Development Of Literature During Gupta Period (गुप्त काल में साहित्य का विकास) विशाखादत्त द्वारा लिखित देवीचंद्रगुप्तम नाटक से गुप्त वंश के रामगुप्त व चंद्रगुप्त द्वितीय के बारे में जानकारी मिलती है । विशाखादत्त ने मुद्राराक्षस नामक नाटक की रचना की । शुद्रक द्वारा लिखित मृच्छकटिका 10 अंकों में लिखा । इसमें चारुदत्त तथा वसंतसेना नामक वैश्या की प्रणय कथा वर्णित है । वात्सायन के कामसूत्र से भी गुप्तकालीन शासन व्यवस्था एवं नगरीय जीवन के बारे में जानकारी मिलती है । गुप्तकालीन अभिलेखों की भाषा विशुद्ध संस्कृत है तथा तिथियां गुप्त संवत् की है । हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति एक चरित काव्य है । कौमुदीमहोत्सव नाटक वज्जिका द्वारा रचित मन जाता है। समुद्रगुप्त को कविराज की उपाधि प्राप्त थी । प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त को कविराज कहा गया है । नाट्य दर्पण की रचना रामभद्र एवं गुणभद्र ने की थी । चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में नवरत्न निवास करते थे । काव्यमीमांसा ग्रंथ के लेखक राजशेखर हैं । कथासरितसागर के लेखक सोमदेव हैं | हरिश्चंद्र समुद्रगुप्त का सेनापति एवं विदेश सचिव था जिसकी कृत...