प्रश्न (1) हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने भारत के पहले कडुवुर स्लेंडर लोरिस अभयारण्य को अधिसूचित किया, इस संबंध में "स्लेंडर लोरिस" प्रजाति के बारे में सही कथन क्या हैं?
(a) स्लेंडर लोरिस केवल भारत और श्रीलंका के मूल निवासी लोरिस की प्रजाति है।
(b) जीनस में तीन प्रजातियां शामिल हैं- लाल, भूरा और ग्रे लोरिस।
(c) इसे आईयूसीएन (प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ) द्वारा "गंभीर रूप से लुप्तप्राय" प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
उत्तर:-
केवल विकल्प (a)
विकल्प (a) और (b)
विकल्प (b) और (c)
सभी विकल्प सही हैं।
स्लेंडर लोरिस
Slender Loris
हाल ही में कुछ पर्यावरणविदों ने मांग की है कि स्लेंडर लोरिस (लोरिस टार्डिग्राडस- Loris Tardigradus) के संरक्षण के लिये तमिलनाडु के कदवुर रिज़र्व फॉरेस्ट को वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया जाए।
- वर्ष 2016-17 के दौरान की गई वन्यजीव गणना के अनुसार करूर रिज़र्व फॉरेस्ट में स्लेंडर लोरिस की आबादी 3,500 देखी गई।
प्रमुख बिंदु
परिचय:
- स्लेंडर लोरिस भारत और श्रीलंका की स्थानिक/मूल लोरिस की एक प्रजाति है।
- स्लेंडर लोरिस अपना अधिकांश जीवन वृक्षों पर व्यतीत करते हैं। ये धीमी और सटीक गति के साथ शाखाओं के शीर्ष पर घूमते रहते हैं।
- ये प्रायः कीड़े, सरीसृप, पौधों और फलों का भोजन करते हैं।
आवास:
- वे उष्णकटिबंधीय वर्षावनों, झाड़ीदार जंगलों, अर्द्ध-पर्णपाती वनों और दलदली भूमि पर पाए जाते हैं।
प्रकार:
- स्लेंडर लोरिस की दो प्रजातियाँ हैं, जो 'लोरिस' जीनस (वर्ग) के सदस्य हैं:
- रेड स्लेंडर लोरिस (लोरिस टार्डिग्रैडस)
- ग्रे स्लेंडर लोरिस (लोरिस लिडेकेरियानस)
खतरे:
- ऐसा माना जाता है कि इनमें औषधीय गुण होते हैं और इन्हें पकड़कर बेचा जाता है। चूँकि इन जानवरों को पालतू जानवर के रूप में रखने की बहुत मांग है, इसलिये इनकी अवैध रूप से तस्करी की जाती है।
- पर्यावास का नुकसान, बिजली के तारों का करंट लगना और सड़क दुर्घटना अन्य खतरे हैं जिनके कारण इनकी आबादी कम हो गई है।
संरक्षण स्थिति:
संरक्षण:-
- हिम तेंदुए को IUCN रेड लिस्ट में सुभेद्य (Vulnerable) की सूची में रखा गया है।
- इसे ‘वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन’ (The Convention of International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora- CITES) के परिशिष्ट-I में शामिल किया गया है।
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के तहत हिम तेंदुए के शिकार को प्रतिबंधित किया गया है।
- वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण (Conservation of Migratory Species of Wild Animals- CMS) के तहत हिम तेंदुए को परिशिष्ट-I में शामिल किया गया है।
लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2022
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) द्वारा जारी ‘लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2022’ के अनुसार, पिछले 50 वर्षों में दुनिया भर में स्तनधारियों, पक्षियों, उभयचरों, सरीसृपों और मछलियों की आबादी में 69% की गिरावट आई है।
- यह रिपोर्ट प्रति दो वर्ष में जारी की जाती है।
प्रमुख बिंदु:
- वन्यजीव आबादी में क्षेत्रवार गिरावट:
- वन्यजीव आबादी (94%) में सबसे अधिक गिरावट लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र में हुई।
- अफ्रीका ने वर्ष 1970-2018 के मध्य अपनी वन्यजीव आबादी में 66% की गिरावट दर्ज की, जबकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 55% की गिरावट दर्ज की गई।
- मीठे जल की प्रजातियों की आबादी में गिरावट:
- विश्व स्तर पर मीठे जल की प्रजातियों की आबादी में 83 प्रतिशत की कमी आई है।
- पर्यावास की हानि और प्रवास के मार्ग में आने वाली बाधाएँ निगरानी की जा रही प्रवासी मछली प्रजातियों के खतरों के लिये ज़िम्मेदार थीं।
- विश्व स्तर पर मीठे जल की प्रजातियों की आबादी में 83 प्रतिशत की कमी आई है।
- कशेरुकीय वन्यजीव आबादी का पतन:-
- लिविंग प्लैनेट इंडेक्स (LPI) के अनुसार, विश्व के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में कशेरुकीय वन्यजीव आबादी विशेष रूप से चौंका देने वाली दर से गिर रही है।
- LPI, वैश्विक स्तर पर 5,230 प्रजातियों की लगभग 32,000 आबादी की विशेषता के लिये स्थलीय, मीठे जल और समुद्री आवासों से कशेरुकीय प्रजातियों की जनसंख्या प्रवृत्तियों के आधार पर दुनिया की जैविक विविधता की स्थिति के आकलन का उपाय है।
- लिविंग प्लैनेट इंडेक्स (LPI) के अनुसार, विश्व के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में कशेरुकीय वन्यजीव आबादी विशेष रूप से चौंका देने वाली दर से गिर रही है।
- मैंग्रोव क्षरण:
- जलीय कृषि, कृषि और तटीय विकास के कारण प्रतिवर्ष 0.13% की दर से मैंग्रोव का नुकसान जारी है।
- तूफान और तटीय कटाव जैसे प्राकृतिक खतरों के साथ-साथ अतिदोहन तथा प्रदूषण से कई मैंग्रोव प्रभावित होते हैं।
- 1985 के बाद से भारत और बांग्लादेश में सुंदरबन मैंग्रोव वन के लगभग 137 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का क्षरण हुआ है, जिससे वहाँ रहने वाले 10 मिलियन लोगों में से कई के भूमि और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में कमी आई है।।
- जलीय कृषि, कृषि और तटीय विकास के कारण प्रतिवर्ष 0.13% की दर से मैंग्रोव का नुकसान जारी है।
- जैवविविधता के लिये प्रमुख खतरे:-
- WWF ने स्थलीय कशेरुकियों के लिये 'खतरे के हॉटस्पॉट' को चिह्नित करने हेतु जैवविविधता के छह प्रमुख खतरों की पहचान की है:
- कृषि
- शिकार
- लॉगिंग
- प्रदूषण
- आक्रामक प्रजाति
- जलवायु परिवर्तन
- WWF ने स्थलीय कशेरुकियों के लिये 'खतरे के हॉटस्पॉट' को चिह्नित करने हेतु जैवविविधता के छह प्रमुख खतरों की पहचान की है:
प्रकृति हेतु विश्व वन्यजीव कोष (WWF):
- यह दुनिया का अग्रणी संरक्षण संगठन है और 100 से अधिक देशों में काम करता है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1961 में हुई थी और इसका मुख्यालय ग्लैंड, स्विट्रज़लैंड में है।
- इसका मिशन प्रकृति का संरक्षण करना और पृथ्वी पर जीवन की विविधता के लिये सबसे अधिक दबाव वाले खतरों को कम करना है।
- WWF दुनिया भर के लोगों के साथ हर स्तर पर सहयोग करता है ताकि समुदायों, वन्यजीवों और उनके रहने वाले स्थानों की रक्षा करने वाले अभिनव समाधान विकसित एवं वितरित किये जा सकें।
रिपोर्ट की सिफारिशें:
- ग्रह मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन और जैवविविधता के नुकसान की दोहरी आपात स्थिति का सामना कर रहा है, जिससे वर्तमान एवं भविष्य की पीढ़ियों को खतरा है। जैवविविधता से क्षति तथा जलवायु संकट से दो अलग-अलग मुद्दों के बजाय एक के रूप में निपटा जाना चाहिये क्योंकि वे आपस में जुड़े हुए हैं।
- एक हरित भविष्य के लिये हमारे उत्पादन, उपभोग, शासन और वित्त प्रबंधन में क्रांतिकारी एवं महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों की आवश्यकता होती है।
- हमें अधिक सतत् मार्ग की दिशा में एक समावेशी सामूहिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिये। जो यह सुनिश्चित करते हों कि हमारे कार्यों के परिणाम और उससे उत्पन्न लाभ सामाजिक रूप से न्यायसंगत एवं समान रूप से साझा किये गए हैं।
- चीता बड़ी बिल्ली प्रजातियों में सबसे पुरानी प्रजातियों में से एक है, जिनके पूर्वजों को पाँच मिलियन से अधिक वर्ष पूर्व मियोसीन युग में खोजा जा सकता है।
- चीता दुनिया का सबसे तेज़, भूमि स्तनपायी भी है जो अफ्रीका और एशिया में पाया जाता है।
- अफ्रीकी चीता:-
- वैज्ञानिक नाम: एसिनोनिक्स जुबेटस।
- विशेषताएँ: इनकी त्वचा थोड़ी भूरी और सुनहरी होती है जो एशियाई चीतों से मोटी होती है।
- एशियाई प्रजाति की तुलना में उनके चेहरे पर बहुत अधिक धब्बे और रेखाएँ पाई जाती हैं।
- वितरण: पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में हज़ारों की संख्या में पाए जाते हैं।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: ‘सुभेद्य’ (Vulnerable)
- CITES: सूची का परिशिष्ट-I
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: परिशिष्ट-2.
- एशियाई चीता:-
- वैज्ञानिक नाम: एसिनोनिक्स जुबेटस वेनेटिकस।
- विशेषताएँ: यह अफ्रीकी चीता की तुलना में छोटा होता है।
- शरीर पर बहुत अधिक फर, छोटा सिर व लंबी गर्दन,आमतौर पर इनकी आँखें लाल होती हैं और येप्रायः बिल्ली के समान दिखते हैं।.
- ईरान में पाया जाता है।
- वितरण: ये केवल ईरान में पाए जाते हैं और वहाँ भी इनकी संख्या 100 से कम बची है।
- संरक्षण:
- IUCN रेड लिस्ट: ‘अति संकटग्रस्त’ (Critically Endangered)
- CITES: परिशिष्ट-I
- WPA: अनुसूची-2
(a) यह खाद्य और कृषि के लिए संयंत्र आनुवंशिक संसाधनों के लिए प्रमुख एजेंसी के रूप में काम करता है।
(b) यह एक कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता है जिसे 2001 में खाद्य और कृषि संगठन द्वारा अपनाया गया था।
(c) भारत इस संधि का एक पक्ष है।
उत्तर :-
विकल्प (a) केवल
विकल्प (b) केवल
विकल्प (c) केवल
ऊपर के सभी
प्रश्न (10) ग्लोबल गेटवे इनिशिएटिव के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(a) विकासशील देशों में नए बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए यह संयुक्त राष्ट्र की एक परियोजना है।
(b) इस पहल के तहत भारत और यूरोपीय संघ ने पहला ईयू-इंडिया ग्रीन हाइड्रोजन फोरम शुरू किया।
उत्तर:-

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