गुहिल वंश उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ तथा इनके आस-पास का क्षेत्र मेवाड़ कहलाता था। गुहिल वंश ने मुख्यतः मेवाड़ में शासन किया। इस वंश का नामकरण इस वंश के प्रतापी शासक ' गुहिल' के नाम से हुआ। गुहिल वंश की उत्पत्ति और मूल स्थान के बारे में अनेक मत प्रचलित हैं । अबुल फजल इन्हें ईरान के शासक नौशेखाँ से संबंधित करता है, तो कर्नल टॉड इन्हें वल्लभी के शासकों से संबंधित मानता है, डी.आर. भण्डारकर ब्राह्मण वंश का बताते हैं क्योंकि बप्पा के लिए विप्र शब्द का प्रयोग किया गया है, जैसा कि आहड़ (Ātpur) के शिलालेख में उल्लेखित है। वहीं नैणसी आदि रूप में ब्राह्मण व जानकारी से क्षेत्रीय, जबकी गोपीनाथ शर्मा इनके ब्राह्मण होने का मत प्रतिपादित करते हैं। गुहिल वंश की उत्पत्ति :- डॉ. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा इन्हें सूर्यवंशी मानते हैं जो पुराणों के समय से चले आ रहे हैं। उनके अनुसार राजा गुहदत्त, जो गुहिलोत वंश के आदिपुरुष थे, स्वयं ‘विप्र’ नहीं थे, बल्कि वे आनंदपुर से आए ब्राह्मणों के ‘आनंददाता’ अर्थात् “उनके लिए आनंद देने वाले” थे। आहड़ के शिल...