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मुद्रा संस्फीति(Reflation)

💸   मुद्रा संस्फीति(Reflation) मुद्रा संकुचन के कारण जब आर्थिक मन्दी छा जाती है तब बेकारी बढ़ जाती है। उद्योग, व्यापार तथा बैंकिंग व्यवस्था सब चौपट हो जाते हैं तथा आर्थिक जीवन अस्त-व्यस्त होकर निराशा छा जाती है।     मुद्रा संकुचन के     दुष्प्रभावों  के निराकरण व अर्थव्यवस्था के पुनरुत्थान (Recovery) के उद्देश्यों से जान-बूझ कर मुद्रा-प्रसार किया जाता है। साख तथा मुद्रा की मात्रा में जान-बूझ कर वृद्धि की जाती है। इसी प्रवृत्ति को मुद्रा-संस्फीति कहा जाता है।  प्रो. कोल (Cole) के शब्दों में- " जब जान-बूझ कर मन्दी के प्रभावों को दूर करने के लिए मुद्रा-प्रसार किया जाता है तो इसे मुद्रा-संस्फीति कहते हैं। "  यद्यपि मुद्रा-स्फीति एवं मुद्रा- संस्फीति दोनों में मुद्रा एवं साख की मात्रा में वृद्धि होती है, पर पहले में परिस्थितिवश है जबकि दूसरे में जान-बूझकर या कृत्रिम ढंग से।  मुद्रा-स्फीति (Inflation) और मुद्रा-संस्फीति (Reflation) में अन्तर :- (1) उद्देश्य :-  मुद्रा संस्फीति का उद्देश्य रोजगार एवं उत्पादन पर मुद्रा-संकुचन के दुष्प्रभ...