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संविधान की प्रमुख विशेषताएं (Salient Features of the Constitution)

संविधान की प्रमुख विशेषताएं(Salient Features of then Costitution) भारतीय संविधान तत्वों और मूल भावना की दृष्टि से अद्वितीय है। हालांकि इसके कई तत्व विश्व के विभिन्न संविधानों से उधार लिये गये हैं, भारतीय संविधान के कई ऐसे तत्व हैं जो उसे अन्य देशों के संविधानों से अलग पहचान प्रदान करते हैं। यह बात ध्यान देने योग्य है कि सन 1949 में अपनाए गए संविधान के अनेक वास्तविक लक्षणों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं।  विशेष रूप से 7वें, 42वें, 44वें, 73वें, 74वें, 97वें और 101वें संशोधन में।  संविधान में कई बड़े परिवर्तन करने वाले 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 को 'मिनी कॉन्स्टिट्यूशन ' कहा जाता है।  हालांकि केशवानंद भारती मामले (1973)' में सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी थी कि अनुच्छेद 368 के तहत् संसद को मिली संवैधानिक शक्ति संविधान के 'मूल ढांचे' को बदलने की अनुमति नहीं देती। संविधान की विशेषताएं:– संविधान के वर्तमान रूप में इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं:- 1. सबसे लंबा लिखित संविधान:– संविधान को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है  लिखित (जैसे-अमेरिकी संविधान) और अलिखि...

संवैधानिकता और संवैधानिक सरकार

  संवैधानिकता और संवैधानिक सरकार अर्थ:– संविधान और संवैधानिकता (संविधानवाद) की अवधारणाएं एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई हैं। लेकिन, उनके बीच कुछ अंतर हैं; जैसे:- 1. देश के पास 'संविधान' हो सकता है लेकिन जरूरी नहीं कि 'संवैधानिकता' हो।  उदाहरण के लिए, तानाशाही वाला देश , जहां तानाशाह का शब्द कानून होता है, 'संविधान' वाला देश कहा जा सकता है, लेकिन 'संवैधानिकता' वाला नहीं। 2. संवैधानिकता सत्ता के साथ सरकार की आवश्यकता को पहचानती है, लेकिन साथ ही, इस बात पर जोर देती है कि उन शक्तियों पर सीमाएं लगाई जानी चाहिए। असीमित शक्ति अधिनायकवादी , दमनकारी सरकार की ओर ले जा सकती है, जो लोगों की स्वतंत्रता को खतरे में डालती है। जब देश का संविधान सरकारी शक्ति पर सीमा लगाता है, तभी केवल देश में न केवल 'संविधान' बल्कि 'संवैधानिकता' भी होती हैं। 3. संवैधानिकता की अवधारणा संविधान द्वारा या उसके तहत शासित राजनीति है, जो अनिवार्य रूप से सीमित सरकार और कानून के शासन को मनमाने, निरंकुश, सत्तावादी या अधिनायकवादी शासन के विपरीत मानती है।  संवैधानिक सरकार अनिवा...

संविधान की अवधारणा (Concept of the Constitution)

संविधान की अवधारणा (Concept of the Constitution) अर्थ 'संविधान' शब्द की उत्पत्ति लैटिन के 'कॉन्स्टीट्यूरे' शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है 'स्थापित करना' या 'स्थापना करना' । वर्तमान अर्थ के अनुसार, 'संविधान' शब्द सिद्धांतों का समूह है, जो सरकार की व्यवस्था और कामकाज तथा सरकार और लोगों के बीच उनके अधिकारों और कर्तव्यों के संदर्भ में संबंधों को निर्दिष्ट करता है। संविधान को ' भूमि का मौलिक कानून', 'देश का सर्वोच्च कानून', 'देश का मूल कानून', 'सरकार का साधन', 'देश के नियम', 'राजनीति की मूल संरचना', 'देश का मूलभूत मानदंड' आदि के रूप में वर्णित किया गया है। राजनीतिक शास्त्रियों और संवैधानिक विशेषज्ञों ने संविधान को इस प्रकार परिभाषित किया है:- गिलक्रिस्टः–  "संविधान नियमों या कानूनों का वह निकाय है, जो सरकार की व्यवस्था, सरकार के विभिन्न अंगों में शक्तियों का वितरण और उन सामान्य सिद्धांतों का निर्धारण करता है, जिनके आधार पर इन शक्तियों का उपयोग किया जाना है।"' गैटेलः–   "देश के...

संविधान सभा की आलोचना

  संविधान सभा की आलोचना आलोचकों ने विभिन्न आधारों पर संविधान सभा की आलोचना की है। ये आधार हैं:– 1. यह प्रतिनिधि निकाय नहीं थीः–   आलोचकों ने दलीलें दी हैं कि संविधान सभा प्रतिनिधि सभा नहीं थी क्योंकि इसके सदस्यों का चुनाव भारत के लोगों द्वारा वयस्क मताधिकार के आधार पर नहीं हुआ था। 2. संप्रभुता का अभावः– आलोचकों का कहना है कि संविधान सभा एक संप्रभु निकाय नहीं थी क्योंकि इसका निर्माण ब्रिटिश सरकार के प्रस्तावों के आधार पर हुआ। यह भी कहा जाता है कि संविधान सभा अपनी बैठकों से पहले ब्रिटिश सरकार से इजाज़त लेती थी। 3. समय की बर्बादीः– आलोचकों के अनुसार, संविधान सभा ने इसके निर्माण में जरूरत से कहीं ज्यादा समय ले लिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के संविधान निर्माताओं ने मात्र 4 माह में अपना काम पूरा कर लिया था। निराजुद्दीन अहमद, संविधान सभा के सदस्य, ने इसके लिए अपनी अवमानना दर्शाने के लिए प्रारूप समिति हेतु एक नया नाम गढ़ा। उन्होंने इसे ' अपवहन समिति (drifting committee) ' कहा। अन्य संविधान निर्माताओं द्वारा लिया गया समय:– क्र. स. देश कुल अनुच्छेद कार्य अवधी लिया गया समय 1 संयुक्त राज्...
  कांग्रेस की विशेषज्ञ समिति जबकि संविधान सभा के लिए चुनाव हो रहे थे, 8 जुलाई, 1946 को कांग्रेस पार्टी (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) ने संविधान सभा के मसौदे तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया। इसके निम्नलिखित सदस्य थेः– 1. जवाहरलाल नेहरू 2. एम. आसफ अली 3. के.एम. मुंशी 4. एन. गोपालस्वामी अय्यंगर 5. के.टी. सेठ 6. डी. आर. गाडगिल 7. हुमायूं कबीर 8. के. संथानम बाद में सभापति के प्रस्ताव पर कृष्ण कृपलानी को समिति के सदस्य एवं संयोजक के रूप में सहयोजित या शामिल कर लिया गया। समिति की दो बैठकें हुई-पहली बैठक 20-22 जुलाई, 1946 को दिल्ली में, दूसरी 15-17 अगस्त को बम्बई में। सदस्यों द्वारा अनेक टिप्पणियां तैयार करने के साथ-साथ समिति ने संविधान सभा में अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं, विभिन्न समितियों की संविधान सभा द्वारा नियुक्ति के प्रश्नों तथा संविधान सभा के पहले सत्र में संविधान के उद्देश्यों पर एक संकल्प-पत्र के प्रारूप पर भी चर्चा की गई। संविधान निर्माण में इस समिति की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए एक अमेरिकी संवैधानिक विशेषज्ञ ग्रैनविले ऑस्टिन ने लिखा- " यह कांग्रेस की विशेषज्ञ...

संविधान का प्रवर्तन

  संविधान का प्रवर्तन 26 नवंबर, 1949 को नागरिकता, चुनाव, तदर्थ संसद, अस्थायी व परिवर्तनशील नियम तथा छोटे शीर्षकों से जुड़े कुछ प्रावधान अनुच्छेद 5,6,7,8,9,60, 324, 366, 367, 379,380,388, 391,392 और 393 स्वतः ही लागू हो गए। संविधान के शेष प्रावधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुए।  इस दिन को संविधान की शुरुआत के दिन के रूप में देखा जाता है और इसे 'गणतंत्र दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को संविधान की शुरुआत के रूप में इसलिए चुना गया क्योंकि इसका अपना ऐतिहासिक महत्त्व है।  इसी दिन 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन (दिसंबर 1929) में पारित हुए संकल्प के आधार पर पूर्ण स्वराज दिवस मनाया गया था। संविधान की शुरुआत के साथ ही भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 और भारत शासन अधिनियम, 1935 को समाप्त कर दिया गया।  हालांकि एबोलिशन ऑफ प्रिवी काउंसिल ज्यूरिडिक्शन एक्ट, 1949 लागू रहा। Facts   1. संविधान सभा द्वारा हाथी को प्रतीक (मुहर) के रूप में अपनाया गया था। 2. सर बी.एन. राऊ को संविधान सभा के लिए संवैधानिक सलाहकार (कानूनी सलाहकार) के रूप में नियुक्त किया गय...

संविधान सभा की समितियां

📜 संविधान सभा की समितियां संविधान सभा ने संविधान के निर्माण से संबंधित विभिन्न कायों को करने के लिए कई समितियों का गठन किया।  इनमें से 8 बड़ी समितियां थी तथा अन्य छोटी।  इन समितियों तथा इनके अध्यक्षों के नाम इस प्रकार है:– बड़ी समितियां 1. संघ/केंद्रीय शक्ति समिति:– जवाहरलाल नेहरू (कुल सदस्य:–15) 2. संघीय संविधान समिति:– जवाहरलाल नेहरू 3. प्रांतीय संविधान समिति:– सरदार पटेल (कुल सदस्य:–25) 4. प्रारूप समिति:– डॉ. बी. आर. अंबेडकर 5. मौलिक अधिकारों, अल्पसंख्यकों एवं जनजातियों तथा बहिष्कृत क्षेत्रों के लिए सलाहकार समिति (परामर्शदाता समिति):– सरदार पटेल (कुल सदस्य:–54) इस समिति के अंतर्गत निम्नलिखित पांच उप समितियां थीं:– क) मौलिक अधिकार उप-समिति:– जे.बी. कृपलानी ख) अल्पसंख्यक उप-समिति:– एच.सी. मुखर्जी ग) उत्तर-पूर्व सीमांत जनजातीय क्षेत्र असम को छोड़कर तथा आंशिक रूप से छोड़े गए क्षेत्र के लिए उप:- समिति गोपीनाथ बोर्दोलोई। घ) छोड़े गए एवं आशिक रूप से छोड़े गए क्षेत्रों (असम में सिंचित क्षेत्रों के अलावा) के लिए उप-समिति:- ए.वी. ठक्कर। ड़) उत्तर-पश्चिम फरियर जनजाति क्षेत्र उप-समिति...