केन्ज़ का रोजगार सिद्धांत केन्ज़ का रोजगार सिद्धांत अल्पकाल के लिए है क्योंकि यह अल्पकाल के लिए पूंजी की मात्रा, जनसंख्या व श्रम शक्ति, तकनीकी ज्ञान, श्रमिकों की कार्य कुशलता अधिक को स्थिर मानता है। अतः रोजगार की मात्रा राष्ट्रीय आय अथवा उत्पादन के स्तर पर निर्भर करती है । इन सभी के अल्पकाल में स्थिर होने के कारण पहले से बेरोजगार श्रमिकों को काम में लगाकर राष्ट्रीय आय को बढ़ाया जा सकता है। केन्ज़ का सिद्धांत रोजगार निर्धारण और राष्ट्रीय आय के निर्धारण का सिद्धांत है। रोजगार तथा राष्ट्रीय आय दोनों को निर्धारित करने वाले तत्व समान है। रोजगार अथवा आय के निर्धारण के आधारभूत विचार के रूप में प्रभावी अथवा समर्थ मांग का नियम दिया। इस नियम के अनुसार किसी देश में अल्पकाल में रोजगार की मात्रा वस्तुओं के लिए समस्त समर्थ मांग पर निर्भर करती है अर्थात् समस्त समर्थ मांग जितनी अधिक होगी रोजगार की मात्रा उतनी ही है अधिक होगी। संपूर्ण अर्थव्यवस्था में रोजगार का निर्धारण समस्त पूर्ति और समस्त मांग द्वारा होता है । समस्त पूर्ति कीमत :- अर्थव्यवस्था के सभी उद्यमी श्रमिकों की विभिन्न संख्याओं को कम पर...