समंको का संग्रहण (Collection of data)
- संख्यिकी की मूलभूत प्रक्रिया है।
- इसका परिणाम शुद्धता
व व्यापकता पर निर्भर करता है।
समंक (Data)
दो प्रकार के होतें हैं ( इनमें अंतर मात्रा का प्रकृति का नहीं ) :-
प्राथमिक |
द्वितीयक |
आराम
से अंत तक नए सिरे से एकत्रण |
पहले
से किसी संस्था व्यक्ति या सरकार द्वारा प्रकाशित |
मौलिक
होते हैं। |
एक
बार प्रक्रिया से गुजर चुके होते हैं। |
कच्चा
माल |
निर्मित
माल |
प्राथमिक
रीति से नए रूप से वितरित किए जाते हैं। |
पूर्व
संकलित होते हैं। |
अधिक
समय, परिश्रम व धन की आवश्यकता |
पहले
से प्रकाशित जगहों से संग्रहित कर सकते हैं। |
अनुसंधान
हेतु अनुकूल |
उपयोग
के समय इनमें संशोधन की आवश्यकता होती है । |
समंको का संग्रहण (Collection
of data)
संग्रहण में सामान्य विवेक प्रमुख आवश्यकता है तथा अनुभव मुख्य
शिक्षक है। यह कथन डॉ. बाउले का है।
- प्राथमिक समंकों का संग्रहण
- द्वितीयक समंको संग्रहण
प्राथमिक समंकों का संग्रहण:- इन्हें प्राथमिक कृतियों से एकत्रित या संग्रहित किया जाता है ।
निम्न 5 प्रकार से किया जाता है:-
प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान:-
- अनुसंधानकर्ता स्वयं अनुसंधान क्षेत्र में जाकर सूचना देने वाले से प्रत्यक्ष रूप से व्यक्तिगत संपर्क कर निरीक्षण तथा अनुभव से आंकड़े संकलित करता है ।
- स्थानीय प्रकृति या सीमित क्षेत्र या अधिक मौलिकता शुद्धता व गोपनीयता के मामले में इस प्रकार का संग्रहण किया जाता है ।
- यूरोपीय देश में देशों ली प्ले ने मजदूरों के आय - व्यय संबंधी आंकड़े इस प्रकार से एकत्रित किए तथा आर्थर यंग ने कृषि उत्पाद का अध्ययन इस रीति से किया ।
अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान:-
- इसमें तृतीय पक्ष वाले ऐसे व्यक्तियों या साथियों से मुख्य पुस्तक द्वारा जानकारी प्राप्त की जाती है जो स्थिति से अप्रत्यक्ष रूप से संबंधित हों ।
- सरकार द्वारा नियुक्त समितियां व आयोग इस विधि का प्रयोग करते हैं ।
- उदाहरण - मजदूरों के रहन-सहन की स्थिति जानने हेतु श्रम संघों या मिल मालिकों से मौखिक पूछताछ कर जानकारी प्राप्त करना ।
संवाददाताओं से सूचना प्राप्ति:-
- विभिन्न स्थानों पर स्थानीय व्यक्ति या विशेष संवाददाता नियुक्त कर दिए जाते हैं जो समय समय पर सूचना भेजते हैं और उन सभी सूचनाओं से सार निकालकर निष्कर्ष निकाल लिया जाता है ।
- रीति का प्रयोग समाचार पत्र व पत्रिकाएं, सरकार विभिन्न मंडियों से वस्तुओं के बाजार
भाव ज्ञात करने तथा फसलों आदि का अनुमान लगाने के लिए करती है ।
सूचकों द्वारा अनुसूची भरवाकर:-
- इसमें अनुसंधानकर्ता संबंधित प्रश्नों की एक अनुसूची अर्थात प्रश्नावली तैयार कर उसकी प्रतियां डाक द्वारा सूचना देने वाले के पास भेजता है जिसे भरकर वह लौटा देता है और इस आधार पर अनुसंधान कर लिया जाता है ।
- इस प्रकार का अनुसंधान शिक्षित लोगों हेतु ही उपयुक्त है ।
- भारत सरकार उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण के लिए यह विधि अपनाता है ।
प्रगणकों द्वारा सूचना प्राप्ति:-
- इसमें अनुसूचियों को प्रत्यक्ष रूप से कुछ प्रगणक नियुक्त कर सूचना देने वाले से सूचना एकत्रित की जाती है ।
- भारत में जनगणना इसी विधि से की जाती है ।
- अशिक्षित लोगों हेतु भी उपयोगी ।
अनुसंधान की प्रकृति , उद्देश्य व , शुद्धता की
मात्रा, आर्थिक संसाधन तथा उपलब्ध समय के आधार पर
उपयुक्त रिती का चुनाव किया जाता है ।
द्वितीयक समंको संग्रहण:-
निम्न 2 प्रकार से किया जाता
है:-
- प्रकाशित स्रोत से
- अप्रकाशित स्रोत से
प्रकाशित स्रोत से:-
- अंतरराष्ट्रीय संगठन द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट
- अर्ध सरकारी या सरकारी प्रकाशन से
- समितियां व आयोग के प्रकाशन से
- व्यापारिक संस्थाओं व परिषदों के प्रकाशन से
- अनुसंधान संस्थान से
- पत्र-पत्रिकाओं से
- व्यक्तिगत अनुसंधानकर्ता से
अप्रकाशित स्रोत से:-
- व्यक्ति या व्यापारिक संस्था या अन्य संस्था द्वारा निजी उपयोग हेतु एकत्रित किए गए आंकड़ों से
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