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ECOLOGY & ENVIRONMENT(CURRENT) SET-1

 प्रश्न (1) हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने भारत के पहले कडुवुर स्लेंडर लोरिस अभयारण्य को अधिसूचित किया, इस संबंध में "स्लेंडर लोरिस" प्रजाति के बारे में सही कथन क्या हैं?

(a) स्लेंडर लोरिस केवल भारत और श्रीलंका के मूल निवासी लोरिस की प्रजाति है।

(b) जीनस में तीन प्रजातियां शामिल हैं- लाल, भूरा और ग्रे लोरिस।

(c) इसे आईयूसीएन (प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ) द्वारा "गंभीर रूप से लुप्तप्राय" प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

उत्तर:-

केवल विकल्प (a)

विकल्प (a) और (b)

विकल्प (b) और (c)

सभी विकल्प सही हैं। 






स्लेंडर लोरिस

Slender Loris

हाल ही में कुछ पर्यावरणविदों ने मांग की है कि स्लेंडर लोरिस (लोरिस टार्डिग्राडस- Loris Tardigradus) के संरक्षण के लिये तमिलनाडु के कदवुर रिज़र्व फॉरेस्ट को वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया जाए।

  • वर्ष 2016-17 के दौरान की गई वन्यजीव गणना के अनुसार करूर रिज़र्व फॉरेस्ट में स्लेंडर लोरिस की आबादी 3,500 देखी गई।

Slender-Loris

प्रमुख बिंदु

परिचय:

  • स्लेंडर लोरिस भारत और श्रीलंका की स्थानिक/मूल लोरिस की एक प्रजाति है।
  • स्लेंडर लोरिस अपना अधिकांश जीवन वृक्षों पर व्यतीत करते हैं। ये धीमी और सटीक गति के साथ शाखाओं के शीर्ष पर घूमते रहते हैं।
  • ये प्रायः कीड़े, सरीसृप, पौधों और फलों का भोजन करते हैं।

आवास:

  • वे उष्णकटिबंधीय वर्षावनों, झाड़ीदार जंगलों, अर्द्ध-पर्णपाती वनों और दलदली भूमि पर पाए जाते हैं।

प्रकार:

  • स्लेंडर लोरिस की दो प्रजातियाँ हैं, जो 'लोरिस' जीनस (वर्ग) के सदस्य हैं:
    • रेड स्लेंडर लोरिस (लोरिस टार्डिग्रैडस)
    • ग्रे स्लेंडर लोरिस (लोरिस लिडेकेरियानस)

खतरे:

  • ऐसा माना जाता है कि इनमें औषधीय गुण होते हैं और इन्हें पकड़कर बेचा जाता है। चूँकि इन जानवरों को पालतू जानवर के रूप में रखने की बहुत मांग है, इसलिये इनकी अवैध रूप से तस्करी की जाती है।
  • पर्यावास का नुकसान, बिजली के तारों का करंट लगना और सड़क दुर्घटना अन्य खतरे हैं जिनके कारण इनकी आबादी कम हो गई है।

संरक्षण स्थिति:

  • IUCN: संकटग्रस्त
  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची- I
  • CITES: परिशिष्ट- II
प्रश्न(2) "बिश्केक घोषणा" हाल ही में चर्चा में रहा, यह निम्नलिखित में से किससे संबंधित है?

(a) 12 रेंज देशों में हिम तेंदुए का संरक्षण।
(b) विकासशील देशों में सड़क सुरक्षा कोड।
(c) समुद्री जलीय प्रणाली से विषाक्त पदार्थों को हटाना।
(d) साइबर सुरक्षा में समन्वय और विकास।

अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस’
(International Snow Leopard Day):-  
वर्ष 2013 की बिश्केक घोषणा (Bishkek Declaration) के तहत 23 अक्तूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस’ (International Snow Leopard Day) के रूप में अधिसूचित किया गया।

 
गौरतलब है कि वर्ष 2013 में 12 स्नो लेपर्ड रेंज देशों (अफगानिस्तान, भूटान, चीन, भारत, कज़ाखस्तान, किर्गिज गणराज्य, मंगोलिया, नेपाल, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान) द्वारा बिश्केक घोषणा पर हस्ताक्षर किये गए थे।
साथ ही इस अवसर पर ‘वैश्विक हिम तेंदुआ और पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण’ (Global Snow Leopard and Ecosystem Protection-GSLEP) कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी।

हिम तेंदुआ वैज्ञानिक नाम :- Panthera uncia

प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड’ (Project Snow Leopard- PSL):-
प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड की शुरुआत वर्ष 2009 में देश के पाँच राज्यों (जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश) में की गई थी।

संरक्षण:-

  • हिम तेंदुए को IUCN रेड लिस्ट में सुभेद्य (Vulnerable) की सूची में रखा गया है।
  • इसे ‘वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन’ (The Convention of International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora- CITES) के परिशिष्ट-I में शामिल किया गया है। 
  • भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के तहत हिम तेंदुए के शिकार को प्रतिबंधित किया गया है।
  • वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण (Conservation of Migratory Species of Wild Animals- CMS) के तहत हिम तेंदुए को परिशिष्ट-I में शामिल किया गया है।
व्हिट्ली फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूएफएन) व्हिट्ली गोल्ड अवार्ड:- चारुदत्त मिश्रा

हिम तेंदुए के संरक्षण के लिए काम कर रहे भारतीय चारुदत्त मिश्रा ने लंदन में एक लाख पाउंड का व्हिट्ली फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूएफएन) व्हिट्ली गोल्ड अवार्ड जीता है। 
27 अप्रैल 2022 को लंदन में आयोजित एक समारोह में एचआरएच द प्रिंसेस रॉयल के संरक्षक ने उन्हें इस सम्मान से नवाजा।  
डॉ. मिश्रा मैसूर स्थित नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन के सह-संस्थापक और स्नो लेपर्ड ट्रस्ट के कार्यकारी निदेशक हैं।जमीनी स्तर पर संरक्षण कार्य का नेतृत्व करने वालों की मदद करती है। 
यह पुरस्कार हर महाद्वीप में हिम तेंदुए के संरक्षण के लिए स्थानीय स्तर पर सामुदायिक आधार तैयार करने के लिए दिया जाता है।

प्रश्न (3) केरल की एक सामाजिक कार्यकर्ता दया बाई कासरगोड में एंडोसल्फान के पीड़ितों के लिए राहत की मांग के लिए भूख हड़ताल पर थीं। इस संबंध में एंडोसल्फान के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

(a) यह मुख्य रूप से कृषि और लकड़ी के संरक्षक दोनों के रूप में एक कीटनाशक और एसारिसाइड के रूप में उपयोग किया जाता है।
(b) यह एक न्यूरोटॉक्सिक पदार्थ है और इसमें जैव संचय की उच्च क्षमता है।
(c) एससी ने 2011 में एंडोसल्फान के उत्पादन, वितरण और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया।

उत्तर :-
केवल (a) और (b)
केवल (c) और (c)
केवल (a) और (c)
सभी विकल्प सही हैं। 




केरल में 2011 तक काजू, कपास, चाय, धान, फलों और अन्य फसलों पर एंडोसल्फान (एक ऑर्गेनोक्लोरिन कीटनाशक और एसारिसाइड) का व्यापक रूप से उपयोग किया गया था। इसके बाद इसके दुष्परिणामों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसके उत्पादन और वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया था। 






same tropic level:- Bio Accumulation
समान पोषी स्तर :- जैव संचय





diffrent tropic level:- Bio Magnification
विभिन्न पोषी स्तर:- जैव आवर्धन





प्रश्न (4) लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2022 निम्नलिखित में से किस संस्था द्वारा जारी की गई थी?

(a) प्रकृति के लिए वर्ल्ड वाइड फंड(World Wide Fund for Nature)
(b) प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ(International Union for Conservation of Nature)
(c) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम(United Nations Environment Program)
(d) विश्व बैंक(World Bank)









जैव विविधता और पर्यावरण

लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2022

वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) द्वारा जारी ‘लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2022’ के अनुसार, पिछले 50 वर्षों में दुनिया भर में स्तनधारियों, पक्षियों, उभयचरों, सरीसृपों और मछलियों की आबादी में 69% की गिरावट आई है।

  • यह रिपोर्ट प्रति दो वर्ष में जारी की जाती है।

प्रमुख बिंदु:

  • वन्यजीव आबादी में क्षेत्रवार गिरावट:
    • वन्यजीव आबादी (94%) में सबसे अधिक गिरावट लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र में हुई।
    • अफ्रीका ने वर्ष 1970-2018 के मध्य अपनी वन्यजीव आबादी में 66% की गिरावट दर्ज की, जबकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 55% की गिरावट दर्ज की गई।

Biodiversity

  • मीठे जल की प्रजातियों की आबादी में गिरावट:
    • विश्व स्तर पर मीठे जल की प्रजातियों की आबादी में 83 प्रतिशत की कमी आई है।
      • पर्यावास की हानि और प्रवास के मार्ग में आने वाली बाधाएँ निगरानी की जा रही प्रवासी मछली प्रजातियों के खतरों के लिये ज़िम्मेदार थीं।
  • कशेरुकीय वन्यजीव आबादी का पतन:-
    • लिविंग प्लैनेट इंडेक्स (LPI) के अनुसार, विश्व के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में कशेरुकीय वन्यजीव आबादी विशेष रूप से चौंका देने वाली दर से गिर रही है।
      • LPI, वैश्विक स्तर पर 5,230 प्रजातियों की लगभग 32,000 आबादी की विशेषता के लिये स्थलीय, मीठे जल और समुद्री आवासों से कशेरुकीय प्रजातियों की जनसंख्या प्रवृत्तियों के आधार पर दुनिया की जैविक विविधता की स्थिति के आकलन का उपाय है।
  • मैंग्रोव क्षरण:
    • जलीय कृषि, कृषि और तटीय विकास के कारण प्रतिवर्ष 0.13% की दर से मैंग्रोव का नुकसान जारी है।
      • तूफान और तटीय कटाव जैसे प्राकृतिक खतरों के साथ-साथ अतिदोहन तथा प्रदूषण से कई मैंग्रोव प्रभावित होते हैं।
    • 1985 के बाद से भारत और बांग्लादेश में सुंदरबन मैंग्रोव वन के लगभग 137 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का क्षरण हुआ है, जिससे वहाँ रहने वाले 10 मिलियन लोगों में से कई के भूमि और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में कमी आई है।।
  • जैवविविधता के लिये प्रमुख खतरे:-
    • WWF ने स्थलीय कशेरुकियों के लिये 'खतरे के हॉटस्पॉट' को चिह्नित करने हेतु जैवविविधता के छह प्रमुख खतरों की पहचान की है:   
      • कृषि
      • शिकार
      • लॉगिंग
      • प्रदूषण
      • आक्रामक प्रजाति
      • जलवायु परिवर्तन

प्रकृति हेतु विश्व वन्यजीव कोष (WWF):

  • यह दुनिया का अग्रणी संरक्षण संगठन है और 100 से अधिक देशों में काम करता है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1961 में हुई थी और इसका मुख्यालय ग्लैंड, स्विट्रज़लैंड में है।
  • इसका मिशन प्रकृति का संरक्षण करना और पृथ्वी पर जीवन की विविधता के लिये सबसे अधिक दबाव वाले खतरों को कम करना है।
  • WWF दुनिया भर के लोगों के साथ हर स्तर पर सहयोग करता है ताकि समुदायों, वन्यजीवों और उनके रहने वाले स्थानों की रक्षा करने वाले अभिनव समाधान विकसित एवं वितरित किये जा सकें।

रिपोर्ट की सिफारिशें:

  • ग्रह मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन और जैवविविधता के नुकसान की दोहरी आपात स्थिति का सामना कर रहा है, जिससे वर्तमान एवं भविष्य की पीढ़ियों को खतरा है। जैवविविधता से क्षति तथा जलवायु संकट से दो अलग-अलग मुद्दों के बजाय एक के रूप में निपटा जाना चाहिये क्योंकि वे आपस में जुड़े हुए हैं।
  • एक हरित भविष्य के लिये हमारे उत्पादन, उपभोग, शासन और वित्त प्रबंधन में क्रांतिकारी एवं महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों की आवश्यकता होती है।
  • हमें अधिक सतत् मार्ग की दिशा में एक समावेशी सामूहिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिये। जो यह सुनिश्चित करते हों कि हमारे कार्यों के परिणाम और उससे उत्पन्न लाभ सामाजिक रूप से न्यायसंगत एवं समान रूप से साझा किये गए हैं।
प्रश्न (5) माया नामक एक जंगली आर्कटिक भेड़िया हाल ही में खबरों में था, इसके बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

(a) क्लोन(चीन) आर्कटिक भेड़िया दुनिया में अपनी तरह का पहला मामला है क्योंकि यह दाता कोशिका(ARTIC WOLF) और डिम्बाणुजनकोशिका (oocyte-DOG) दो अलग-अलग जानवरों से लिया गया था।
(b) इस क्लोन आर्कटिक भेड़िये की सरोगेट मां कुत्ते की नस्ल थी।
(c) यह आर्कटिक क्षेत्र और साइबेरिया के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है।

उत्तर :-
केवल विकल्प (a)
विकल्प (a) और (b)
विकल्प (b) और (c)
सभी कथन सही हैं। 
बीजिंग स्थित एक जीन फर्म-सिनोजीन बायोटेक्नोलॉजी (Sinogene Biotechnology ) ने दुनिया में पहली बार एक जंगली आर्कटिक भेड़िये (wild Arctic wolf) का सफलतापूर्वक क्लोन (cloned) बनाया है।

आर्कटिक भेड़िया, जिसे सफेद भेड़िया या ध्रुवीय भेड़िया के रूप में भी जाना जाता है, कनाडा के उत्तरी आर्कटिक द्वीपसमूह में उच्च आर्कटिक टुंड्रा मूल की ग्रे वुल्फ की एक उप-प्रजाति है। ‘माया’ भेड़िया को सृजित के लिए, कंपनी ने सोमैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर (somatic cell nuclear transfer) नामक एक प्रक्रिया का इस्तेमाल किया। यह वही तकनीक है जिसका इस्तेमाल 1996 में पहली बार स्तनपायी क्लोन, डॉली भेड़ को जन्म देने के लिए किया गया था। वैज्ञानिक 85 ऐसे भ्रूण बनाने में सक्षम थे, जिन्हें सात बीगल (कुत्ते की नस्ल) के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया गया था – जिसके परिणामस्वरूप माया नामक एक स्वस्थ आर्कटिक भेड़िया क्लोन का जन्म हुआ।

कुत्ते को सरोगेट के रूप में चुना गया था क्योंकि यह प्राचीन भेड़ियों के साथ आनुवंशिक वंश साझा करती हैं और इसलिए, क्लोनिंग में सफलता सुनिश्चित करता है।

सोमैटिक सेल क्लोनिंग(Somatic cell cloning):-

सोमैटिक सेल क्लोनिंग(क्लोनिंग या न्यूक्लियर ट्रांसफर) एक ऐसी तकनीक है जिसमें एक सोमैटिक सेल के न्यूक्लियस (DNA) को एक नए व्यक्ति की पीढ़ी के लिए एक एनक्लुएटेड मेटाफ़ेज़- II अंडाणु में स्थानांतरित किया जाता है, जो आनुवंशिक रूप से सोमैटिक सेल डोनर के समान होता है।

सोमैटिक कोशिकाएं शुक्राणु और अंडाणु कोशिकाओं (जिन्हें जर्म कोशिका कहा जाता है) के अलावा शरीर की अन्य कोशिकाएं होती हैं।

मनुष्यों में, सोमैटिक कोशिकाएं द्विगुणित (diploid) होती हैं, जिसका अर्थ है कि उनमें गुणसूत्रों (chromosomes) के दो सेट होते हैं, जो प्रत्येक माता-पिता से विरासत में मिला होता है।

सोमैटिक कोशिकाओं में डीएनए उत्परिवर्तन (DNA mutations) एक व्यक्ति को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन उन्हें उनकी संतानों में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है।


प्रश्न (6) प्रकृति और लोगों के लिए उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन(High Ambition Coalition-HAC) के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

(a) यह 30X30 के वैश्विक लक्ष्य पर काम करता है।
(b) भारत इस गठबंधन का सदस्य नहीं है।

उत्तर:-
केवल विकल्प (a)
विकल्प (a) और (b)
विकल्प (b) और (c)
सभी विकल्प सही हैं। 






भारत आधिकारिक तौर पर 2021 में प्रकृति और लोगों के लिए उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन में शामिल हो गया, 70 से अधिक देशों के एक समूह ने 2030 (30×30) तक दुनिया की कम से कम 30 प्रतिशत भूमि और महासागर की रक्षा के वैश्विक लक्ष्य को अपनाने को प्रोत्साहित किया। भारत एचएसी (HAC) में शामिल होने वाली प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं के ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) ब्लॉक में पहला है।भारत की घोषणा 11 से 15 अक्टूबर तक चीन में एक उच्च स्तरीय जैव विविधता बैठक की अगुवाई में हुई है। उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन में शामिल होने वाला भारत एक वास्तविक गेम-चेंजर है और यह हमारे बहुपक्षीय प्रयासों को बढ़ावा देगा। यह कहते हुए कि भारत जैव विविधता संरक्षण के लिए एक प्रमुख खिलाड़ी है, फ्रांसीसी राजदूत ने बताया कि इस गठबंधन का उद्देश्य 2030 तक दुनिया की कम से कम 30% भूमि और महासागर की रक्षा के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय समझौते को बढ़ावा देना है।


प्रश्न(7) "पूसा बायो-डीकंपोजर" वायु प्रदूषण को संभालने और पराली जलाने से रोकने के लिए एक प्रभावी उपकरण हो सकता है, इस संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

(a) यह धान के भूसे में सेल्यूलोज, लिग्निन और पेक्टिन को पचाने के लिए 7 जीवाणु उपभेदों का मिश्रण है।
(b) यह फसल के अवशेषों को 15 से 20 दिनों में खाद में बदल सकता है।
(c) यह 30-32 डिग्री सेल्सियस की तापमान सीमा के बीच सबसे अधिक कुशलता से काम करता है।

उत्तर :-
विकल्प (a) केवल
विकल्प (b) केवल
विकल्प (b) और (c)
ऊपर के सभी 

नोट:- यह धान के भूसे में सेल्यूलोज, लिग्निन और पेक्टिन को पचाने के लिए 7 कवक उपभेदों का मिश्रण है।
यह अनिवार्य रूप से एक कवक-आधारित तरल समाधान है जो कठोर ठूंठ को इस हद तक नरम कर सकता है कि इसे खाद के रूप में कार्य करने के लिए आसानी से खेत में मिट्टी के साथ मिलाया जा सकता है।
कवक 30-32 डिग्री सेल्सियस पर पनपता है, जो कि धान की कटाई और गेहूं की बुवाई के समय प्रचलित तापमान है।
यह धान के भूसे में सेल्यूलोज, लिग्निन और पेक्टिन को पचाने के लिए एंजाइम का उत्पादन करता है।
यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विकसित किया गया है और दिल्ली में पूसा में आईसीएआर के परिसर के नाम पर रखा गया है।
यह फसल अवशेष, पशु अपशिष्ट, गोबर और अन्य कचरे को तेजी से जैविक खाद में परिवर्तित करता है।
यह कृषि अपशिष्ट और फसल अवशेष प्रबंधन के लिए एक सस्ती और प्रभावी तकनीक है।



प्रश्न (8) परियोजना चीता के तहत एक महत्वाकांक्षी कदम के साथ, भारत सरकार ने नामीबिया से मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में अफ्रीकी चीता की शुरुआत की। इस संबंध में कुनो राष्ट्रीय उद्यान के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

(a) यह राज्य के पश्चिमी भाग में कुनो नदी के मार्ग में स्थित है।
(b) यह पन्ना टाइगर रिजर्व और रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बीच लिंक जोड़ रहा है।
(c) 1990 में एशियाई शेर पुनरुत्पादन परियोजना को लागू करने के लिए इसे संभावित साइट के रूप में भी चुना गया था।

उत्तर:-
विकल्प (a) और (b)
केवल विकल्प (c)
विकल्प (b) और (c)
कोई भी नहीं
कूनो-पालपुर वन्यजीव अभयारण्य:-

कूनो-पालपुर वन्यजीव अभयारण्य को 1981 में वन्यजीव अभयारण्य व  वर्ष 2018 में एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अपग्रेड किया गया था।
मध्य प्रदेश के चंबल क्षेत्र(कुनो नदी किनारे) में स्थित, कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान 750 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
वर्तमान में इसमें तेंदुए, सियार, चित्तीदार हिरण, सांभर, नीलगाय, चिंकारा, जंगली सूअर और चार सींग वाले मृग हैं। यह सब चीता जैसी बिल्ली प्रजाति के लिए एक आदर्श आधार उपलब्ध कराते हैं। यहाँ सहरिया प्रजाति निवास करती है। 
लाभ:-
विशेषज्ञों का कहना है कि चीता पुनर्वास परियोजना, भारत में इकोटूरिज्म(Ecotourism) के लिए जबरदस्त अवसर पैदा करेगी।
कूनो-पालपुर वन्यजीव अभयारण्य, रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान (Ranthambore National Park) से सिर्फ 100 किलोमीटर दूर है, जिसने 2019 में 431,000 पर्यटकों को आकर्षित किया था।

नोट:- भारत में 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया। 

8 चीतों के साथ (नामीबिया से लाए)17 सितंबर 2022 को पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश के कुनो पालपुर पार्क (Kuno Wildlife Sanctuary) में चीता परियोजना का शुभारंभ किया।




  • चीता बड़ी बिल्ली प्रजातियों में सबसे पुरानी प्रजातियों में से एक है, जिनके पूर्वजों को पाँच मिलियन से अधिक वर्ष पूर्व मियोसीन युग में खोजा जा सकता है। 
  • चीता दुनिया का सबसे तेज़, भूमि स्तनपायी भी है जो अफ्रीका और एशिया में पाया जाता है। 

africa-cheetah

  • अफ्रीकी चीता:- 
    • वैज्ञानिक नाम: एसिनोनिक्स जुबेटस 
    • विशेषताएँ: इनकी त्वचा थोड़ी भूरी और सुनहरी होती है जो एशियाई चीतों से मोटी होती है। 
      • एशियाई प्रजाति की तुलना में उनके चेहरे पर बहुत अधिक धब्बे और रेखाएँ पाई जाती हैं। 
    • वितरण: पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में हज़ारों की संख्या में पाए जाते हैं। 
    • संरक्षण स्थिति:  
      • IUCN रेड लिस्ट: ‘सुभेद्य’ (Vulnerable) 
      • CITESसूची का परिशिष्ट-I 
      • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972परिशिष्ट-2. 
    • एशियाई चीता:-
      • वैज्ञानिक नामएसिनोनिक्स जुबेटस वेनेटिकस 
      • विशेषताएँ: यह अफ्रीकी चीता की तुलना में छोटा होता है 
        • शरीर पर बहुत अधिक फर, छोटा सिर व लंबी गर्दन,आमतौर पर इनकी आँखें लाल होती हैं और येप्रायः बिल्ली के समान दिखते हैं।. 
        • ईरान में पाया जाता है। 
      • वितरण: ये केवल ईरान में पाए जाते हैं और वहाँ भी इनकी संख्या 100 से कम बची है। 
      • संरक्षण:  
        • IUCN रेड लिस्ट: ‘अति संकटग्रस्त’ (Critically Endangered) 
        • CITES: परिशिष्ट-I 
        • WPA: अनुसूची-2 
    • Asia-cheetah 

      प्रश्न (9) भारत ने हाल ही में बीज संधि के शासी निकाय के नौवें सत्र की मेजबानी की, इस संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?


      (a) यह खाद्य और कृषि के लिए संयंत्र आनुवंशिक संसाधनों के लिए प्रमुख एजेंसी के रूप में काम करता है।

      (b) यह एक कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता है जिसे 2001 में खाद्य और कृषि संगठन द्वारा अपनाया गया था।

      (c) भारत इस संधि का एक पक्ष है।

      उत्तर :-

      विकल्प (a) केवल

      विकल्प (b) केवल

      विकल्प (c) केवल

      ऊपर के सभी


      प्रश्न (10) ग्लोबल गेटवे इनिशिएटिव के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

      (a) विकासशील देशों में नए बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए यह संयुक्त राष्ट्र की एक परियोजना है।

      (b) इस पहल के तहत भारत और यूरोपीय संघ ने पहला ईयू-इंडिया ग्रीन हाइड्रोजन फोरम शुरू किया

      उत्तर:-

      केवल (a)
      केवल (b)
      दोनों (a) और (b)
      न तो (a) और न ही (b)
प्रश्न (11) कृषि में शून्य जुताई के क्या/क्या लाभ हैं/हैं? (2020)

(a) पिछली फसल के अवशेषों को जलाए बिना गेहूं की बुवाई संभव है।
(b) धान के पौधों की नर्सरी की आवश्यकता के बिना गीली मिट्टी में धान के बीज की सीधी बुवाई संभव है।
(c) मिट्टी में कार्बन ज़ब्ती संभव है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:-
केवल a और b
केवल b और c
केवल c
a, b और c
नो-टिल फार्मिंग:-

ज़ीरो टिलेज, जिसे नो-टिल फार्मिंग भी कहा जाता है, एक खेती की तकनीक है जिसमें मिट्टी को केवल भट्ठा के साथ या उस छेद में परेशान किया जाता है जिसमें बीज लगाए जाते हैं, पिछली फसलों से आरक्षित डिट्रिटस बीज को कवर और संरक्षित करता है।
एक अध्ययन के अनुसार, यह पाया गया है कि उत्तर भारत में किसान न केवल वायु प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकते हैं, बल्कि अपनी मिट्टी की उत्पादकता में भी सुधार कर सकते हैं और अधिक लाभ कमा सकते हैं यदि वे अपने फसल अवशेषों को जलाना बंद कर दें और इसके बजाय नो-टिल खेती की अवधारणा को अपनाएं। .
जीरो टिलेज के तहत बिना जुताई वाली मिट्टी में गेहूं की सीधी बुवाई और चावल के अवशेषों को छोड़ देना बहुत फायदेमंद साबित हुआ है।
इसने पानी, श्रम और कृषि रसायनों के उपयोग को बचाया, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम किया, और मिट्टी के स्वास्थ्य और फसल की उपज में सुधार किया और इस तरह किसानों और समाज दोनों को बड़े पैमाने पर लाभ हुआ। अत: कथन 1 सही है।
अनुत्पादक जल प्रवाह को कम करने के लिए प्रत्यक्ष बीज चावल (डीएसआर) एक व्यवहार्य विकल्प है। डीएसआर का तात्पर्य नर्सरी से रोपाई के बजाय खेत में बोए गए बीजों से चावल की फसल को स्थापित करने की प्रक्रिया से है।
पारंपरिक चावल स्थापना प्रणाली के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। यह बताया गया है कि 1 किलो कच्चे चावल के उत्पादन के लिए 5000 लीटर तक पानी का उपयोग किया जाता है।
हालांकि, पानी की बढ़ती कमी के साथ, न्यूनतम या शून्य जुताई के साथ ड्राई डीएसआर श्रम की बचत करके इस तकनीक के लाभों को और बढ़ाता है। अत: कथन 2 सही है।
कोई भी जुताई वाली मिट्टी दूसरों की तुलना में ठंडी नहीं होती है, आंशिक रूप से क्योंकि पौधे के अवशेषों की एक सतह परत मौजूद होती है। मिट्टी में कार्बन जमा हो जाता है, जिससे इसकी गुणवत्ता में वृद्धि होती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा कम होता है। अत: कथन 3 सही है। इसलिए, विकल्प (डी) सही उत्तर है।

मेन्स:-
मुंबई, दिल्ली और कोलकाता देश के तीन बड़े शहर हैं लेकिन दिल्ली में वायु प्रदूषण अन्य दो की तुलना में कहीं अधिक गंभीर समस्या है. ऐसा क्यों है? (2021)




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