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राजस्थान में धातु काल

 राजस्थान में धातु काल


ताम्र-पाषाण, ताम्र एवं ताम्र- कांस्य काल - धातु काल के अन्तर्गत राजस्थान के भी अनेक स्थानों से ताम्र-पाषाण व ताम्रकाल के अवशेष मिले हैं, जो तत्कालीन युग में राजस्थान के मानव के सांस्कृतिक विकास पर पर्याप्त प्रकाश डालते हैं। राजस्थान के ताम्रकालीन संस्कृति के प्राचीन स्थल :- 

  • गणेश्वर (सीकर), 
  • कालीबंगा (हनुमानगढ़), 
  • गिलूण्ड (राजसमंद) 
  • आहड़झाड़ौल (उदयपुर)
  • पिन्ड - पाडलियाँ (चित्तौड़), 
  • कुराड़ा ( डीडवाना - कुचामन), 
  • साबणिया व पूगल (बीकानेर), 
  • नन्दलालपुरा, किराडोत व चीथवाड़ी (जयपुर), 
  • एलाना (जालोर), 
  • बूढ़ा पुष्कर (अजमेर), 
  • कोल माहोली (सवाईमाधोपुर), 
  • मलाह (भरतपुर) आदि 



लौह काल 

ताम्र और कांस्य काल के पश्चात् लौहे का ज्ञान और उसका प्रयोग मानव इतिहास की युगान्तकारी घटना थी। इसने कृषि उपकरणों तथा हथियारों की गुणवत्ता को बढ़ाकर सारे परिदृश्य को ही बदल दिया। राजस्थान में नोह (भरतपुर), जोधपुरा (जयपुर), सुनारी (झुंझुनूं), रैढ़ (टोंक) आदि स्थानों से लौह संस्कृति के समय के अनेक हथियार और उपकरण मिले हैं। नोह से प्राप्त लौहे के अवशेष भारत में लौह युग आरम्भ होने की सीमा रेखा निर्धारित करने के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं । 



जोधपुरा तथा सुनारी से लौहे को गलाने की भट्टियाँ और अस्त्र-शस्त्र तथा उपकरण बनाने के कारखानों के अवशेष मिले हैं। 

रैढ़ को तो लौह सामग्री की प्रचुरता के कारण प्राचीन राजस्थान के 'टाटानगर' की संज्ञा दी गई है।


लौह काल के पश्चात् भारत के अन्य भागों की भाँति राजस्थान में भी सलेटी रंग की चित्रित मृदभाण्ड संस्कृति (Painted Grey Ware – PGW) का उदय हुआ । इस संस्कृति के अवशेष विराटनगर व जोधपुरा (जयपुर), सुनारी, नोह आदि स्थानों से मिले हैं। इस संस्कृति का उदय लगभग 600 ई. पू. में हुआ था। इसके पश्चात् भारतीय इतिहास के साथ राजस्थान के इतिहास का भी ऐतिहासिक युग आरम्भ हो जाता है।

⚒️ राजस्थान में धातु काल — MCQs


Q. राजस्थान में ताम्र-पाषाण एवं ताम्रकाल के अवशेष किन स्थलों से प्राप्त हुए हैं?

(a) आहड़, गणेश्वर, गिलूण्ड, कालीबंगा

(b) भीनमाल, अजमेर, जोधपुर, जैसलमेर

(c) बीसलपुर, सवाई माधोपुर, बारां, झालावाड़

(d) नागौर, कोटा, बूंदी, टोंक

उत्तर: (a) आहड़, गणेश्वर, गिलूण्ड, कालीबंगा


Q. राजस्थान की ताम्रकालीन संस्कृति का प्रमुख स्थल कौन-सा है?

(a) भीलवाड़ा

(b) गणेश्वर (सीकर)

(c) नोह (भरतपुर)

(d) सुनारी (झुंझुनूं)

उत्तर: (b) गणेश्वर (सीकर)


Q. राजस्थान के किस स्थान को ‘प्राचीन राजस्थान का टाटानगर’ कहा गया है?

(a) रैढ़ (टोंक)

(b) नोह (भरतपुर)

(c) जोधपुरा (जयपुर)

(d) सुनारी (झुंझुनूं)

उत्तर: (a) रैढ़ (टोंक)


Q4. लौह युग के प्रारंभ की सीमा रेखा निर्धारित करने का प्रमुख स्रोत राजस्थान का कौन-सा स्थल है?

(a) नोह (भरतपुर)

(b) गिलूण्ड (राजसमंद)

(c) आहड़ (उदयपुर)

(d) बूढ़ा पुष्कर (अजमेर)

उत्तर: (a) नोह (भरतपुर)


Q. राजस्थान में लौहे की भट्टियाँ और अस्त्र-शस्त्र बनाने के कारखाने किस स्थान से मिले हैं?

(a) गिलूण्ड और नोह

(b) जोधपुरा और सुनारी

(c) गणेश्वर और आहड़

(d) पिण्ड-पाडलिया और कुराड़ा

उत्तर: (b) जोधपुरा और सुनारी


Q6. राजस्थान में Painted Grey Ware (PGW) संस्कृति का उदय लगभग कब हुआ?

(a) 800 ई.पू.

(b) 700 ई.पू.

(c) 600 ई.पू.

(d) 500 ई.पू.

उत्तर: (c) 600 ई.पू.


Q. सलेटी रंग की चित्रित मृदभाण्ड संस्कृति (PGW) के अवशेष राजस्थान के किन स्थलों से प्राप्त हुए हैं?

(a) विराटनगर, जोधपुरा, सुनारी, नोह

(b) अजमेर, आहड़, गणेश्वर, गिलूण्ड

(c) जयपुर, बीकानेर, नागौर, सवाई माधोपुर

(d) बारां, झालावाड़, बूंदी, कोटा

उत्तर: (a) विराटनगर, जोधपुरा, सुनारी, नोह


Q. राजस्थान में लौह युग के प्रमुख स्थल कौन-कौन से हैं?

(a) नोह, जोधपुरा, सुनारी, रैढ़

(b) गिलूण्ड, गणेश्वर, आहड़, झाड़ौल

(c) कुराड़ा, पूगल, एलाना, चीथवाड़ी

(d) बीसलपुर, टोंक, अजमेर, जैसलमेर

उत्तर: (a) नोह, जोधपुरा, सुनारी, रैढ़


Q. राजस्थान के किस स्थल से लौह सामग्री की सर्वाधिक प्रचुरता पाई गई है?

(a) रैढ़ (टोंक)

(b) नोह (भरतपुर)

(c) जोधपुरा (जयपुर)

(d) गणेश्वर (सीकर)

 उत्तर: (a) रैढ़ (टोंक)


Q. राजस्थान में ऐतिहासिक युग की शुरुआत किस काल के बाद मानी जाती है?

(a) ताम्र-पाषाण काल के बाद

(b) ताम्र-कांस्य काल के बाद

(c) लौह काल के बाद

(d) वैदिक काल के बाद

उत्तर: (c) लौह काल के बाद

व्याख्या :- PWG संस्कृति का उदय लगभग 600 ई. पू. में हुआ था। इसके पश्चात् भारतीय इतिहास के साथ राजस्थान के इतिहास का भी ऐतिहासिक युग आरम्भ हो जाता है।

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