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कूटनीति: प्रकृति, रूप और प्रासंगिकता (Diplomacy: Nature, Forms and Relevance)

कूटनीति: प्रकृति, रूप और प्रासंगिकता (Diplomacy: Nature, Forms and Relevance) सारांश अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा का संबंध राज्यों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों के संरक्षण और सुदृढ़ीकरण से रहा है। यूनानी, रोमन, मिस्री, अरब, चीनी और भारतीयों ने प्राचीन काल में कूटनीति की कला के विकास में अत्यधिक योगदान दिया। आधुनिक युग ने कूटनीति की कला को नए रूप में प्रस्तुत किया है। धीरे-धीरे यह एक जटिल प्रक्रिया में बदल गई है, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के अनेकों कारकों को प्रभावित करती है और उनसे प्रभावित होती भी है। अपने विकास के दौरान इसने अनेक रूप धारण किए। इसी बीच, 1961 के वियना सम्मेलन में इसके संहिताकरण (codification) की प्रक्रिया ने समकालीन युग में कूटनीति की कला की प्रासंगिकता को रेखांकित किया। यह अध्याय कूटनीति को परिभाषित करता है और उसकी प्रकृति, रूप, विषय-वस्तु तथा आज की प्रासंगिकता को स्पष्ट करता है। संयुक्त राष्ट्र (UN) की स्थापना मुख्य रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने तथा विश्व के राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्...

राष्ट्रीय हित की भूमिका(Role of National Interest)

राष्ट्रीय हित की भूमिका(Role of National Interest) सारांश ‘राष्ट्रीय हित’ की अवधारणा का उदय आधुनिक विश्व इतिहास की उस अवधि में हुआ जब राष्ट्र-राज्य (Nation States) विश्व पटल पर विकसित होकर सामने आए। राष्ट्रीय हित वह है जिसे राज्य एक-दूसरे के संबंध में संरक्षित करने या प्राप्त करने का प्रयास करते हैं(National interest is what the states seek to protect or achieve in relation to each other)।  विभिन्न राष्ट्र अपने-अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में अपनी दिशा तय करते हैं और प्राथमिकताओं का निर्धारण करते हैं। परिणामस्वरूप, इसका विदेश नीति के साथ अत्यंत गहरा संबंध है, जिसके माध्यम से राष्ट्र अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है। विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना और उन्हें यथासंभव आगे बढ़ाना है। चूँकि राष्ट्रों के राष्ट्रीय हित समय-समय पर बदलते रहते हैं , इसलिए उनकी विदेश नीतियाँ भी बदलती रहती हैं। राष्ट्रीय हित विचारधाराओं से भी प्रभावित होते हैं। विभिन्न राष्ट्रों ने विचारधाराओं का उपयोग और व्याख्या...