संविधान का प्रवर्तन
26 नवंबर, 1949 को नागरिकता, चुनाव, तदर्थ संसद, अस्थायी व परिवर्तनशील नियम तथा छोटे शीर्षकों से जुड़े कुछ प्रावधान अनुच्छेद 5,6,7,8,9,60, 324, 366, 367, 379,380,388, 391,392 और 393 स्वतः ही लागू हो गए।
संविधान के शेष प्रावधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुए।
इस दिन को संविधान की शुरुआत के दिन के रूप में देखा जाता है और इसे 'गणतंत्र दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन को संविधान की शुरुआत के रूप में इसलिए चुना गया क्योंकि इसका अपना ऐतिहासिक महत्त्व है।
इसी दिन 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन (दिसंबर 1929) में पारित हुए संकल्प के आधार पर पूर्ण स्वराज दिवस मनाया गया था।
संविधान की शुरुआत के साथ ही भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 और भारत शासन अधिनियम, 1935 को समाप्त कर दिया गया।
हालांकि एबोलिशन ऑफ प्रिवी काउंसिल ज्यूरिडिक्शन एक्ट, 1949 लागू रहा।
Facts
1. संविधान सभा द्वारा हाथी को प्रतीक (मुहर) के रूप में अपनाया गया था।
2. सर बी.एन. राऊ को संविधान सभा के लिए संवैधानिक सलाहकार (कानूनी सलाहकार) के रूप में नियुक्त किया गया था।
3. एच.वी.आर. अय्यंगर को संविधान सभा का सचिव नियुक्त किया गया था।
4. एल.एन. मुखर्जी को संविधान सभा का मुख्य प्रारूपकार (चीफ ड्राफ्टमैन) नियुक्त किया गया था।
5. प्रेम बिहारी नारायण रायजादा भारतीय संविधान के प्रमुख सुलेखक (Calligrapher) थे। मूल संविधान एक प्रवाहमय (इटैलिक) शैली में उनके द्वारा हस्तलिखित किया गया था।
6. मूल संस्करण का सौन्दर्याकरण और सजावट शांति निकेतन के कलाकारों ने किया जिनमें नंदलाल बोस और बिउहर राममनोहर सिन्हा शामिल थे।
7. मूल प्रस्तावना को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा हस्तलिखित एवं बिउहर राममनोहर सिन्हा द्वारा ज्यामितीय, सौंदर्याकृत एवं अलंकृत किया गया था।
8. मूल संविधान के हिन्दी संस्करण का सुलेखन वसंत कृष्ण वैद्य द्वारा किया गया जिसे नंदलाल बोस ने सुन्दर ढंग से अलंकृत एवं ज्यामितीय किया गया।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
ब्लॉग पढ़ने के लिए धन्यवाद। यदि कोई उत्तम सुझाव अथवा शिक्षा से संबंधित कोई अन्य टॉपिक जिसको आप जानने के लिए उत्सुक है तो नीचे कमेंट करके बताएं। यदि आपको कोई गलती नजर आ रही है या कोई संदेह है तो भी आप कृपया कमेंट करके अवश्य बताएं।। धन्यवाद।।