सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मस्जिद

 

मस्जिद 

मस्जिद ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, अजमेर का निर्माण किसने किया- 

(1) कुतुबुद्दीन ऐबक 

(2) इल्तुतमिश 

(3) शाहजहाँ 

 (4) गयासुद्दीन खिलजी

[Highcourt LDC 13.03.2022] 

Ans. (2)*


ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती का उर्स कहाँ आयोजित किया जाता है? 

(1) टोंक 

(2) अजमेर 

(3) नागौर 

(4) आगरा

[Stenographer Exam : 30.05.2013] 

Ans. (2)


अजमेर शरीफ दरगाह में बुलंद दरवाजा निम्न में से किसने बनवाया था ?

(1) हैदराबाद डेक्कन के मीर उस्मान अली खान 

(2) सुल्तान महमूद खिलजी 

(3) नवाब बशीर-उद-दौला सर अस्मान जाह 

(4) राजकुमारी जहाँआरा बेगम

 [ राज. पुलिस कॉन्स्टेबल - 15.05.2022 (11)] 

Ans. (2) 


'ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह' के लिए मुगल बादशाह अकबर द्वारा व्यवस्थार्थ दिए गए गाँवों की संख्या है

(1) 09 

(2) 12 

(3) 15

(4) 18

[PSI - 13.09.2021]

Ans. (4)


ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह' पर आने वाला पहला सुल्तान था ?  

(1) कुतुबुद्दीन ऐबक 

(2) इल्तुतमिश

(3) मुहम्मद बिन तुगलक 

(4) अलाउद्दीन खिलजी 

[ REET (L-II ) - 24.7.2022 ]

Ans. (3)


अजमेर में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर नज़र (भेंट) भेजने वाले प्रथम मराठा सरदार कौन थे? 

(1) पेशवा बालाजी राव

(2) नवाब अली बहादुर, पेशवा बालाजी राव प्रथम का पौत्र ( मस्तानी नामक पत्नी से )

(3) राजा साहू, शिवाजी के पौत्र 

(4) पेशवा बालाजी विश्वनाथ 

[RAS-31.10.2015]

Ans. (3)


सूफी संत ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती किसके शासनकाल में राजस्थान आये थे ? 

(1) महाराणा प्रताप सिंह 

(2) राणा साँगा

(3) राणा कुम्भा  

(4) पृथ्वीराज चौहान

[R.A.S. Pre Exam, 2003]

Ans. (4) 


अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में स्थित बड़ी देग किस मुगल सम्राट द्वारा भेंट की गई -

(1) हुमायूँ 

(2) जहाँगीर 

(3) शाहजहां 

(4) अकबर 

 [L.S.A. 2016] 

Ans. (4)


व्याख्या:- ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, अजमेर में निर्माण की शुरुआत इल्तुतमिश द्वारा की गई। 1464 में माण्डु के सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी ने इसे पक्का करवाकर इस पर गुम्बद का निर्माण करवाया। दरगाह परिसर में स्थित अकबरी मस्जिद का निर्माण 1571 ई. में मुगल बादशाह अकबर ने करवाया था। दरगाह के तीन मुख्य दरवाजें हैं- मुख्य द्वार 'निजाम दरवाजा (हैदराबाद के नवाब द्वारा निर्मित), शाहजहाँनी दरवाजा (शाहजहाँ द्वारा निर्मित) तथा बुलन्द दरवाजा (महमूद खिजली द्वारा निर्मित) अजमेर में हर वर्ष हिजरी संवत् के 1 से 6 रज्जब तक ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की याद में ख्वाजा साहब का उर्स मनाया जाता है।छोटी देग-बड़ी देग अजमेर स्थित ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में मुगल सम्राट जहाँगीर द्वारा भेंट की गयी छोटी देग (चावल पकाने की क्षमता 80 मन) तथा सम्राट अकबर द्वारा भेंट की गयी बड़ी देग ( चावल पकाने की क्षमता 100 मन ) यहीं रखी गयी है।


'ऊषा मस्जिद' कहाँ स्थित है? 

(1) गलियाकोट 

(2) सलूम्बर 

(3) सांभर 

(4) बयाना 

[House Keeper 9.7.2022] 

Ans. (4) 

व्याख्या - ऊषा मस्जिद बयाना (भरतपुर)


दाउदी बोहरा समुदाय का प्रमुख उपासना स्थल है ? 

(1) सीमलवाड़ा 

(2) गागरोण 

(3) सागवाड़ा 

(4) गलियाकोट 

[ग्राम सेवक परीक्षा, 2008] [Police Constable Exam - 2013] 

Ans. (4)

व्याख्या - डूंगरपुर स्थित गलियाकोट ( माही नदी के किनारे पर ) में सैयद फखरूद्दीन की मजार पर दाऊदी बोहरा सम्प्रदाय के हजारों लोग उर्स (मोहर्रम से 27वें दिन ) के दौरान नमाज अदा करते हैं।


पीर फखरूद्दीन बाबा की मजार किस नदी के तट पर स्थित है?

(1) माही 

(2) चम्बल 

(3) सोम 

(4) जाखम

 [जेल प्रहरी-2017] [School Lecturer (Sanskrit Edu.)-04.08.2020]

Ans. (1)


नागौर में किस सूफी सन्त की मजार है ? 

(1) शेख हमीदुद्दीन 

(2) निजामुद्दीन औलिया 

(3) ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती 

(4) ख्वाजा कुतुबुद्दीन 

 [RPSC III Grade Teacher Exam-2006]

Ans. (1)

व्याख्या - नागौर के अहाते में गिनाणी तालाब के पास स्थित चिश्ती शाखा के संत संन्यासियों के सुल्तान नाम से प्रसिद्ध सुल्ताने तारकीन शेख हमीदुद्दीन नागौरी की प्रसिद्ध दरगाह है, जहाँ उर्स के दौरान मेला भरता है।


'तारकीन का उर्स' मेला लगता है- 

(1) सांभर 

(2) अजमेर 

(3) सरवाड़ 

(4) नागौर 

[ AAO: 29.01.2013] 

Ans. (4) 


ढाई दिन का झोंपड़ा कहाँ पर है? 

(1) अजमेर 

(2) बीकानेर 

(3) उदयपुर 

(4) कोटा 

[कारापाल 2012] 

Ans. (1)


पंजाब शाह का उर्स कहाँ मनाया जाता है?

(1) अलवर 

(2) हनुमानगढ़ 

(3) अजमेर 

(4) गंगानगर 

[वनरक्षक-12.12.2022 (S-I)]

Ans. (3) 

व्याख्या - अजमेर जिले में स्थित इस इमारत की निर्माण अवधि के अढ़ाई दिन होने तथा यहाँ एक मुसलमान फकीर पंजाब शाह का अढाई दिन का उर्स लगने के फलस्वरूप यह इमारत अढ़ाई दिन का झोंपड़ा कहलाती है। ए. कनिंघम ने इसकी भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा है। कि "भारत में कोई इमारत न तो ऐतिहासिक दृष्टि से और न ही पुरातात्विक दृष्टि से इतनी संरक्षित बची है।"


मजार-ए-फखरी निम्न में से किस जिले में स्थित है? 

(1) जयपुर 

(2) बीकानेर 

(3) डूंगरपुर 

(4) सवाई माधोपुर 

[सूचना सहायक परीक्षा - 12.05.2018] 

Ans. (3)

व्याख्या - गलियाकोट: माही नदी के किनारे अवस्थित, जहाँ सैयद फखरूद्दीन की मजार ( मजार-ए-फखरी) पर दाऊदी बोहरा सम्प्रदाय के हजारों लोग उर्स (मोहर्रम से 27वें दिन ) के दौरान नमाज अदा करते हैं।


'चल फिर शाह की दरगाह' राजस्थान में कहाँ स्थित है?

(1) चित्तौड़गढ़ 

(2) अजमेर 

(3) नागौर 

(4) जयपुर 

 [JEN Exam - 21.08.2016] 

Ans. (1)


मलिकशाह की मस्जिद स्थित है? 

(1) जालौर 

(2) झालावाड़

(3) राजसमंद 

(4) बाराँ 

[ CET : 7.1.2023 (1)] 

Ans. (1)


'शक्कर पीर बाबा' के नाम से प्रसिद्ध हजरत हाजिब शक्कर बादशाह की दरगाह स्थित है-

(1) नागौर 

(2) नरहड़ 

(3) गलियाकोट 

(4) सरवाड़

[Asstt. Agriculture Officer Exam- 31.05.2019]

Ans. (2)

व्याख्या - झुन्झुनूँ के चिड़ावा तहसील में स्थित नरहड़ के शक्कर पीर बाबा (बांगड़ के धणी) दरगाह स्थित हैं।


सुमेलित नहीं है- 

(1) इकमीनार मस्जिद - जोधपुर 

(2) ऊषा मस्जिद - बयाना 

(3) दूल्हेशाह दरगाह - जालौर 

(4) नलियासर मस्जिद - सांभर 

[JEN (Mech.) Degree - 16.10.2016] 

Ans. (3) 

व्याख्या - पीर दूल्हेशाह की दरगाह- केरला (पाली)


मुसलमान संत अब्दुल्ला पीर का मकबरा ( दरगाह ) स्थित है - 

(1) फलौदी (जोधपुर) 

(2) सोजत (पाली) 

(3) भवानपुरा (बाँसवाड़ा)

(4) शेरगढ़ (जोधपुर) 

[जेल प्रहरी 27-10-2018, Shift-III] [पटवारी 2011] [III Grade (SST) -26.02.2023] 

Ans. (3)

व्याख्या - संत अब्दुल्ला पीर का मकबरा (दरगाह) बाँसवाड़ा के भवानपुरा गाँव में स्थित हैं, जहाँ दाऊदी बोहरा सम्प्रदाय के हजारों लोग उर्स के दौरान नमाज अदा करते हैं।


निम्नलिखित में से कौनसा सही सुमेलित नहीं है?

(1) कन्हैयालाल बागल हवेली - चुरू

(2) निहाल टॉवर - धौलपुर 

(3) मोडा पहाड़ - झुन्झुनूँ 

(4) हजरत कमरूद्दीन शाह की दरगाह - नागौर 

[III Grade (Hindi) -26.02.2023]

Ans. (4) 

व्याख्या- हजरत कमरूद्दीन शाह की दरगाह - झुन्झुनूँ


दरगाह जिसे अब्दुल्ला पीर के नाम से जाना जाता है, बोहरा मुस्लिम संत अब्दुल रसूल का लोकप्रिय मकबरा किस शहर में स्थित है?

(1) अलवर 

(2) बाड़मेर 

(3) झालावाड़ 

(4) बाँसवाड़ा

[EO & RO- 14.05.2023 (SI)] 

Ans. (4) 

व्याख्या -बाँसवाड़ा के निकट भगवानपुरा गाँव में दाऊदी बोहरा सम्प्रदाय का दूसरा महत्त्वपूर्ण स्थल संत अब्दुल्ला पीर का मकबरा बना हुआ है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

प्राकृतिक रेशे

प्राकृतिक रेशे रेशे दो प्रकार के होते हैं - 1. प्राकृतिक रेशे - वे रेशे जो पौधे एवं जंतुओं से प्राप्त होते हैं, प्राकृतिक रेशे कहलाते हैं।  उदाहरण- कपास,ऊन,पटसन, मूॅंज,रेशम(सिल्क) आदि। 2. संश्लेषित या कृत्रिम रेशे - मानव द्वारा विभिन्न रसायनों से बनाए गए रेशे कृत्रिम या संश्लेषित रेशे कहलाते हैं।  उदाहरण-रियॉन, डेक्रॉन,नायलॉन आदि। प्राकृतिक रेशों को दो भागों में बांटा गया हैं - (1)पादप रेशे - वे रेशे जो पादपों से प्राप्त होते हैं।  उदाहरण - रूई, जूूट, पटसन । रूई - यह कपास नामक पादप के फल से प्राप्त होती है। हस्त चयन प्रक्रिया से कपास के फलों से प्राप्त की जाती है। बिनौला -कपास तत्वों से ढका कपास का बीज। कपास ओटना -कंकतन द्वारा रूई को बनौलों से अलग करना। [Note:- बीटी कपास (BT Cotton) एक परजीवी कपास है। यह कपास के बॉल्स को छेदकर नुकसान पहुँचाने वाले कीटों के लिए प्रतिरोधी कपास है। कुछ कीट कपास के बॉल्स को नष्ट करके किसानों को आर्थिक हानि पहुँचाते हैं। वैज्ञानिकों ने कपास में एक ऐसे बीटी जीन को ...

1600 ईस्वी का राजलेख

  1600 ईस्वी का राजलेख 👉 इसके तहत कंपनी को 15 वर्षों के लिए पूर्वी देशों में व्यापार करने का एकाधिकार दिया गया। 👉 यह राजलेख महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने  31 दिसंबर, 1600 ई. को जारी किया। 👉 कंपनी के भारत शासन की समस्त शक्तियां एक गवर्नर(निदेशक), एक उप-गवर्नर (उप-निदेशक) तथा उसकी 24 सदस्यीय परिषद को सौंप दी गई तथा कंपनी के सुचारू प्रबंधन हेतु नियमों तथा अध्यादेश को बनाने का अधिकार दिया गया। 👉 ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना के समय इसकी कुल पूंजी  30133 पौण्ड थी तथा इसमें कुल 217 भागीदार थे। 👉 कंपनी के शासन को व्यवस्थित करने हेतु कलकत्ता, बंबई तथा मद्रास को प्रेसीडेंसी नगर बना दिया गया तथा इसका शासन प्रेसीडेंसी व उसकी परिषद् करती थी। 👉 महारानी एलिजाबेथ ने ईस्ट इंडिया कंपनी को लॉर्ड मेयर की अध्यक्षता में पूर्वी देशों में व्यापार करने की आज्ञा प्रदान की थी। 👉 आंग्ल- भारतीय विधि- संहिताओं के निर्माण एवं विकास की नींव 1600 ई. के चार्टर से प्रारंभ हुई। 👉 ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपना कार्य सूरत से प्रारंभ किया। 👉 इस समय भारत में मुगल सम्राट अकबर का शास...

संवैधानिक विकास

संवैधानिक विकास 👉 31 दिसंबर 1600 को महारानी एलिजाबेथ प्रथम के चार्टर के माध्यम से अंग्रेज भारत आए।  👉 प्रारंभ में इनका मुख्य उद्देश्य व्यापार था जो ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से शुरू किया गया।  👉 मुगल बादशाह 1764 में बक्सर के युद्ध में विजय के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी को दीवानी अधिकार दिए। 👉 1765 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल,बिहार एवं उड़ीसा की दीवानी अधिकार प्राप्त कर लीए। 👉 1858 ईस्वी में हुए सैनिक विद्रोह ऐसे भारत शासन का दायित्व सीधा ब्रिटिश ताज ने ले लिया। 👉 सर्वप्रथम आजाद भारत हेतु संविधान की अवधारणा एम. एन. राय के द्वारा 1934 में दी गई।  👉 एम. एन. राय के सुझावों को अमल में लाने के उद्देश्य से 1946 में सविधान सभा का गठन किया गया। 👉 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। 👉 संविधान की अनेक विशेषता ब्रिटिश शासन चली गई तथा अन्य देशों से भी, जिनका क्रमवार विकास निम्न प्रकार से हुआ- 1. कंपनी का शासन (1773 ई. - 1858 ई. तक)  2. ब्रिटिश ताज का शासन (1858 ई. – 1947 ई. तक) Constitutional development 👉The Brit...

1781 ई. का एक्ट ऑफ सेटलमेंट

1781 ई. का Act of settlement(बंदोबस्त कानून) 👉 1773 ई. के रेगुलेटिंग एक्ट के दोषों को दूर करने के लिए ब्रिटिश संसद के प्रवर समिति के अध्यक्ष एडमंड बर्क के सुझाव पर इस एक्ट का प्रावधान किया गया। 👉 इसके अन्य  नाम - संशोधनात्मक अधिनियम (amending act) , बंगाल जुडीकेचर एक्ट 1781 इस एक्ट की विशेषताएं:- 👉कलकत्ता के सभी निवासियों को सर्वोच्च न्यायालय के अधिकर क्षेत्र के अंतर्गत कर दिया गया। 👉 इसके तहत कलकत्ता सरकार को बंगाल, बिहार और उड़ीसा के लिए भी विधि बनाने का अधिकार दे दिया गया। अब कलकत्ता की सरकार को विधि बनाने की दो श्रोत प्राप्त हो गए:-  1. रेगुलेटिंग एक्ट के तहत कलकत्ता प्रेसिडेंसी के लिए 2. एक्ट ऑफ सेटलमेंट के अधीन बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा के दीवानी प्रदेशों के लिए 👉 सर्वोच्च न्यायालय के लिए आदेशों और विधियों के संपादन में भारतीयों के धार्मिक व सामाजिक रीति-रिवाजों तथा परंपराओं का ध्यान रखने का आदेश दिया गया अर्थात् हिंदुओं व मुसलमानों के धर्मानुसार मामले तय करने का प्रावधान किया गया । 👉 सरकारी अधिकारी की हैसियत से किए गए कार्यों के लिए कंपनी ...

राजस्थान नगरपालिका ( सामान क्रय और अनुबंध) नियम, 1974

  राजस्थान नगरपालिका ( सामान क्रय और अनुबंध) नियम , 1974 कुल नियम:- 17 जी.एस.आर./ 311 (3 ) – राजस्थान नगरपालिका अधिनियम , 1959 (1959 का अधिनियम सं. 38) की धारा 298 और 80 के साथ पठित धारा 297 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए , राज्य सरकार इसके द्वारा , निम्नलिखित नियम बनाती हैं , अर्थात्   नियम 1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ – ( 1) इन नियमों का नाम राजस्थान नगरपालिका (सामान क्रय और अनुबंध) नियम , 1974 है। ( 2) ये नियम , राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से एक मास पश्चात् प्रवृत्त होंगे। राजपत्र में प्रकाशन:- 16 फरवरी 1975 [भाग 4 (ग)(1)] लागू या प्रभावी:- 16 मार्च 1975 [ 1. अधिसूचना सं. एफ. 3 (2) (75 एल.एस.जी./ 74 दिनांक 27-11-1974 राजस्थान राजपत्र भाग IV ( ग) ( I) दिनांक 16-2-1975 को प्रकाशित एवं दिनांक 16-3-1975 से प्रभावी।]   नियम 2. परिभाषाएँ – इन नियमों में , जब तक संदर्भ द्वारा अन्यथा अपेक्षित न हो , (i) ' बोर्ड ' के अन्तर्गत नगर परिषद् ( Municipal Council) आती है ; (ii) ' क्रय अधिकारी ' या ' माँगकर्त्ता अधिकार...

वैश्विक राजनीति का परिचय(Introducing Global Politics)

🌏 वैश्विक राजनीति का परिचय( Introducing Global Politics)

राजस्थान के दुर्ग

  दुर्ग

1726 ईस्वी का राजलेख

1726 ईस्वी का राजलेख इसके तहत कलकात्ता, बंबई तथा मद्रास प्रेसिडेंसीयों के गवर्नर तथा उसकी परिषद को विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई, जो पहले कंपनी के इंग्लैंड स्थित विद्युत बोर्ड को प्राप्त थी।  यह सीमित थी क्योंकि - (1) यह ब्रिटिश विधियों के विपरीत नहीं हो सकती थी। (2) यह तभी प्रभावित होंगी जब इंग्लैंड स्थित कंपनी का निदेशक बोर्ड अनुमोदित कर दे। Charter Act of 1726 AD  Under this, the Governor of Calcutta, Bombay and Madras Presidencies and its Council were empowered to make laws, which was previously with the Company's Electricity Board based in England.  It was limited because -  (1) It could not be contrary to British statutes.  (2) It shall be affected only when the Board of Directors of the England-based company approves.

ऐतिहासिक संदर्भ(Historical Context)

 🗺  ऐतिहासिक संदर्भ(Historical Context)

अरस्तू

🧠   अरस्तू यूनान के दार्शनिक  अरस्तू का जन्म 384 ईसा पूर्व में मेसीडोनिया के स्टेजिरा/स्तातागीर (Stagira) नामक नगर में हुआ था। अरस्तू के पिता निकोमाकस मेसीडोनिया (राजधानी–पेल्ला) के राजा तथा सिकन्दर के पितामह एमण्टस (Amyntas) के मित्र और चिकित्सक थे। माता फैस्टिस गृहणी थी। अन्त में प्लेटो के विद्या मन्दिर (Academy) के शान्त कुंजों में ही आकर आश्रय ग्रहण करता है। प्लेटो की देख-रेख में उसने आठ या बीस वर्ष तक विद्याध्ययन किया। अरस्तू यूनान की अमर गुरु-शिष्य परम्परा का तीसरा सोपान था।  यूनान का दर्शन बीज की तरह सुकरात में आया, लता की भांति प्लेटो में फैला और पुष्प की भाँति अरस्तू में खिल गया। गुरु-शिष्यों की इतनी महान तीन पीढ़ियाँ विश्व इतिहास में बहुत ही कम दृष्टिगोचर होती हैं।  सुकरात महान के आदर्शवादी तथा कवित्वमय शिष्य प्लेटो का यथार्थवादी तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाला शिष्य अरस्तू बहुमुखी प्रतिभा का धनी था। मानव जीवन तथा प्रकृति विज्ञान का शायद ही कोई ऐसा पहलू हो, जो उनके चिन्तन से अछूता बचा हो। उसकी इसी प्रतिभा के कारण कोई उसे 'बुद्धिमानों का गुरु' कहता है तो कोई ...