राजस्थान राज्य महिला आयोग
✍️राजस्थान राज्य महिला आयोग का गठन
राजस्थान राज्य महिला आयोग अधिनियम 1999 के तहत 15 मई 1999 को एक सांविधिक निकाय के रूप में किया गया।
✍️उद्देश्य:
1. राजस्थान राज्य मे प्रताड़ित महिलाओ की समस्याओ का समाधान करना ।
2. राज्य मे महिलाओ हितो की सुरक्षा करना ।
3. महिलाओ से संबन्धित लागू कानून का पुर्नध्ययन और महिलाओ को न्याया दिलाने के लिए सरकार से संसोधन बनने के लिए प्रार्थना करना ।
4. उपचारात्मक विधायी उपायों की सिफारिश करना ।
5. राजस्थान सरकार को महिलाओ को प्रभावित करने वाली सभी नीतिगत मामलो का सुझाव देना ।
✍️आयोग के कार्य
राजस्थान राज्य महिला आयोग अधिनियम, 1999, की धारा 11 आयोग के कार्यों का विस्तार से विवरण करती है , लेकिन संक्षेप में ये इस प्रकार हैं:
1· महिलाओं के विरुद्ध सभी अनुचित कृत्यों की जांच और विश्लेषण और कार्रवाई करने के लिए सरकार से अनुरोध करना
2· मौजूदा कानूनों को और अधिक प्रभावी बनाने और उनके कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाना।
3· मौजूदा कानूनों की समीक्षा करना और संशोधनों की सिफारिश करना
4· राज्य लोक सेवाओं और राज्य सार्वजनिक उद्यमों में महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव को रोकने के लिए
5· व्यावहारिक कल्याणकारी योजनाओं के सुझाव द्वारा महिलाओं की स्थिति मे सुधार लाने के लिए कदम उठाना, समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए सरकार से अपील करना
6· महिलाओं के हितों के विरुद्ध काम करते पाये जाने वाले लोक सेवकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए सरकार से अपील करना
7· सरकार को वार्षिक / विशेष रिपोर्ट अपनी सिफ़ारिशों के साथ प्रस्तुत करना
✍️आयोग की शक्तियां
अधिनियम के तहत आयोग के पास 10 (1) एक सिविल कोर्ट की शक्तियाँ हैं, मुकदमे को दीवानी प्रक्रिया संहिता 1908 (1908 का केन्द्रीय अधिनियम 5) के तहत सुनवाई करते समय।
राजस्थान राज्य महिला आयोग अधिनियम, 1999 की धारा 10,11,12 और 13 के तहत आयोग के पास शक्तियाँ हैं।
✍️राज्य में महिला नीति 8 मार्च,2000 को जारी की गई ।
✍️नियुक्ति – राज्य सरकार द्वारा मनोनीत होता हैं।
✍️कार्यकाल – तीन वर्ष का होता हैं।
✍️आयोग की संरचना
राजस्थान राज्य महिला आयोग 1999 के अधिनियम की धारा 3(2) के अनुसार आयोग में निम्नानुसार 1 अध्यक्ष, 3 सदस्य व 1 सदस्य सचिव हैं—
अध्यक्ष - 1
राज्य सरकार द्वारा 3 वर्ष के लिए मनोनीत किये जाते हैं।
सदस्य - 3
सदस्यों में से एक अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति की और एक अन्य पिछड़ी जाति की महिला होनी अनिवार्य हैं।
एक सदस्य सचिव, राज्य सरकार द्वारा पदस्थापित अधिकारी।
✍️आयोग का मुख्यालय— जयपुर
✍️प्रथम अध्यक्ष – कांता खतूरिया
✍️महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण आदेशों में से कुछ हैं:—
(ए) किसी भी आपराधिक मामले में, केवल एक पुलिस अधिकारी एक महिला को खोज सकते हैं।
(बी) एक औरत का मेडिकल परीक्षा एक महिला चिकित्सक द्वारा ही किया जा सकता है।
(सी) माता का नाम पिता के नाम के साथ साथ जन्म प्रमाण पत्र और स्कूल प्रमाण पत्र में लिखा जा रहा है।
(डी) एक औरत एक बच्चे को गोद ले सकते हैं।
(ई) 30% राज्य सरकार की नौकरियों और पंचायती राज संस्थाओं में 50% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
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