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छतरियाँ

📑छतरियाँ

प्रसिद्ध चौरासी खम्भों की छतरी कहाँ स्थित है?

(1) कोटा 

(2) झालावाड़ 

(3) जयपुर 

(4) बूँदी

[वनरक्षक- 11.12.2022 (S-1)] [C.I.D. 2002] [EO-2007] [PSI - 13.09.2021] [| Grade Teacher Exam, 2012] [RPSC Head Master Exam. 15 May, 2012] [महिला पर्यवेक्षक परीक्षा (TSP) 20.12.2015] [H. M. -2011] [कनिष्ठ अनुदेशक (कोपा ) - 20.03.2019] [ राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल-08.11.2020 (1)] (JEN (यांत्रिकी / विद्युत) डिग्री - 26.12.2020] 

Ans. (4)


निम्नलिखित में से किसने चौरासी खम्बों की छतरी का निर्माण कराया ?  

(1) राव राजा बुद्धसिंह 

(2) देवा 

(3) राव विष्णु सिंह 

(4) जैसी बाई 

[Asst. Statistical Officer-08.07.2022] 

Ans. (2) 


कोटा - बून्दी मार्ग पर देवपुरा गाँव के निकट 1683 में निर्मित छतरी स्तम्भों की संख्या कितनी है?

(1) 64 

(2) 74 

(3) 84 

(4) 94 

 [Agriculture Officer 29.01.2013] 

Ans. (3)


'चौरासी खम्भा छतरी' के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौनसा कथन असत्य है-

( 1 ) इस छतरी का निर्माण राव विष्णुसिंह के काल में राव देवा द्वारा कराया गया था।

(2) इस छतरी का निर्माण राव अनिरुद्ध सिंह के काल में राव देवा द्वारा कराया गया था।

(3) यह छतरी बूँदी के पास देवपुरा गाँव में स्थित है।

(4) उसका निर्माण 1683-1695 के मध्य कराया था। 

[Librarian Garde-III Exam 13.11.2016] 

Ans. (1)

व्याख्या - चौरासी खम्भों की छतरी (देवपुरा गाँव, बूंदी) भगवान शिव को समर्पित इस छतरी का निर्माण (1683-1695 ई.) राजा अनिरूद्ध के भ्राता देवा (स्रोत - संदर्भिका राजस्थान सुजस, पृष्ठ 1174 ) ने करवाया। RBSE कक्षा 10 के पृष्ठ संख्या 110 के अनुसार यह छतरी अनिरूद्ध सिंह द्वारा अपने धाय भाई देवा की स्मृति में बनायी गयी थी। कोटा रोड पर स्थित देवपुरा गाँव के पास इस दो मंजिला छतरी के चबूतरे के चारों ओर विभिन्न पशु-पक्षियों आदि के चित्र पत्थर पर उकेरे गये है।


मूसी महारानी की छतरी कहाँ है ?

(1) अलवर 

(2) धौलपुर 

(3) जोधपुर 

(4) प्रतापगढ़ 

[RPSC III Grade Teacher Exam-2009] | कनिष्ठ वैज्ञानिक सहायक (भौतिक) 21.9.2019] [Librarian Garde-III Exam 19.09.2020] [VDO-28.12.2021 ( Shift-II ) ]

Ans. (1)


अलवर स्थित मूसी महारानी की छतरी बनवाई गई थी:- 

(1) महाराजा बख्तावर सिंह 

(2) महाराजा मंगल सिंह 

(3) महाराजा जयसिंह 

(4) महाराजा विनय सिंह 

[वन रक्षक परीक्षा 2016]

Ans. (4)

व्याख्या- मूसी महारानी की छतरी (अलवर) 80 खम्भों वाली इस छतरी का निर्माण 1815 ई. में बख्तावर सिंह की महारानी के दत्तक पुत्र विनय सिंह ने करवाया। इसे मूसी महारानी व तत्कालीन महाराजा बख्तावर सिंह की स्मृति में बनाया गया। 2 मंजिली इस छतरी की पहली मंजिल लाल पत्थर व दूसरी मंजिल श्वेत संगमरमर से निर्मित है। इस छतरी की ऊपरी मंजिल पर रामायण और महाभारत के भित्ति चित्र भी बने हुए हैं।


जोधपुर में प्राचीन राजाओं की छतरियों एवं उद्यान के लिए प्रसिद्ध स्थान का नाम है:-

(1) मंडौर 

(2) जसवंत थड़ा 

(3) ओसियाँ 

(4) लूणी 

[जेल प्रहरी - 2017 1] [वनरक्षक- 13.12.2022(S-10)] [Police Constable-2007 ] 

Ans. (1)

व्याख्या - जोधपुर के मंडौर में एक सुन्दर उद्यान बना है, जिसमें अजीत पोल, देवताओं की साल व वीरों का दालान, मंदिर, बावड़ी, जनाना महल, एक थम्बा महल, नहर, झील व जोधपुर के विभिन्न महाराजाओं के स्मारक बने है। उद्यान में बनी कलात्मक इमारतों का निर्माण जोधपुर के महाराजा अजीत सिंह व उनके पुत्र महाराजा अभय सिंह के शासन काल में सन 1714 से 1749 ई. के बीच किये गए थे।


जसवंत थड़ा स्थित है:-  

(1) बीकानेर 

(2) आमेर 

(3) उदयपुर 

(4) जोधपुर 

[वरिष्ठ कम्प्यूटर अनुदेशक- 19.6.20221] [III Grade (Sanskrit) -27.02.2023|| वनरक्षक-11.12.2022(S-1]

Ans. (4)


जोधपुर के जसवंत थड़ा का निर्माता कौन था-

(1) महाराजा विजय सिंह 

(2) महाराजा उम्मेद सिंह 

(3) महाराजा बख्त सिंह 

(4) महाराजा सरदार सिंह 

[CET -4.2.2023 (S-I)][JEN (विद्युत) डिग्री - 29.11.2020] 

Ans. (4)


निम्न में से किसे 'मारवाड़ का ताजमहल' कहा जाता है? 

(1) जगमंदिर महल 

(2) लालगढ़ महल

(3) जसवंत थड़ा   

(4) बड़ा बाग

[वनरक्षक 13.12.2022 (S-I)]

Ans. (3)

व्याख्या - जसवंत थड़ा / मारवाड़ का ताजमहल (जोधपुर) - मेहरानगढ़ के पास स्थित इस गीतमय संगमरमर निर्मित स्फटिक इमारत (शाही छतरियाँ) का निर्माण जोधपुर नरेश जसवंत सिंह-11 की स्मृति में महाराजा सरदार सिंह ने 1906 ई. में करवाया। इसमें जोधपुर नरेशों की वंशावली के मनोहारी चित्र लगे है।


शहर - छतरियाँ सुमेलित कीजिए - 

A. जयपुर        1. बड़ा बाग 

B. जोधपुर       2. छत्र विलास

C. कोटा          3. जसवंत थड़ा

D. जैसलमेर     4. गैटोर

कूट:  A   B   C   D

(1)    1    2    3    4 

(2)   4   2    3     1 

(3)   4   3    2     1 

(4)   4   1    2     3

[H.M - 11.10.2021]

Ans. (3)

व्याख्या - राजपरिवारों की छतरियाँ एक दृष्टि में 

जैसलमेर - बड़ा बाग 

जोधपुर - मण्डोर 

बीकानेर - देवीकुण्ड 

कोटा - क्षारबाग / छत्रविलास बाग 

बूँदी - क्षारबाग / केसर बाग 

उदयपुर - आहड़ 

जयपुर- गैटोर


गैटोर स्थित कछवाहा शासकों की छतरियाँ किस किले की तलहटी में मिलती हैं?

(1) आमेर 

(2) नाहरगढ़ 

(3) जयगढ़ 

(4) विजयगढ़ 

[Librarian III Grade 11.09.2022] 

Ans. (2)

व्याख्या - गैटोर नाहरगढ़ किले की तलहटी में स्थित जयपुर के दिवंगत कंछवाहा राजाओं की संगमरमर निर्मित कलात्मक छतरियों के लिए प्रसिद्ध स्थल |


गोरा धाय की छतरी का निर्माण किसने करवाया ?

(1) अजीतसिंह 

(2) गंगासिंह 

(3) जसवंतसिंह 

(4) ईश्वरसिंह 

Ans. (1)

व्याख्या - यह छतरी जोधपुर जिले में स्थित है। इनमें से सबसे प्राचीन छतरी का निर्माण राजा अजीत सिंह ने 1711 ई. में अपनी धाय की स्मृति में करवाया था। आजादी के बाद इसके पास ही गोरा धाय की एक ओर छतरी बनवा दी गई।


दुर्गादास राठौड़ की छतरी किस राज्य में स्थित है-

(1) राजस्थान 

(2) उत्तर प्रदेश 

(3) मध्यप्रदेश 

(4) गुजरात 

[JEN (Agri.) 10.09.2022] [REET L-II, 26.09.2021] 

Ans. (3)

व्याख्या - दुर्गादास की छतरी मध्यप्रदेश के उज्जैन ( मंदिरों का शहर ) में स्थित है, जहाँ इनकी मृत्यु 22 नवम्बर, 1718 में हुई थी।


देवीकुण्ड सागर की छतरियाँ स्थित हैं ?

(1) उदयपुर 

(2) जैसलमेर 

(3) जयपुर 

(4) बीकानेर 

 [पटवार - 2011] 

Ans. (4)

व्याख्या - देवीकुण्ड : बीकानेर शहर से 5 मील दूर देवीकुंड सागर के सामने कल्याण सागर के पास अवस्थित बीकानेर राजघराने का निजी श्मशान घाट । यहाँ निर्मित राजा महाराजाओं एवं उनके परिवार की छतरियों में महाराजा सूरजसिंह की सफेद संगमरमर निर्मित छतरी प्रसिद्ध है।


क्षारबाग किस शहर में स्थित है ? 

(1) बूँदी 

(2) उदयपुर 

(3) अजमेर 

(4) अलवर 

Ans. (1)

व्याख्या - क्षारबाग की छतरियाँ कोटा, बूँदी में है। कोटा के क्षारबाग में हाड़ा शासकों की कलात्मक छतरियां है तथा बूँदी के क्षारबाग (केसर बाग) में वहाँ के दिवंगत राजाओं ( 66 छतरियों से युक्त) के समाधि स्थल हैं।


कागा की छतरियों का सम्बन्ध किस जिले से है? 

(1) जोधपुर 

(2) जयपुर

(3) कोटा 

(4) जैसलमेर 

[JEN Dip- 16.10.2016] 

Ans. (1)

व्याख्या :- कागा की छतरियाँ (स्मारक) जोधपुर से पाँच किलोमीटर दूर ऋषि श्रेष्ठ काग भुशुण्डि की तपोभूमि, जहाँ भगवती गंगा भी ऋषि के तप से प्रकट हुई थी, यहाँ लगभग 150 छतरियाँ बनी हुई हैं। कागा की छतरियों का सम्बन्ध जोधपुर राजपरिवार के सदस्यों से है।


निम्न में से किस छतरी को शेखावाटी की सबसे बड़ी छतरी माना जाता है - 

(1) रामगोपाल पोद्दार की छतरी 

(2) कल्याणसिंह की छतरी 

(3) हरदयाल सिंह की छतरी 

(4) गोपाल सिंह की छतरी 

[REET L-II, 26.09.2021] 

Ans. (1)

व्याख्या - सीकर के रामगढ़ में स्थित रामगोपाल पोद्दार की छतरी शेखावाटी की सबसे बड़ी छतरी मानी जाती है।


मेवाड़ नरेश राणा अमरसिंह एवं राणा कर्णसिंह की छतरियाँ (स्मारक) अवस्थित है-

(1) मंडोर (जोधपुर) 

(2) आहड़ (उदयपुर)

(3) नाथद्वारा (उदयपुर) 

(4) इनमें से कोई नहीं

[ महिला पर्यवेक्षक 06.01.2019]

Ans.  (2)

व्याख्या - सिसोदिया राजवंश की /महासतियाँ / आहड़ की छतरियाँ उदयपुर में स्थित है। यहाँ मेवाड़ के राजपरिवार के लोगों के कब्रिस्तान स्थित है। यहाँ मेवाड़ के 19 शासकों का स्मारक है। यहाँ सबसे प्रमुख स्मारक महाराणा अमर सिंह का है। अमर सिंह ने सिंहासन त्यागने के बाद अपना अंतिम समय यहीं व्यतीत किया था।


मेवाड़ राजघराने के अन्त्येष्टि स्थल का नाम क्या है?

(1) कागा 

(2) गेटोर 

(3) महासतियाँ 

(4) बड़ा बाग 

 [CET : 08.01.2023 (S-I)] 

Ans. (3) 


राव मालदेव की छतरी निम्नलिखित में से राजस्थान के किस शहर में स्थित है-

(1) कोटा 

(2) जोधपुर 

(3) जालौर 

(4) जैसलमेर

[ कनिष्ठ वैज्ञानिक सहायक ( सीरम ) 15.9.2019]  

Ans. (2)

व्याख्या- सेनापति की छतरी, मामा-भान्जा की छतरी, कीरत सिंह सोढ़ा की छतरी, गोरा-धाय की छतरी, राव मालदेव की छतरी, कागा की छतरियाँ आदि जोधपुर में स्थित है।


कुंभा श्याम मंदिर, चित्तौड़गढ़ (मीरा मंदिर ) में .... की स्मृति में एक छोटी छतरी का निर्माण कराया गया था- 

(1) मीरा 

(2) राय दास (स्वामी रविदास) 

(3) महाराणा कुंभा 

(4) महाराणा संग्राम सिंह प्रथम

[ राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल-08.11.2020 (II)] [पटवारी परीक्षा 2011]

 Ans. (2)

व्याख्या - चित्तौड़गढ़ किले में स्थित कुम्भ-श्याम मंदिर के अहाते में मीराबाई का मंदिर है। मीरा मंदिर के सामने मीरा के गुरु रैदास की स्मारक छतरी बनी हुई है ।


निम्नलिखित में से असत्य तथ्य को पहचानिये-

(1) मूसी महारानी की छतरी - अलवर

(2) गोपालसिंह की छतरी -  करौली

(3) रामगोपाल पोद्दार की छतरी - रामगढ़ 

(4) रामगोपाल पालीवाल की छतरी - बीकानेर 

[सहायक सांख्यिकी अधिकारी परीक्षा - 27.05.2019]

Ans. (4) 

व्याख्या - पालीवालों की छतरी जैसलमेर में स्थित है।


पृथ्वीराज की '12 खम्बों की छतरी ' निम्नलिखित में से किस किले में स्थित है?

(1) मेहरानगढ़ किला 

(2) गोगुन्दा किला

(3) चित्तौड़गढ़ किला

(4) कुंभलगढ़ किला

 [CET : 08.01.2023 (S-II)] 

Ans. (4)  

व्याख्या - छतरियों के स्थान एवं खम्भों की विविधता-


• 8 खम्भों की छतरी : महाराणा प्रताप - बाण्डोली, सलूम्बर 

• 10 खम्भों की छतरी : मामा-भांजा ( धन्ना - भींया), जोधपुर 

• 12 खम्भों की छतरी : पृथ्वीराज- कुम्भलगढ़, राजसमंद , नागौर

• 16 खम्भों की छतरी : अमरसिंह राठौड़, नागौर दुर्ग

• 20 खम्भों की छतरी  : अखैराज सिंघवी, जोधपुर 

• 32 खम्भों की छतरी : जोधसिंह बदनोर, ब्यावर (पूर्व अजमेर)

• 32 खम्भों की छतरी : जगन्नाथ कछवाहा-मांडल, भीलवाड़ा

• 32 खम्भों की छतरी : जयसिंह / जैत्रसिंह सवाई माधोपुर

• 80 खम्भों की छतरी : मूसी महारानी- अलवर 

• 84 खम्भों की छतरी : भगवान शिव को समर्पित- बूँदी


महाराणा प्रताप की छतरी कहाँ स्थित है-  

(1) बूँदी (2) गैटोर (3) माण्डल (4) बाण्डोली 

[III Grade (SST) -26.02.2023][अन्वेषक - 27.12.2020]

Ans. (4) 

 

छतरी - स्थल के गलत युग्म चुनिए- 

1. 84 खंभों की छतरी - कोटा 

2. ब्राह्मण देवता की छतरी - मण्डोर 

3. मामा भांजा की छतरी - जयपुर

4. कुंवर पृथ्वीराज की छतरी - कुंभलगढ़

(1) 1 और 2 

(2) 1 और 3 

(3) 1 और 4 

(4) केवल 

[वनरक्षक- 12.12.2022]

Ans. (2)

व्याख्या - मामा-भांजा की छतरी मेहरानगढ़ दुर्ग, जोधपुर में स्थित है। यह 10 खम्भों वाली छतरी है और धन्ना गहलोत और भीयां चौहान नामक मामा-भांजा की याद में बनाई गई है। महाराजा अजीतसिंह ने लोहापोल के पास इस छतरी का निर्माण करवाया था 


राणा सांगा की छतरी कहाँ स्थित है-  

(1) चित्तौड़गढ़ 

(2) माण्डलगढ़ 

(3) एरिकपुर 

(4) कालपी 

[I Grade (Sans. Dept.)-17.11.2024]

Ans. (2)


जोधपुर में निम्न में से कौनसी छतरी स्थित नहीं है?

(1) जसवंत थड़ा 

(2) मामा भांजा की छतरी 

(3) 8 खंभों की छतरी 

(4) मण्डौर की छतरी 

[वनरक्षक-13.12.2022(S-1)]

Ans. (3) 


सुमेलित कीजिए- 

छतरी स्थान 

(A) सवाई जयसिंह की छतरी         (1) अलवर 

(B) मूसी रानी की छतरी                (2) रामगढ़ 

(C) गोपाल सिंह की छतरी             (3) गैटोर

 (D) सेठों की छतरी                     (4) करौली 

कूट : (A) (B) (C) (D)              (A) (B) (C) (D) 

(1)     1      2     3     4             (2) 2      1     4     3

(3)    4     3      1     2              (4) 3      1     4     2 

[CET-G (S-I) -27.09.2024] 

Ans. (4) 


सुमेलित कीजिए- 

(A) जसवंत सिंह का थड़ा                          (1) जैसलमेर 

(B) शासकों और पालीवालों की छतरियाँ      (2) बूँदी 

(C) चौरासी खंभों की छतरी                       (3) अलवर 

(D) फतेह गुम्बद                                      (4) जोधपुर 

कूट : (A) (B) (C) (D)                   (A) (B) (C) (D) 

(1)     3     2      1      4                 (2) 2     4      3     1 

(3)     1     3      4     2                 (4) 4     1       2    3 

[CET-G (S-II)-28.09.2024] 

Ans. (4)


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 🗺  ऐतिहासिक संदर्भ(Historical Context)

अरस्तू

🧠   अरस्तू यूनान के दार्शनिक  अरस्तू का जन्म 384 ईसा पूर्व में मेसीडोनिया के स्टेजिरा/स्तातागीर (Stagira) नामक नगर में हुआ था। अरस्तू के पिता निकोमाकस मेसीडोनिया (राजधानी–पेल्ला) के राजा तथा सिकन्दर के पितामह एमण्टस (Amyntas) के मित्र और चिकित्सक थे। माता फैस्टिस गृहणी थी। अन्त में प्लेटो के विद्या मन्दिर (Academy) के शान्त कुंजों में ही आकर आश्रय ग्रहण करता है। प्लेटो की देख-रेख में उसने आठ या बीस वर्ष तक विद्याध्ययन किया। अरस्तू यूनान की अमर गुरु-शिष्य परम्परा का तीसरा सोपान था।  यूनान का दर्शन बीज की तरह सुकरात में आया, लता की भांति प्लेटो में फैला और पुष्प की भाँति अरस्तू में खिल गया। गुरु-शिष्यों की इतनी महान तीन पीढ़ियाँ विश्व इतिहास में बहुत ही कम दृष्टिगोचर होती हैं।  सुकरात महान के आदर्शवादी तथा कवित्वमय शिष्य प्लेटो का यथार्थवादी तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाला शिष्य अरस्तू बहुमुखी प्रतिभा का धनी था। मानव जीवन तथा प्रकृति विज्ञान का शायद ही कोई ऐसा पहलू हो, जो उनके चिन्तन से अछूता बचा हो। उसकी इसी प्रतिभा के कारण कोई उसे 'बुद्धिमानों का गुरु' कहता है तो कोई ...

राजस्थान के दुर्ग

  दुर्ग

1726 ईस्वी का राजलेख

1726 ईस्वी का राजलेख इसके तहत कलकात्ता, बंबई तथा मद्रास प्रेसिडेंसीयों के गवर्नर तथा उसकी परिषद को विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई, जो पहले कंपनी के इंग्लैंड स्थित विद्युत बोर्ड को प्राप्त थी।  यह सीमित थी क्योंकि - (1) यह ब्रिटिश विधियों के विपरीत नहीं हो सकती थी। (2) यह तभी प्रभावित होंगी जब इंग्लैंड स्थित कंपनी का निदेशक बोर्ड अनुमोदित कर दे। Charter Act of 1726 AD  Under this, the Governor of Calcutta, Bombay and Madras Presidencies and its Council were empowered to make laws, which was previously with the Company's Electricity Board based in England.  It was limited because -  (1) It could not be contrary to British statutes.  (2) It shall be affected only when the Board of Directors of the England-based company approves.