सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

हवेलियाँ

हवेलियाँ

शेखावाटी में "कृष्ण की आठ गोपियाँ एक हाथी के रूप में चित्रित" भित्तिचित्र कहाँ मिला है?
(1) कनोड़िया हवेली, मुकुन्दगढ़
(2) गोयनका हवेली, फतेहपुर
(3) रुंड्या हवेली, रामगढ़
(4) पोर्धार हवेली, नवलगढ़
(5) अनुत्तरित प्रश्न
Asst. Statistical Officer (Agri. Deptt.) - 2024 (GK and Concerned Subject)
Ans. (2)


पटवों की हवेली कहाँ स्थित है?

(1) उदयपुर 

(2) जैसलमेर 

(3) जोधपुर 

(4) झुन्झुनूँ

[Police Constable- 2013, 2007 ( 11 ) ] [ III Grade Teacher - 2004] [कर सहायक 14.10.2018] [VDO Mains -09.07.2022]

Ans. (2)

व्याख्या- पटुवों की हवेली (जैसलमेर) 18वीं शताब्दी के उतरार्द्ध में जैसलमेर के एक व्यवसायी गुमानचन्द पटुआ के 5 पुत्रों ने इस हवेली का निर्माण लगभग 50 वर्षों में पूर्ण करवाया।


सालिम सिंह की हवेली और नथमल की हवेली में स्थित हैं- 

(1) बाड़मेर 

(2) बीकानेर 

(3) चित्तौड़गड़ 

(4) जैसलमेर 

[राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल - 14.07.2018 (1)][Asst. Agriculture Officer 29.01.2013][RTET Level II - 2011][ House Keeper 9.7.2022] [REET L-II (Re-Exam), 16.10.2021] 

Ans. (4)

व्याख्या- नथमलजी की हवेली जैसलमेर राज्य के प्रधानमंत्री नथमलजी ने 19वीं शताब्दी के उतरार्द्ध में इस हवेली का निर्माण करवाया।

जैसलमेर के प्रधानमंत्री सालिमसिंह मेहता ने 18वीं शताब्दी में सालिमसिंह की हवेली का निर्माण करवाया। इसको 'मोती महल' भी कहते है ।


जैसलमेर के दो शिल्पकार भाई हाथी और लुलु ने अपनी शिल्पकला, विशालता और अद्भुत नक्काशी से किस हवेली को आकार प्रदान किया, जो दो शिल्पकारों की अमर कृति को दर्शाती है- 

(1) दीवान नथमल की हवेली 

(2) सालिमसिंह की हवेली 

(3) पटवों की हवेली 

(4) सागरमल की हवेली 

[संग्रहालयाध्यक्ष - 19.06.2024] 

Ans. (1)


राजस्थान में 'दानचन्द्र चौपड़ा की हवेली' कहाँ स्थित है? 

(1) खेतड़ी 

(2) किशनगढ़ 

(3) बीकानेर 

(4) सुजानगढ़

[ग्राम सेवक परीक्षा 18.12.2016]

 Ans. (4)

व्याख्या -  चूरू सुजानगढ़ में दानचन्द्र चौपड़ा की हवेली स्थित है। 

चूरू में स्थित अन्य हवेलियाँ - यहाँ स्थित प्रसिद्ध हवेलियों में सुराणों के हवामहल और रामविलास गोयनका की हवेली, मंत्रियों की मोटी हवेली आदि हैं। सुराणा की हवेली - इसमें 1100 दरवाजे एवं खिड़कियाँ है ।


लड़ियों की हवेली तथा गोयनका की हवेली (भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध ) झुंझुनूँ जिले के किस स्थान पर स्थित है? 

(1) मंडावा 

(2) मुकन्दगढ़ 

(3) नवलगढ़ 

(4) बगड़ 

 [वनरक्षक परीक्षा - 2013]

Ans. (1)

व्याख्या - सागरमल लाड़िया, रामदेव चौखाणी तथा रामनाथ गोयनका की हवेलियाँ, हनुमान प्रसाद गोयनका हवेली, गोयनका डबल हवेली, मुरमुरिया हवेली, झुनझुनवाला हवेली, मोहनलाल सर्राफ हवेली आदि मण्डावा में स्थित है।


अपने भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध झाला की हवेली अवस्थित है-

(1) कोटा 

(2) झालावाड़ 

(3) बूँदी 

(4) मण्डावा 

[II Grade (Sans..) -12.2.2023 (S-I)][ मूल्यांकन अधिकारी - 23.08.2020] 

Ans. (1) .

व्याख्या - जालिम सिंह द्वारा झालाजी की हवेली विशेष रूप से आखेट चित्रों के लिए जानी जाती है।


भित्ति चित्रण की दृष्टि से कहाँ की हवेलियाँ प्रसिद्ध हैं?

(1) शेखावाटी 

(2) जैसलमेर 

(3) उदयपुर 

(4) बीकानेर 

 [Police Constable Exam - 2007 (III)] 

Ans. (1)

व्याख्या - भूगर्भीय वैभव से महिमा मंडित नामी गिरामी उद्योगपतियों एवं अनगिनत शहीदों की जन्मभूमि झुन्झुनूँ जिले में भित्तिचित्रों वाली हवेलियाँ (Fresco Paintings), किले व स्मारक विशेष दर्शनीय है। सर्वाधिक हवेलियाँ नवलगढ़ में है। इसलिए नवलगढ़ को 'हवेलियों का नगर व शेखावाटी की स्वर्ण नगरी / गॉल्डन सिटी' कहते है।


राजस्थान में पोद्दार की हवेली है, जो स्थित है-

(1) महनसर 

(2) फतेहपुर 

(3) मंडावा 

(4) नवलगढ़ 

[JEN (Mechanical) Diploma- 20.05.2022] 

Ans. (4)


नाथूराम पोद्दार की हवेली, शेखावाटी में कहाँ स्थित है?

(1) नवलगढ़ 

(2) मण्डावा 

(3) महनसर 

(4) बिसाऊ 

 [वनरक्षक- 13.12.2022(S-I)] 

Ans. (4)


डूंडलोद किसके लिए प्रसिद्ध है -  

(1) पुरातात्विक स्थल के लिए 

(2) आध्यात्मिक एवं धार्मिक स्थल के लिए 

(3) सूफी संत की दरगाह के लिए 

(4) हवेलियों एवं परम्परागत सुन्दर इमारतों के लिए 

[JEN 18.05.2022]

Ans. (4)


राजस्थान में प्रसिद्ध सोने-चाँदी की हवेली कहाँ स्थित है?

(1) लक्ष्मणगढ़ - सीकर

(2) पोकरण- जैसलमेर

(3) बिसाऊ - झुन्झुनूं

(4) महनसर - झुन्झुनूं

[वनरक्षक-11.12.2022(S-I)] [III Grade (English) - 27.02.2023]

Ans. (4)


'महणसर' प्रसिद्ध है-

(1) सोने की चित्रकारी के लिए

(2) सती माता मंदिर के लिए

(3) मुगलकालीन चित्रों की अधिकता के लिए 

(4) 360 खिड़कियों की हवेली के लिए 

[CET : 07.01.2023 (S-1)]

Ans. (1)


पंसारी की हवेली स्थित है ?  

(1) डूंडलोद 

(2) टोंक 

(3) चिड़ावा 

(4) श्रीमाधोपुर 

[ वनरक्षक 13.12.2022(S-II)]

Ans. (4) 


बच्छावतों, रामपुरिया, गुलेच्छा, सेठिया की हवेलियाँ राजस्थान में कहाँ स्थित हैं ? 

(1) जैसलमेर 

(2) सीकर 

( 3 ) जोधपुर 

 4) बीकानेर 

[Librarian III Gr.-11.9.2022 |JEN (Diploma) Exam 21.08.2016] 

Ans. (4)

व्याख्या - बच्छावतों, रामपुरिया, गुलेच्छा, सेठिया की हवेलियाँ, कोठारी हवेली, मोहता हवेली बीकानेर ( हजार हवेलियों की नगरी ) में स्थित है।


सुमेलित कीजिए ? 

(a) उदयपुर            i. नथमल की हवेली

(b) जैसलमेर          ii. बागोर हवेली

(c) जैसलमेर          iii. लालचन्द ढड्ढा की हवेली

(d) फलौदी            iv. सालिमसिंह की हवेली

 ( 1 ) a-i, b - ii, c - iii, d-iv 

(2) a-ii. b-iii, c - iv. d-i 

(3) a - ii, b - iv, c - i, d-iii 

(4) a - iii. b-ii. c - i, d-iv 

[पटवार परीक्षा 2011]

Ans. (3)


शेखावाटी में 'कृष्ण की आठ गोपियाँ एक हाथी के रूप में चित्रित' भित्तिचित्र कहाँ मिला है-  

(1) पोद्दार हवेली, नवलगढ़ 

(2) कनोड़िया हवेली, मुकुन्दगढ़ 

(3) गोयनका हवेली, फतेहपुर 

(4) रुइया हवेली, रामगढ़ 

[सहा. सांख्यिकी अधिकारी (25.08.2024)]

Ans. (3) 

व्याख्या - 1870 में स्थापित महावीर प्रसाद गोयनका हवेली फतेहपुर की की दीवारों पर भगवान कृष्ण की लीलाओं के बेहतरीन चित्र हैं। इसमें 'कृष्ण की आठ गोपियाँ एक हाथी के रूप में चित्रित भित्तिचित्र' विशेष प्रसिद्ध है। फतेहपुर (सीकर) स्थित अन्य हवेलियों में नादिन लाल प्रिन्स हवेली, नंदलाल देवड़ा की हवेली, सिंघानिया हवेली, फतेहचंद की हवेली आदि प्रसिद्ध हैं।

शेखावाटी की प्रमुख हवेलियाँ नाथूराम पोद्दार की हवेली, हीराराम बनारसी लाल की हवेली, जयदयाल केडिया की हवेली, सीताराम सिगतिया की हवेली - बिसाऊं

पौद्दार और भगेरिया की हवेलिया, भगतों की हवेली- नवलगढ़

टीबड़ेवाला की हवेली और शताधिक खिड़कियों वाली ईसरदास मोदी की हवेली - झुंझुनूँ

बागड़िया व डालमिया की हवेली - चिड़ावा

सोने-चाँदी की हवेली - महनसर ( महणसर )

केसरदेव, कानोड़ियाँ की हवेली - मुकंदगढ़

गोयनका की हवेली - डूंडलोद

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

प्राकृतिक रेशे

प्राकृतिक रेशे रेशे दो प्रकार के होते हैं - 1. प्राकृतिक रेशे - वे रेशे जो पौधे एवं जंतुओं से प्राप्त होते हैं, प्राकृतिक रेशे कहलाते हैं।  उदाहरण- कपास,ऊन,पटसन, मूॅंज,रेशम(सिल्क) आदि। 2. संश्लेषित या कृत्रिम रेशे - मानव द्वारा विभिन्न रसायनों से बनाए गए रेशे कृत्रिम या संश्लेषित रेशे कहलाते हैं।  उदाहरण-रियॉन, डेक्रॉन,नायलॉन आदि। प्राकृतिक रेशों को दो भागों में बांटा गया हैं - (1)पादप रेशे - वे रेशे जो पादपों से प्राप्त होते हैं।  उदाहरण - रूई, जूूट, पटसन । रूई - यह कपास नामक पादप के फल से प्राप्त होती है। हस्त चयन प्रक्रिया से कपास के फलों से प्राप्त की जाती है। बिनौला -कपास तत्वों से ढका कपास का बीज। कपास ओटना -कंकतन द्वारा रूई को बनौलों से अलग करना। [Note:- बीटी कपास (BT Cotton) एक परजीवी कपास है। यह कपास के बॉल्स को छेदकर नुकसान पहुँचाने वाले कीटों के लिए प्रतिरोधी कपास है। कुछ कीट कपास के बॉल्स को नष्ट करके किसानों को आर्थिक हानि पहुँचाते हैं। वैज्ञानिकों ने कपास में एक ऐसे बीटी जीन को ...

1600 ईस्वी का राजलेख

  1600 ईस्वी का राजलेख 👉 इसके तहत कंपनी को 15 वर्षों के लिए पूर्वी देशों में व्यापार करने का एकाधिकार दिया गया। 👉 यह राजलेख महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने  31 दिसंबर, 1600 ई. को जारी किया। 👉 कंपनी के भारत शासन की समस्त शक्तियां एक गवर्नर(निदेशक), एक उप-गवर्नर (उप-निदेशक) तथा उसकी 24 सदस्यीय परिषद को सौंप दी गई तथा कंपनी के सुचारू प्रबंधन हेतु नियमों तथा अध्यादेश को बनाने का अधिकार दिया गया। 👉 ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना के समय इसकी कुल पूंजी  30133 पौण्ड थी तथा इसमें कुल 217 भागीदार थे। 👉 कंपनी के शासन को व्यवस्थित करने हेतु कलकत्ता, बंबई तथा मद्रास को प्रेसीडेंसी नगर बना दिया गया तथा इसका शासन प्रेसीडेंसी व उसकी परिषद् करती थी। 👉 महारानी एलिजाबेथ ने ईस्ट इंडिया कंपनी को लॉर्ड मेयर की अध्यक्षता में पूर्वी देशों में व्यापार करने की आज्ञा प्रदान की थी। 👉 आंग्ल- भारतीय विधि- संहिताओं के निर्माण एवं विकास की नींव 1600 ई. के चार्टर से प्रारंभ हुई। 👉 ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपना कार्य सूरत से प्रारंभ किया। 👉 इस समय भारत में मुगल सम्राट अकबर का शास...

संवैधानिक विकास

संवैधानिक विकास 👉 31 दिसंबर 1600 को महारानी एलिजाबेथ प्रथम के चार्टर के माध्यम से अंग्रेज भारत आए।  👉 प्रारंभ में इनका मुख्य उद्देश्य व्यापार था जो ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से शुरू किया गया।  👉 मुगल बादशाह 1764 में बक्सर के युद्ध में विजय के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी को दीवानी अधिकार दिए। 👉 1765 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल,बिहार एवं उड़ीसा की दीवानी अधिकार प्राप्त कर लीए। 👉 1858 ईस्वी में हुए सैनिक विद्रोह ऐसे भारत शासन का दायित्व सीधा ब्रिटिश ताज ने ले लिया। 👉 सर्वप्रथम आजाद भारत हेतु संविधान की अवधारणा एम. एन. राय के द्वारा 1934 में दी गई।  👉 एम. एन. राय के सुझावों को अमल में लाने के उद्देश्य से 1946 में सविधान सभा का गठन किया गया। 👉 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। 👉 संविधान की अनेक विशेषता ब्रिटिश शासन चली गई तथा अन्य देशों से भी, जिनका क्रमवार विकास निम्न प्रकार से हुआ- 1. कंपनी का शासन (1773 ई. - 1858 ई. तक)  2. ब्रिटिश ताज का शासन (1858 ई. – 1947 ई. तक) Constitutional development 👉The Brit...

1781 ई. का एक्ट ऑफ सेटलमेंट

1781 ई. का Act of settlement(बंदोबस्त कानून) 👉 1773 ई. के रेगुलेटिंग एक्ट के दोषों को दूर करने के लिए ब्रिटिश संसद के प्रवर समिति के अध्यक्ष एडमंड बर्क के सुझाव पर इस एक्ट का प्रावधान किया गया। 👉 इसके अन्य  नाम - संशोधनात्मक अधिनियम (amending act) , बंगाल जुडीकेचर एक्ट 1781 इस एक्ट की विशेषताएं:- 👉कलकत्ता के सभी निवासियों को सर्वोच्च न्यायालय के अधिकर क्षेत्र के अंतर्गत कर दिया गया। 👉 इसके तहत कलकत्ता सरकार को बंगाल, बिहार और उड़ीसा के लिए भी विधि बनाने का अधिकार दे दिया गया। अब कलकत्ता की सरकार को विधि बनाने की दो श्रोत प्राप्त हो गए:-  1. रेगुलेटिंग एक्ट के तहत कलकत्ता प्रेसिडेंसी के लिए 2. एक्ट ऑफ सेटलमेंट के अधीन बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा के दीवानी प्रदेशों के लिए 👉 सर्वोच्च न्यायालय के लिए आदेशों और विधियों के संपादन में भारतीयों के धार्मिक व सामाजिक रीति-रिवाजों तथा परंपराओं का ध्यान रखने का आदेश दिया गया अर्थात् हिंदुओं व मुसलमानों के धर्मानुसार मामले तय करने का प्रावधान किया गया । 👉 सरकारी अधिकारी की हैसियत से किए गए कार्यों के लिए कंपनी ...

राजस्थान नगरपालिका ( सामान क्रय और अनुबंध) नियम, 1974

  राजस्थान नगरपालिका ( सामान क्रय और अनुबंध) नियम , 1974 कुल नियम:- 17 जी.एस.आर./ 311 (3 ) – राजस्थान नगरपालिका अधिनियम , 1959 (1959 का अधिनियम सं. 38) की धारा 298 और 80 के साथ पठित धारा 297 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए , राज्य सरकार इसके द्वारा , निम्नलिखित नियम बनाती हैं , अर्थात्   नियम 1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ – ( 1) इन नियमों का नाम राजस्थान नगरपालिका (सामान क्रय और अनुबंध) नियम , 1974 है। ( 2) ये नियम , राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से एक मास पश्चात् प्रवृत्त होंगे। राजपत्र में प्रकाशन:- 16 फरवरी 1975 [भाग 4 (ग)(1)] लागू या प्रभावी:- 16 मार्च 1975 [ 1. अधिसूचना सं. एफ. 3 (2) (75 एल.एस.जी./ 74 दिनांक 27-11-1974 राजस्थान राजपत्र भाग IV ( ग) ( I) दिनांक 16-2-1975 को प्रकाशित एवं दिनांक 16-3-1975 से प्रभावी।]   नियम 2. परिभाषाएँ – इन नियमों में , जब तक संदर्भ द्वारा अन्यथा अपेक्षित न हो , (i) ' बोर्ड ' के अन्तर्गत नगर परिषद् ( Municipal Council) आती है ; (ii) ' क्रय अधिकारी ' या ' माँगकर्त्ता अधिकार...

वैश्विक राजनीति का परिचय(Introducing Global Politics)

🌏 वैश्विक राजनीति का परिचय( Introducing Global Politics)

ऐतिहासिक संदर्भ(Historical Context)

 🗺  ऐतिहासिक संदर्भ(Historical Context)

अरस्तू

🧠   अरस्तू यूनान के दार्शनिक  अरस्तू का जन्म 384 ईसा पूर्व में मेसीडोनिया के स्टेजिरा/स्तातागीर (Stagira) नामक नगर में हुआ था। अरस्तू के पिता निकोमाकस मेसीडोनिया (राजधानी–पेल्ला) के राजा तथा सिकन्दर के पितामह एमण्टस (Amyntas) के मित्र और चिकित्सक थे। माता फैस्टिस गृहणी थी। अन्त में प्लेटो के विद्या मन्दिर (Academy) के शान्त कुंजों में ही आकर आश्रय ग्रहण करता है। प्लेटो की देख-रेख में उसने आठ या बीस वर्ष तक विद्याध्ययन किया। अरस्तू यूनान की अमर गुरु-शिष्य परम्परा का तीसरा सोपान था।  यूनान का दर्शन बीज की तरह सुकरात में आया, लता की भांति प्लेटो में फैला और पुष्प की भाँति अरस्तू में खिल गया। गुरु-शिष्यों की इतनी महान तीन पीढ़ियाँ विश्व इतिहास में बहुत ही कम दृष्टिगोचर होती हैं।  सुकरात महान के आदर्शवादी तथा कवित्वमय शिष्य प्लेटो का यथार्थवादी तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाला शिष्य अरस्तू बहुमुखी प्रतिभा का धनी था। मानव जीवन तथा प्रकृति विज्ञान का शायद ही कोई ऐसा पहलू हो, जो उनके चिन्तन से अछूता बचा हो। उसकी इसी प्रतिभा के कारण कोई उसे 'बुद्धिमानों का गुरु' कहता है तो कोई ...

राजस्थान के दुर्ग

  दुर्ग

1726 ईस्वी का राजलेख

1726 ईस्वी का राजलेख इसके तहत कलकात्ता, बंबई तथा मद्रास प्रेसिडेंसीयों के गवर्नर तथा उसकी परिषद को विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई, जो पहले कंपनी के इंग्लैंड स्थित विद्युत बोर्ड को प्राप्त थी।  यह सीमित थी क्योंकि - (1) यह ब्रिटिश विधियों के विपरीत नहीं हो सकती थी। (2) यह तभी प्रभावित होंगी जब इंग्लैंड स्थित कंपनी का निदेशक बोर्ड अनुमोदित कर दे। Charter Act of 1726 AD  Under this, the Governor of Calcutta, Bombay and Madras Presidencies and its Council were empowered to make laws, which was previously with the Company's Electricity Board based in England.  It was limited because -  (1) It could not be contrary to British statutes.  (2) It shall be affected only when the Board of Directors of the England-based company approves.