं होगी जिनके लिए कोई निविदा आमंत्रित करना अपेक्षित नहीं होगा -

(क) जब अपेक्षित सामान या माल स्वत्वधारी प्रकृति का हो और प्रतियोगिता आवश्यक नहीं समझी जाये;

(ख) जब अपेक्षित सामान या माल अच्छी विश्वसनीयता वाले रजिस्ट्रीकृत विनिर्माताओं से सीधे क्रय संगठन या महानिदेशक, प्रदाय और व्ययन द्वारा अनुमोदित दरों पर क्रय किया जाये;

(ग) जब सामान या माल राजस्थान राज्य कृषि उद्योग निगम, राजस्थान राज्य लघु उद्योग निगम या प्रमाणित खादी भण्डार से क्रय किया जाये, परन्तु ऐसा सामान या माल इन्न उपक्रमों द्वारा विनिर्मित हो और इस आशय का प्रमाण पत्र दिया गया हो;

(घ) जब कपड़ा राष्ट्रीय कपड़ा विभाग लि., राजस्थान हाथकरघा परियोजना बोर्ड और या राजस्थान राज्य बुनकर सहकारी संघ लि. द्वारा चालित और प्रबन्धित किसी विक्रय डिपो से क्रय किया जाये;

(ङ) जब सामान या माल सहकारी होलसेल उपभोक्ता भण्डार या उपहार से क्रय किया जाये, जिसका कि ऐसा भण्डार या उपहार थोक विक्रेता है या उसके प्रदाय विनिर्माताओं/उत्पादकों से सीधे ही प्राप्त करता है, जिसके लिए बिल/नकद क्रय- पत्र पर इस आशय का प्रमाण पत्र पृष्ठांकित किया जाये;

(च) जब किसी मोटर यान का कोई अतिरिक्त पुर्जा, रु.1000/- की सीमा तक, उस यान के विनिर्माता या प्राधिकृत डीलर से क्रय किया जाये;

'[ नोट – अग्निशमन वाहनों की अधिकृत मरम्मत हेतु स्पेयर पार्ट्स वाहन के निर्माता अथवा निर्माता के अधिकृत विक्रेता से 25,000/- तक की सीमा तक निर्माता द्वारा अनुमोदित दरों पर सीधे ही खरीदे जा सकेंगे] जा

(छ) जब माल  (क) राज्य सरकार के किसी विभाग से या उसकी किसी स्कीम के अधीन या किसी सरकारी उपक्रम से  (ख) या 'सीखो कमाओ योजना' के अधीन क्रय किया जाये; और

(ज) जब राज्य सरकार ने किसी विनिर्दिष्ट सामग्री या माल के क्रय के लिए निविदा आमंत्रण से छूट दे दी हो।

 (iv) तथापि, प्राप्त किया जाने वाला अनुमानित मूल्य [रु.10,000/-] से अन्यून होने पर भी, निम्नलिखित मामलों में 'खुली निविदा प्रणाली' के बजाय सीमित निविदा प्रणाली को अंगीकृत किया जा सकेगा -

(क) जब ऐसे पर्याप्त कारण विद्यमान हों, जो यह दर्शाते हों कि विज्ञापन द्वारा निविदाएँ आमंत्रित करना लोकहित में नहीं है। ऐसे प्रत्येक मामले में, कारण क्रय अधिकारी द्वारा अवश्य अभिलिखित किये जायें ।

(ख) जब माँगकर्ता अधिकारी यह प्रमाणित करे कि माँग अत्यावश्यक है और खुली निविदा प्रणाली में अन्तर्वलित होने वाला कोई अतिरिक्त व्यय उपगत नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे समस्त मामलों में माँगकर्ता अधिकारी को अत्यावश्यकता की प्रकृति अवश्य अभिलिखित की जानी चाहिए।

 

(v) निविदा आमंत्रण में क्रय की जाने वाली वस्तु की पूर्ण विशिष्टियाँ अन्तर्विष्ट होनी चाहिए जैसे विनिर्दिष्टियाँ, प्रयुक्त की जाने वाली सामग्री की किस्म, और प्रदाय का समय और स्थान और संदाय के निबंधन और शर्तें ।

(vi) जब क्रय राजस्थान के बाहर विनिर्मित वस्तुओं का किया जाय तो निविदाओं का विज्ञापन ऐसे समाचार पत्रों में दिया जायेगा जो इन निमित्त राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित हों ।

(vii) पूर्वगामी उपबन्धों में किसी बात के अन्तर्विष्ट होने पर भी, क्रय अधिकारी, निविदाओं को खोलने के पश्चात् यदि यह समझे कि निविदाकारों द्वारा उद्धत दरें प्रचलित बाजार दरों से अधिक हैं या एक घेरा बना लिया गया है तो वह ऐसे समस्त निविदाकारों को सम्यक् नोटिस तामील करके, समस्त निविदाकारों से ऐसी रीति से जो वह उचित समझे, बातचीत कर सकेगा। ऐसी बातचीत के दौरान यदि दरें क्रय अधिकारी के समाधानप्रद रूप में कम कर दी जायें तो वह निम्नतम निविदाकारों की दरों को स्वीकार कर सकेगा और सामान और माल का क्रय करने के लिए आगे कार्यवाही कर सकेगा अन्यथा नई निविदाएँ आमंत्रित कर सकेगा।]

 

नियम 7. राज्य सरकार ऐसी फर्मों/व्यक्तियों के नाम काली सूची में डाल सकेगी जो किसी बोर्ड को माल के प्रदाय में भ्रष्ट आचरण और अनाचार का प्रयोग करते पाये जायें और कोई बोर्ड काली सूची में नाम डाले गये क्तियों की ऐसी फर्मों, जो कोई भी हों, को निविदा जारी नहीं करेंगे या किसी भी प्रकार के कोई क्रय नहीं करेंगे:

[ परन्तु ऐसी रकम जिसके लिए कार्यपालक अधिकारी ('कार्यपालक अधिकारी' के अन्तर्गत नगर परिषद् का आयुक्त आता है।) राजस्थान नगरपालिका (सामान का क्रय और संविदा) नियम, 1974 के उपबंधों के अधीन व्यय उपगत करने के लिए प्राधिकृत है, की सीमा तक के चैकों पर केवल उसके द्वारा ही हस्ताक्षर किये जायेंगे ।

टिप्पणी –'अनाचार' के अन्तर्गत निम्न स्तर के माल का प्रदाय आता है।

नियम 8. इन मामलों पर पर्याप्त नियंत्रण का उपबन्ध करने और नमूनों तथा विनिर्दिष्टियों के अनुरूप प्रदाय सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनायी जायेगी -

(1) प्रदाय जब प्राप्त हो जायें तो क्रय अधिकारी या उसके द्वारा नामनिर्दिष्ट किसी उत्तरदायी अधिकारी द्वारा उनका निरीक्षण किया जायेगा ।

(2) क्रय अधिकारी नमूनों के अनुरूप प्रदाय सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होगा।

(3) प्रदायों के निरीक्षण के लिए नियुक्त अधिकारी प्रदाय में से कुछ वस्तुएँ उठायेगा और नमूनों और विनिर्दिष्टियों से इन वस्तुओं की तुलना समालोचनात्मक दृष्टि से यह सुनिश्चित करने के लिए करेगा कि प्रदायित वस्तुएँ समस्त प्रकार के नमूने और विनिर्दिष्ट के अनुरूप है। जहाँ आवश्यक हो, प्रदायों की उपयुक्तता का निर्णय करने के लिए नमूनों का यदा-कदा विहित या व्यावहारिक परीक्षण भी किया जायेगा।

(4) ऐसी तुलना के लिए उठायी गयी वस्तुओं की संख्या ऐसी होनी चाहिए जो निरीक्षण अधिकारी के विवेकानुसार उसको यह निष्कर्ष निकालने के लिए उचित आधार है कि प्रदाय आमतौर पर अनुमोदित नमूनों और विनिर्दिष्टियों के अनुरूप है। तुलना के लिए उठायी गयी वस्तुओं की संख्या किसी भी दशा में प्रदाय के 10 प्रतिशत से कम नहीं होनी चाहिए जब तक कि ऐसी व्यवहार्य नहीं हो, इसके लिए कारण अभिलिखित किये जायें।

(5) जब प्रदाय समाधान प्रद हो तो निरीक्षण अधिकारी प्रदाय को बोर्ड के रजिस्टर में चढ़ाने का आदेश देगा और इस आशय का प्रमाण-पत्र देगा कि प्रदाय का विहित रीति से निरीक्षण करने पर उसने इसे नमूनों/विनिर्दिष्टियों के अनुरूप और विहित / व्यावहारिक परीक्षण पर सही पाया।

(6) यदि प्रदाय नमूनों के अनुरूप न हो तो निरीक्षण प्राधिकारी, यदि वह स्वयं क्रय अधिकारी नहीं हो, उसके द्वारा पायी गयी खराबी की ओर क्रय अधिकारी का ध्यान तत्काल आकृष्ट करेगा

(7) फिर क्रय अधिकारी या तो प्रदाय को अस्वीकार कर देगा और प्रदायक से इसके स्थान पर माल का अपने खर्चे पर प्रदाय क करने के लिए कहेगा या यदि, कार्य की अत्यावश्यकता और कम खराबी के कारण वह प्रदाय को अस्वीकार करना उचित नहीं समझे तो, इस आशय का टिप्पणी, कि ऐसी स्वीकृति आवश्यक है, अभिलिखित करते हुए बोर्ड का ध्यान इस मामले की ओर आकृष्ट करेगा और उस रकम, जो अनुमोदित दरों में से काटी जानी चाहिए, के बारे में अपनी सिफारिश प्रस्तुत करेगा।

(8) क्रय अधिकारी, प्रदाय को स्वीकार करने या अस्वीकार करने के बारे में अपना निर्णय प्रदाय की प्राप्ति के अधिकतम एक सप्ताह के भीतर देगा ।

(9) बोर्ड की वित्त समिति के सदस्य और अधिनियम की धारा 283 के अधीन प्राधिकृत अधिकारी किसी भी समय स्टॉक रजिस्टर और क्रय से संबंधित अभिलेख की जाँच और स्वीकृत प्रदायों की अनुमोदित नमूनों से तुलना कर सकेंगे।

(10) वे अनुमोदित नमूनों और विनिर्दिष्टियों को, उपभोक्ता विभागों को किये गये प्रदायों के साथ उनकी तुलना करने के लिए समुचित पूर्वावधानियों के अधीन, अपने पास लेने के हकदार होंगे|

 

नियम 9. विज्ञापित माँगों के प्रति निविदा प्ररूपों के प्रभार निम्नलिखित स्केल के अनुसार होंगे -

निविदा का अनुमानित मूल्य   

निविदा प्ररूप का प्रभार (रुपयों में)

 

रु.0.10 लाख(10 हजार) तक

20

रु.0.10 से अधिक परन्तु रु. 1 लाख तक

50

रु. 1 लाख से अधिक परन्तु 5 लाख तक

100

रु. 5 लाख से अधिक परन्तु 100 लाख तक

200

रु.100.00 लाख से अधिक

500

 

टिप्पणी: – रेखाचित्रों और विनिर्दिष्टियों का खर्च अतिरिक्त होगा।

नियम 10. लोक निर्माण कार्यों की निविदाएँ आमंत्रित करने हेतु समयावधि निम्नानुसार का पालन किया जायेगा:-

(1)

रु. 1.00 लाख तक की लागत वाले लघु संकर्म तक की लागत वाले संकर्म

7 दिन

(2)

रु.1.00 लाख अधिक 10.00 लाख तक की लागत वाले संकर्म

10 दिन

(3)

रु.10.00 लाख से अधिक परन्तु 100.00 तक की लागत वाले संकर्म

15 दिन

(4)

100.00 से अधिक की लागत वाले संकर्म

30 दिन

 

टिप्पणी –

(1) समाचार पत्र में प्रकाशित दिनांक से समय लागू होगा, जो भी निर्धारित हो, यही पुनः आमंत्रण एवं समय- -वृद्धि में भी लागू होगा।

(2) बाढ़ नियंत्रण कार्य और सिंचाई कार्य के आवश्यक मरम्मत, जहाँ तुरन्त कार्यवाही आवश्यक हो, तो अगला उच्च प्राधिकारी लघु नोटिस की इजाजत दे सकेगा। दूसरे आपातिक प्रकार के कार्यों में प्रकाशन की समय सीमा जिला कलेक्टर/उपनिदेशक (क्षेत्रीय) की पूर्व स्वीकृति से कम की जा सकेगी। समय सीमा 30 दिन और 15 दिन को क्रमशः 20 दिन एवं 10 दिन किया जा सकेगा और समय सीमा 10 दिन और 7 दिन में कोई कटौती नहीं की जायेगी ।

(3) निविदा वेबसाइट पर भी जारी की जावे और निविदादाता अगर उपलब्ध हो '' निविदा विधि से निविदा दे सकेगा ।

[निविदा वेबसाइट पर 2006 से जारी की जाने लगी।]

नियम 11.

(i) ऐसे संकर्म जिनमें रु.2,000 /– तक का अनुमानित व्यय अन्तर्वलित हो, राज्य सरकार के सार्वजनिक निर्माण विभाग (भवन व पथ) में प्रचलित दर की मूल अनुसूची के अनुसार या ऐसी निम्न दरों पर, जो क्रय अधिकारी द्वारा समस्त या किसी अनुमोदित ठेकेदार के साथ बातचीत करके अवधारित की जाये, निष्पादित कराये जा सकेंगे।

(ii) कोई भी संकर्म निष्पादित करने के लिए निविदाएँ प्राप्त करने की प्रक्रिया वही होगी जो नियम 5 और 6 के अधीन उपबंधित है।]

(iii) निविदाएँ आमंत्रित करने वाले समस्त नोटिस नीचे उल्लिखित रूप से समाचार पत्र में प्रकाशनार्थ भेजे जायेंगे।

 

 

 

 

 

संकर्मों/सामग्री का अनुमानित मूल्य

प्रचार का ढंग

(क)

रु.20,000/- तक

स्थानीय दैनिक/साप्ताहिक/पाक्षिक समाचार पत्रों में से एक में जो कि राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित किया जाये।

(ख)

रु.20,000/- से अधिक और रु.10.00 लाख तक

राजस्थान का एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में से एक, जो कि राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित किया जाये ।

(ग)

रु.10.00 लाख से अधिक

राज्य भर में परिचालन वाला एक दैनिक समाचार पत्रऔर  एक अखिल भारतीय समाचार पत्र जो कि राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित किया जाये।

 

नियम 12. किसी भी प्रकार के संकर्म के निष्पादन के लिए या क्रय के लिए किसी निविदा पर विचार नहीं किया जायेगा जब तक कि उसके साथ निविदा नोटिस में यथा अधिसूचित संदत्त अग्रिम धन (Earnest money) न हो ।

 

नियम 13. समस्त वस्तुएँ, उनकी स्वीकृति से पूर्व निरीक्षण के अधीन होंगी जिसके लिए राज्य सरकार द्वारा विनिर्दिष्टियाँ और/या परीक्षण विहित किये गये हैं और उनका ऐसी विनिर्दिष्टियों के अनुरूप होना अपेक्षित होगा और/या ऐसे परीक्षण विहित परीक्षण या परीक्षणों पर खरा उतरना होगा जो विनिर्माण के दौरान या प्रदायक के परिसरों से प्रेषण के पूर्व या पश्चात् किये जा सकेंगे।

 

 

नियम 14. सक्षम स्वीकृति आवश्यक –

(1) कोई संविदा सामान /माल क्रय या कार्य का संकर्म निम्न प्राधिकारियों की पूर्व प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति और अनुमोदन के बिना निष्पादित नहीं जायेगी -

(a) नगर निगम के मामले में-

(1)

रुपये 10  लाख तक का व्यय

जोनल कमिश्नर

(1)

रुपये 100 लाख तक का व्यय

मुख्य कार्यकारी अधिकारी

(1)

रुपये 200 लाख तक का व्यय

महापौर

(1)

रुपये 500 लाख तक का व्यय

वित्त समिति

(1)

बजट के प्रावधान तक पूर्ण शक्तियाँ

निगम

 

 (b) नगर परिषद् के मामले में –

(1)

रुपये 2 लाख तक का व्यय

आयुक्त

(2)

रुपये 50 लाख तक का व्यय रुपये

अध्यक्ष

(3)

100 लाख तक का व्यय

वित्त समिति

(4)

बजट के प्रावधान तक पूर्ण शक्तियाँ

परिषद्

 

 (c) नगरपालिका बोर्ड के मामले में –

(1)

रुपये 1.00 लाख तक का व्यय

कार्यकारी अधिकारी

(2)

रुपये 25.00 लाख तक का व्यय

सभापति

(3)

रुपये 50.00 लाख तक का व्यय

वित्त समिति

(4)

बजट के प्रावधान तक पूर्ण शक्तियाँ

बोर्ड

 

 

परन्तु क्लाज (ए) (बी) (सी) के अन्तर्गत वर्णित प्राधिकारी अधिनियम की धारा 81 के प्रावधान के अन्तर्गत अपनी शक्तियों प्रयोग करेंगे और पिछले वर्ष के वास्तविक आय और व्यय कोई भी समय राशि 20% से अधिक हो तो -

(i)               क्लाज (ए) और (सी) में वर्णित प्राधिकारी पूर्व में राज्य सरकार से अनुमोदन लेंगे।

(ii)             (ii) क्लाज (सी) में वर्णित प्राधिकारी पूर्व में उप निदेशक (क्षेत्रीय) से अनुमोदन लेंगे।

(2) मूल प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति में किसी भी दशा में कोई वृद्धि नहीं की जायेगी। यदि किसी अनुमान में सुभिन्न रूप से दो या अधिक भिन्न उप- शीर्ष हों तो प्रत्येक उप-शीर्ष में अपनी स्वयं की रकम के 10% वृद्धि या कमी का अन्तर नहीं होना चाहिए अपितु यह कुल मिलाकर कार्य के प्रशासनिक अनुमोदन से अधिक नहीं होना चाहिए। संबंधित नगरीय स्थानीय निकाय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी / आयुक्त/कार्यपालक अधिकारी और मेयर/अध्यक्ष / सभापति द्वारा सुनिश्चित किया जाना होगा।

(3) किसी कार्य को विभाजित नहीं किया जायेगा। संबंधित नगरीय स्थानीय निकाय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी / आयुक्त/कार्यपालक अधिकारी द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

(4) प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति उसमें बजट शीर्ष और बचत शीर्ष का उल्लेख करते हुए जारी की जायेगी।

(5) सक्षम अधिकारी के संकल्प या आदेश में कार्य या सामान के नाम, निम्नतम निविदादाता के नाम, प्रीमियम के प्रतिशत और रकम का उल्लेख किया जायेगा। संबंधित नगरपालिका के पास बजट और निधियाँ उपलब्ध होने के पश्चात् ही कार्यादेश जारी किया जायेगा। निविदा खोलने के 7 दिन के भीतर कार्यादेश जारी किया जायेगा बशर्ते कि बजट उपलब्ध हो । कार्यादेश जारी करने के अगले दिन करार निष्पादित किया जायेगा।

(6) कार्य, नीचे दी गयी निश्चित अवधि के भीतर पूरा किया जायेगा :-

5  लाख रुपये तक की लागत का कार्य

1 माह

5 लाख रुपये से अधिक किन्तु 10 लाख रुपये तक की लागत का कार्य

2 माह

 

10 लाख रुपये से अधिक किन्तु 50 लाख रुपये तक की लागत का कार्य

4 माह

 

50 लाख रुपये से अधिक किन्तु 100 लाख रुपये तक की लागत का कार्य

6 माह

 

100 लाख रुपये से अधिक की लागत का कार्य

जैसा कि बोर्ड द्वारा विनिश्चित किया जाये

 

 

(7) कार्य की आनुपातिक प्रगति और समय पर संदाय, संबंधित सक्षम प्राधिकारियों द्वारा निम्नलिखित पूर्णता अनुसूची के अनुसार सुनिश्चित किया जायेगा :-

पूर्ण निश्चित अवधि का समय विस्तार   

1/4 ( ... दिन)

1/2 ( ... दिन)

3/4 ( ... दिन)

पूर्ण ( ... दिन)

राशि के अनुसार पूर्ण किया जाने वाला कार्य

1/8 (.... रुपये)

3/8 (.... रुपये)

3/4 (.... रुपये)

पूर्ण (.... रुपये)

 

(8) यदि विभाग के पास, किसी अध्ययन या कार्य को करने के लिए उसकी विशेष प्रकृति को देखते हुए पूर्ण साधन उपलब्ध नहीं हो तो बोर्ड के पूर्व अनुमोदन के बाद परियोजना प्रबन्ध परामर्शदाता की सेवाएँ किराये पर ली जा सकेंगी, ऐसी सेवाओं के लिए बजट प्रावधान करना होगा।

(9) असफल निविदादाताओं के अग्रिम रकम का प्रतिदाय निविदाओं के अंतिम निपटारे के 7 दिन के भीतर किया जायेगा।

 (10) यदि एकल निविदा प्राप्त हो और दरें युक्तियुक्त हों तो वह अगले उच्चतर प्राधिकारी द्वारा स्वीकृत की जा सकेगी। सिफारिश अगले उच्चतर प्राधिकारी को मामले की सिफारिश करते समय यह उल्लेख किया जायेगा कि नये सिरे से निविदा आमंत्रित बोर्ड के हित में क्यों नहीं है। सामान्य परिस्थिति में निविदा प्राप्त होने पर नये सिरे से निविदाएँ आमंत्रित करके प्रतिस्पर्धात्मक दरें प्राप्त करने के प्रयास किये जायेंगे।

(11) कोई भी संविदा पूर्णतः या भागतः रद्द की जा सकेगी और उसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा जिसके द्वारा कार्यादेश दिया गया, संविदाकार को काली सूची में डाला जा सकता है और निविदा प्रस्तुत करने से विवर्जित किया जा सकता है किन्तु उसके द्वारा कारण लेखबद्ध किये जायेंगे और यह प्रमाणित किया जायेगा कि उसकी इस कार्यवाही से बोर्ड का कोई धनीय हानि नहीं होगी और इस उपबन्ध का दुरुपयोग नहीं किया गया है। और उस पर समक्ष

(12) बोर्ड द्वारा और उसके निमित्त की गयी संविदा लिखित रूप से होगी और उस पर प्राधिकारी के हस्ताक्षर होंगे और बोर्ड की सामान्य मुद्रा अंकित की जायेगी।

(13) इनमें नहीं किये गये और लोक संकर्म वित्त एवं लेखा नियम, सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियम इन नियमों को यथावश्यक परिवर्तनों सहित लागू होंगे। संबंधित नगरीय स्थानीय नियम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी/आयुक्त/कार्यपालक अधिकारी और सर्वोच्च लेखा प्राधिकारी द्वारा यह सुनिश्चित किया जायेगा।

नियम 15. अनुमानों का अनुमोदन तथा बिलों का परीक्षण

निर्माण कार्यों की अवस्था में उनसे संबंधित अनुमानों तथा बिलों को निम्नांकित अधिकारियों द्वारा उनके सम्मुख अंकित राशि तक तकनीकी रूप से अनुमोदन/परीक्षण किया जायेगा-

1.

सरकार द्वारा गठित तकनीकी समिति

पूर्ण शक्ति

2.

अधीक्षण अभियन्ता (संबंधित नगरीय निकाय/ निदेशक स्थानीय निकाय)

रु. 150 लाख तक

 

3.

अधिशाषी अभियन्ता

रु. 50 लाख तक

4.

सहायक अभियन्ता

रु. 5 लाख तक

5.

कनिष्ठ अभियन्ता/इंजीनियरिंग सहायक

रु. 1 लाख तक

 

 (1) बोर्ड की शक्तियों से अधिक होने, तकनीकी अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को भेजे जाने पर तकनीकी अनुमोदन सरकार द्वारा गठित एक समिति द्वारा किया जायेगा जो एक सप्ताह के भीतर प्रस्ताव पर विनिश्चय करेगी। औपचारिक तकनीकी अनुमोदन पर समिति के विनिश्चय के अनुसार अधीक्षण अभियन्ता, स्थानीय निकाय निदेशालय द्वारा हस्ताक्षर किये जायेंगे।

(2) यदि बोर्ड में मुख्य अभियन्ता / अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता / अधीक्षण अभियन्ता/अधिशासी अभियन्ता/ पद स्थापित न हो तो निदेशालय का सर्वोच्च तकनीकी अधिकारी या संबंधित सर्किल/खण्ड के सार्वजनिक निर्माण विभाग/जन स्वास्थ्य अधियांत्रिकी विभाग / सिंचाई विभाग का मुख्य अभियन्ता/अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता/अधीक्षण अभियन्ता/अधिशासी अभियन्ता इन नियमों के अधीन अपनी अधिकारिता में तकनीकी अनुमोदन जारी कर सकेगा।

(3) उपनियम (1) में किसी बात के अन्तर्विष्ट होने पर भी, नगरपरिषद्/नगरपालिका बोर्ड में पद स्थापित सर्वोच्च तकनीकी अधिकारी अपनी सक्षमता की सीमा तक अनुमान का तकनीकी अनुमोदन करेगा और नगरपरिषद्/नगरपालिका बोर्ड में पदस्थापित कनिष्ठ तकनीकी अधिकारी अनुमान का तकनीकी अनुमोदन जारी नहीं करेगा।

(4) अनुमान, स्थल के निरीक्षण के पश्चात् और सार्वजनिक निर्माण विभाग की प्रचलित बी. एस. आर. के आधार पर तैयार किये जायेंगे। अनुमान के साथ, कार्य की स्थल योजना, डिजाइन, रेखाचित्र और संरचनात्मक डिजाइन के साथ तकनीकी टिप्पणी सहबद्ध की जायेगी।

(5) अनुमान तीन प्रतियों में तैयार किये जायेंगे और एक प्रति उस तकनीकी अधिकारी के पास रखी जायेगी, दूसरी प्रति अगले उच्चतर तकनीकी अधिकारी को प्रेषित की जायेगी और मूल प्रति संबंधित बोर्ड को भेजी जायेगी।

नियम 16. कोई संविदा बाध्यकारी नहीं होगी जब तक कि इन नियमों और अधिनियम की अपेक्षाओं का अनुपालन नहीं किया गया हो ।

 

नियम 17. निविदा इत्यादि के प्ररूप

(1) निविदा आमंत्रित करने के नोटिस के प्ररूप, निविदा प्ररूप, निविदा और संविदा की शर्तें और सामग्री या माल के क्रय के लिए करार के प्ररूप यथावश्यक परिवर्तन सहित के लागू होंगे जो राजस्थान के सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियमों में विहित किये गये हैं।

(2) संकर्मों के विभागीय तौर पर या ठेकेदारों के माध्यम से निष्पादन और चालू संदाय, पूर्णता रिपोर्ट, अंतिम संदाय, लेखों और लेनदेनों से संबंधित समस्त प्ररूप और रजिस्टर वे ही होंगे जो राज्य सरकार के सार्वजनिक निर्माण विभाग (भवन व पथ) में प्रयुक्त किये जाते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

अधिसूचना

नगर निकायों में मुख्य नगरपालिका अधिकारी

समस्त अनुबन्धन निष्पादन करने हेतु अधिकृत

( अधिसूचना संख्या एफ. 8 ( ग ) ( )

नियम/डीएलबी/12/15677 दिनांक 27-11-2012 राजस्थान राजपत्र भाग 6 ( क ) दिनांक 13-12-2012 को प्रकाशित ।)

 

राजस्थान नगरपालिका अधिनियम, 2009 (अधिनियम संख्या18 वर्ष 2009) की धारा 72 सपठित धारा 337 के अन्तर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार नगर निगम/परिषद/ पालिका में राजस्थान नगरपालिका (सामान क्रय और संविदा) नियम, 1974 के अन्तर्गत नगरपालिका की ओर से किए जाने वाले समस्त अनुबन्ध निष्पादन करने हेतु मुख्य नगरपालिका अधिकारी को एतद्द्वारा अधिकृत करती है।

 

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