💸 मुद्रा संकुचन या अवस्फीति (Deflation) मुद्रा संकुचन बिल्कुल मुद्रा - स्फीति की एक विपरीत स्थिति है। मुद्रा संकुचन में मूल्य सामान्य स्तर से भी बहुत नीचे गिर जाते हैं। प्रो . पीगू के अनुसार ' ' मुद्रा संकुचन मूल्यों के गिरने की वह स्थिति है जो उस समय उत्पन्न होती है जब किसी समाज की मौद्रिक आय की तुलना में वहाँ पर वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन अधिक तेजी से बढ़ता है जिससे मुद्रा की क्रय शक्ति बढ़ जाती है अथवा वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य कम हो जाते हैं। '' प्रो . कीन्स के शब्दों में '' मुद्रा संकुचन वह स्थिति है जिसके द्वारा देश में मुद्रा की मात्रा और उसकी माँग के बीच का अनुपात इतना कर दिया जाए कि उससे मुद्रा की विनिमय शक्ति बढ़ जाए तथा वस्तुओं के मूल्य गिर जाएँ। '' इन परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि मुद्रा संकुचन निम्न परिस्थितियों में दृष्टिगोचर होता है:- (i) मौद्रिक आय घटती हो पर व...