Development Of Literature During Gupta Period (गुप्त काल में साहित्य का विकास)
- विशाखादत्त द्वारा लिखित देवीचंद्रगुप्तम नाटक से गुप्त वंश के रामगुप्त व चंद्रगुप्त द्वितीय के बारे में जानकारी मिलती है ।
- विशाखादत्त ने मुद्राराक्षस नामक नाटक की रचना की ।
- शुद्रक द्वारा लिखित मृच्छकटिका 10 अंकों में लिखा । इसमें चारुदत्त तथा वसंतसेना नामक वैश्या की प्रणय कथा वर्णित है ।
- वात्सायन के कामसूत्र से भी गुप्तकालीन शासन व्यवस्था एवं नगरीय जीवन के बारे में जानकारी मिलती है ।
- गुप्तकालीन अभिलेखों की भाषा विशुद्ध संस्कृत है तथा तिथियां गुप्त संवत् की है ।
- हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति एक चरित काव्य है ।
- कौमुदीमहोत्सव नाटक वज्जिका द्वारा रचित मन जाता है।
- समुद्रगुप्त को कविराज की उपाधि प्राप्त थी ।
- प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त को कविराज कहा गया है ।
- नाट्य दर्पण की रचना रामभद्र एवं गुणभद्र ने की थी ।
- चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में नवरत्न निवास करते थे ।
- काव्यमीमांसा ग्रंथ के लेखक राजशेखर हैं ।
- कथासरितसागर के लेखक सोमदेव हैं |
- हरिश्चंद्र समुद्रगुप्त का सेनापति एवं विदेश सचिव था जिसकी कृति प्रयाग प्रशस्ति है । यह विशुद्ध संस्कृत में लिखा गया है तथा चंपू काव्य (आधा भाग गद्य में तथा आधा भाग पद्य में) का उदाहरण है।
- वत्सभट्टी कुमारगुप्त प्रथम के दरबारी कवि थे, जिसने संस्कृत में मंदसौर प्रशस्ति की रचना की । इसमें दशपुर में सूर्य मंदिर बनाए जाने का वर्णन है तथा कुल 44 श्लोक हैं ।
- कई इतिहासकार संस्कृत के महान कवि कालिदास को चंद्रगुप्त द्वितीय का समकालीन मानते हैं । इन्होंने दो महाकाव्य रघुवंश , कुमारसंभव , दो खंडकाव्य या गीतकाव्य मेघदूत ऋतुसंहार तथा तीन नाटकों मालविकाग्निमित्र , विक्रमोर्वशीय तथा अभिज्ञान शकुंतलम की रचना की ।
- रघुवंश 19 सर्गों का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य है जिसमें राम के पूर्वजों का वर्णन है ।
- कुमारसंभव में 17 सर्ग है जिसमें प्रकृति चित्रण तथा कार्तिकेय की जन्म कथा वर्णित है ।
- ऋतुसंहार में छह ऋतु का वर्णन है।
- मेघदूत में यक्ष एवं प्रियतमा के विरह का वर्णन है ।
- मालविकाग्निमित्रम् 5 अंकों का नाटक है जिसमें मालविका और अग्निमित्र की प्रणय कथा का वर्णन है ।
- विक्रमोर्वशीय में उर्वशी और पुरुरवा की प्रणय कथा है ।
- अभिज्ञान शाकुंतलम संपूर्ण संस्कृत साहित्य का सर्वोत्तम नाटक है जिसके 7 अंकों में हस्तिनापुर के राज्य दुष्यंत तथा शकुंतला की कथा का वर्णन है । जर्मन के प्रसिद्ध विद्वान गेटे ने भी इसकी प्रशंसा की ।
- भारत का शेक्सपियर कालिदास को कहा जाता है ।
- भारवी ने18 सर्गों का किरतार्जुनिया महाकाव्य लिखा ।
- कुछ रचनाकार वासवदत्ता के रचयिता सुबंधु को गुप्तकालीन मानते हैं ।
- पुराणों के वर्तमान रूप का संकलन गुप्त काल में ही हुआ।
- महाभारत और रामायण को अंतिम रूप भी इसी काल में प्रदान किया गया ।
- बंगाल के विद्वान चंद्रगोमिन ने चांद्रव्याकरण नामक संस्कृत व्याकरण कथा संग्रह लिखा ।
- अमर सिंह अमरकोश तथा विष्णु शर्मा ने पंचतंत्र की रचना इसी काल में की ।
- कामनंद का नीतिशार भी इसी कल की रचना है ।
- गुप्त काल में प्रसिद्ध गणितज्ञ आर्यभट्ट ने आर्यभट्टियम् की रचना की ।
- प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य वाराहमिहिर ने सर्वप्रथम बृहज्जातक की रचना की तथा बाद में पञ्चसिद्धान्तिका , वृहत्संहिता , लघुजात आदि ग्रंथ लिखे।
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