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1781 ई. का एक्ट ऑफ सेटलमेंट

1781 ई. का Act of settlement(बंदोबस्त कानून)

👉 1773 ई. के रेगुलेटिंग एक्ट के दोषों को दूर करने के लिए ब्रिटिश संसद के प्रवर समिति के अध्यक्ष एडमंड बर्क के सुझाव पर इस एक्ट का प्रावधान किया गया।

👉 इसके अन्य  नाम - संशोधनात्मक अधिनियम (amending act) , बंगाल जुडीकेचर एक्ट 1781

इस एक्ट की विशेषताएं:-

👉कलकत्ता के सभी निवासियों को सर्वोच्च न्यायालय के अधिकर क्षेत्र के अंतर्गत कर दिया गया।

👉 इसके तहत कलकत्ता सरकार को बंगाल, बिहार और उड़ीसा के लिए भी विधि बनाने का अधिकार दे दिया गया।
अब कलकत्ता की सरकार को विधि बनाने की दो श्रोत प्राप्त हो गए:- 
1. रेगुलेटिंग एक्ट के तहत कलकत्ता प्रेसिडेंसी के लिए
2. एक्ट ऑफ सेटलमेंट के अधीन बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा के दीवानी प्रदेशों के लिए

👉सर्वोच्च न्यायालय के लिए आदेशों और विधियों के संपादन में भारतीयों के धार्मिक व सामाजिक रीति-रिवाजों तथा परंपराओं का ध्यान रखने का आदेश दिया गया अर्थात् हिंदुओं व मुसलमानों के धर्मानुसार मामले तय करने का प्रावधान किया गया ।

👉 सरकारी अधिकारी की हैसियत से किए गए कार्यों के लिए कंपनी के कर्मचारियों के विरुद्ध होने वाली सर्वोच्च न्यायालय की कार्यवाही को रोक दिया गया

👉 गवर्नर-जनरल-इन-कौंसिल को सर्वोच्च न्यायालय की अधिकारिता से मुक्त कर दिया गया अर्थात गवर्नर जनरल की परिषद् अब जो नियम बनाएगी, उसे उच्चतम न्यायालय के पास पंजीकृत कराना आवश्यक नहीं होगा।

👉 प्रांतीय नियमों के विरुद्ध अपील गवर्नर जनरल की परिषद् के पास की जा सकती थी, न की सर्वोच्च न्यायालय में। पुन:श्च 5000 पौण्ड या अधिक मूल्य के मामले सपरिषद् ब्रिटिश सम्राट के पास भेजे जा सकते थे।

👉 सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति को सीमित करते हुए राजस्व अधिकारीता को समाप्त कर दिया गया।

👉 राजस्व मण्डलों की स्थापना की गई। 

👉 इस कानून में गवर्नर जनरल–इन–काउंसिल को प्रांतीय न्यायालयों एवं काउंसिलों के लिए नियम–विनियम बनाने के लिए अधिकृत किया।

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