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राजस्थान की चित्रकला

 
चित्रकला

राजस्थानी चित्रकला का सबसे पहले वैज्ञानिक विभाजन किसने किया - 

(1) पंडित द्वारका प्रसाद शर्मा 

(2) आनन्द कुमार स्वामी 

(3) सौभागमल गहलोत 

(4) श्री रायकृष्णदास जी

[VDO-28.12.2021 (Shift-I)][पटवारी 2011] [बेसिक कम्प्यूटर अनुदेशक - 18.06.2022] 

Ans. (2)

व्याख्या - राजस्थानी चित्रकला को आनंद कुमार स्वामी राजपूत चित्रकला के नाम से प्रकाश में लाए। 1916 ई. में राजस्थानी चित्रकला का वैज्ञानिक विभाजन आनंद कुमार स्वामी ने सर्वप्रथम अपनी पुस्तक 'राजूपत पेंटिंग्स' में किया। राजस्थान में आधुनिक चित्रकला को प्रारम्भ करने का श्रेय कुन्दनलाल मिस्त्री को दिया जाता है।


'राजपूत पेंटिंग' शीर्षक से 1916 ई. में किसने पुस्तक लिखी ?  

(1) रामकृष्ण दास 

(3) आनन्द कुमार स्वामी 

(2) डब्ल्यू एच ब्राउन 

(4) एच. सी. मेहता 

[VDO-27.12.2021 ( Shift-II ) ] [ जेल प्रहरी - 2017] [JEN (Mechanical) Diploma- 20.05.2022]

Ans. (3) 


निम्नलिखित में से कौन राजपूताना चित्रकला के स्कूलों और उनकी शैलियों के अनुसार सही सुमेलित नहीं है? 

(1) मेवाड़ स्कूल - नाथद्वारा और देवगढ़ शैलियाँ 

(2) मारवाड़ स्कूल - किशनगढ़ और नागौर शैलियाँ

(3) हाड़ौती स्कूल - कोटा और बूँदी शैलियाँ 

(4) ढूंढाड़ स्कूल - चावंड और उदयपुर शैलियाँ 

[VDO Mains -09.07.2022] 

Ans. (4)


झालावाड़ शैली की राजपूत पेंटिंग किस राजपूत पेंटिंग स्कूल का हिस्सा है?

(1) मेवाड़ 

(2) मारवाड़ 

(3) हाड़ौती 

(4) ढूंढाड़

 [पशुधन सहायक 04.6.2022] 

Ans. ( 3 )


बूँदी शैली, कोटा शैली, झालावाड़ उपशैली राजस्थानी श्रेणी में वर्गीकृत किया गया चित्रकला को किस है? 

(1) मेवाड़ स्कूल

(2) मारवाड़ स्कूल 

(3) हाड़ौती स्कूल

(4) ढूंढाड़ स्कूल

[EO & RO- 14.05.2023 (S - 11)]

Ans. (3)


घाणेराव, रियाँ, भिनाय, जूनियाँ आदि ठिकाणा कला सम्बन्धित है - 

(1) मेवाड़ स्कूल चित्रशैली 

(2) मारवाड़ स्कूल चित्रशैली 

(3) हाड़ौती स्कूल चित्रशैली 

(4) ढूँढाड स्कूल चित्रशैली 

[II Grade (Sans.) - 12.02.2023 (S-II)] 

Ans. (2) 

व्याख्या - राजस्थानी चित्रकला की शैलियों को भौगोलिक, सांस्कृतिक आधार पर चार प्रमुख स्कूलों एवं अनेक उप स्कूलों में विभाजित किया गया है, जो निम्न हैं-

• मेवाड़ स्कूल - नाथद्वारा, चावंड, उदयपुर, देवगढ़, बेंगू, शाहपुरा, केलवा आदि शैलियाँ और उपशैलियाँ ।

• मारवाड़ स्कूल - जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर, किशनगढ़, पाली, नागौर, धाणेराव आदि शैलियाँ और उपशैलियाँ ।

• ढूंढाड़ स्कूल - आमेर, जयपुर, अलवर, उणियारा, शेखावाटी, करौली, ईसरदा, सामोद शैलियाँ और उपशैलियाँ।

• हाड़ौती स्कूल - बूँदी, कोटा, झालावाड़ शैलियाँ और उपशैलियाँ।


राजस्थानी चित्रकला की सिरोही शैली, निम्न में से किस शाखा से सम्बन्धित है -

(1) मेवाड़ 

(2) हाड़ौती 

(3) मारवाड़ 

(4) ढूंढाड़ 

[Archivist-03.08.2024] 

Ans. (3) 


निम्न में से कौनसा ठिकाना मेवाड़ की चित्रांकन शैली का केन्द्र नहीं था?  

(1) शाहपुरा 

(2) बर्र 

(3) आसीन्द 

(4) बेंगूँ 

[Assistant Archivist-03.08.2024]

Ans. (2) 


निहालचन्द किस शैली का चित्रकार था - 

(1) नाथद्वारा 

(2) किशनगढ़ 

(3) बूँदी 

(4) मारवाड़ 

[ASST. PROF. - 7.1.2024][II Grade (Sanskart) Exam. 2011] [EO. Exam, 2007] [Agriculture Officer : 29.01.2013] [सूचना सहायक- 2013] [II Grade - 30.07.2023 (S-11) ] [ जेल प्रहरी 20-10-2018, S-II] 

Ans. (2)


रामनाथ, तुलसीदास, सवाईराम और लाडलीदास किस चित्रकला शैली से सम्बन्धित हैं ?  

(1) किशनगढ़ 

(2) अलवर 

(3) बून्दी 

(4) नाथद्वारा 

[PTI - 2015]

Ans. (1) 


सीताराम, बदनसिंह और नानकराम चित्रकार चित्रकला की किस शैली से सम्बद्ध थे? 

(1) किशनगढ़ शैली

(2) जोधपुर शैली 

(3) बीकानेर शैली 

(4) नाथद्वारा शैली

[द्वितीय श्रेणी अध्यापक परीक्षा 26.04.2017] [जेल प्रहरी परीक्षा 21-10-2018, Shift -1]

Ans. (1)

व्याख्या- किशनगढ़ शैली के प्रसिद्ध चित्रकार - नागरीदास, मोरध्वज निहालचंद, लाडलीदास, रामनाथ, सवाईराम, तुलसीदास, अमरचन्द, भँवरलाल, अमरु, सूरजमल, बदनसिंह, सीताराम, नानकराम, रामनाथ जोशी ।


निम्न में से कौन-सा चित्रकार बीकानेर चित्रकला शैली से जुड़ा हुआ नहीं था- 

(1) जयकिशन मथेरण   

(2) शाह मोहम्मद

(3) अबू हमीद 

(4) नानक राम 

[कॉलेज व्याख्याता - 2016]

Ans. (4)


चित्रकार नानकराम, रामनाथ और जोशी सवाईराम किस चित्रकला शैली से सम्बन्धित हैं?

(1) अलवर

(2) किशनगढ़

(3) बीकानेर

(4) नाथद्वारा

(5) अनुत्तरित प्रश्न

Asst. Prof. (Sanskrit College Edu.) - 2024 (GENERAL STUDIES OF RAJASTHAN)

Ans.(2)


किशनगढ़ चित्रकला शैली को उसके चरमोत्कर्ष पर ले जाने का श्रेय निम्न में से किसे दिया जाता है? 

(1) उदयसिंह 

(2) निहाल चन्द 

(3) मूल चन्द 

(4) चन्दनसिंह 

[पशु परिचर-1.12.2024 (S-II)] 

Ans. (2)


किशनगढ़ शैली का स्वर्णिम युग कौनसा था?

(1) महाराजा अनूपसिंह 

(2) राव सुर्जनसिंह 

(3) राजा नागरीदास ( सावंतसिंह) 

(4) राजा प्रतापसिंह 

[JEN (Civil) Degree 12.09.2021] [S.I. Exam, 1996] [CET −4.2.2023 (S-I)] [ द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा-2014] [III Grade (Punjabi) -28.02.2023] 

Ans. (3)


कवि एवं चित्रकार नागरीदास के रूप में कौन प्रसिद्ध था? 

(1) राजा कृष्ण देव 

(2) राजा वृंदावनदास 

(3) राजा सावन्त सिंह  

(4) राणा कुम्भा

[JEN (Electric) Diploma 18.05.2022] [CET : 07.01.2023 (S-11)]

Ans. (3) 


 सावंतसिंह का संबंध किस चित्रकला शैली से था?

(1) ढूँढाड़ शैली 

(2) हाड़ौती शैली

(3) चावंड शैली  

(4) किशनगढ़ शैली 

[III Grade (1.-1) -25.2.2023] [ARO (Entomology) 28.8.2022] 

Ans. (4) 


किशनगढ़ चित्रकला शैली के संरक्षक सावंत सिंह की मृत्यु कहाँ हुई? 

(1) किशनगढ़ 

(2) आगरा 

(3) जोधपुर 

(4) वृंदावन 

[II Girade (Sans. Deptt.) -17.02.2019] 

Ans. (4)

व्याख्या - राजा  सावन्तसिंह (भक्तवर नागरीदास, जन्म 1699 ई.) का काल (1748-64 ई.) किशनगढ़ शैली की दृष्टि से स्वर्णयुग कहा जा सकता है। राज्य के लिए भाई के साथ छिड़ी गृहकलह से बचपन से ही कृष्ण भक्त महाराजा सावंतसिंह के मन में विरक्ति के भाव पैदा हो गए और वे सब कुछ छोड़कर अपनी प्रेयसी बणी-ठणी के साथ वृंदावन चले गए और वहाँ विरक्त भक्त के रूप में रहने लगे और भक्ति व काव्य जगत में नागरीदास के नाम से प्रसिद्ध हुए। इनकी मृत्यु वृन्दावन में ही हुई । वृन्दावन में  इनके निवास स्थान को 'नागरीदास का डेरा' कहते हैं।


'बनी-ठनी' पेंटिग संबंधित है -

(1) किशनगढ़ (अजमेर) शैली से

(2) अलवर शैली से 

(3) जयपुर शैली से 

(4) जोधपुर शैली से 

[ RAS Pre 1x-2009] [PSI - 14.09.2021][ RPSC || Grade Teacher Exam-201]

Ans. (1)


इंडियन मोनालिसा के नाम से जाना जाने वाला चित्र राजस्थान की किस चित्र शैली से संबंधित है? 

(1) जयपुर 

(2) नाथद्वारा 

(3) किशनगढ़ 

(4) उदयपुर

[ राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल-14.07.2018 (II)] 

Ans. (3) 


बनी-ठणी चित्रकारी सावंतसिंह ( नागरीदास) के समय किसके द्वारा बनायी गयी ? 

(1) निहालचंद 

(2) केशरचंद 

(3) अहमदशाह 

(4) बदरुद्दीन तैयब

[ M. Veh. SI, 2002] [क. अनुदेशक (इलेक्ट्रीशियन) - 24.03.2019][PSI - 15.09.2021]

Ans. (1) 


1973 में भारत सरकार द्वारा राजस्थानी चित्रशैली के किस चित्र पर स्मरणीय डाक टिकट जारी किया गया ? 

(1) बारा मासा 

(2) पिछवाई 

(3) राग-रागिनी 

(4) बणी-ठणी 

[II Grade (Hindi) Exam. 2011] 

Ans. (4) 


पेंटिंग स्कूल बणी-ठणी किससे संबंधित है- 

(1) संतवंत प्रसाद 

(2) नागरी दास 

(3) मृगावती 

(4) शिव-पार्वती

[राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल-13.06.2024 (II)]

Ans. (2)


'निहालचंद' किसके दरबारी चित्रकार थे?

(1) सावन्तसिंह 

(2) किशनसिंह

 (3) बहादुर सिंह 

(4) राजसिंह

[Asst. Agriculture Officer : 29.01.2013] [ पटवार 23.10.2021 (Shift-II)]

Ans. (1)

व्याख्या-  बणी-ठणी किशनगढ़ के शासक सावन्तसिंह ( नागरीदास) की प्रेमिका।

 1778 ई. डाकतार विभाग द्वारा (5 मई, 1973 ) 20 पैसे का डाक टिकट जारी ।

चित्र का आकार  48.8x36.6 सेमी. 

चित्रकार   मोरध्वज निहालचंद

इस शैली को प्रकाश में लाने का श्रेय एरिक डिक्सन व फेयाज अली को जाता है। एरिक डिक्सन ने इसे 'भारतीय कला इतिहास में मोनालिसा' कहा।

किशनगढ़ महाराजा के अजमेर संग्रहालय में स्थित। एक मौलिक प्रति अल्बर्ट हॉल पेरिस में भी है।


किशनगढ़ शैली प्रसिद्ध है:-

(1) मंदिर कला

(2) चित्रकला

(3) मार्शल आर्ट

(4) मूर्ति कला

[ CET - 11.2.2023 (S-II)]

Ans. (2) 


प्रलंबन ग्रीवा, लम्बी आकृति वाली आँखे, नीचे झुकती भौंहें, पतले अधर एवं नुकीली ठौड़ी वाली महिला जो आकर्षक मुद्रा में मलमल की औढ़नी से अपना सिर ढके खड़ी है। यह कृति है ?

(1) बूँदी स्कूल पेंटिंग 

(2) किशनगढ़ स्कूल पेंटिंग 

(3) मारवाड़ स्कूल पेंटिंग 

(4) मेवाड़ स्कूल पेंटिंग 

[छात्रावास अधीक्षक परीक्षा, 2008]

Ans. (2)

व्याख्या - रागमाला, भगवत् पुराण, रामायण, आर्ष रामायण, मेवाड़ शैली, बणी-ठणी, कृष्णलीला, दीपावली आदि चित्र किशनगढ़ शैली के है। अद्भुत नारी सौन्दर्य (लम्बा चेहरा, नुकीली नाक, पतली कमर ) इसकी प्रमुख विशेषता है।


किशनगढ़ पेंटिंग शैली में, मुख्य रूप से कौनसे पेड़ पर प्रकाश डाला गया है। 

(1) केला 

(2) अनार 

(3) नारंगी 

(4) सेब 

[पुलिस कॉन्स्टेबल-14.6.2024 (1)] 

Ans. (1)


कलीला - दमना है? 

(1) मेवाड़ शैली की कहानी के दो पात्रों के नाम 

(2) दो प्रसिद्ध शायरों के नाम  

(3) अजमेर दरगाह की देगों के नाम 

(4) इन्दिरा गांधी नहर की दो शाखाओं के नाम 

[RPSC III Gr. Teacher 2004]

Ans. (1)

व्याख्या - मेवाड़ शैली संगीत और धार्मिक ग्रन्थों पर आधारित, हाथी, चकोर, कदम्ब की प्रधानता । मेवाड़ शैली की कहानी के दो पात्रों का नाम कलीला - दमना है।


मेवाड़ में रागमाला, रसिक प्रिया, गीत गोविन्द जैसे विषयों पर लघुचित्र शैली किस शासक के काल में चरम सीमा पर पहुँची ?

(1) महाराणा प्रताप ( 1575-1597) 

(2) महाराणा अमरसिंह प्रथम ( 1597-1620) 

(3) महाराणा कर्णसिंह (1620-1628)

(4) महाराणा जगतसिंह (1628-1652 ) 

 [R.A. S. Pre Exam, 1999] 

Ans. (4)

व्याख्या - मेवाड़ में राणा जगतसिंह प्रथम (1628- - 1652 ई.) का काल चित्रकला के विकास का सर्वश्रेष्ठ काल था। इसके काल को मेवाड़ की लघु चित्रशैली का स्वर्णकाल कहा जाता है। महाराणा जगत सिंह के समय उदयपुर के राजमहलों में 'चितेरों री ओवरी' नामक कला विद्यालय खोला गया जिसे 'तस्वीरां रो कारखानों' भी कहा जाता है।


उदयपुर के राजमहल में 'चितेरों की ओवरी' की स्थापना किसने की?

(1) महाराणा उदयसिंह 

(2) महाराणा अमरसिंह 

(3) महाराणा जगतसिंह-1 

(4) महाराणा जयसिंह 

 [वनपाल 06.11.2022 (S-II)] [CET - 5.2.2023 (S-I)]

Ans. (3)


मेवाड़ शैली की चित्रकला का स्वर्णयुग निम्न में से कौन-सा है ?  

(1) 1628 - 1652 ईस्वी, महाराणा जगतसिंह प्रथम के शासनकाल

(2) 1652 - 1680 ईस्वी, महाराणा जयसिंह के शासनकाल 

(3) 1680 - 1698 ईस्वी, महाराणा जयसिंह के शासनकाल 

(4) 1698 - 1710 ईस्वी, अमरसिंह द्वितीय के शासनकाल 

[ संरक्षण अधिकारी परीक्षा - 29.05.2019]

Ans. (1)


कौन-सा चित्रकार चित्रकला की मेवाड़ शैली से सम्बद्ध था?

(1) रूकनुद्दीन 

(2) कासिम 

(3) साहिबदीन 

(4) शाह मुहम्मद 

 [Head Master15-5-2012] [ जेल प्रहरी - 2017] 

Ans. (3)

व्याख्या - 

मेवाड़ शैली के चित्रकार

चित्रकार

चित्रित ग्रंथ

पोषक राजा

हीरानंद

सुपासनह चरित्रम

महाराणा मोकल 

साहिबदीन

रागमालागीत गोविन्द,रसिकप्रिया

जगत सिंह-I

मनोहर व साहिबदीन

आर्ष रामायण

 

जगत सिंह -I

  साहिबदीन

 शूकर क्षेत्र महात्म्य, भ्रमर गीत सार

महाराणा राजसिंह

जगन्नाथ

बिहारी सतसई

संग्राम सिंह II

कमलचंद्र

'श्रावक प्रतिक्रमण चूर्णि'

रावल तेजसिंह 

धनसार

  कल्पसूत्र

महाराणा लाखा







   





साहिबदीन नामक चित्रकार को मेवाड़ के किस शासक का संरक्षण प्राप्त था? 

(1) महाराणा अमरसिंह 

(2) महाराणा जगतसिंह I 

(3) महाराणा कुम्भा 

(4) महाराणा राजसिंह 

[ CET : 07.01.2023 (S-1)]

Ans. (2)


चित्रकार निसारदीन और साहिबदीन किस चित्रकला शैली से सम्बन्धित है?

(1) बीकानेर 

(2) जयपुर 

(3) मेवाड़ 

(4) बूँदी 

[CET -4.2.2023 (S-II)] [ वनरक्षक 12.12.2022(S-I)] 

Ans. (3)


'सुपासनह चरित्रम' क्या है?

(1) चित्रित ग्रन्थ 

(2) शिलालेख 

(3) हथियार 

(4) रथ

[ राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल-15.07.2018(1)]  [Asst. Agriculture Officer : 29.01.2013]

Ans. (1) 


प्रसिद्ध गीत-गोविन्द चित्र किस शैली का है ?

(1) मेवाड़ 

(2) किशनगढ़ 

(3) शेखावाटी 

(4) मारवाड़ 

[ Police Constable Exam-2005] 

Ans. (1)

व्याख्या -'मूमल' जैसलमेरी शैली, 'गीत गोविन्द' मेवाड़ शैली तथा बणी-ठणी (चित्रकार मोरध्वज निहालचन्द ) किशनगढ़ शैली के प्रसिद्ध चित्र है।


'गीत गोविंदसार' का संबंध निम्न में से किस चित्रशैली से है ? 

(1) मारवाड़ 

(2) किशनगढ़ 

(3) मेवाड़ 

(4) ढूंढाड़ 

[Librarian III Gr. 11.9.2022] [कर सहायक 14.10.2018] [CET - 5.2.2023 (S-II)] 

Ans. (3)


मेवाड़ चित्रकला शैली से संबंधित रचना है-

(1) बनी-ठनी

(2) विलावल रागिनी  

(3) ज्योतिष रत्नाकर 

(4) गीत गोविन्द 

Ans. (4) 


वर्ष 1628 ई. में मेवाड़ में रागमाला चित्रांकन को किसने चित्रित किया था - 

(1) साहेबदीन 

(2) शफी मुहम्मद 

(3) श्रीरंगधर 

(4) बिशनदास 

[ACF & FRO - 18.02.2021] 

Ans. (1) 


मेवाड़ शैली के चित्रित ग्रन्थों एवं चित्रों का सही कालक्रम है- 

1. मनोहर द्वारा चित्रित रामायण 

2. साहिबदीन द्वारा चित्रित मेवाड़ भागवत 

3. साहिबदीन द्वारा चित्रित आर्ष रामायण 

4. निसारदीन द्वारा चित्रित रागमाला के चित्र 

(1) 1,2,4,3 

(2) 2,3,1,4 

(3) 2,4,1,3 

(4) 4,2,1,3 

[संग्रहालयाध्यक्ष - 19.06.2024] 

Ans. (4) 

व्याख्या - मेवाड़ शैली के चित्रित ग्रन्थों एवं चित्रों का कालक्रम - 

निसारदीन द्वारा चित्रित रागमाला के चित्र (1605 ई.)

साहिबदीन द्वारा चित्रित रसिक प्रिया (1628-30 ई.)

गीत गोविन्द (1629 ई.)

मेवाड़ भागवत (1648 ई.) 

चित्रित आर्ष रामायण (1649-1653 ई.)

मनोहर द्वारा चित्रित रामायण (1649 ई.)


राजस्थान की कौन-सी शैली 'श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णी' चित्रकला पर आधारित प्राचीन संग्रह है?

(1) मेवाड़ 

(2) मारवाड़ 

(3) हाड़ौती 

(4) ढूंढाड़

[राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल - 15.07.2018 (II)] [JEN (Diploma) Exam 21.08.2016] [कृषि अधिकारी (कृषि विभाग ) - 19.1.2021] 

Ans. (1)

व्याख्या - मेवाड़ शैली (रावल तेजसिंह के समय) का सबसे प्राचीनतम चित्रित ग्रंथ (1260 ई. में चित्रित) सावग पड़िकमण सुत्त चुन्नी (श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णि ) है जो ताड़पत्र पर रचित एवं चित्रित है। यह ग्रंथ मेवाड़ शैली का उपलब्ध प्रथम उदाहरण है।


सावग - पड़िकमण सुत्त चुन्नी ( श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णी ) ग्रंथ किसके राजकाल के समय चित्रित हुआ-  

(1) मोकल 

(2) तेजसिंह 

(3) कुम्भा 

(4) जयदेव सिंह 

[JEN Degree (TSP) Exam 16.10.2016]

Ans. (2) 


मेवाड़ चित्रकला शैली का सबसे प्राचीन चित्रित ग्रंथ है।   

(1) सपासनाचार्यम 

(2) रागिनी 

(3) भागवत 

(4) श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णि 

[III Grade (SST) -26.02.2023]

Ans. (4) 


राजस्थानी चित्रकला का जन्म स्थान माना जाता है? 

(1) मारवाड़ 

(2) मेवाड़ 

(3) ढूंढाड़ 

(4) हाड़ौती 

[Asst. Jailer Exam 15.03.2016][वनरक्षक-11.12.2022 (S-I)] 

Ans. (2)


राजस्थानी चित्रकला की प्रारम्भिक एवं स्वदेशी शैली किस चित्रकला शैली से सम्बन्धित है- 

(1) ढूंढाड़ चित्रकला शैली 

(2) मारवाड़ चित्रकला शैली 

(3) हाड़ौती चित्रकला शैली 

(4) मेवाड़ चित्रकला शैली 

[छात्रावास अधीक्षक-30.08.2024] 

Ans. (4) 


निम्नलिखित में से किस चित्रशैली में 'फरुखफाल का चित्र' मिलता है जिस पर "आसिफ खाँ रो बेटो" लिखा हुआ है?

(1) जयपुर

(2) जैसलमेर

(3) अलवर

(4) मेवाड़

(5) अनुत्तरित प्रश्न

[Sr. Teacher (Sanskrit Edu.Deptt.) Comp. Exam - 2024, Subject : G. K. and Educational Psychology -29.12.2024]

Ans.(4)


निम्नलिखित में से किस रियासत से 'फरुखफाल का चित्र' सम्बन्धित है?

(1) टोंक

(2) जयपुर

(3) अलवर

(4) उदयपुर

(5) अनुत्तरित प्रश्न

[Asst. Prof. (Sanskrit College Edu.) - 2024 (HISTORY-II)-12.09.2024]

Ans. (4)


'अटपटी पगड़ी' चित्रकला की किस शैली से संबंधित है:-

(1) बूँदी 

(2) कोटा 

(3) मेवाड़ 

(4) आमेर 

[PSI - 14.09.2021] 

Ans. (3)

व्याख्या - अकबर के समय मेवाड़ में ईरानी पद्धति की अटपटी पगड़ी का प्रचलन था ।


चावण्ड शैली के प्रसिद्ध चितेरे नसीरुद्दीन ( निसारदीन) ने 'रागमाला' का चित्रण किस शासक के संरक्षण में किया ? 

(1) महाराणा प्रताप

(2) कर्णसिंह 

(3) अमरसिंह I 

(4) जगतसिंह 

[II Grade (Urdu) Exam. 2011]

Ans. (3)

व्याख्या - राणा अमरसिंह प्रथम ( 1597 से 1620 ई.) के काल में 1605 ई. में 'रागमाला' के चित्र चावण्ड में निर्मित हुए। इन चित्रों को नसीरुद्दीन ( निसारदीन) ने चित्रित किया।


अमर सिंह I के शासन में चावण्ड में रागमाला के चित्र किसके द्वारा चित्रित किये गये ?

(1) साहबदीन 

(2) निसारदीन 

(3) मनोहर 

(4) निहालचंद 

 [ARO-27.8.2022]

Ans. (2)


'रागमाला' किस शैली चित्र है?  

(1) देवगढ़ 

(2) नाथद्वारा 

(3) चावण्ड 

(4) उदयपुर शैली 

[ वनरक्षक-12.12.2022]

Ans. (3)


चावंड शैली की चित्रकला किसके शासन काल में प्रारम्भ हुई? 

(1) सांगा 

(2) प्रताप

(3) अमरसिंह द्वितीय 

(4) राजसिंह 

 [Agriculture Officer : 29.01.2013] 

Ans. (2)

व्याख्या- चावण्ड शैली का प्रारम्भिक विकास मेवाड़ शासक महाराणा प्रताप के काल में हुआ। इस शैली का स्वर्णकाल अमरसिंह प्रथम का काल माना जाता है।


चावण्ड चित्रकला शैली का विकास किस क्षेत्र में हुआ?

(1) मेवाड़ 

(2) हाड़ौती 

(3) मारवाड़ 

(4) शेखावाटी 

[REET L-II, 26.09.2021] 

Ans. (1)


महाराणा प्रताप के समय में चावण्ड में चित्रित प्रसिद्ध कृति हैं-

(1) ढोला-मारू

(3) रागमाला

(2) पिछवई

(4) रामायण

(5) अनुत्तरित प्रश्न

Archives Department Recruitment - 2024 (Chemist)

Ans.(1)


कपड़े पर चित्रित नाथद्वारा शैली की पेंटिंग्स को सामान्यतः कहा जाता है:-

(1) पिछवाई 

(2) लहरिया 

(3) बनी-ठनी 

(4) रस-माला 

[II Grade (Social Study) 2011] [PTI (Gr.-III)-25.9.2022] [I Grade Teacher -11.10.2022]

Ans. (1)


'पिछवाई चित्रांकन' किस चित्रकला शैली से संबंधित है? 

(1) किशनगढ़ चित्रकला शैली 

(2) बीकानेर चित्रकला शैली 

(3) अलवर चित्रकला शैली 

(4) नाथद्वारा चित्रकला शैली 

[REET (Level- II, S-II ) - 24.07.2022] [Lab Assistent (Science) - 29.06.2022] [ उद्योग निरीक्षक - 24.06.2018][II Grade GK - 28.10.2018] [Assistant Professor-22.9.2021] [PTI - 30.09.2018] [वनरक्षक-11.12.2022(S-I)][क. अनुदेशक (वेल्डर) - 26.03.2019] [ कनिष्ठ वैज्ञानिक सहायक (भौतिक) 21.9.2019] [III Grade (Sanskrit) -27.02.2023] 

Ans. (4) 


...... पर चित्रित पिछवाई नाथद्वारा चित्रकला शैली का सजीव उदाहरण है। 

(1) चमड़ा 

(2) कागज 

(3) कपड़ा 

(4) लकड़ी 

[II Grade - 30.07.2023 (S-I)] 

Ans. (3) 


नाथद्वारा में श्रीनाथजी की प्रतिमा के पीछे सज्जा के लिए प्रयुक्त चित्रित पर्दा कहलाता है?

(1) पिछवाई 

(2) रागमाला 

(3) बारहमासा 

(4) नल-दमयंती 

[Food Safety Officer- 27.06.2023] 

Ans. (1)


निम्नलिखित में से कौनसा ( शासक-चित्रकला शैली) सही सुमेलित नहीं है-  

(1) अनूपसिंह - बीकानेर 

(2) राजसिंह - नाथद्वारा 

(3) सावंतसिंह - किशनगढ़ 

(4) विजयसिंह - देवगढ़ 

[VDO-27.12.2021 (S-I)]

Ans. (4) 

व्याख्या- विजयसिंह जोधपुर के महाराजा थे। 


पिछवाई चित्रण का मुख्य विषय है - 

(1) श्रीकृष्ण लीला 

(2) युद्ध प्रारम्भ 

(3) हाथियों की लड़ाई 

(4) प्रणय लीला

[R.A.S-2003][II Grade (Urdu) -2011] [ जेल प्रहरी 27-10-2018] [वनरक्षक-13.12.2022] [ Police Constable -2007 (11) ] 

Ans. (1) 

व्याख्या - पिछवाई - मंदिरों में मूर्ति के पीछे की दीवारों को ढकने वाले कपड़े पर बनाई गई सुंदर चित्रकारी पिछवाई कहलाती है। इसमें अधिकांश चित्र भगवान कृष्ण के जीवन से उद्धृत किये गये है। राजस्थान में पिछवाई कला का विकास 1700 ई. के आसपास माना जाता है। वल्लभ सम्प्रदाय के मंदिरों में विशेष रूप से प्रचलित पिछवाई चित्रकारी के प्रमुख केन्द्र नाथद्वारा, अलवर, जोधपुर, बूँदी, उदयपुर व बीकानेर है । इस कला के चर्चित चित्रकार कलाकारों में लच्छीराम ( कोटा ), घनश्याम निम्बाई, स्व. रामगोपाल विजयवर्गीय व कैलाश शर्मा प्रमुख है। मेवाड़ शैली का दूसरा प्रमुख मोड़ नाथद्वारा शैली में दृष्टव्य है । यह उदयपुर शैली एवं ब्रजशैली का समन्वित रूप है। नाथद्वारा शैली की मौलिक देन श्रीनाथजी के स्वरूप के पीछे सज्जा के लिए बड़े आकार के कपड़े के पर्दे पर बनाए गए चित्र 'पिछवाईयों' के नाम से जाने गए। इस शैली के प्रमुख चित्रकार- नारायण, चतुर्भुज, घासीराम, उदयराम थे। इसमें हरे-पीले रंगों का अधिक प्रयोग हुआ।


राजस्थानी विचारधारा की चित्रकला का आरम्भिक मुख्य केन्द्र था ?

(1) बीकानेर 

(2) जयपुर 

(3) बूँदी 

(4) जैसलमेर

 [R.A.S. Pre Exam, 2003]

Ans. (3)

व्याख्या - उपर्युक्त विकल्पों के आधार पर चित्रकला का आरम्भिक मुख्य केन्द्र बूँदी था। प्राकृतिक सौन्दर्य पर आधारित बूँदी शैली में पशु-पक्षियों के चित्रण को प्रधानता प्रदान की गई है।


पशु-पक्षियों को किस चित्रण - शैली में विशेष स्थान मिला है? 

(1) नाथद्वारा 

(2) बूँदी 

(3) किशनगढ़ 

( 4 ) अलवर 

[Police Constable Exam - 2007 (III)][III Grade (Sindhi) -1.3.2023] [II Grade (Urdu, Sanskart) 2011] [E.O. Exam, 2007] [Agriculture Officer : 29.01.2013] [Fireman -29.1.2022][JEN (विद्युत) डिग्री 29.11.20201

Ans. (2) 


दुगारी किले की चित्रकला सम्बन्धित है-

(1) अलवर 

(2) बूँदी शैली 

(3) किशनगढ़ 

(4) मेवाड़ 

[JEN (Civil) Degree 18.5.2022][Asst. Testing Off. -27.7.2021]

Ans. (2)

व्याख्या - बूँदी शैली के चित्रों के लिए प्रसिद्ध दुगारी किला कनक सागर झील के किनारे स्थित है।


प्रसिद्ध 'चित्रशाला'............... के गढ़ राजप्रसाद में स्थित है:- 

(1) बूँदी 

(2) आमेर 

(3) बीकानेर 

(4) जोधपुर 

[CET - 11.2.2023 (S-1) ] [ कनिष्ठ अनुदेशक (वेल्डर) - 26.03.2019]

Ans. (1)

व्याख्या - चित्रशाला यह चित्रशाला भित्ति चित्रों का स्वर्ग कहलाती है। इसका निर्माण राव उम्मेदसिंह के समय (1749-73) में हुआ। चित्रशाला में जो चित्र चित्रित हैं उनके विषय धार्मिक, राग-रागिनी, नायिका भेद, कृष्ण की विभिन्न लीलाओं, शाही जलसों, तीज-त्योहार तथा शिकार के हैं जिनमें प्राकृतिक दृश्यों का मनभावन चित्रण है। चटकीले रंगों का प्रयोग इन चित्रों की विशेषता है।


बूँदी के गढ़ पैलेस में चित्रशाला का निर्माण किसने करवाया - 

(1) राव सुर्जन 

(2) राव अनिरूद्ध सिंह

(3) महाराव बुधसिंह

(4) महाराव उम्मेदसिंह

[कनिष्ठ वैज्ञानिक सहायक ( अस्त्रक्षेप) 21.9.2019] [वनपाल-06.11.2022(S-I)] [JEN (विद्युत) डिप्लोमा -29.11.2020] 

Ans. (4)


बून्दी दुर्ग में 'रंगविलास' नामक चित्रशाला का निर्माण किसके काल में हुआ- 

(1) राव अर्जुन हाड़ा 

(2) महाराव बुद्ध सिंह 

(3) राव बैरीसाल 

(4) महाराव उम्मेद सिंह 

[रसायनज्ञ-06.08.2024] 

Ans. (4)


जमनादास, छोटेलाल, बक्साराम व नन्दलाल चित्रकला की किस शैली से सम्बद्ध है ? 

(1) मारवाड़ 

(2) झालावाड़ 

(3) अलवर 

(4) बीकानेर 

[RAS 2015]

Ans. (3)


जमनादास, सालिगराम और नन्दराम चित्रकार राजस्थान की किस शैली से सम्बन्धित रहे हैं? 

(1) अलवर शैली

(2) बून्दी शैली  

(3) बीकानेर शैली 

(4) कोटा शैली 

[महिला पर्यवेक्षक परीक्षा (TSP) 20.12.2015] 

Ans. (1) 


गुलाम अली, बलदेव, सालिगराम और रामगोपाल चित्रकार राजस्थान की किस शैली से सम्बन्धित रहे हैं?

(1) अलवर 

(2) बून्दी 

(3) बीकानेर 

(4) कोटा

[JEN Diploma (TSP) Exam 16.10.2016] 

व्याख्या - अलवर शैली जयपुर चित्रकला की एक उपशैली मानी जाती है। कला प्रेमी शासक बलवन्त सिंह के दरबार में सालिगराम, जमनादास, छोटेलाल, बक्साराम, नन्दराम आदि कलाकारों ने जमकर पोथी चित्रों, लघुचित्रों एवं लिपटवाँ पटचित्रों का चित्रांकन किया।

Ans. (1)


अलवर चित्रशैली के वह कौनसे कलाकार थे जिन्होंने महाराजा मंगलसिंह के समय हाथीदाँत के फलकों पर सूक्ष्म चित्र बनायें-

(1) रामगोपाल और जगमोहन 

(2) मूलचन्द और उदयराम 

(3) जमनादास एवं सालीग्राम 

(4) नन्दराम और शिवदान सिंह 

 [ प्रवक्ता (तकनीकी शिक्षा विभाग) -12.03.2021]

Ans. (2)

व्याख्या- महाराजा मंगल सिंह ( 1874 1892 ) के समय मूलचंद व उदयराम चित्रकारों ने विशेषतः हाथीदाँत के फलकों पर सूक्ष्म चित्रण किया ।


निम्नलिखित में से कौनसा चित्रकार अलवर शैली की चित्रकला से संबंधित नहीं है ? 

(1) जमनादास 

(2) बक्साराम 

(3) नानकराम 

(4) नंदराम 

 [RAS-05.08.2018]

Ans. (3) 

व्याख्या- नानकराम किशनगढ़ शैली से सम्बन्धित चित्रकार है। 


कोटा के किस शासक के काल को कोटा स्कूल की चित्रशैली का उत्कृष्ट काल माना जा सकता है? 

(1) महाराव शत्रुसालसिंह - I

(2) महाराव किशोर सिंह 

(3) महाराव उम्मेदसिंह - I

(4) महाराव शत्रुसालसिंह - II 

[II Grade GK -31.10.2018 ] [ महिला पर्यवेक्षक 06.01.2019] [JEN (Electric) Degree 18.05.2022] 

Ans. (3)


कोटा चित्रकारी शैली की विषयवस्तु मुख्यत: है? 

(1) हाथियों की लड़ाईयों के दृश्य 

(2) शिकार के दृश्य 

(3) दरबारी दृश्य 

(4) उत्सव दृश्य 

[प्रयोगशाला सहायक 13.11.16] 

Ans. (2) 


किस राजपूत चित्रकला शैली में नारियों और रानियों को शिकार करते चित्रित किया गया है?

(1) जयपुर 

(2) उदयपुर 

(3) कोटा 

(4) बीकानेर 

[CET : 08.01.2023 (S-II)] [VDO-27.12.2021 (Shift-II)] [कनिष्ठ अनुदेशक (फिटर) भर्ती परीक्षा - 23.03.2019]

Ans. (3)


कोटा के किस शासक के काल से शिकार के दृश्य कोटा चित्रकला शैली की विशेषता बन गई?

(1) राव माधोसिंह

(2) राजा उम्मेदसिंह - I

(4) महाराव भीमसिंह 

[Lab Assistent (Home Sci. ) - 30.06.2022] [I Grade ( History)-18.10.2022]

Ans. (2) 


राजस्थान की किस उपशैली में शिकार दृश्य चित्रण श्रेष्ठ समझे जाते है? 

(1) ढूँढाड़ 

(2) मारवाड़ 

(3) कोटा 

(4) नाथद्वारा 

[ ग्राम सेवक परीक्षा, 2008] 

Ans. (3) 

व्याख्या- कोटा शैली में एक नवीन परिवर्तन सन् 1771 में आया, जिसका श्रेय उम्मेदसिंह को है। कोटा शैली का चरमोत्कर्ष उम्मेदसिंह के समय में हुआ। गहन जंगलों में शिकार की बहुलता के कारण कोटा शैली में इस समय शिकार का बहुरंगी वैविध्यपूर्ण चित्रण हुआ जो इस शैली का प्रतीक बन गया। इस शैली के प्रमुख चित्रकारों में रघुनाथ, गोविन्दराम, डालू, लच्छीराम व नूर मोहम्मद रहे हैं।


राजस्थान में भित्ति चित्रों को चिरकाल तक जीवित रखने के लिए एक आलेखन पद्धति है, जिसे कहते हैं? 

(1) पणा

(2) सांझी चित्रण 

(3) मांडना 

(4) आरायश

[II Grade (Urdu) Exam. 2011] 

Ans. (4)

व्याख्या - फ्रेस्को बुनो ताजी पलस्तर की नम हुई भित्ति पर किये गये चित्रण को 'फ्रेस्को बुनो' चित्रण कहते है।  इस पद्धति को राजस्थान में 'आरायश या आलागीला पद्धति' भी कहा जाता है। अकबर और जहाँगीर के समय में आलागीला या आरायश पद्धति इटली से लायी गयी। जयपुर के राजाओं के मुगलों से प्रगाढ़ संबंधों के कारण यह कला जयपुर पहुँची। शेखावाटी क्षेत्र में इसे 'पणा' के नाम से जाना जाता है।

शेखावाटी के भित्तिचित्र : शेखावाटी को भित्ति चित्रों के कारण इसे ओपन आर्ट गैलेरी कहा जाता है। बड़े-बड़े हाथी और घोड़ों तथा चोबदारों, चँवर - धारणियों का लोक- कलात्मक अंकन, गवाक्षों के दोनों ओर की दीवारों पर अंकन इन हवेलियों की विशेषता रही है।


राजस्थान में भित्ति चित्रों को चिरकाल तक जीवित रखने के लिए एक आलेखन पद्धति है जिसे शेखावाटी में कहते हैं? 

(1) पणा 

(2) सांझी चित्रण 

( 3 ) मांडना 

(4) आरायश 

[ वनरक्षक परीक्षा 2013] 

Ans. (1)


गोपाल, उदय हुकमा, जीवन चित्रकला की किस शैली से सम्बन्धित थे?  

(1) आमेर - जयपुर 

(2 ) बीकानेर 

(3) जोधपुर 

(4) मेवाड़ 

[द्वितीय श्रेणी अध्यापक 01.05.2017][जेल प्रहरी परीक्षा 27-10-2018, Shift-1]

Ans. (1)

व्याख्या:- जयपुर शैली के प्रमुख चित्रकार- मुहम्मद शाह, साहिबराम, सालिगराम, घासी, रामजीदास, रघुनाथ, लालचंद, गंगाबक्श, हुक्मा, रामसेवक, चिमना, गोपाल, जीवन, निरंजन, दयाराम, राजू, उदय, लक्ष्मण, सीताराम, रामदीन, राधाकिशन, फेडुला, हीरा, मंगला, केसू, मन्ना, उस्तालाला, सांवला, गजा, हरिनारायण, गोपाल आदि।


चित्रकार साहिबराम किस चित्रकला शैली से सम्बन्धित है? 

(1) कोटा 

(2) जयपुर 

(3) बूँदी 

(4) किशनगढ़ शैली 

[PTI - 30.9.2018][स्कूल व्याख्याता 21.10.2022] [वनरक्षक- 11.12.2022] [III Grade (Hindi) -26.02.2023] 

Ans. (2)


चित्रकार जो अपने आदमकद व्यक्ति चित्रों के लिए जाना जाता है- 

(1) जयपुर का साहिबराम 

(2) किशनगढ़ का निहालचंद 

(3) बीकानेर का अहमद अली 

(4) मेवाड़ का साहिबदीन

[JEN (Civil) Diploma 18.05.2022] [Asst. Statistical Officer- 08.07.2022]  

Ans. (1)

व्याख्या - भित्ति चित्रण, पोथी चित्रण, आदमकद, पोट्रेट, लघु चित्रण में जयपुर के कलाकारों ने मुगल प्रभाव को ग्रहण करते हुए राजपूती संस्कृति की नफासत और रंगों की लोक कलात्मकता को बनाये रखा है। बड़े-बड़े पोट्रेट (आदमकद व्यक्ति चित्र) एवं भित्ति चित्रण की परम्परा जयपुर शैली की विशिष्ट देन है। इस शैली में साहिब राम नामक चित्रकार ने ईश्वरी सिंह का राजस्थान में प्रथम आदम कद चित्र बनाया। जयपुर शैली का स्वर्ण काल सवाई प्रतापसिंह के शासन काल को माना जाता है।


जयपुर चित्रकला शैली का स्वर्णकाल किस शासक के काल को माना जाता है- 

 (1) जयसिंह 

(2) ईश्वरीसिंह 

( 3 ) मानसिंह 

( 4 ) प्रतापसिंह 

[Librarian G-III - 19.9.2020] [Lab Assistent (Geography)-30.06.2022]

Ans. (4)


कौनसी चित्रकला शैली मुगल चित्रकला से सर्वाधिक प्रभावित हुई ?

(1) किशनगढ़ 

(2) जोधपुर 

(3) जयपुर 

(4) मेवाड़

[HM - 11.10.2021][I] Grade- 21.12.2022] 

Ans. (3)


चित्रकार मोहम्मद शाह जिन्होंने भगवान कृष्ण का चित्रांकन अपने चित्रों में किया, संबंधित थे-

(1) बीकानेर 

(2) किशनगढ़ 

(3) जयपुर 

(4) जोधपुर 

[II Grade (Sans..) -12.2.2023 (S-I)]

Ans. (3)

व्याख्या - जयपुर शासक सवाई जयसिंह के दरबारी चित्रकार मोहम्मद शाह व साहिबराम थे। चित्रकार मोहम्मद शाह ने भगवान कृष्ण सम्बन्धित कई चित्र निर्मित किये।


प्रसिद्ध चित्रकार मुहम्मद शाह जयपुर के किस महाराजा का दरबारी चित्रकार था? 

(1) सवाई राम सिंह द्वितीय 

(2) सवाई जगत सिंह 

(3) सवाई प्रताप सिंह 

(4) सवाई जय सिंह 

[RAS Pre -01.10.2023] 

Ans. (4)


वह कौनसा चित्रकार है, जिसका बीकानेर चित्रशैली से सम्बन्ध नहीं है?  

(1) अलीराजा 

(2) हमीद 

(3) अहमद 

(4) साहिबराम 

[II Grade (S-II) -29.1.2023]

Ans. (4)


मौजमाबाद निम्नलिखित में से किस चित्रकला शैली का केन्द्र था?

(1) अलवर 

(2) आमेर 

(3) किशनगढ़ 

(4) देवगढ़ 

[ सांख्यिकी अधिकारी- 20.12.2021]

Ans. (2)

व्याख्या - मानसिंह के जन्म स्थान 'मौजमाबाद' ( दूदू ) किले ( लड़ते हाथी) में आमेर शैली का प्रसिद्ध भित्ति चित्र है।


प्रसिद्ध चित्रकृति 'ढोला मारु' की शैली है-

(1) जोधपुर 

(2) अजमेर 

(3) बीकानेर 

(4) किशनगढ़ 

[RPSC II Grade Teacher Exam-2010]

Ans. (1)

व्याख्या - मारवाड़ / जोधपुर शैली के चित्रों में सवारी चित्रों (ऊँट, हाथी, घोड़ा आदि) तथा मोर व हंस के चित्रों की प्रधानता है। इस शैली के प्रमुख चित्र ढोला-मारू, मूमलदे-निहालदे, रूपमति- बाजबहादुर, उजली - जेठवा आदि हैं। इस शैली में लाल व पीले रंग की प्रधानता रही है।


किस शैली में चमकीले पीले रंग और लाख के लाल रंग की प्रधानता देखी जाती है? 

(1) मारवाड़ 

(2) किशनगढ़ 

(3) मेवाड़ 

(4) हाड़ौती 

 [ARO-27.8.2022]

Ans. (1) 


मारवाड़ शैली में निर्मित 'रागमाला चित्रावली' 1623 ई. का चित्रांकन किसने किया?

(1) पुण्डरीक 

(2) मीर बक्श 

(3) वीर जी 

(4) साहिब राम 

[L.S.A. 2016] [जेल प्रहरी परीक्षा 20-10-2018, Shift-III] 

Ans. (3)

व्याख्या - महाराजा गजसिंह जी के प्रमुख चित्रकार 'वीरजी नारयनदा' ने 1623 ई. में पाली के प्रसिद्ध वीर पुरुष विट्ठलदास चाँपावत के लिए 'रागमाला चित्रावली' चित्रित की, जो बहुत प्रसिद्ध है। 


किसने पाली के नायक विठ्ठलदास चाँपावत के लिए रागमाला चित्रावली बनाई ?  (1) कलाकार शिवदास 

(2) कलाकार वीर जी 

(3) कलाकार दाना भाटी 

(4) कलाकार माधो दास 

[Stenographer-15.10.2024]

Ans. (2) 


राजस्थान की..........पेंटिंग रागों और रागिनी की सचित्र व्याख्या है ?

(1) गीत गोविन्द 

(2) रागमाला 

(3) रसमंजरी 

(4) रसिकप्रिया 

[राजस्थान पुलिस-13.5.2022 (S-II)]

Ans. (2)


रामा, नाथा, छज्जू और सेफू चित्रकला की किस शैली से सम्बन्धित चित्रकार हैं?  

(1) अलवर 

(2) जोधपुर 

(3) मेवाड़ 

(4) जयपुर 

[पटवारी प्रारम्भिक -2016]

Ans. (2)

व्याख्या - मारवाड़ शैली के प्रमुख चित्रकारों में शिवदास भाटी, नारायणदास, बिशनदास, किशनदास भाटी, अमरदास, रामू, रतनजी भाटी, देवदासजी, कालू, छज्जू भाटी, जीतमल आदि रहे हैं। मुख्यत: भाटी परिवार ने मारवाड़ शैली को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।


कौनसी चित्रशैली पंचतंत्र चित्रांकन के लिये जानी जाती है-  

(1) बूँदी 

(2) मारवाड़ 

(3) मेवाड़ 

(4) नाथद्वारा  

[JEN (यांत्रिकी/विद्युत) डिप्लोमा - 26.12.2020] [ कनिष्ठ वैज्ञानिक सहायक (सीरम ) 15.9.2019]

Ans. (2)

व्याख्या - मारवाड़ के विजयसिंह और मानसिंह के काल में भक्तिरस तथा शृंगाररस के चित्र अधिक तैयार किये गये जिसमें नाथचरित्र, भागवत्, शुकनासिक चरित्र, पंचतंत्र आदि प्रमुख हैं।


चित्रकला के संदर्भ में निम्न में से कौनसा विकल्प सही नहीं है?

(1) सालिगराम, बकसाराम, नंदराम अलवर शैली के कलाकार है। 

(2) आलागीला पद्धति का प्रारंभ आमेर में हुआ। 

(3) रघुनाथ, डालू, गोविंदराम कोटा शैली के चित्रकार है । 

(4) 'चोखेलाव महल' का संबंध बीकानेर शैली से है।

[JEN (यांत्रिकी / विद्युत) डिप्लोमा - 26.12.2020] 

Ans. (4) 

व्याख्या- चोखेलाव महल का सम्बंध मारवाड़ शैली से है। 


कौनसा महल मारवाड़ चित्रशैली एवं जनजीवन के चित्रों की अभिव्यक्ति के लिए प्रसिद्ध है - 

(1) चोखा महल, जोधपुर 

(2) लालगढ़ महल, बीकानेर 

(3) विनय विलास महल, अलवर 

(4) जंगमंदिर महल, उदयपुर

[ पटवारी परीक्षा 2011] 

Ans. (1)


चित्रशाला कला-वीथी निम्नलिखित में से किस स्थान में स्थित है- 

(1) जयपुर 

(2) कोटा 

(3) बूँदी 

(4) बीकानेर 

[CET (10+2): 2410.2024 (S-1)] 

Ans. (3)


किस चित्र शैली में मतिराम रचित, 19वीं शताब्दी की हिन्दी साहित्यिक रचना 'रसराज' का चित्रण हेतु विषय के रूप में प्रयोग किया गया है?

(1) मारवाड़ 

(2) मेवाड़ 

(3) बूँदी 

(4) अलवर 

[Assistant Professor-22.9.2021][कॉलेज व्याख्याता-2016] 

Ans. (3)

व्याख्या - बूँदी शासक भावसिंह के आश्रय में मतिराम ने 'ललित ललाम' और रसराज की रचना की। ज्ञातव्य है कि जोधपुर के महामंदिर में मतिराम चितेरे द्वारा चित्रित 'रसराज ग्रंथ' के चित्र मिले हैं।


उस/उन चित्रशैली/शैलियों को चिह्नित कीजिए, जहाँ मतिराम की साहित्यिक रचना रसराज का विषयवस्तु के रूप में उपयोग हुआ है :

(i) जोधपुर

(ii) जयपुर

(iii) अलवर

(iv) बीकानेर

सही कूट का चयन कीजिए :

(1) केवल (i)

(2) केवल (iv)

(3) (i) एवं (iv)

(4) (ii) एवं (iii)

(5) अनुत्तरित प्रश्न

[I Grade (Sans. Dept.)-17.11.2024] 

Ans. (1)


निम्नलिखित में से कौनसी राजस्थानी चित्रकला शैली, चौरापंचसिका शैली से मिलती जुलती है? 

(1) किशनगढ़ शैली

(2) जोधपुर शैली  

(3) बीकानेर शैली

(4) मेवाड़ शैली 

[PSI (मोटर वाहन) - 12.02.2022] 

Ans. (4)


निम्न में से कौन-सा चित्रकार, बीकानेर चित्रकला शैली से जुड़ा हुआ नहीं था- 

(1) जयकिशन मथेरण 

(2) शाह मोहम्मद 

(3) अबू हमीद 

(4) नानक राम 

[कॉलेज व्याख्याता -2016] 

Ans. (4) 

व्याख्या - नानकराम का सम्बन्ध किशनगढ़ शैली से है


बीकानेर चित्रकला व मुगल कला के सामंजस्य का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है ?  

(1) मेघदूत 

(2) कमलिनी 

(3) रसिकप्रिया 

(4) हंसिनी चित्र 

[ वनरक्षक परीक्षा-2013]

Ans. (1)

व्याख्या - बीकानेर शैली पर मारवाड़ चित्रकला शैली का पर्याप्त प्रभाव पड़ा। बीकानेर की मौलिक शैली के सर्वप्रथम दर्शन हमें कालिदास के 'मेघदूत' ग्रंथ में मिलते हैं। बीकानेर के शासक रायसिंह के समय चित्रकला शैली पर मुगल शैली का प्रभाव पड़ा।


बीकानेर में मथैरण समुदाय के सम्बन्ध में दिए कथनों में कौनसा कथन सही हैं?  

1. बीकानेर चित्र शैली के विकास में इनका प्रचुर योगदान है।

2. महाराजा अनूप सिंह के काल में मथैरण समुदाय को संरक्षण मिला ।

3. मथैरण विशेषकर शासकों के व्यक्तिगत चित्र उकेरने के लिए जाने जाते हैं।

4. मथैरण, जो अपने आप को महात्मा भी कहते हैं, एक जैन समुदाय है।

(1) केवल 1 एवं 3 

(2) केवल 1, 2 और 3 

(3) केवल 2 और 3

(4) ये सभी

[ कॉलेजव्याख्याता-2016]

Ans. (4)

व्याख्या - बीकानेर शैली में दो परिवारों का ही प्रभाव चित्रकला पर विशेष रहा। मथैरण परिवार पारम्परिक जैन मिश्रित राजस्थानी शैली के चित्र बनाने में सिद्धहस्त था । वे विशेषकर शासकों के व्यक्तिगत चित्र उकेरने के लिए जाने जाते हैं। अपने आपको महात्मा भी कहते है तथा मुगल दरबार से प्रायः उस्ता परिवार मुगल शैली में कुशल था, जो उस्ताद कहलाते थे। महाराजा अनुपसिंह के समय (1669 - 1698 ई.) में बीकानेर शैली अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई। इस शैली में आकाश को सुनहरे छतों से युक्त बादलों से भरा हुआ दिखाया गया है। इन सभी चित्रों में पीले रंग को प्रमुखता दी गई है। बीकानेर शैली का प्रमुख विषय रसिक प्रिया, बारहमासा, राग-रागिनी, कृष्णलीला आदि है। 

इस शैली के प्रमुख चित्रकार- 

उस्ता चितेरे-  हमीद रुक्नूद्दीन, मुसव्विर रुकनुद्दीन, अलीरजा, उस्ता आसीर खाँ, साहिबदीन, कायम, कासिम, अहमद अली, अबु हमीद, शाह मोहम्मद, जीवन ।

मथैरण चितेरे-  मुन्नालाल, मुकुन्द, चन्दूलाल, जयकिशन, रामकिशन, शिवराम जोशी, मेघराज ।


उस्ताद कहलाने वाले चित्रकारों ने भित्तिचित्र किस नगर में बनाए -  

(1) जोधपुर 

(2) चूरू 

(3) अजमेर 

(4) बीकानेर 

[जेल प्रहरी परीक्षा 21-10-2018, Shift-ii]

Ans. (4) 


बीकानेर चित्र शैली में किस बीकानेर शासक के समय उस्ता परिवार ने हिन्दू कथाओं को आधार बनाकर बहुत चित्र बनाए ?

(1) करणसिंह 

(2) रायसिंह 

(3) अनूपसिंह 

(4) जैतसिंह 

[Lab Assistent (Home Sci.) - 30.06.2022] 

Ans. (3)


नाथू, मुराद, रामलाल, हामिद रूकनुद्दीन, अलीरजा चित्रकारों का संबंध किस चित्र शैली से रहा है- 

(1) कोटा शैली

(2) बूँदी शैली 

(3) किशनगढ़ शैली 

(4) बीकानेर शैली 

 [JEN (Mechanical) Diploma - 20.05.2022] [JEN Degree (TSP) Exam 16.10.2016] 

Ans. (4)


आसीर खाँ, रूकनुद्दीन, चन्दूलाल चित्रकारों का संबंध किस चित्र शैली से रहा है-

(1) कोटा शैली

(2) बूँदी शैली  

(3) किशनगढ़ शैली 

(4) बीकानेर शैली

[वरिष्ठ कम्प्यूटर अनुदेशक - 19.06.2022]

Ans. (4)


कलाकार जो बीकानेर के प्रसिद्ध मथैरण परिवार से संबंधित है -  

(1) मुन्नालाल एवं मुकुन्द

(2) अहमद अली एवं शाह मोहम्मद

(3) नारायण दास एवं बिशन दास

(4) रामनाथ एवं मनोहर

[Asst. Testing Officer - 27.07.2021]

Ans. (1) व्याख्या उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।


रामलाल, अली रज़ा एवं हसन जैसे विख्यात चित्रकारों का त्रिगुट किस चित्रशैली से सम्बन्धित है?

(1) मारवाड़ 

(2) बूँदी 

(3) अलवर 

(4) बीकानेर 

 [II Grade (Hindi) Exam. 2011]

Ans. (4) 


चन्दूलाल, मुकुन्द, मुन्नालाल किस चित्र  शैली के चित्रकार थे ? 

(1) मेवाड़ शैली 

(2) बीकानेर शैली 

(3) जयपुर शैली  

(4) अलवर शैली 

[Protection Officer 28.01.2023]

Ans. (2) 


रूक्नुद्दीन, शाहदीन, रशीद और कासिम किस चित्रकला शैली से सम्बन्धित थे-

(1) किशनगढ़ 

(2) बीकानेर 

(3) जोधपुर 

(4) आमेर 

[IInd Grade Spc. Edu. 2017] [खाद्य सुरक्षा अधिकारी - 25.11.2019]

Ans. (2) 


निम्नलिखित में से कौनसा चित्रकार बीकानेर चित्रकला शैली से सम्बन्धित नहीं है- 

(1) शाह मुहम्मद 

(2) रुकनुद्दीन

(3) मनोहर  

(4) अलीरजा

[ अन्वेषक परीक्षा - 27.12.2020] 

Ans. (3)

व्याख्या - मनोहर मेवाड़ शैली के चित्रकार हैं।


निम्न में से किसका चित्रण कपड़े पर नहीं किया जाता है ?  

(1) फड़ 

(2) परचित्र

(3) पिछवाई 

(4) पाने 

[Police Constable Exam-2005]

Ans. (4)

व्याख्या- पाने राजस्थान में विभिन्न पर्व, त्योहारों एवं मांगलिक अवसरों पर कागज पर बने चित्रों द्वारा देवताओं का प्रतिष्ठान किया जाता है। कागज पर बने चित्र पाने कहलाते हैं।


सुमेलित कीजिए -

चित्र                                          चित्रकारी शैली 

A. नाथद्वारा शैली                        1. ढोला मारू

B. किशनगढ़ शैली                      2. पिछवाई

C. जोधपुर शैली                         3. बणी ठणी

(1) A-1, B-3, C-2 

(2) A-2, B-1, C-3

(3) A-1, B-2, C-3 

(4) A-2, B-3, C-1

 [ राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल-14.7.2018 (1)]

Ans. (4)

व्याख्या - पिछवाई नाथद्वारा शैली, बणी ठणी किशनगढ़ शैली तथा ढोलामारू जोधपुर शैली के चित्र है।


किसके कथनानुसार 'राजस्थानी चित्रशैली स्त्रियों की सुन्दरता की खान है'- 

(1) डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल 

(2) रमेश वर्मा 

(3) नन्द लाल टैगौर 

(4) श्री कुमार स्वामी 

[शोध अध्येता 04.08.2024] 

Ans. (1)


राजस्थानी चित्र शैली विशुद्ध रूप से भारतीय है ऐसा किसने कहा है?

(1) लारेन्स विल्लियम 

(2) पेट्रिक लॉरेन्स

(3) साड्रिक खाँ

 (4) मनोहर स्वामी

[ महिला पर्यवेक्षक परीक्षा (Non-TSP ) 29.11.2015]

Ans. (*)

व्याख्या - राजस्थानी चित्र शैली विशुद्ध रूप से भारतीय है ऐसा मत विलियम लॉरेन्स ने प्रकट किया।


राजस्थानी चित्रकला में कौनसी विशेषता नहीं है:-

(1) स्त्री सुन्दरता 

(2) विषय-वस्तु की विविधता 

(3) चित्र पर चित्रकार का नाम अंकित होना 

(4) आदर्श हिन्दू जीवन परम्परा एवं वीरता का समावेश 

[पटवारी परीक्षा 2011]

Ans. (3)

व्याख्या - राजस्थानी चित्रकला की मुख्य विशेषताएँ

• प्राचीनता, व्यापकता एवं कलात्मकता

• रंगात्मकता (रंगों की विविधता )

• नारी सौन्दर्यता 

• प्राकृतिक अलंकरण विषयवस्तु का वैविध्य ( ऐतिहासिक, वीर रस एवं श्रृंगार रस, शिकार, युद्ध दरबारी )

• देशकाल की अनुरूपता 

• पशुओं का चित्रण 

• राजस्थानी चित्रकला के चित्रों में चित्रकार का नाम अंकित नहीं है । 

• आकृतियों का विन्यास राजस्थानी चित्रकला की महत्त्वपूर्ण विशेषता है।


प्रसिद्ध चित्रकार धीमा, मीरबख्श, काशी एवं रामलखन राजस्थान की किस चित्रशैली से सम्बन्धित रहे ?  

(1) शेखावाटी 

(2) अलवर 

(3) देवगढ़ 

(4) उणियारा

[सहायक सांख्यिकी अधिकारी -27.05.2019]

Ans. (4)

व्याख्या- जयपुर और बूँदी रियासतों की सीमा पर बसे उणियारा के नरुका ठाकुरों ने जयपुर और बूँदी शैली को मिलाकर एक नई शैली का प्रादुर्भाव किया जिसे उणियारा शैली कहा जाता है। इसके प्रसिद्ध चित्रों में कवि केशव की कविप्रिया पर आधारित बारहमासा, रागरागिनी राजाओं के व्यक्ति व धार्मिक चित्र आते है। इस शैली के प्रमुख चित्रकार धीमा, मीरबख्श, काशीराम, बख्ता हैं।


उणियारा चित्रकला शैली, चित्रकला की किन शैलियों का मिश्रण है?  

(1) जयपुर और बूँदी शैली 

(2) अलवर और कोटा शैली 

(3) कोटा और आमेर शैली 

(4) बीकानेर और आमेर शैली 

[ वनरक्षक-13.12.2022(S-II)]

Ans. (1)


राजस्थानी चित्रकला शैली का स्वर्णिम काल कौनसी सदी मानी जाती है? 

(1) 15 वीं  

(2) 16 वीं सदी 

(3) 17 वीं सदी 

(4) 18 वीं सदी

[REETL-II (Re-Exam), 16.10.2021] 

Ans. (3)

व्याख्या - राजस्थान में 10वीं से 15वीं शताब्दी के मध्य अजन्ता चित्रकला प्रचलित थी। 16वीं शताब्दी में राजस्थानी चित्रकला शैली का विकास हुआ। कार्ले खण्डावला ने 17वीं शताब्दी को राजस्थानी चित्रकला का स्वर्णकाल माना है।


चित्रकला के विकास हेतु कार्यरत ' आयाम तथा कलावृत संस्थान' किस जिले में स्थित है-  

(1) जोधपुर 

(2) अजमेर 

(3) जयपुर 

(4) उदयपुर 

[पटवारी परीक्षा 2011]

Ans. (3)

व्याख्या:- चित्रकला के विकास हेतु कार्यरत संस्थाएँ- 

संस्था का नाम                                            स्थान 

चितेरा, धोराँ                                             जोधपुर 

टखमण- 28, तूलिका कलाकार परिषद          उदयपुर 

आयाम, कलावृत्त                                       जयपुर

क्रिएटिव आर्टिस्ट ग्रुप, पैग                           जयपुर


निम्नलिखित में से कौनसी मेवाड़ चित्रकला शैली की उपशैली है? 

(1) नागौर 

(2) किशनगढ़

(3) देवगढ़ 

(4) बीकानेर

[JEN (Agri.) 10.09.2022]

Ans. (3)

व्याख्या - महाराणा जयसिंह के राज्यकाल में रावत द्वारिका दास चूँडावत ने देवगढ़ ठिकाना 1680 ई. में स्थापित किया, तदुपरान्त देवगढ़ शैली का जन्म हुआ। यहाँ के सामंत 'सौलहवें उमराव' कहलाते थे । देवगढ़ शैली मारवाड़, जयपुर एवं मेवाड़ शैली का समन्वित रूप है। इसे सर्वप्रथम 'डॉ. श्रीधर अंधारे' द्वारा प्रकाश में लाया गया। इस शैली के प्रमुख चित्रकारों में बगता, कँवला प्रथम, कँवला द्वितीय, हरचंद, नंगा, चोखा एवं बैजनाथ हैं। इस शैली के भित्ति चित्र 'अजारा की ओवरी', 'मोती महल' में मिलते हैं।


श्रीधर अंधारे को किस चित्रशैली को प्रकाश में लाने का श्रेय दिया जाता है ?  

(1) किशनगढ़ (2) शाहपुरा (3) देवगढ़ (4) उणियारा 

[ CET : 07.01.2023 (S-1)]

Ans. (3) 


'अजारा की ओवरी' किस शैली का भित्ति चित्र है?  

(1) जोधपुर 

(2) नाथद्वारा 

(3) किशनगढ़ 

(4) देवगढ़ 

[PTI (Grade-III)-25.9.2022]

Ans. (4)


निम्नलिखित में से कौनसी चित्रकला शैली राजस्थान से संबंधित नहीं थी -  

(1) शेखावाटी 

(2) हाड़ौती 

(3) कांगड़ा 

(4) मारवाड़ 

[राज. पुलिस कॉन्स्टेबल-6.11.2020 (II)]

Ans. (3) 

व्याख्या - कांगड़ा हिमाचल प्रदेश से सम्बन्धित है।


लघु चित्रकारी (Miniature painting ) की कला को भारत भूमि पर सर्वप्रथम ................द्वारा पेश किया गया था ? 

 (1) तुगलकों 

(2) मुगलों 

(3) राजपूतों 

(4) अरबों 

[ राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल-15.05.2022 (II)]

Ans. (2)

व्याख्या- मिनिएचर पेंटिंग्स छोटी-छोटी वस्तुओं या हाथीदाँत पर अति लघु एवं सूक्ष्म चित्रांकन, जो जोधपुर, जयपुर, किशनगढ़ आदि क्षेत्रों में विशेष प्रचलित है। लघु चित्रकारी भारत में मुगलों की देन है।


ढूँढाड़ी के भित्ति चित्र मिलते हैं  

1. आमेर                  2. बैराठ 

3. मोजमाबाद          4. भावपुरा 

(1) केवल 1 

(2) 1, 2, 3, 4

(3) केवल 2

(4) 1, 2, 3 

[Research Off-4.8.2024]

Ans. (2) 

व्याख्या - प्राचीन आमेर, भावपुरा की छतरी, बैराठ, मौजमाबाद आदि के भित्ति चित्र अकबर कालीन ढूँढाड़ चित्र शैली का प्रतिनिधित्व करते हैं।


किशनगढ़ चित्रशैली के विषय में कौनसा कथन असत्य है? 

(1) मानव आकृतियाँ अपेक्षाकृत लम्बी व पतली होती है। 

(2) विषय वस्तु मुख्यतः कृष्णलीला है। 

(3) चित्रों की पृष्ठभूमि में हरे रंग का आधिपत्य 

(4) रुकनुद्दीन इस शैली का प्रमुख चित्रकार था । 

[PTI II Grade-2011]

Ans. (4) 

व्याख्या- रुकनुद्दीन बीकानेर शैली का प्रमुख चित्रकार था ।


राजस्थान की निम्नलिखित में से किस चित्रकला शैली में ब्रश का उपयोग नहीं किया जाता है, केवल हाथ और कपड़े का उपयोग होता है- 

(1) मिनिएचर पेंटिंग  

(2) किशनगढ़ पेंटिंग 

(3) फड़ पेंटिंग 

(4) कजली पेंटिंग

[ राजस्थान पुलिस 13.5.2022 (S-II)]

Ans. (4)

व्याख्या- राजस्थान की कजली चित्रकारी, काजल से बनाये जाने वाली चित्रकला शैली के रूप में प्रसिद्ध है। इसमें चित्र बनाने में ब्रश का प्रयोग नहीं किया जाता है, बल्कि हाथ और कपड़े के माध्यम से बनाया जाता है।


सुमेलित कीजिए:-

शैली/ उपशैली                     चित्रकार

(A) तिजारा                  (1) बलदेव, गुलाम अली 

(B) अलवर                  (2) साहिबराम, मुहम्मदशाह 

(C) जयपुर                  (3) नंदराम, जमुनादास 

(D) किशनगढ़             (4) मूलराज, भीकचन्द 

कूट :-  

        (A)     (B)     (C)    (D) 

(1)    3          1         2        4

(2)    1         4         3        2

(3)   4         2          1        3

(4)   2         3         4        1 

 [कृषि अधिकारी (कृषि विभाग ) - 19.1.2021]

  Ans. (1) 


अजमेर लघु चित्र को समृद्ध करने वाले चित्रकारों में एक स्त्री चित्रकार का प्रमुख स्थान है। वह कौन है?  

(1) शीरीन 

(2) तारिणी 

(3) नौशीन 

(4) साहिबा 

[Asstt. Agriculture Officer Exam- 31.05.2019]

Ans. (4) 


कमला और इलाइची किस चित्रकला शैली की अग्रगण्य महिला चित्रकार है - 

(1) बूँदी 

(2) नाथद्वारा 

(3) किशनगढ़ 

(4) जोधपुर 

[VDO- 27.12. 2021 (S-I)] [II Grade (S-I) -29.1.2023] [III Grade (L-I) - 25.2.2023] 

Ans. (2) 


इलायची एवं कमला राजस्थान की किस चित्रशैली की चित्रकार थीं?

(1) किशनगढ़ उपशैली

(2) अलवर उपशैली

(3) नाथद्वारा उपशैली

(4) देवगढ़ उपशैली

(5) अनुत्तरित प्रश्न

Asst. Statistical Officer (Agri. Deptt.) - 2024 (GK and Concerned Subject)

Ans. (3)


चाँद, तैय्यब, रामसिंह भाटी, साहिबा एवं उस्ना चित्रकार किस चित्र शैली से सम्बन्धित हैं? 

(1) देवगढ़ 

(2) अजमेर 

(3) शाहपुरा 

(4) जैसलमेर 

[JEN (Agri.) 10.9.2022][JEN (Mech.) Degree- 20.05.2022] 

Ans. (2) 


सुरजन, अहमद अली, रामलाल, श्री किशन और साधुराम किस शैली के प्रमुख चित्रकार थे?

(1) नाथद्वारा 

(2) अजमेर 

(3) बूँदी 

(4) अलवर 

[Asst. Town Planner- 16.06.2023]

Ans. (3) 


'भीमभड़क' शैलचित्र पुरास्थल स्थित है

(1) जयपुर

(2) बून्दी

(3) जोधपुर

(4) अलवर

(5) अनुत्तरित प्रश्न

Archives Department Recruitment - 2024 (Chemist)

Ans.(3)



प्रमुख चित्रकला शैलियाँ एवं चित्रकार

चित्रकला शैली

प्रमुख कलाकार

मेवाड़ या उदयपुर शैली

साहिबदीन, धनसार, मनोहर, कृपाराम, उमरा, नसीरुद्दीन, हीरानन्द, जीवा, अमरा, नगा, शिवदयाल, शाहजी मियाँ, रघुनाथ, शिवा, भोपा

नाथद्वारा शैली

महिला चित्रकार:- कमला, इलायची

पुरुष चित्रकार:- श्रीरामचन्द्र बाबा, भगवान, नारायण, चतुर्भुज, रामलिंग, घासीराम, उदयराम, देवकृष्ण, चंपालाल, तुलसी, हरदेव, हीरालाल, बिठुल आदि

शाहपुरा उपशैली

श्रीलाल जोशी, दुर्गालाल जोशी

देवगढ़ उपशैली

कँवला प्रथम, बगता, कँवला द्वितीय, हरचंद, नंगा, चोखा, बैजनाथ

चावंड उपशैली

नसीरदीन (निसरदी)

जोधपुर (मारवाड़) शैली

भाटी अमरदास, दानाभाटी, जीतमल, बिशनदास, भाटी शिवदास, समा, सेफू, नाथो, वीरजी, रतनजी भाटी, छज्जू, फेजअली, उदयराम, कालूराम, मतिराम, किशनदास, देवदास, बभूत, नारायण दास, रामसिंह भाटी, लादूनाथ, सरताज सतिदास, शंकरदास, माधोदास

बीकानेर शैली

हमीद रुक्नुद्दीन, मुसव्विर रुकनुद्दीन, उस्ता आसीर खाँ, साहिबदीन, मुन्नालाल, मुकुन्द, कायम, कासिम, अहमद अली, अबु हमीद, अली रजा, मुराद, नाथू, रामलाल, चन्दूलाल, जयकिशन, रामकिशन, शाह मोहम्मद, जीवन, शिवराम जोशी, मेघराज

किशनगढ़ शैली

सूरध्वज, मोरध्वज, निहालचंद, भँवरलाल, लाड़लीदास, अमरु, सूरजमल, बदनसिंह, तुलसीदास, सीताराम, नानकराम, रामनाथ, मूलराज, भीकचन्द, जोश, सवाईराम, अमीरचंद, धन्ना, छोटू, सूरतराम

अजमेर शैली

चाँद, तैयब, नवला, रामसिंह, लालजी व नारायण, भाटी, माधोजी, राम, अल्लाबख्श एवं उस्ना, साहिबा ( महिला चित्रकार)

जयपुर शैली

मुहम्मद शाह, साहिबराम, सालिगराम, घासी, रामजीदास, रघुनाथ, लालचंद, गंगाबक्श, हुक्मा, रामसेवक, चिमना, गोपाल, जीवन, निरंजन, दयाराम, राजू, उदय, लक्ष्मण, सीताराम, रामदीन, राधाकिशन, फेडुला, हीरा, मंगला, केसू, मन्ना, उस्तालाला, सांवला, गजा, हरिनारायण, गोपाल, गोविन्दा, शिवदास, गोविन्दराम

अलवर शैली

डालूराम, नानकराम, बलदेव, गुलामअली, शिवकुमार, बुद्धराम, सालिगराम, जमनादास, छोटेलाल, नंदराम, बकसाराम, मूलचंद, जगन्नाथ, रामगोपाल, जगमोहन, रामप्रसाद, रामसहाय नेपालिया

आमेर शैली

हुकुमचन्द, मुरली, मन्नालाल, पुष्पदत्त

उणियारा शैली

धीमा, मीरबख्श, काशीराम, बख्ता

बूँदी शैली

अहमद अली, रघुनाथ, गोविंदराज, डालू, लच्छीराम, नूरमोहम्मद, सुरजन, रामलाल, श्रीकिशन एवं साधुराम

कोटा शैली

रघुनाथ, गोविन्दराम, डालू, लच्छी राम, नूर मोहम्मद, कन्हैया ब्राह्मण


सौभागमल गहलोत- जयपुर के चित्रकार सौभागमल गहलोत को 'नीड़ का चितेरा' कहा जाता है।

परमानन्द चोयल - कोटा के प्रयोगवादी चित्रकार जिन्हें 'भैंसों के चितेरे' के रूप में जाना जाता है।

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  1600 ईस्वी का राजलेख 👉 इसके तहत कंपनी को 15 वर्षों के लिए पूर्वी देशों में व्यापार करने का एकाधिकार दिया गया। 👉 यह राजलेख महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने  31 दिसंबर, 1600 ई. को जारी किया। 👉 कंपनी के भारत शासन की समस्त शक्तियां एक गवर्नर(निदेशक), एक उप-गवर्नर (उप-निदेशक) तथा उसकी 24 सदस्यीय परिषद को सौंप दी गई तथा कंपनी के सुचारू प्रबंधन हेतु नियमों तथा अध्यादेश को बनाने का अधिकार दिया गया। 👉 ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना के समय इसकी कुल पूंजी  30133 पौण्ड थी तथा इसमें कुल 217 भागीदार थे। 👉 कंपनी के शासन को व्यवस्थित करने हेतु कलकत्ता, बंबई तथा मद्रास को प्रेसीडेंसी नगर बना दिया गया तथा इसका शासन प्रेसीडेंसी व उसकी परिषद् करती थी। 👉 महारानी एलिजाबेथ ने ईस्ट इंडिया कंपनी को लॉर्ड मेयर की अध्यक्षता में पूर्वी देशों में व्यापार करने की आज्ञा प्रदान की थी। 👉 आंग्ल- भारतीय विधि- संहिताओं के निर्माण एवं विकास की नींव 1600 ई. के चार्टर से प्रारंभ हुई। 👉 ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपना कार्य सूरत से प्रारंभ किया। 👉 इस समय भारत में मुगल सम्राट अकबर का शास...

संवैधानिक विकास

संवैधानिक विकास 👉 31 दिसंबर 1600 को महारानी एलिजाबेथ प्रथम के चार्टर के माध्यम से अंग्रेज भारत आए।  👉 प्रारंभ में इनका मुख्य उद्देश्य व्यापार था जो ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से शुरू किया गया।  👉 मुगल बादशाह 1764 में बक्सर के युद्ध में विजय के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी को दीवानी अधिकार दिए। 👉 1765 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल,बिहार एवं उड़ीसा की दीवानी अधिकार प्राप्त कर लीए। 👉 1858 ईस्वी में हुए सैनिक विद्रोह ऐसे भारत शासन का दायित्व सीधा ब्रिटिश ताज ने ले लिया। 👉 सर्वप्रथम आजाद भारत हेतु संविधान की अवधारणा एम. एन. राय के द्वारा 1934 में दी गई।  👉 एम. एन. राय के सुझावों को अमल में लाने के उद्देश्य से 1946 में सविधान सभा का गठन किया गया। 👉 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। 👉 संविधान की अनेक विशेषता ब्रिटिश शासन चली गई तथा अन्य देशों से भी, जिनका क्रमवार विकास निम्न प्रकार से हुआ- 1. कंपनी का शासन (1773 ई. - 1858 ई. तक)  2. ब्रिटिश ताज का शासन (1858 ई. – 1947 ई. तक) Constitutional development 👉The Brit...

1781 ई. का एक्ट ऑफ सेटलमेंट

1781 ई. का Act of settlement(बंदोबस्त कानून) 👉 1773 ई. के रेगुलेटिंग एक्ट के दोषों को दूर करने के लिए ब्रिटिश संसद के प्रवर समिति के अध्यक्ष एडमंड बर्क के सुझाव पर इस एक्ट का प्रावधान किया गया। 👉 इसके अन्य  नाम - संशोधनात्मक अधिनियम (amending act) , बंगाल जुडीकेचर एक्ट 1781 इस एक्ट की विशेषताएं:- 👉कलकत्ता के सभी निवासियों को सर्वोच्च न्यायालय के अधिकर क्षेत्र के अंतर्गत कर दिया गया। 👉 इसके तहत कलकत्ता सरकार को बंगाल, बिहार और उड़ीसा के लिए भी विधि बनाने का अधिकार दे दिया गया। अब कलकत्ता की सरकार को विधि बनाने की दो श्रोत प्राप्त हो गए:-  1. रेगुलेटिंग एक्ट के तहत कलकत्ता प्रेसिडेंसी के लिए 2. एक्ट ऑफ सेटलमेंट के अधीन बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा के दीवानी प्रदेशों के लिए 👉 सर्वोच्च न्यायालय के लिए आदेशों और विधियों के संपादन में भारतीयों के धार्मिक व सामाजिक रीति-रिवाजों तथा परंपराओं का ध्यान रखने का आदेश दिया गया अर्थात् हिंदुओं व मुसलमानों के धर्मानुसार मामले तय करने का प्रावधान किया गया । 👉 सरकारी अधिकारी की हैसियत से किए गए कार्यों के लिए कंपनी ...

राजस्थान नगरपालिका ( सामान क्रय और अनुबंध) नियम, 1974

  राजस्थान नगरपालिका ( सामान क्रय और अनुबंध) नियम , 1974 कुल नियम:- 17 जी.एस.आर./ 311 (3 ) – राजस्थान नगरपालिका अधिनियम , 1959 (1959 का अधिनियम सं. 38) की धारा 298 और 80 के साथ पठित धारा 297 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए , राज्य सरकार इसके द्वारा , निम्नलिखित नियम बनाती हैं , अर्थात्   नियम 1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ – ( 1) इन नियमों का नाम राजस्थान नगरपालिका (सामान क्रय और अनुबंध) नियम , 1974 है। ( 2) ये नियम , राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से एक मास पश्चात् प्रवृत्त होंगे। राजपत्र में प्रकाशन:- 16 फरवरी 1975 [भाग 4 (ग)(1)] लागू या प्रभावी:- 16 मार्च 1975 [ 1. अधिसूचना सं. एफ. 3 (2) (75 एल.एस.जी./ 74 दिनांक 27-11-1974 राजस्थान राजपत्र भाग IV ( ग) ( I) दिनांक 16-2-1975 को प्रकाशित एवं दिनांक 16-3-1975 से प्रभावी।]   नियम 2. परिभाषाएँ – इन नियमों में , जब तक संदर्भ द्वारा अन्यथा अपेक्षित न हो , (i) ' बोर्ड ' के अन्तर्गत नगर परिषद् ( Municipal Council) आती है ; (ii) ' क्रय अधिकारी ' या ' माँगकर्त्ता अधिकार...

वैश्विक राजनीति का परिचय(Introducing Global Politics)

🌏 वैश्विक राजनीति का परिचय( Introducing Global Politics)

राजस्थान के दुर्ग

  दुर्ग

1726 ईस्वी का राजलेख

1726 ईस्वी का राजलेख इसके तहत कलकात्ता, बंबई तथा मद्रास प्रेसिडेंसीयों के गवर्नर तथा उसकी परिषद को विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई, जो पहले कंपनी के इंग्लैंड स्थित विद्युत बोर्ड को प्राप्त थी।  यह सीमित थी क्योंकि - (1) यह ब्रिटिश विधियों के विपरीत नहीं हो सकती थी। (2) यह तभी प्रभावित होंगी जब इंग्लैंड स्थित कंपनी का निदेशक बोर्ड अनुमोदित कर दे। Charter Act of 1726 AD  Under this, the Governor of Calcutta, Bombay and Madras Presidencies and its Council were empowered to make laws, which was previously with the Company's Electricity Board based in England.  It was limited because -  (1) It could not be contrary to British statutes.  (2) It shall be affected only when the Board of Directors of the England-based company approves.

ऐतिहासिक संदर्भ(Historical Context)

 🗺  ऐतिहासिक संदर्भ(Historical Context)

अरस्तू

🧠   अरस्तू यूनान के दार्शनिक  अरस्तू का जन्म 384 ईसा पूर्व में मेसीडोनिया के स्टेजिरा/स्तातागीर (Stagira) नामक नगर में हुआ था। अरस्तू के पिता निकोमाकस मेसीडोनिया (राजधानी–पेल्ला) के राजा तथा सिकन्दर के पितामह एमण्टस (Amyntas) के मित्र और चिकित्सक थे। माता फैस्टिस गृहणी थी। अन्त में प्लेटो के विद्या मन्दिर (Academy) के शान्त कुंजों में ही आकर आश्रय ग्रहण करता है। प्लेटो की देख-रेख में उसने आठ या बीस वर्ष तक विद्याध्ययन किया। अरस्तू यूनान की अमर गुरु-शिष्य परम्परा का तीसरा सोपान था।  यूनान का दर्शन बीज की तरह सुकरात में आया, लता की भांति प्लेटो में फैला और पुष्प की भाँति अरस्तू में खिल गया। गुरु-शिष्यों की इतनी महान तीन पीढ़ियाँ विश्व इतिहास में बहुत ही कम दृष्टिगोचर होती हैं।  सुकरात महान के आदर्शवादी तथा कवित्वमय शिष्य प्लेटो का यथार्थवादी तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाला शिष्य अरस्तू बहुमुखी प्रतिभा का धनी था। मानव जीवन तथा प्रकृति विज्ञान का शायद ही कोई ऐसा पहलू हो, जो उनके चिन्तन से अछूता बचा हो। उसकी इसी प्रतिभा के कारण कोई उसे 'बुद्धिमानों का गुरु' कहता है तो कोई ...