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ECOLOGY & ENVIRONMENT(CURRENT) SET-3

प्रश्न (1) जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के बारे में निम्नलिखित में से कौनसा कथन सही है?

(1) इसे 1936 में हैली नेशनल पार्क के रूप में स्थापित किया गया था।

(2) पखरो  टाइगर सफारी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के तहत राज्य की पहली टाइगर सफारी होगी, जिसमें "100% देखे जाने" को सुनिश्चित करने के लिए बाड़ों में बाघ होंगे।

उत्तर:-

(A) केवल कथन 1

(B) केवल वक्तव्य 2

(C) दोनों 1 और 2

(D) उपरोक्त में से कोई नहीं

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क:-

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क सबसे बड़े कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का एक हिस्सा है।  उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है। कॉर्बेट का राजसी परिदृश्य बाघों की समृद्धि के लिए प्रसिद्ध है। 1936 में हैली नेशनल पार्क के रूप में स्थापित, कॉर्बेट को भारत का सबसे पुराना और सबसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय उद्यान होने का गौरव प्राप्त है। इसे उस स्थान के रूप में भी सम्मानित किया जा रहा है जहां प्रोजेक्ट टाइगर को पहली बार वर्ष 1973 में लॉन्च किया गया था। इस अद्वितीय बाघ क्षेत्र को सबसे अधिक लुप्तप्राय प्रजातियों और भारत के रॉयल जंगली जानवर की रक्षा के लिए भारत में प्रोजेक्ट टाइगर को जन्म देने वाले पिता के रूप में जाना जाता है। 

प्रश्न (2) हाल ही में दिल्ली ने दिवाली से 7 साल पहले सबसे कम वायु गुणवत्ता सूचकांक दर्ज किया, इस संबंध में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक के बारे में निम्नलिखित में से कौनसा कथन सही है?

(1) इसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा IIT-कानपुर की मदद से विकसित किया गया था।

(2) इस वायु गुणवत्ता सूचकांक द्वारा वातावरण में दस वायु प्रदूषकों की निगरानी की जाती है।

उत्तर:-

(A) केवल कथन 1

(B) केवल वक्तव्य 2

(C) दोनों 1 और 2

(D) उपरोक्त में से कोई नहीं

राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक:-

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तहत सार्वजनिक सूचना के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (National Air Quality Index – AQI) जारी किया जाता है।
  • इसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा IIT-कानपुर की मदद से विकसित किया गया था।
  • राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक में निम्नलिखित आठ प्रदूषकों को शामिल किया गया है- PM 2.5, PM10, अमोनिया, लेड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओज़ोन और कार्बन मोनोऑक्साइड। 
  • भारत सरकार वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली पर वायु गुणवत्ता स्तर का मापन करती है।
  • गुणवत्ता स्तर का मापन 1 से लेकर 500 अंकों तक हवा की गुणवत्ता का आकलन कर किया जाता है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(CPCB):-

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(CPCB) का गठन एक सांविधिक संगठन के रूप में जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के अंतर्गत 22 सितंबर 1974 को किया गया है।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(CPCB) को वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अंतर्गत शक्तियाँ व कार्य सौंपे गए।
  • CPCB के अध्यक्ष श्री शिव दास मीणा है।
  • यह बोर्ड पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के अंतर्गत पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ भी उपलब्ध कराता है।

कार्य:-

  • जल एवं वायु प्रदूषण के नियंत्रण एवं निवारण तथा वायु गुणवत्ता में सुधार से संबंधित किसी भी मामले पर केंद्र सरकार को सलाह देना।
  • राज्य बोर्डों की गतिविधियों के बीच समन्वय स्थापित करना और उनके बीच मतभेदों को सुलझाना।
  • जल एवं वायु प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और इसमें कमी हेतु एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के लिये योजना बनाना एवं उसका संचालन करना। 
प्रश्न (3) ब्लैक सोल्जर फ्लाई फार्मिंग हाल ही में खाद्य अपशिष्ट प्रबंधन के लिए चर्चा में थी, इस संबंध में निम्नलिखित में से कौनसा कथन इसके बारे में सही है?

(1) यह एक कीट आधारित अपशिष्ट उपचार तकनीक है।

(2) ब्लैक सोल्जर फ्लाई लार्वा प्रकृति में एक्टोथर्मिक हैं।

(3) यह पारंपरिक खाद की तुलना में अधिक कुशल है।

उत्तर:-

(A) केवल कथन 1 और 3

(B) केवल वक्तव्य 1

(C) वक्तव्य 2 और 3

(D) उपरोक्त सभी












प्रश्न (4) श्रीलंका ने हाल ही में भारत को 6 भारतीय बाइसन (बॉस गौरस) या गौर को फिर से शुरू करने के लिए स्थानांतरित करने के लिए कहा, इस संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन इसके बारे में सही है?

(1) गौर गोवा और बिहार का राज्य पशु है।

(2) इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) रेड लिस्ट में "लुप्तप्राय" के रूप में सूचीबद्ध।

(3) दक्षिण छत्तीसगढ़ की दंडमी मारिया जनजाति गौर नृत्य करने के लिए प्रसिद्ध है

उत्तर:-

(A) केवल कथन 1 और 3

(B) केवल वक्तव्य 1

(C) वक्तव्य 2 और 3

(D) उपरोक्त सभी

भारतीय बाइसन (गौर):-


हाल ही में श्रीलंका ने भारत से 6 भारतीय बाइसन को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया ताकि उन्हें उस द्वीप पर फिर से लाया जा सके, जहाँ वे 17 वीं शताब्दी के अंत तक गायब हो गए थे। 

अगर इस परियोजना को मंज़ूरी मिल जाती है तो यह भारत और श्रीलंका के बीच इस तरह का पहला समझौता होगा।

भारतीय बाइसन के बारे में महत्त्वपूर्ण तथ्य:-

विषय:-

भारतीय बाइसन या गौर (बोस गौरस) भारत में पाए जाने वाले जंगली मवेशियों की सबसे बड़ी प्रजाति है और यह सबसे बड़ा मौजूदा बोवाइन (गोजातीय) जीव है।

दुनिया में गौर की संख्या लगभग 13,000 से 30,000 है, जिनमें से लगभग 85% भारत में मौजूद हैं।

फरवरी 2020 में आयोजित प्रजातियों के लिये पहली बार जनसंख्या आकलन अभ्यास के परिणामों के अनुसार लगभग 2,000 भारतीय गौरों का नीलगिरी वन प्रभाग में होने का आकलन किया गया था।

अवस्थिति:-

यह मूलतः दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है।

भारत में वे पश्चिमी घाट में बहुत अधिक पाए जाते हैं।

वे मुख्य रूप से नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, मासीनागुड़ी राष्ट्रीय उद्यान और बिलिगिरिरंगना हिल्स (बीआर हिल्स) में पाए जाते हैं।

ये बर्मा और थाईलैंड में भी पाए जाते हैं।

आवास:-

वे सदाबहार वन और आर्द्र पर्णपाती वन में रहते हैं।

हालाँकि वे शुष्क पर्णपाती जंगलों में भी जीवित रह सकते हैं।

वे 6,000 फीट से अधिक ऊँचाई वाले हिमालय में नहीं पाए जाते हैं।

वे आम तौर पर केवल तलहटी में रहते हैं।

खान-पान की आदतें:-

भारतीय बाइसन एक चरने वाला जानवर है और आम तौर पर सुबह जल्दी एवं देर शाम को भोजन करता है।

संरक्षण की स्थिति:-

IUCN की रेड लिस्ट में संवेदनशील

वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में शामिल है।

खतरे:-

भोजन की कमी:- घास के मैदानों के विनाश, व्यावसायिक रूप से महत्त्वपूर्ण पौधों का वृक्षारोपण, आक्रामक पौधों की प्रजातियों और घरेलू पशुओं के अंधाधुंध चरने के कारण खाद्य संकट की स्थित उत्पन्न हो गई है।।

अवैध शिकार:- उनके व्यावसायिक मूल्य के साथ-साथ गौर मांस की उच्च मांग के कारण।

पर्यावास हानि:- वनों की कटाई और व्यावसायिक वृक्षारोपण के कारण।

मानव-पशु संघर्ष:- मानव बस्तियों के निकट रहने के कारण।


प्रश्न (5) ब्रेकथ्रू एजेंडा रिपोर्ट 2022 जो हाल ही में खबरों में रही, इस संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

(1) इसे अकेले इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने जारी किया है।

(2) यह अपनी तरह की पहली वार्षिक प्रगति रिपोर्ट है, जिसका अनुरोध विश्व नेताओं ने नवंबर 2021 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP26 में ब्रेकथ्रू एजेंडा के लॉन्च के हिस्से के रूप में किया था।

उत्तर:-

(A) केवल कथन 1

(B) केवल वक्तव्य 2

(C) दोनों 1 और 2

(D) उपरोक्त में से कोई नहीं


इसका उद्देश्य 5 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संरेखित कार्य करना और निवेश का समन्वय करना है जो वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 60% के योगदानकर्ता हैं:-
  1. शक्ति
  2. सड़क परिवहन
  3. इस्पात
  4. हाइड्रोजन
  5. कृषि

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA)अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) और संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के उच्च-स्तरीय अभिकर्त्ताओं द्वारा द ब्रेकथ्रू एजेंडा रिपोर्ट 2022 जारी की गई, जिसमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तेज़ी से कमी लाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:-
    • यह पाँच प्रमुख क्षेत्रों - विद्युत , हाइड्रोजन, सड़क परिवहन, इस्पात और कृषि में उत्सर्जन को कम करने की प्रगति का आकलन करता है।
    • यह अपनी तरह की पहली वार्षिक प्रगति रिपोर्ट है, जिसका अनुरोध विश्व नेताओं द्वारा नवंबर 2021 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP 26 में ब्रेकथ्रू एजेंडा के शुभारंभ के हिस्से के रूप में किया गया था।
    • ब्रेकथ्रू एजेंडा वर्तमान में वैश्विक अर्थव्यवस्था के दो-तिहाई से अधिक को कवर करता है, जिसे G7, चीन और भारत सहित 45 विश्व के देशों का समर्थन प्राप्त है।
  • परिणाम:-
    • हाल के वर्षों में व्यावहारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि के साथ ही आवश्यक प्रौद्योगिकियों को तैनात करने में प्रगति हुई है, जिसमें वर्ष 2022 में वैश्विक नवीकरणीय क्षमता में 8% की वृद्धि का पूर्वानुमान शामिल है जो पहली बार 300GW के साथ लगभग 225 मिलियन घरों को विद्युत उपलब्ध कराने के बराबर है।
    • रिपोर्ट में विश्लेषण किये गए पाँच क्षेत्रों में वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन का लगभग 60% हिस्सा है, और वर्ष 2030 तक आवश्यक उत्सर्जन में कमी कर सकता है, जो ग्लोबल वार्मिंग को अधिकतम 1.5 डिग्री सेल्सियस, पेरिस समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप तक सीमित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देगा।
    • विश्व सही मायने में पहले से ही वैश्विक ऊर्जा संकट के दौर में है, विश्व अर्थव्यवस्था में विशेष रूप से विकासशील देशों को इस संकट के अधिक घातक प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है।
      • तेल, गैस और बिजली से जुड़े बाज़ारों में ऊर्जा संकट उभर कर सामने आया है तथा महामारी, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव व रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण यह संकट और बढ़ गया है।
    • ऊर्जा और जलवायु संकट ने 20वीं शताब्दी की उस प्रणाली की कमज़ोरियों एवं सुभेद्यताओं को उजागर किया है जो ईंधन पर बहुत अधिक निर्भर है।

Agriculture-land

  • सिफारिशें:-
    • समाधानों की सीमा का विस्तार करने और परिवर्तनीय नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिये लचीली कम कार्बन वाली विद्युत प्रणालियों का प्रदर्शन और परीक्षण करना।
    • कम कार्बन युक्त ऊर्जा में व्यापार बढ़ाने, उत्सर्जन को कम करने, ऊर्जा सुरक्षा में सुधार और तंत्र में लचीलापन बढ़ाने के लिये इस दशक में नए क्रॉस-बॉर्डर सुपरग्रिड का निर्माण करना।
    • कोयला उत्पादक देशों के स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के रूपांतरण में मदद करने के लिये वित्त और तकनीकी सहायता के चैनल के लिये विशेषज्ञता के नए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र स्थापित करना।
    • एक सामान्य परिभाषा और लक्ष्य तिथियों पर सहमत होना जिसके द्वारा सभी नए वाहनों के शुद्ध शून्य उत्सर्जक होंने के लक्ष्य को वर्ष 2035 तथा भारी वाहनों के लिये वर्ष 2040 के दशक को लक्षित करना।
    • विकासशील देशों के लिये प्राथमिक सहायता सहित चार्जिंग बुनियादी ढाँचे के लिये निवेश जुटाना और निवेश को बढ़ावा देने तथा वैश्विक स्तर पर अपनाने में तेज़ी लाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय चार्जिंग मानकों में सामंजस्य स्थापित करना।
    • कोबाल्ट और लिथियम जैसी कीमती धातुओं पर निर्भरता को कम करने के लिये बैटरी निर्माण हेतु रसायन विज्ञान में वैकल्पिक बैटरी और सुपरचार्जिंग अनुसंधान को बढ़ावा देना चाहिये।
    • वैश्विक व्यापार को सक्षम बनाने के लिये मानकों के साथ-साथ कम कार्बन और नवीकरणीय हाइड्रोजन की मांग तथा तैनाती हेतु सरकारी नीतियाँ एवं निजी क्षेत्र की खरीद प्रतिबद्धताएँ तय हों।
    • कृषि प्रौद्योगिकियों और कृषि पद्धतियों में निवेश जो कि पशुधन एवं उर्वरकों से उत्सर्जन में कटौती कर सकते हैं, वैकल्पिक प्रोटीन की उपलब्धता का विस्तार कर सकते हैं और जलवायु अनुकूल फसलों के विकास में तेज़ीजी ला सकते हैं।

Clean-technology

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC)  पार्टियों के सम्मेलन (COP) के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत ने क्या प्रतिबद्धताएँ तय की हैं? (2021)

प्रश्न. ग्लोबल वार्मिंग पर चर्चा कीजिये और वैश्विक जलवायु पर इसके प्रभावों का उल्लेख कीजिये। क्योटो प्रोटोकॉल, 1997 के आलोक में ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाली ग्रीनहाउस गैसों के स्तर को कम करने हेतु नियंत्रण उपायों की व्याख्या कीजिये। (2022)


प्रश्न (6) दिवाली के कारण और ग्रीन क्रैकर्स के बारे में समाचार, पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) हाल ही में खबरों में था, इस संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन इसके बारे में सही है?

(1) पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत एक संगठन है।

(2) इसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है।

उत्तर:-

(A) केवल कथन 1

(B) केवल वक्तव्य 2

(C) दोनों 1 और 2

(D) उपरोक्त में से कोई नहीं

पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO), जिसे पहले विस्फोटक विभाग के रूप में जाना जाता था, 05/09/1898 को शुरू होने के बाद से, विस्फोटक, संपीड़ित गैसों और पेट्रोलियम जैसे खतरनाक पदार्थों की सुरक्षा के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में देश की सेवा कर रहा है। PESO का प्रमुख कार्य विस्फोटक अधिनियम 1884 और पेट्रोलियम अधिनियम 1934 के तहत सौंपी गई जिम्मेदारियों का प्रबंधन करना है और नियम विस्फोटक, पेट्रोलियम उत्पादों और संपीड़ित गैसों के निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, कब्जे, बिक्री और उपयोग से संबंधित नियमों को बनाया है।



प्रश्न (7) ऐप जलदूत के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

(1) जलदूत को संयुक्त रूप से ग्रामीण विकास मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया है।

(2) यह मोबाइल ऐप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में काम करेगा।

उत्तर:-

(A) केवल कथन 1

(B) केवल वक्तव्य 2

(C) दोनों 1 और 2

(D) उपरोक्त में से कोई नहीं

हाल ही में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने भूजल स्तर का बेहतर तरीके से आकलन करने के लिये "जलदूत एप और जलदूत एप ई-ब्रोशर" लॉन्च किया है।

जलदूत एप:-

  • परिचय:-
    • जलदूत एप को ग्रामीण विकास मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
    • इस एप का उपयोग पूरे देश मे प्रत्येक गाँव में चयनित 2-3 कुओं के जल स्तर का आकलन करने के लिये किया जाएगा।
    • यह एप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में काम करेगा। इसलिये इंटरनेट कनेक्टिविटी के बिना भी जल स्तर का आकलन किया जा सकता है तथा आकलन किये गए डेटा को मोबाइल में संग्रहीत किया जाएगा एवं क्षेत्र में मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध होने पर डेटा केंद्रीय सर्वर के साथ सिंक्रनाइज़ हो जाएगा।
    • जलदूत एप द्वारा प्राप्त नियमित डेटा को राष्ट्रीय जल सूचना विज्ञान केंद्र (NWIC) के डेटाबेस के साथ एकीकृत किया जाएगा, जिसका उपयोग हितधारकों के लाभ के लिये विभिन्न उपयोगी रिपोर्टों के विश्लेषण एवं प्रदर्शन हेतु किया जा सकता है।
  • महत्त्व:-
    • यह एप देश भर में जल स्तर की जानकारी प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेगा और परिणामी डेटा का उपयोग ग्राम पंचायत विकास योजना तथा महात्मा गांधी नरेगा योजनाओं के लिये किया जा सकता है।
    • एप को देश भर के गाँवों में चयनित कुओं के जल स्तर का आकलन करने के लिये लॉन्च किया गया है।
    • जलदूत एप ग्राम रोज़गार सहायक को वर्ष में दो बार प्री-मानसून और पोस्ट-मानसून के बाद कुएँ के जल स्तर को मापने की अनुमति देगा।
    • यह एप पंचायतों के लिये महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करनां आसान बनाएगा जिसे बाद में कार्यों की योजना के लिये बेहतर उपयोग किया जा सकता है।

भारत में भूजल की कमी की स्थिति:-

  • भूजल की कमी:-
    • केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) के अनुसार, भारत में कृषि भूमि की सिंचाई के लिये प्रत्येक वर्ष 230 बिलियन मीटर क्यूबिक भूजल निकाला जाता है, देश के कई हिस्सों में भूजल का तेज़ी से क्षरण हो रहा है।
    • भारत में कुल अनुमानित भूजल की कमी 122-199 बिलियन-मीटर क्यूब है।
    • निकाले गए भूजल का 89% सिंचाई क्षेत्र में उपयोग किया जाता है, जिससे यह क्षेत्र देश में उच्चतम श्रेणी का उपयोगकर्त्ता बन जाता है।
      • इसके बाद घरेलू आवश्यकता हेतु भूजल का उपयोग किया जाता है जो निकाले गए भूजल का 9% है। भूजल का औद्योगिक उपयोग 2% है। शहरी जल आवश्यकताओं का 50% और ग्रामीण घरेलू जल आवश्यकताओं का 85% भी भूजल द्वारा पूरा किया जाता है।
  • कारण:-
    • हरित क्रांति:-
      • हरित क्रांति ने सूखाग्रस्त / पानी की कमी वाले क्षेत्रों में जल-गहन फसलों को उगाने में सक्षम बनाया, जिससे भूजल की अधिक निकासी हुई।
      • इसकी पुनःपूर्ति की प्रतीक्षा किये बिना ज़मीन से पानी की बार-बार निकासी करने से इसमें त्वरित कमी होती है।
      • इसके अलावा बिजली पर सब्सिडी और पानी की अधिकता वाली फसलों के लिये उच्च MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) प्रदान करना।
    • उद्योगों की आवश्यकता:
      • लैंडफिल, सेप्टिक टैंक, रिसने वाले भूमिगत गैस टैंक और उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अति प्रयोग से जल प्रदूषण होता है तथा भूजल संसाधनों की क्षति होने के साथ इसमे कमी होती है।
    • अपर्याप्त विनियमन:
      • भूजल का अपर्याप्त विनियमन भूजल संसाधनों की समाप्ति को प्रोत्साहित करता है।
    • संघीय समस्या:
      • जल राज्य का विषय है, जल संरक्षण और जल संचयन सहित जल प्रबंधन पर पहल एवं देश में नागरिकों को पर्याप्त पीने योग्य पानी उपलब्ध कराना मुख्य रूप से राज्यों क ज़िम्मेदारी है।

प्रश्न (8) नीलकुरिंजी (स्ट्रोबिलांथेस कुंथियानस) जो दक्षिण भारत में पर्यटकों के लिए एक प्रसिद्ध आकर्षण है, इसके बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

(1) यह केवल पश्चिमी घाट में पाया जाता है।

(2) पलियान जनजातियां अपनी उम्र की गणना के लिए इसका इस्तेमाल एक संदर्भ के रूप में करती हैं।

उत्तर:-

(A) केवल कथन 1

(B) केवल वक्तव्य 2

(C) दोनों 1 और 2

(D) उपरोक्त में से कोई नहीं

  • यह फूलों की एक दुर्लभ प्रजाति है जो 12 वर्ष में एक बार खिलते हैं। यह एक प्रकार की झाड़ियाँ है, जो केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में पश्चिमी घाट के शोला वनों में पाई जाती हैं।
  • इसका वैज्ञानिक नाम स्ट्रोबिलांथेस कुंथियाना (Strobilanthes kunthiana) है। इन्हें स्थानीय रूप से कुरिंजी के नाम से जाना जाता है। ये 1,300 से 2,400 मीटर की ऊँचाई पर उगते हैं। भारत में इन फूलों की लगभग 45 प्रजातियाँ पाई जाती हैं जो लगभग 6, 9, 12 या 16 वर्षों के अंतराल पर खिलती हैं।
  • नीलगिरि हिल्स का नाम नीलकुरिंजी के बैंगनी नीले फूलों के नाम पर ही रखा गया है। तमिलनाडु का पलियान आदिवासी समुदाय अपनी आयु की गणना के लिये इसे संदर्भ वर्ष के रूप में प्रयोग करता था।

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संवैधानिक विकास 👉 31 दिसंबर 1600 को महारानी एलिजाबेथ प्रथम के चार्टर के माध्यम से अंग्रेज भारत आए।  👉 प्रारंभ में इनका मुख्य उद्देश्य व्यापार था जो ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से शुरू किया गया।  👉 मुगल बादशाह 1764 में बक्सर के युद्ध में विजय के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी को दीवानी अधिकार दिए। 👉 1765 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल,बिहार एवं उड़ीसा की दीवानी अधिकार प्राप्त कर लीए। 👉 1858 ईस्वी में हुए सैनिक विद्रोह ऐसे भारत शासन का दायित्व सीधा ब्रिटिश ताज ने ले लिया। 👉 सर्वप्रथम आजाद भारत हेतु संविधान की अवधारणा एम. एन. राय के द्वारा 1934 में दी गई।  👉 एम. एन. राय के सुझावों को अमल में लाने के उद्देश्य से 1946 में सविधान सभा का गठन किया गया। 👉 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। 👉 संविधान की अनेक विशेषता ब्रिटिश शासन चली गई तथा अन्य देशों से भी, जिनका क्रमवार विकास निम्न प्रकार से हुआ- 1. कंपनी का शासन (1773 ई. - 1858 ई. तक)  2. ब्रिटिश ताज का शासन (1858 ई. – 1947 ई. तक) Constitutional development 👉The Brit...

1781 ई. का एक्ट ऑफ सेटलमेंट

1781 ई. का Act of settlement(बंदोबस्त कानून) 👉 1773 ई. के रेगुलेटिंग एक्ट के दोषों को दूर करने के लिए ब्रिटिश संसद के प्रवर समिति के अध्यक्ष एडमंड बर्क के सुझाव पर इस एक्ट का प्रावधान किया गया। 👉 इसके अन्य  नाम - संशोधनात्मक अधिनियम (amending act) , बंगाल जुडीकेचर एक्ट 1781 इस एक्ट की विशेषताएं:- 👉कलकत्ता के सभी निवासियों को सर्वोच्च न्यायालय के अधिकर क्षेत्र के अंतर्गत कर दिया गया। 👉 इसके तहत कलकत्ता सरकार को बंगाल, बिहार और उड़ीसा के लिए भी विधि बनाने का अधिकार दे दिया गया। अब कलकत्ता की सरकार को विधि बनाने की दो श्रोत प्राप्त हो गए:-  1. रेगुलेटिंग एक्ट के तहत कलकत्ता प्रेसिडेंसी के लिए 2. एक्ट ऑफ सेटलमेंट के अधीन बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा के दीवानी प्रदेशों के लिए 👉 सर्वोच्च न्यायालय के लिए आदेशों और विधियों के संपादन में भारतीयों के धार्मिक व सामाजिक रीति-रिवाजों तथा परंपराओं का ध्यान रखने का आदेश दिया गया अर्थात् हिंदुओं व मुसलमानों के धर्मानुसार मामले तय करने का प्रावधान किया गया । 👉 सरकारी अधिकारी की हैसियत से किए गए कार्यों के लिए कंपनी ...

राजस्थान नगरपालिका ( सामान क्रय और अनुबंध) नियम, 1974

  राजस्थान नगरपालिका ( सामान क्रय और अनुबंध) नियम , 1974 कुल नियम:- 17 जी.एस.आर./ 311 (3 ) – राजस्थान नगरपालिका अधिनियम , 1959 (1959 का अधिनियम सं. 38) की धारा 298 और 80 के साथ पठित धारा 297 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए , राज्य सरकार इसके द्वारा , निम्नलिखित नियम बनाती हैं , अर्थात्   नियम 1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ – ( 1) इन नियमों का नाम राजस्थान नगरपालिका (सामान क्रय और अनुबंध) नियम , 1974 है। ( 2) ये नियम , राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से एक मास पश्चात् प्रवृत्त होंगे। राजपत्र में प्रकाशन:- 16 फरवरी 1975 [भाग 4 (ग)(1)] लागू या प्रभावी:- 16 मार्च 1975 [ 1. अधिसूचना सं. एफ. 3 (2) (75 एल.एस.जी./ 74 दिनांक 27-11-1974 राजस्थान राजपत्र भाग IV ( ग) ( I) दिनांक 16-2-1975 को प्रकाशित एवं दिनांक 16-3-1975 से प्रभावी।]   नियम 2. परिभाषाएँ – इन नियमों में , जब तक संदर्भ द्वारा अन्यथा अपेक्षित न हो , (i) ' बोर्ड ' के अन्तर्गत नगर परिषद् ( Municipal Council) आती है ; (ii) ' क्रय अधिकारी ' या ' माँगकर्त्ता अधिकार...

वैश्विक राजनीति का परिचय(Introducing Global Politics)

🌏 वैश्विक राजनीति का परिचय( Introducing Global Politics)

ऐतिहासिक संदर्भ(Historical Context)

 🗺  ऐतिहासिक संदर्भ(Historical Context)

अरस्तू

🧠   अरस्तू यूनान के दार्शनिक  अरस्तू का जन्म 384 ईसा पूर्व में मेसीडोनिया के स्टेजिरा/स्तातागीर (Stagira) नामक नगर में हुआ था। अरस्तू के पिता निकोमाकस मेसीडोनिया (राजधानी–पेल्ला) के राजा तथा सिकन्दर के पितामह एमण्टस (Amyntas) के मित्र और चिकित्सक थे। माता फैस्टिस गृहणी थी। अन्त में प्लेटो के विद्या मन्दिर (Academy) के शान्त कुंजों में ही आकर आश्रय ग्रहण करता है। प्लेटो की देख-रेख में उसने आठ या बीस वर्ष तक विद्याध्ययन किया। अरस्तू यूनान की अमर गुरु-शिष्य परम्परा का तीसरा सोपान था।  यूनान का दर्शन बीज की तरह सुकरात में आया, लता की भांति प्लेटो में फैला और पुष्प की भाँति अरस्तू में खिल गया। गुरु-शिष्यों की इतनी महान तीन पीढ़ियाँ विश्व इतिहास में बहुत ही कम दृष्टिगोचर होती हैं।  सुकरात महान के आदर्शवादी तथा कवित्वमय शिष्य प्लेटो का यथार्थवादी तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाला शिष्य अरस्तू बहुमुखी प्रतिभा का धनी था। मानव जीवन तथा प्रकृति विज्ञान का शायद ही कोई ऐसा पहलू हो, जो उनके चिन्तन से अछूता बचा हो। उसकी इसी प्रतिभा के कारण कोई उसे 'बुद्धिमानों का गुरु' कहता है तो कोई ...

राजस्थान के दुर्ग

  दुर्ग

1726 ईस्वी का राजलेख

1726 ईस्वी का राजलेख इसके तहत कलकात्ता, बंबई तथा मद्रास प्रेसिडेंसीयों के गवर्नर तथा उसकी परिषद को विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई, जो पहले कंपनी के इंग्लैंड स्थित विद्युत बोर्ड को प्राप्त थी।  यह सीमित थी क्योंकि - (1) यह ब्रिटिश विधियों के विपरीत नहीं हो सकती थी। (2) यह तभी प्रभावित होंगी जब इंग्लैंड स्थित कंपनी का निदेशक बोर्ड अनुमोदित कर दे। Charter Act of 1726 AD  Under this, the Governor of Calcutta, Bombay and Madras Presidencies and its Council were empowered to make laws, which was previously with the Company's Electricity Board based in England.  It was limited because -  (1) It could not be contrary to British statutes.  (2) It shall be affected only when the Board of Directors of the England-based company approves.