प्रश्न (1) ई-अमृत पोर्टल के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(a) इसे भारत द्वारा यूके के ग्लासगो में COP-26 शिखर सम्मेलन में लॉन्च किया गया था।
(b) इस पोर्टल को बनाने का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहन जागरूकता पैदा करना है।
(c) पोर्टल को यूके-इंडिया संयुक्त रोडमैप 2030 के हिस्से के रूप में नीति आयोग द्वारा विकसित और होस्ट किया गया है।
उत्तर:-
केवल कथन a
केवल कथन a और b
वक्तव्य b और c
उपरोक्त सभी
- e-AMRIT का अर्थ “Accelerated e-Mobility Revolution for India’s Transportation”
- 10 नवंबर‚ 2021 को भारत ने ग्लासगो (ब्रिटेन) में जारी कॉप 26 (CoP26) शिखर सम्मेलन में इलेक्ट्रिक वाहनों पर एक वेब पोर्टल ‘ई-अमृत’ लांच किया।
- इस पोर्टल को ब्रिटिश सरकार के साथ एक सहयोगात्मक ज्ञान आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत नीति आयेाग द्वारा विकसित और होस्ट किया गया है।
- यह पोर्टल ब्रिटेन-भारत संयुक्त रोडमैप 2030 का हिस्सा है जिस पर इन दोनों ही देशों के प्रधानमंत्रियों के हस्ताक्षर हैं।
- ‘ई-अमृत’ इलेक्ट्रिक वहानों से संबंधित समस्त सूचनाओं के लिए वन-स्टॉप डेस्टिनेशन या पोर्टल है जहां इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने‚ उनकी खरीदारी करने‚ निवेश के अवसरों‚नीतियों‚ सब्सिडी इत्यादि के बारे में समस्त मिथक या भ्रम दूर किए गए हैं।
- यह इलेक्ट्रिक वाहनों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लाभों से उपभोक्तओं को अवगत कराने के लिए सरकार द्वारा की गई पहलों के पूरक के तौर पर काम करेगा।

Fame India Scheme:- इलेक्टॉनिक वाहनों को बढ़ावा देने हेतु
(a) यह तमिलनाडु राज्य का 5वां हाथी अभ्यारण्य होगा।
(b) नीलांबुर हाथी अभ्यारण्य और नीलगिरि हाथी अभ्यारण्य भी तमिलनाडु में पाए जाते हैं।
उत्तर:-
केवल कथन a
केवल वक्तव्य b
दोनों a और b
उपरोक्त में से कोई नहीं

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में 31 हाथी अभयारण्य हैं। पिछले 3 वर्षों में, कर्नाटक राज्य द्वारा दांदेली हाथी अभयारण्य, नगालैंड द्वारा सिंगफन हाथी अभयारण्य (30 वाँ) और छत्तीसगढ़ में लेमरू हाथी अभयारण्य (31 वाँ) को अधिसूचित किया गया है। इसने भारत में हाथी अभयारण्य के तहत कुल क्षेत्रफल को देश के 14 राज्यों में लगभग 76,508 वर्ग किमी में ला दिया है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत तमिलनाडु में एक और हाथी अभयारण्य - अगस्त्यमलाई की स्थापना करने जा रहा है, जिसमें भारत में हाथियों के संरक्षण और रक्षण के लिए समर्पित एक और 1197 वर्ग किमी संरक्षित क्षेत्र शामिल है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रति वर्ष औसतन 500 लोग हाथियों द्वारा मारे जाते हैं तथा लोगों द्वारा प्रतिशोध में लगभग 100 हाथी मारे जाते हैं। मानव-हाथी संघर्ष का प्रबंधन भारत सरकार का एक प्रमुख फोकस है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने हाथियों से पीड़ित परिवारों तक पहुंच कर अनुग्रह राशि को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री के रूप में श्री भूपेंद्र यादव ने घोषणा करते हुए कहा कि इडुक्की जिले के कट्टप्पना में जल्द ही गरीब लोगों की सेवा के उद्देश्य से पूरी सुविधा के साथ 100 बिस्तरों वाला ईएसआईसी अस्पताल होगा।
- IUCN Red List:- Endangered
अगस्त्यमलाई बायोस्फीयर रिजर्व:-
यह क्षेत्र पश्चिमी घाट के सबसे दक्षिणी छोर पर स्थित है और केरल और तमिलनाडु में फैला हुआ है और 3,500 वर्ग किमी के क्षेत्र को कवर करता है।
अगस्त्यमलाई बायोस्फीयर रिजर्व क्षेत्र में 3,500.36 वर्ग किमी है। केरल में स्थित क्षेत्रफल 1,828 वर्ग किमी है, और तमिलनाडु में स्थित क्षेत्रफल 1672.36 वर्ग किमी है।
जीवमंडल उच्च पौधों की 2,254 प्रजातियों का घर है और इस क्षेत्र में लगभग 400 स्थानिकमारी वाले हैं।
अगस्त्यमलाई भारत में 18वां बायोस्फीयर रिजर्व है और 9वां यूनेस्को नेटवर्क में शामिल है।
शोधकर्ताओं ने नोट किया है कि अगथियामलाई से लगभग 400 रेड लिस्टेड पौधे दर्ज किए गए हैं।
रिजर्व से ऑर्किड की लगभग 125 प्रजातियां और दुर्लभ, स्थानिक और खतरे वाले पौधों को दर्ज किया गया है। 120 देशों में 669 बायोस्फीयर रिजर्व हैं।
Project Elephant:-
यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है और हाथियों, उनके आवास और गलियारों की सुरक्षा के लिए फरवरी 1992 में शुरू की गई थी।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय परियोजना के माध्यम से देश के प्रमुख हाथी रेंज राज्यों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
भारत सरकार ने वर्ष 2010 में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थाई समिति की सिफारिशों पर हाथी को देश का राष्ट्रीय विरासत जानवर घोषित किया।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में संशोधन करके नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की तर्ज पर एक प्रस्तावित राष्ट्रीय हाथी संरक्षण प्राधिकरण नेशनल एलीफेंट कंजर्वेशन अथॉरिटी का गठन करने का प्रस्ताव किया गया था।
भारत में विभिन्न हाथी रिजर्व की स्थापना को सक्षम करने के साथ-साथ, प्रोजेक्ट हाथी ने विभिन्न कार्यक्रमों और एजेंसी की स्थापना भी की, जैसे कि MIKE – monitoring of illegal killing of elephant and the elephant task force.
परियोजना हाथी – MIKE प्रोग्राम:-
हाथियों की अवैध हत्या की निगरानी कार्यक्रम का संक्षिप्त नाम MIKE हैं जो दक्षिण एशिया में 2003 में पार्टियों के सम्मेलन के बाद CITES के एक प्रस्ताव के बाद शुरू किया गया था।
MIKE का उद्देश्य हाथियों की उचित प्रबंधन और उनकी आबादी के दीर्घकालिक संरक्षण के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करना था।
भारत में 10 MIKE साइट हैं, जो हाथियों के अवैध शिकार, आवास के समर्थन एवं सुरक्षा के लिए काम करते हैं।
प्रोजेक्ट हाथी: हाथी मेरे साथी अभियान:-
भारत के वन्यजीव ट्रस्ट के साथ साझेदारी में पर्यावरण और वन मंत्रालय नें हाथी मेरे साथी अभियान शुरू किया है। इस अभियान का उद्देश्य जन जागरूकता बढ़ाना और हाथियों और स्थानीय आबादी के बीच सुरक्षित संबंध विकसित करना है। हाथी मेरे साथी अभियान हाथियों के कल्याण के लिए और भारत में हाथियों के संरक्षण के लिए है।
इस अभियान को दिल्ली में 24 मई 2011 को एलीफेंट-8 मंत्री स्तरीय बैठकों में शुरू किया गया था। एलीफेंट-8 मंत्रीस्तरीय बैठक का हिस्सा बनने वाला देश केन्या, श्रीलंका, बोत्सवाना, कांगो गणराज्य, तंजानिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और भारत था।
एलीफेंट टास्क फोर्स:-
हाथियों की बड़े पैमाने पर हत्या और मानव-हाथी संघर्ष के कारण सरकार को टाइगर टास्क फोर्स की तर्ज पर एलीफेंट टास्क फोर्स का गठन करने के लिए प्रेरित किया। एलीफेंट टास्क फोर्स का मुख्य उद्देश्य लंबी अवधि में हाथियों के संरक्षण के लिए व्यावहारिक समाधान लाना था।
हाथी भारत में पाए जाते हैं:-
मध्य और दक्षिणी पश्चिमी घाट
उत्तर पूर्व भारत
पूर्वी भारत
उत्तरी भारत
दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ भाग।
| राज्य | हाथी रिजर्व क्षेत्र |
|---|---|
| केरल | 1. वायनाड हाथी रिजर्व 2. नीलांबुर हाथी रिजर्व 3. अन्ननाईमुडी हाथी रिजर्व 4. पेरियार हाथी रिजर्व |
| तमिलनाडु | 1. नीलगिरी हाथी रिजर्व 2. कोयम्बतूर हाथी रिजर्व 3. अन्नामलाई हाथी रिजर्व 4. श्री बिल्लीपुथुर हाथी रिजर्व |
| छत्तीसगढ़ | 1. लेमरू हाथी रिजर्व 2. तमोर पिंगला हाथी रिजर्व 3. बादल खोल हाथी रिजर्व |
| ओडिशा | 1. मयूर भंज हाथी रिजर्व 2. महानदी हाथी रिजर्व 3. संबलपुुर हाथी रिजर्व 4. वैैैतरनी हाथी रिजर्व 5. दक्षिणी ओडिशा हाथी रिजर्व |
| असम | 1. सोनितपुर हाथी रिजर्व 2. दिहांग पटकाई हाथी रिजर्व 3. काजीरंगा हाथी रिजर्व 4. धनश्री हाथी रिजर्व 5. चिरंग रिपु हाथी रिजर्व |
| पश्चिम बंगाल | 1. मयूर झरना हाथी रिजर्व 2. पूर्वी दुआर हाथी रिजर्व |
| मेघालय | 1. गारो हिल्स हाथी रिजर्व 2. खासी हिल्स हाथी रिजर्व |
| झारखंड | 1. सिंहभूमि हाथी रिजर्व |
| अरुणाचल प्रदेश | 1. कोमांग हाथी रिजर्व 2. दक्षिण अरुणाचल प्रदेश हाथी रिजर्व |
| नागालैंड | 1. इन्ताकी हाथी रिजर्व 2. सिंहफंन हाथी रिजर्व |
| कर्नाटक | 1. डाडेली हाथी रिजर्व 2. मैसूर हाथी रिजर्व |
| आंध्र प्रदेश | 1. रायला हाथी रिजर्व |
| उत्तराखंड | 1. शिवालिक हाथी रिजर्व |
| उत्तर प्रदेश | 1. उत्तर प्रदेश हाथी रिजर्व |
प्रश्न (3) छत्तीसगढ़ कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंदर सामुदायिक वन संसाधन अधिकारों को मान्यता देने वाला दूसरा राज्य बन गया है, इस संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(a) ओडिशा पहला राज्य था जिसने राष्ट्रीय उद्यान में सामुदायिक वन संसाधन (सीएफआर) अधिकारों को मान्यता(सिमलिपल राष्ट्रीय पार्क) दी थी।
(B) यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वन अधिकार अधिनियम (एफआरए), 2006 के तहत शासित है।
उत्तर:-
केवल कथन a
केवल वक्तव्य b
दोनों a और b
उपरोक्त में से कोई नहीं
नोट:- वन अधिकार अधिनियम (एफआरए), 2006 जनजातीय मामलों के मंत्रालय(Ministry of Tribal Affairs) के तहत शासित है।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान:- बस्तर(छत्तीसगढ़)
कांगेर घाटी राष्ट्रीयउद्यान का नाम कांगेर नदी से निकला है, जो इसकी लंबाई में बहती है। कांगेर घाटी लगभग 200 वर्ग किलोमीटर में फैला है |
कांगेर घाटी ने 1982 में एक राष्ट्रीय उद्यान की स्थिति प्राप्त की। ऊँचे पहाड़ , गहरी घाटियाँ, विशाल पेड़ और मौसमी जंगली फूलों एवं वन्यजीवन की विभिन्न प्रजातियों के लिए यह अनुकूल जगह है । कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक मिश्रित नम पर्णपाती प्रकार के वनों का एक विशिष्ट मिश्रण है जिसमे साल ,सागौन , टीक और बांस के पेड़ बहुताइत में है। यहाँ की सबसे लोकप्रिय प्रजातियां जो अपनी मानव आवाज के साथ सभी को मंत्रमुग्ध करती हैं वह बस्तर मैना है। छत्तीसगढ़ का राज्य पक्षी, बस्तर मैना, एक प्रकार का हिल माइन (ग्रुकुला धर्मियोसा) है, जो मानव आवाज का अनुकरण करने में सक्षम है। जंगल दोनों प्रवासी और निवासी पक्षियों का घर है।
वन्यजीवन और पौधों के अलावा, यह राष्ट्रीय उद्यान तीन असाधारण गुफाओं का घर है- कुटुम्बसर, कैलाश और दंडक-स्टेलेग्माइट्स और स्टैलेक्टसाइट्स के आश्चर्यजनक भूगर्भीय संरचनाओं के लिए प्रसिद्ध है। राष्ट्रीय उद्यान ड्रिपस्टोन और फ्लोस्टोन के साथ भूमिगत चूना पत्थर की गुफाओं की उपस्थिति के लिए जाना जाता है। स्टेलेग्माइट्स और स्टैलेक्टसाइट्स का गठन अभी भी बढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय उद्यान में गुफा, वन्यजीवन की विभिन्न प्रजातियों के लिए आश्रय प्रदान करते हैं। राष्ट्रीय उद्यान के पूर्वी हिस्से में स्थित भैंसाधार में रेतीले तट देखे जाते हैं जहां मगरमच्छ (क्रोकोड्लस पालस्ट्रिस) इसका उपयोग मूलभूत उद्देश्यों के लिए करते हैं।
तीरथगढ़ झरना कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है| इसके साथ ही साथ केंजरधार और भैंसाधार मगरमच्छ पार्क के लिए लोकप्रिय पर्यटक स्थल हैं। पार्क की प्राकृतिक सुंदरता का पता लगाने के लिए जिप्सी सफारी पर्यटकों के लिए उपलब्ध है।
Mankidia Tribe यहाँ रहती है।
प्रश्न (4) रानीपुर टाइगर रिजर्व के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(a) यह यूपी का चौथा टाइगर रिजर्व है और चित्रकूट जिले में स्थित बुंदेलखंड क्षेत्र में पहला है।
(b) अमनगढ़ टाइगर रिजर्व भी इसी राज्य में पाया जाता है।
उत्तर:-
केवल कथन a
केवल वक्तव्य b
दोनों a और b
उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर प्रदेश में नया टाइगर रिज़र्व:- रानीपुर टाइगर रिजर्व
हाल ही में उत्तर प्रदेश (यूपी) ने चित्रकूट ज़िले के रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य (RWS) में राज्य के चौथे बाघ अभयारण्य की अधिसूचना को मंज़ूरी दी।
- यह भारत का 54वाँ टाइगर रिज़र्व होगा। छत्तीसगढ़ का गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान भारत का 53वाँ टाइगर रिज़र्व है।
- इसी क्षेत्र में बाघों के संरक्षण के लिये रानीपुर बाघ संरक्षण फाउंडेशन भी स्थापित किया जाएगा।
रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य के मुख्य आकर्षण (RWS):
- विषय:-
- 1977 में स्थापित RWS में एक भी बाघ नहीं है। हालाँकि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा भारत में बाघों, सह-शिकारियों और शिकार की स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, यह बाघों की आवागमन के लिये एक महत्त्वपूर्ण गलियारा है।
- रानीपुर टाइगर रिज़र्व उत्तर प्रदेश का चौथा टाइगर रिज़र्व होगा।
- यह बुंदेलखंड क्षेत्र में राज्य का पहला टाइगर रिज़र्व होगा।
- वनस्पति:
- यहाँ बाँस, पलाश, खैर, महुआ, धौ, साल, तेंदू आदि के शुष्क पर्णपाती वन हैं।
- जीव:
- यहाँ पर काली बत्तख, चिंकारा, सांभर, चीतल, भालू, तेंदुआ, भेड़िया, जंगली कुत्ता, नीलगाय आदि पे जाते हैं।
- उत्तर प्रदेश के अन्य टाइगर रिज़र्व:
- दुधवा राष्ट्रीय उद्यान
- पीलीभीत टाइगर रिज़र्व
- अमनगढ़ टाइगर रिज़र्व
प्रश्न (5) निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है जिसके बारे में हाल ही में खबरें आई थीं?
(a) करमाझीरी अभयारण्य महाराष्ट्र में पेंच टाइगर रिजर्व से सटा हुआ है।
(b) करेरा वन्यजीव अभयारण्य का गठन 1981 में सोन चिरैया के संरक्षण के लिए किया गया था, जो पक्षी की एक दुर्लभ प्रजाति थी।
(c) करेरा वन्यजीव अभयारण्य को हाल ही में डीनोटिफाई किया गया है।
उत्तर:-
केवल कथन a
केवल कथन a और b
वक्तव्य b और c
उपरोक्त सभी
करमाझीरी अभयारण्य :-
म. प्र. में पेंच टाइगर रिजर्व से सटा हुआ है।
वर्तमान में प्रदेश में 24 अभयारण्य हैं। शिवपुरी के करेरा अभयारण्य को डिनोटिफाई किया गया है। इस प्रकार कर्माझिरी अभयारण्य के गठन के बाद संख्या कुल 24 ही रहेगी।
राज्य शासन ने भारत सरकार से प्राप्त स्वीकृति के बाद एक और महत्त्वपूर्ण अधिसूचना जारी करते हुए शिवपुरी ज़िले के करेरा में 21 वर्ग किमी. क्षेत्र में बने वन्य-प्राणी अभयारण्य को समाप्त कर दिया है। इससे इस क्षेत्र की जनता की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी हो गई है।
उल्लेखनीय है कि करेरा वन्य प्राणी अभयारण्य का गठन 1981 में सोन चिड़िया के संरक्षण के लिये किया गया था। इसमें केवल राजस्व और निजी भूमि शामिल थी। अभयारण्य की अधिसूचना के बाद से अधिसूचना में शामिल भूमि के क्रय-विक्रय पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
प्रश्न (6) हाल ही में खबरों में रहे निहोन्शु के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(a) यह जापान में एक प्रकार का पेय(beverage) है।
(b) यह पहली बार है जब जापान के किसी उत्पाद ने चेन्नई में भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री में टैग के लिए आवेदन किया है।
उत्तर:-
केवल कथन a
केवल वक्तव्य b
दोनों a और b
उपरोक्त में से कोई नहीं
खबरों में क्यों?
जापान के दूतावास, नई दिल्ली ने निहोन्शु/जापानी खातिर भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया है।
यह पहली बार है जब जापान के किसी उत्पाद ने भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री में टैग के लिए आवेदन किया है।
निहोन्शु क्या है?
जापान में, निहोन्शु को चावल के किण्वन से बने एक विशेष और मूल्यवान पेय के रूप में माना जाता है।
लोग पारंपरिक रूप से त्योहारों, शादियों या अंत्येष्टि जैसे विशेष अवसरों पर निहोंशु पीते हैं, लेकिन इसका सेवन दैनिक आधार पर भी किया जाता है।
इस प्रकार, यह जापान में जीवन शैली और संस्कृति का एक अभिन्न अंग है।
खातिर बाजार (लगभग सभी निहोन्शु हैं) जापान में दूसरी सबसे बड़ी शराब (जैसे बीयर) का बाजार है।
प्रश्न (7) हाल ही में वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पाए जाने वाले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग वाली एक याचिका को खारिज कर दिया, इस संबंध में "कार्बन डेटिंग" के बारे में निम्नलिखित में से कौनसा कथन सही है?
(a) कार्बन डेटिंग कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थों की आयु का पता लगाने की एक विधि है।
(b) वायुमंडल में कार्बन का सबसे प्रचुर समस्थानिक C-14 है।
(c) कार्बन डेटिंग का उपयोग चट्टानों जैसी निर्जीव चीजों की आयु निर्धारित करने के लिए नहीं किया जा सकता है जैसा कि इस मामले में शिवलिंग है।
उत्तर:-
केवल कथन a
केवल कथन a और b
वक्तव्य b और c
केवल कथन c
कार्बन डेटिंग:-
- कार्बन डेटिंग कार्बनिक पदार्थों की आयु का पता करने के लिये व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली विधि हैं।
- सजीवों में विभिन्न रूपों में कार्बन होता है।
- डेटिंग पद्धति इस तथ्य पर आधारित है कि कार्बन-14 (C-14) रेडियोधर्मी है और उचित दर पर इसका क्षय होता है।
- C-14 कार्बन का समस्थानिक है जिसका परमाणु द्रव्यमान 14 है।
- वायुमंडल में कार्बन का सबसे प्रचुर समस्थानिक C-12 है।
- वायुमंडल में C-14 की बहुत कम मात्रा भी मौजूद होती है।
- वातावरण में C-12 से C-14 का अनुपात लगभग स्थिर है और ज्ञात है।
- उदाहरण के लिये, चट्टानों जैसी निर्जीव चीजों की आयु निर्धारित करने के लिये कार्बन डेटिंग पद्धति का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
- साथ ही 40,000-50,000 वर्ष से अधिक पुरानी चीजों की आयु, कार्बन डेटिंग के माध्यम से नहीं आँकी जा सकती है।
- ऐसा इसलिये है क्योंकि आधे जीवन के 8-10 चक्रों के बाद C-14 की मात्रा लगभग बहुत कम हो जाती है और लगभग पता नहीं चल पाता है।
- उपयोग:-
- यह 500 से 50,000 वर्ष पुराने जीवाश्मों और पुरातात्त्विक नमूनों की डेटिंग की एक बहुमुखी तकनीक साबित हुई है।
- इस विधि का व्यापक रूप से भूवैज्ञानिकों, मानवविज्ञानी, पुरातत्त्वविदों और संबंधित क्षेत्रों में जाँचकर्त्ताओं द्वारा उपयोग किया जाता है।
- कार्बन डेटिंग का कार्य:-
- चूँकि पौधे और जानवर अपना कार्बन वायुमंडल से प्राप्त करते हैं, वे भी C-12 और C-14 को लगभग उसी अनुपात में प्राप्त करते हैं जो कि वातावरण में मौजूद है।
- कार्बन को पौधे प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से जबकि जानवर मुख्य रूप से भोजन के माध्यम से प्राप्त करते हैं।
- जब पेड़-पौधे नष्ट हो जाते हैं, तो वातावरण के साथ उनका संपर्क खत्म हो जाता है।
- रेडियोधर्मी तत्व C-14 की जीवन अवधि आधी होने के बाद भी लगभग 5,730 वर्ष होती है जिसे “हाफ लाइफ" कहा जाता है, जबकि C-12 स्थिर है।
- किसी पौधे या जानवर के मृत होने के बाद उसके अवशेषों में C-12 से C-14 में परिवर्तन के अनुपात को मापा जा सकता है और इसका उपयोग जीव की मृत्यु के अनुमानित समय को निकालने के लिये किया जा सकता है।
निर्जीव चीजों पर डेटिंग का तरीका:-
- रेडियोमेट्रिक डेटिंग के तरीके
- इस पद्धति में, अन्य रेडियोधर्मी तत्त्वों का क्षय जो सामग्री में मौजूद हो सकता है, डेटिंग पद्धति का आधार बन जाता है।
- इस विधि के प्रकार
- पोटेशियम-आर्गन डेटिंग
- पोटेशियम का रेडियोधर्मी समस्थानिक आर्गन में बदल जाता है और उनके अनुपात चट्टानों की आयु के बारे में साक्ष्य प्रदान कर सकते हैं।
- यूरेनियम-थोरियम- लेड डेटिंग
- यूरेनियम और थोरियम में कई रेडियोधर्मी समस्थानिक होते हैं और ये सभी स्थिर लेड परमाणु में क्षय हो जाते हैं। सामग्री में मौजूद इन तत्त्वों के अनुपात को मापा जा सकता है एवं आयु के बारे में अनुमान लगाने के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है।
- पोटेशियम-आर्गन डेटिंग
- चूँकि पौधे और जानवर अपना कार्बन वायुमंडल से प्राप्त करते हैं, वे भी C-12 और C-14 को लगभग उसी अनुपात में प्राप्त करते हैं जो कि वातावरण में मौजूद है।
प्रश्न (8) भारत में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की 5वीं असेंबली का उद्घाटन किया गया है। इस संबंध में "अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन" के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(a) यह एक अंतर सरकारी संगठन है, जिसे 2015 में पेरिस में UNCCC के दौरान(COP-21) लॉन्च किया गया था।
(b) संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) को पर्यवेक्षक का दर्जा दिया है।
(c) वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड (OSOWOG) अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के तहत एक परियोजना है।
उत्तर:-
केवल कथन a
केवल कथन a और b
वक्तव्य b और c
उपरोक्त सभी
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की पांचवीं सभा:-
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की पांचवीं सभा 17 से 20 अक्टूबर, 2022 तक नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी। विधानसभा ISA की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था है। सभा में प्रत्येक सदस्य देश का प्रतिनिधित्व होता है। यह निकाय ISA के फ्रेमवर्क समझौते के कार्यान्वयन के संबंध में निर्णय लेता है और अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए समन्वित कार्रवाई करता है। भारत के पास ISA विधानसभा के अध्यक्ष का पद है।
ISA की पहली सभा 2 से 5 अक्टूबर 2018 तक ग्रेटर नोएडा, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, भारत में आयोजित की गई थी।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ संधि-आधारित एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका प्राथमिक कार्य वित्तपोषण एवं प्रौद्योगिकी की लागत को कम करके सौर विकास को उत्प्रेरित करना है।
- ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’, ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ (OSOWOG) को लागू करने हेतु नोडल एजेंसी है, जिसका उद्देश्य एक विशिष्ट क्षेत्र में उत्पन्न सौर ऊर्जा को किसी दूसरे क्षेत्र की बिजली की मांग को पूरा करने के लिये स्थानांतरित करना है।
- ISA अपनी 'टुवर्ड्स 1000' रणनीति द्वारा निर्देशित है, जिसका उद्देश्य 2030 तक सौर ऊर्जा समाधानों में 1,000 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश जुटाना है, जबकि स्वच्छ ऊर्जा समाधानों का उपयोग करके 1,000 मिलियन लोगों तक ऊर्जा पहुँच प्रदान करना और परिणामस्वरूप 1,000 GW सौर ऊर्जा क्षमता की स्थापना करना है। . इससे हर साल 1,000 मिलियन टन CO2 के वैश्विक सौर उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, आईएसए एक प्रोग्रामेटिक दृष्टिकोण अपनाता है। वर्तमान में, ISA के 9 व्यापक कार्यक्रम हैं, जिनमें से प्रत्येक एक विशिष्ट अनुप्रयोग पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जो सौर ऊर्जा समाधानों के बड़े पैमाने पर परिनियोजन में मदद कर सकता है।
- यह एक भारतीय पहल है जिसे भारत के प्रधानमंत्री और फ्राँस के राष्ट्रपति द्वारा 30 नवंबर, 2015 को फ्राँस (पेरिस) में यूएनएफसीसीसी के पक्षकारों के सम्मेलन (COP-21) में 121 सौर संसाधन समृद्ध राष्ट्रों के साथ शुरू किया गया था जो पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से कर्क और मकर रेखा के बीच स्थित हैं।
- इसका मुख्यालय भारत में स्थित है और इसका अंतरिम सचिवालय गुरुग्राम में स्थापित किया जा रहा है।
- न्यू आईएसए प्रोग्राम:
- सौर पीवी पैनलों और बैटरी उपयोग अपशिष्ट तथा सौर हाइड्रोजन कार्यक्रम के प्रबंधन पर न्यू आईएसए प्रोग्राम शुरू किये गए हैं।
- नई हाइड्रोजन पहल का उद्देश्य सौर बिजली के उपयोग को वर्तमान (USD 5 प्रति किलोग्राम) की तुलना में अधिक किफायती दर पर हाइड्रोजन के उत्पादन में सक्षम बनाना है तथा इसके तहत इसे USD 2 प्रति किलोग्राम तक लाना है।
- सौर पीवी पैनलों और बैटरी उपयोग अपशिष्ट तथा सौर हाइड्रोजन कार्यक्रम के प्रबंधन पर न्यू आईएसए प्रोग्राम शुरू किये गए हैं।
- आईएसए फ्रेमवर्क समझौता 15 नवंबर, 2016 को मारकेश में सीओपी-22 के दौरान हस्ताक्षर के लिए खोला गया था।
- महामहिम डॉ. अजय माथुर वर्तमान में महानिदेशक का पद संभाल रहे हैं।
प्रश्न (9) पहला विश्व स्लॉथ बियर (मेलुरस उर्सिनस) दिवस 12 अक्टूबर को मनाया गया था, इस संबंध में स्लॉथ बियर के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(a) सुस्त भालू भारतीय उपमहाद्वीप के लिए स्थानिकमारी वाले हैं।
(b) वे जम्मू और कश्मीर और उत्तर-पूर्वी राज्यों को छोड़कर देश के सभी हिस्सों में पाए जाते हैं।
(c) IUCN की सूची में खतरे(Endangered) में है।
उत्तर:-
केवल कथन a
केवल कथन a और b
वक्तव्य b और c
उपरोक्त सभी
नोट:- दारोची स्लॉथ बियर अभयारण्य यह एशिया की प्रथम व भारत की एकमात्र स्लॉथ बियर अभयारण्य है, जो बल्लारी (कर्नाटका) में है और हम्पी के पास है।
स्लॉथ बियर:-
- यह वन्यजीव SOS इंडिया द्वारा प्रस्तावित किया गया था, जो दो दशकों से भी अधिक समय से स्लॉथ बियर संरक्षण हेतु एक संगठन है और (अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ) IUCN-स्पीशीज़ सर्वाइवल कमीशन (SSC) स्लॉथ बियर विशेषज्ञ टीम ने इस दिन को स्वीकार किया और विश्व भर में मनाए जाने की घोषणा की।
- विषय:-
- स्लॉथ बियर दुनिया भर में पाई जाने वाले भालू की 8 प्रजातियों में से एक है।
- स्लॉथ बियर मुख्य रूप से दीमक और चींटियाँ खाते हैं तथा अन्य भालू प्रजातियों के विपरीत यह नियमित रूप से अपने शावकों को अपनी पीठ पर ले जाते हैं।
- इन्हें मधु (हनी) बहुत पसंद है, इसीलिये इनका अन्य नाम “हनी बियर” भी है।
- स्लॉथ बियर हाइबरनेट नहीं करते हैं।
- ये फुर्तीले होते हैं और सबसे दुर्जेय जंगली जानवरों में से एक माने जाते हैं।
- इन्हें सबसे कम शोधित भालू प्रजाति के रूप में भी जाना जाता है।
- वैज्ञानिक नाम: मेलूरसस अर्सिनस (Melursus Ursinus)।
- आवास स्थान: इसे हनी बीयर (Honey Bear) और हिंदी भालू भी कहा जाता है, यह उर्सिडा/उर्सिडी (Ursidae) परिवार का हिस्सा है। ये भारत और श्रीलंका के उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- स्लॉथ बियर, वैश्विक आबादी के लगभग 90% भारत में पाए जाते हैं।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN की रेड लिस्ट: सुभेद्य (Vulnerable)
- CITES: परिशिष्ट-I
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची-I
- लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES): परिशिष्ट-1
- खतरा:
- निवास स्थान की हानि, शरीर के अंगों के लिये अवैध शिकार स्लॉथ बीयर की प्रजाति के लिये सबसे बड़ा खतरा है। स्लॉथ बीयर को तमाशा दिखाने या प्रदर्शन में उपयोग (कलंदर नामक एक जातीय समूह द्वारा) के लिये पकड़ लिया जाता है। साथ ही उनके आक्रामक व्यवहार और फसलों को नुकसान पहुँचाने के कारण भी स्लॉथ बीयर का शिकार किया जाता है।
- कई रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन दशकों में मुख्य रूप से निवास स्थान की हानि, आवास विखंडन, अवैध शिकार और मानव-भालू संघर्ष में वृद्धि के कारण उनकी आबादी में 40 से 50% की गिरावट आई है।
- संरक्षण के प्रयास:
- वन्यजीव SOS भालू बचाव केंद्र स्लॉथ बियर का संरक्षण कर रहे हैं और उन्हें उनके प्राकृतिक आवास में पुन: बसाने का कार्य कर रहे हैं, जहाँ उन्हें चिकित्सा देखभाल भी मिलती है।
- इसके अलावा यह सुनिश्चित करने के लिये कि कलंदर समुदाय जीवित रहने के लिये जंगली जानवरों का शिकार न करें, वन्यजीव SOS ने कलंदरों के साथ कार्य करके उन्हें आजीविका के वैकल्पिक रूप और शिक्षा तक पहुँच प्रदान की।
- विश्व स्लॉथ बियर दिवस की घोषणा के माध्यम से, वन्यजीव SOS और IUCN- प्रजाति जीवन रक्षा आयोग (Species Survival Commission) स्लॉथ बियर विशेषज्ञ टीम का उद्देश्य विश्व के बाकी हिस्सों के लिये स्लॉथ बियर और उनके आवासों के संरक्षण को उनके रेंज में बढ़ावा देना है।
- संरक्षण के प्रयास:
प्रश्न (10) "सिक्योर हिमालय प्रोजेक्ट" जो हाल ही में खबरों में रहा, इसके बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(a) केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनईपी) के सहयोग से 'सिक्योर हिमालय' परियोजना को लागू कर रहा है।
(b) यह ग्रीन क्लाइमेट फंड द्वारा वित्त पोषित है।
उत्तर:-
केवल कथन a
केवल वक्तव्य b
दोनों a और b
उपरोक्त में से कोई नहीं
सिक्योर हिमालय एक छह वर्षीय कार्यक्रम है जो चार राज्यों- जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम में फैले उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थानीय और विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण जैव विविधता, भूमि और वन संसाधनों के संरक्षण के लिए काम करता है।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के साथ मिलकर 2 अक्टूबर 2017 को परियोजना का शुभारंभ किया।
सिक्योर का अर्थ है उच्च पर्वतमाला के हिमालयी पारिस्थितिक तंत्रों के सतत उपयोग और पुनर्स्थापना, संरक्षण और सुरक्षित आजीविका है।
यह कार्यक्रम मुख्य रूप से हिम तेंदुओं और अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों, उनके आवासों के संरक्षण, क्षेत्र के लोगों की आजीविका सुरक्षित करना और वन्यजीवों के खिलाफ अपराधों को कम करने के लिए प्रवर्तन को बढ़ाने पर केंद्रित है।
सुरक्षित हिमालय परियोजना वैश्विक पर्यावरण सुविधा (जीईएफ) द्वारा वित्त पोषित "वन्यजीव संरक्षण और सतत विकास के लिए अपराध रोकथाम पर वैश्विक भागीदारी" (वैश्विक वन्यजीव कार्यक्रम) का एक हिस्सा है।
यह परियोजना विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण वन्यजीवों के संरक्षण को सुरक्षित करने के लिए उच्च श्रेणी के हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र में अल्पाइन चरागाहों और जंगलों के स्थायी प्रबंधन को बढ़ावा देती है, जिसमें लुप्तप्राय हिम तेंदुए और उनके आवास शामिल हैं, ताकि चयनित उच्च ऊंचाई वाले परिदृश्यों में समुदायों के लिए स्थायी आजीविका और सामाजिक-आर्थिक लाभ सुनिश्चित किया जा सके। ट्रांस- और ग्रेटर हिमालयी क्षेत्र।
यह ग्लोबल स्नो लेपर्ड इकोसिस्टम प्रोटेक्शन प्रोग्राम (GSLEP) में योगदान देता है, जो 12 रेंज की देश सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र की संयुक्त पहल है।
यह वैश्विक पर्यावरण सुविधा (Global Environment Facility) फंड द्वारा वित्त पोषित है।
वैश्विक पर्यावरण सुविधा (Global Environment Facility):-
GEF की स्थापना 1992 के रियो अर्थ समिट के दौरान हुई थी।
यह वाशिंगटन, डीसी, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित है।
जीईएफ को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा संयुक्त रूप से प्रबंधित किया जाता है।
दुनिया भर में पर्यावरणीय मुद्दों को संबोधित करने के लिए नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ), अंतरराष्ट्रीय संस्थानों, निजी क्षेत्र आदि के साथ साझेदारी में जीईएफ के तहत 183 राष्ट्र एकजुट हैं।
हमारे ग्रह की सबसे अधिक दबाव वाली पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने में मदद करने के लिए वित्तीय तंत्र की स्थापना की गई थी। यह विकासशील देशों और संक्रमण अर्थव्यवस्थाओं को जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, ओजोन परत आदि से संबंधित परियोजनाओं के लिए धन प्रदान करता है।
प्रश्न (11) भारतीय हाथियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः (2020)
(a) हाथी समूह की नेता मादा होती है।
(b) गर्भधारण की अधिकतम अवधि 22 महीने हो सकती है।
(c) एक हाथी सामान्य रूप से केवल 40 वर्ष की आयु तक ही ब्याने पर जा सकता है।
(d) भारत के राज्यों में हाथियों की सर्वाधिक जनसंख्या केरल में है।
ऊपर दिए गए कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
केवल a और b
केवल b और d
केवल c
केवल 1, 3 और 4
हाथियों के झुंड का नेतृत्व सबसे पुरानी और सबसे बड़ी महिला सदस्य (मातृक के रूप में जाना जाता है) द्वारा किया जाता है। इस झुंड में कुलपिता की बेटियां और उनकी संतान शामिल हैं। अत: कथन 1 सही है।
हाथियों में सभी स्तनधारियों की सबसे लंबी ज्ञात गर्भकालीन (गर्भावस्था) अवधि होती है, जो 680 दिनों (22 महीने) तक चलती है। अत: कथन 2 सही है। 14 से 45 वर्ष के बीच की महिलाएं लगभग हर चार साल में बछड़ों को जन्म दे सकती हैं, जिसमें औसत अंतर जन्म अंतराल 52 वर्ष की आयु तक पांच वर्ष और 60 वर्ष की आयु तक छह वर्ष तक बढ़ जाता है। इसलिए, कथन 3 सही नहीं है।
हाथी जनगणना (2017) के अनुसार, कर्नाटक में हाथियों की संख्या सबसे अधिक (6,049) है, इसके बाद असम (5,719) और केरल (3,054) का स्थान है। अत: कथन 4 सही नहीं है।
प्रश्न(12) भारतीय अनूप मृग (बारहसिंगा) की उस उपजाति, जो पक्की भूमि पर फलती-फूलती है और केवल घासभक्षी है, के संरक्षण के लिये निम्नलिखित में से कौन-सा संरक्षित क्षेत्र प्रसिद्ध है?
(a) कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
(b) मानस राष्ट्रीय उद्यान
(c) मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य
(d) ताल छप्पर वन्यजीव अभयारण्य
व्याख्या:-
मध्य प्रदेश के राज्य पशु अनूप मृग या बारासिंघा (Rucervus duvaucelii) के संरक्षण हेतु उन्हें कान्हा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिज़र्व (KNPTR) में लाया जा रहा है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में अनूप मृग विलुप्त होने के करीब था। हालाँकि संरक्षण प्रयासों के चलते वर्तमान में इसकी जनसंख्या लगभग 800 है।
प्रश्न(13) निम्नलिखित में से जानवरों का कौन सा समूह लुप्तप्राय प्रजातियों की श्रेणी में आता है? (2012)
(a) ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, कस्तूरी मृग, लाल पांडा और एशियाई जंगली गधा
(b) कश्मीरी हरिण, चीतल, ब्लू बुल और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
(c) हिम तेंदुए, स्वैम्प डियर, रीसस बंदर और सारस (क्रेन)
(d) शेर-पूंँछ मकाक, नील गाय, हनुमान लंगूर और चीता
प्रजाति | वर्तमान स्थिति |
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड | अति संकटग्रस्त |
कस्तूरी मृग | संकटग्रस्त |
लाल पांडा | संकटग्रस्त |
एशियाई जंगली गधा | संकट के नज़दीक |
कश्मीरी हंगुल | कम चिंतनीय |
चीतल | कम चिंतनीय |
नीलगाय | कम चिंतनीय |
हिम तेंदुआ | संवेदनशील |
रीसस बंदर | कम चिंतनीय |
सारस (क्रेन) | संवेदनशील |
लायन-टेल्ड मकाॅक | संकटग्रस्त |
हनुमान लंगूर | कम चिंतनीय |
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
ब्लॉग पढ़ने के लिए धन्यवाद। यदि कोई उत्तम सुझाव अथवा शिक्षा से संबंधित कोई अन्य टॉपिक जिसको आप जानने के लिए उत्सुक है तो नीचे कमेंट करके बताएं। यदि आपको कोई गलती नजर आ रही है या कोई संदेह है तो भी आप कृपया कमेंट करके अवश्य बताएं।। धन्यवाद।।