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निवल राष्ट्रीय उत्पाद (Net National Product or NNP)

  निवल राष्ट्रीय उत्पाद (Net National Product or NNP) किसी देश में एक वर्ष की अवधि में उत्पादित सभी अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्यों के जोड़ से घिसाई - पिटाई के कारण हुए मूल्यहास को निहाल कर जो बचा रहता है , वह देश का निवल राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) कहलाता है। अतः इसे बाजार मूल्यों पर राष्ट्रीय आय (National Income at Market Prices) भी कहते हैं।   निवल राष्ट्रीय उत्पाद (Net National Product) अथवा बाजार मूल्यों पर राष्ट्रीय आय (National Income at Market Prices) = कुल राष्ट्रीय उत्पादन (Gross National Product) – मूल्यहास (Depreciation)

सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product/GNP)

  ⚡   सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product/GNP)

राष्ट्रीय आय अर्थ एवं धारणाएं (National Income: Meaning And Concepts)

  💰 राष्ट्रीय आय अर्थ एवं धारणाएं

उपभोक्ता व्यवहार सिद्धांत का परिचय

 🧑‍💻उपभोक्ता व्यवहार सिद्धांत उपभोक्ता के निर्णय लेने की प्रक्रिया, उसके व्यवहार को समझने और पूर्वानुमान लगाने हेतु विकसित सिद्धांत। उद्देश्य:– प्रस्तुत इकाई का उद्देश्य यह बताना है कि किस प्रकार उपभोक्ता वर्ग ऐसी स्थिति में उपभोग संबंधी निर्णय लेता है जहाँ उसे बाज़ार दिए गए होते हैं, और वह अपने उपभोग में फेरबदल कर बाज़ार मूल्यों को प्रभावित नहीं कर सकता है। इसको पढ़ने के बाद आप :– • किसी भी उपभोक्ता का इष्टतम अधिमान निर्धारित कर सकेंगे; • स्पष्ट कर सकेंगे कि किस प्रकार मूल्य प्रभाव आय प्रभाव और प्रतिस्थापन प्रभाव में वियोजित किया जा सकता है; और • वैयक्तिक माँग वक्र निर्धारित कर सकेंगे। प्रस्तावना:– आमतौर पर देखा जाता है कि किसी उपभोज्य वस्तु हेतु बाज़ारी कुल माँग वक्र, अन्य चीज़ों के दिए होने पर, अधोमुखी प्रवण होता है। हमारी समस्या सभी वैयष्टिक उपभोक्ताओं की किसी उपभोज्य वस्तु हेतु इसके पीछे आर्थिक युक्तिमूलकता का अन्वेषण करना है। बाज़ार माँग मूलतः उपभोक्ता वर्ग द्वारा किसी उपभोज्य वस्तु हेतु माँग के अभिलक्षणों पर निर्भर करती है, और किसी एक उपभोक्ता की किसी उपभोज्य वस्तु हेतु मा...

केन्ज़ का रोजगार सिद्धांत(KEYNES IS THEORY OF EMPLOYMENT)

केन्ज़ का रोजगार सिद्धांत केन्ज़ का रोजगार सिद्धांत अल्पकाल के लिए है क्योंकि यह अल्पकाल के लिए पूंजी की मात्रा, जनसंख्या व श्रम शक्ति, तकनीकी ज्ञान, श्रमिकों की कार्य कुशलता अधिक को स्थिर मानता है। अतः रोजगार की मात्रा राष्ट्रीय आय अथवा उत्पादन के स्तर पर निर्भर करती है । इन सभी के अल्पकाल में स्थिर होने के कारण पहले से बेरोजगार श्रमिकों को काम में लगाकर राष्ट्रीय आय को बढ़ाया जा सकता है।  केन्ज़ का सिद्धांत रोजगार निर्धारण और राष्ट्रीय आय के निर्धारण का सिद्धांत है। रोजगार तथा राष्ट्रीय आय दोनों को निर्धारित करने वाले तत्व समान है। रोजगार अथवा आय के निर्धारण के आधारभूत विचार के रूप में प्रभावी अथवा समर्थ मांग का नियम दिया। इस नियम के अनुसार किसी देश में अल्पकाल में रोजगार की मात्रा वस्तुओं के लिए समस्त समर्थ मांग पर निर्भर करती है अर्थात् समस्त समर्थ मांग जितनी अधिक होगी रोजगार की मात्रा उतनी ही है अधिक होगी। संपूर्ण अर्थव्यवस्था में रोजगार का निर्धारण समस्त पूर्ति और समस्त मांग द्वारा होता है । समस्त पूर्ति कीमत :- अर्थव्यवस्था के सभी उद्यमी श्रमिकों की विभिन्न संख्याओं को कम पर...

समष्टि अर्थशास्त्र परिचय

  समष्टि अर्थशास्त्र