🙏जिला प्रशासन और न्याय व्यवस्था 🙏
✍️जिला शब्द अंग्रेजी के district शब्द का हिंदी रूपांतरण है।
District शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के "Districtus" से मानी जाती है, जिसका अर्थ है "न्यायिक प्रशासन"
✍️जिला प्रशासनिक इकाई के रूप में
प्राचीन काल में जिला-
वैदिक युग में विश(Canton) के रूप में, जिसका प्रमुख विशपति कहलाता था
मौर्य काल में जनपद शब्द का उपयोग किया जाता था, जिसे आज भी उत्तर प्रदेश में जिले हेतु उपयोग में लिया जाता है।
गुप्तकाल में विषम या विष्मा कहा जाता था और इसके अधिकारी को विषयपति जाता था।
मध्य युग में जिला
खिज्र खां सैैैयद ने इक्ता को शिक में बांटा, जिसे जिला माना जा सकता है।
शेरशाह सूरी ने अपने साम्राज्य को 66 सरकारों में विभाजित किया, यह सरकार ही जिला थी तथा इसका प्रमुख शिकदार-ए-शिकदारान था।
मुगल साम्राज्य को सुबों/प्रांतों में बांटा गया था तथा प्रांतों को सरकारों में और यह सरकार ही जिला था। इसके प्रमुख को करोड़ी फौजदारी कहा जाता था।
आधुनिक युग में जिला
आधुनिक युग में डिस्ट्रिक्ट शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा कलकात्ता जिले के दीवान के संदर्भ में सन् 1776 ई. में किया गया।
भारत में वारेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल में पहली बार सन् 1772 ईस्वी में कलेक्टर के पद का सृजन किया गया।
1773 ईस्वी में इसे समाप्त कर दिया गया।
1781 ईस्वी में इसे पुनर्जीवित कर दिया गया।
लार्ड कार्नवालिस ने व्यवस्था में सुधार हेतु 1839 ई. में जिलाधिकारियों को न्यायिक शक्तियों से वंचित कर दिया।
1858 ई. में कंपनी के हाथों से शासन ताज के हाथों में चले जाने पर कानून व्यवस्था एवं राजस्व प्रशासन में जिला प्रशासन की स्थिति मजबूत हुई।
भारतीय संविधान में जिला शब्द का प्रयोग अनुच्छेद (233) में जिला न्यायाधीश की नियुक्ति के संदर्भ में किया जाता है।
जिला कलेक्टर सामान्यतः भारतीय प्रशासनिक सेवा (I.A.S) का अधिकारी होता है और वह जिला स्तर पर राज्य सरकार की आंख, कान तथा हाथों के रूप में कार्य करता है।
✍️जिला प्रशासन का अर्थ-
ऑक्सफर्ड शब्दकोश के अनुसार- प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए चिन्हित क्षेत्र
चेंबर शब्दकोश के अनुसार- राज्य क्षेत्र का उपखंड
आधुनिक विद्वानों के अनुसार- राज्य के भीतर छोटा राज्य
एपी शर्मा के अनुसार- शासन की दृष्टि से राज्य को छोटी इकाइयों में बांट दिया जाता है, ऐसी सुविधा के लिए ही एक छोटी इकाई है "जिला"।
✍️जिला प्रशासन की संरचना
सभी जिला स्तरीय अधिकारी जिला कलेक्टर के नेतृत्व में कार्यों का प्रतिपादन या संचालन करते हैं।
✍️भारत में जिला प्रशासन की भूमिका महत्व-
1. सरकारी कानूनों और आदेशों को अपने क्षेत्र में क्रियान्वित करना
2 .भू राजस्व एकत्रण
3. जनकल्याण
✍️जिला प्रशासन की विशेषताएं या लक्षण-
1. स्थानीय क्षेत्रों में राज्य प्रशासन के मध्य महत्वपूर्ण कड़ी।
2. जिला प्रशासन के अधीन विभिन्न राज्य में कानून व व्यवस्था एवं विकासात्मक कार्यों को निष्पादित करने वाली प्रशासनिक इकाइयॉं कार्य करती है।
2. सामान्यत जिले का औसत क्षेत्र 4000 वर्ग मील तथा 10 लाख जनसंख्या होती है।
3. जिला प्रशासन का प्रमुख जिला कलेक्टर होता है, जो जिला स्तर पर सभी विभागों का मुख्य नियंत्रण एवं समन्वय अधिकारी होता है।
4. प्रत्येक जिला प्रशासन एक संभाग की इकाई होती है, जिस पर संभागीय आयुक्त नियंत्रण अधिकारी होता है।
✍️जिला प्रशासन का संगठन-
जिला प्रशासन की संगठनात्मक व्यवस्था प्रत्येक राज्य में अलग-अलग होती है।
जिला स्तर पर पुलिस प्रशासन का मुख्य जिला पुलिस अधीक्षक (district superintendent of police) होता है।
कमिश्नरेट प्रणाली में पुलिस अधीक्षक S.P. को कानून व्यवस्था लागू करने में सहायता होती है।
राजस्थान में जयपुर व जोधपुर में कमिश्नरेट व्यवस्था लागू है।
✍️ जिला कलेक्टर, जिला मजिस्ट्रेट, कलेक्टर (पंचायत),कलेक्टर (रसद), कलेक्टर (भू अभिलेख जिला), निर्वाचन अधिकारी के रूप में कार्य करता है।
कलेक्टर की मदद हेतु विभिन्न विभागों के जिलास्तरीय अधिकारी होते हैं।
जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारी व उसके विभाग का नाम
1. पुलिस विभाग- जिला पुलिस अधीक्षक
2. शिक्षा विभाग- जिला शिक्षा अधिकारी
3. वित्त विभाग-
जिला आबकारी अधिकारी
जिला वाणिज्य कर अधिकारी
जिला अल्प बचत अधिकारी
उपनिदेशक सामान्य प्रावधाई निधि एवं राज्य बीमा अधिकारी
5. चिकित्सा विभाग- मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
6. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग-जिला परिवीक्षा एवं समाज कल्याण अधिकारी
7. आयुर्वेद विभाग- जिला आयुर्वेद अधिकारी
8. परिवहन विभाग- जिला परिवहन अधिकारी
9. श्रम नियोजन विभाग- जिला रोजगार अधिकारी
10. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग- जिला रसद अधिकारी
11. कृषि विभाग-
जिला कृषि अधिकारी
सहायक निदेशक, उद्यान
12. आयोजना विभाग- जिला योजना अधिकारी
13. पशुपालन विभाग- जिला पशुपालन अधिकारी
14. सूचना एवं जनसंपर्क विभाग- जिला जनसंपर्क अधिकारी
15. आयोजना विभाग-
जिला मूल्यांकन अधिकारी
जिला सांख्यिकी अधिकारी
16. सैनिक कल्याण विभाग- जिला सैनिक कल्याण अधिकारी
17. उद्योग विभाग- महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र
18. पंचायती राज विभाग- मुख्य कार्यकारी अधिकारी
19. श्रम, नियोजन एवं खेलकूद विभाग- जिला खेल अधिकारी
20. विधि एवं न्याय विभाग- सहायक विधि अधिकारी
21. सहकारिता विभाग- सहायक रजिस्ट्रार
22. जन स्वास्थ्य अभियात्रिकी विभाग-
अधिशासी अभियंता (पीएचईडी)
भू-जल वैज्ञानिक
26. सार्वजनिक निर्माण विभाग-अधिशासी अभियंता (पीडब्ल्यूडी)
27. गृह विभाग- सहायक लोक अभियोजक
28. सिंचाई विभाग- अधिशासी अभियंता (सिंचाई)
29. पर्यटन, कला एवं संस्कृति विभाग- सहायक पर्यटन विभाग
30. वन विभाग- उप वन संरक्षक
31. खनिज विभाग- खनिज अभियंता
✍️जिला कलेक्टर की भूमिका-
जिला कलेक्टर जिले का सर्वोच्च अधिकारी होता है।
यह जिले का मुख्य कार्यकारी, प्रशासनिक एवं राजस्व अधिकारी होता है।
सामान्य जिले में नागरिक सुविधाएं एवं सेवाएं प्रदान करना, प्रशासन का निरीक्षण, भूमि राजस्व एकत्रण एवं जिले में कानून व्यवस्था को बनाए रखता है।
यह पुलिस और जिले के अधीनस्थ न्यायालयों का निरीक्षण भी करता है और न्यायिक दायित्वों का भी निर्वहन करता है।
जिले में कार्य कर रही विभिन्न सरकारी अभिकरण के मध्य आवश्यक समन्वय बनाने का कार्य करता है।
कलेक्टर के रूप में कर्तव्य एवं दायित्व
भूमि मूल्यांकन
भूमि अधिग्रहण
भूमि राजस्व का संग्रह, भूमि रिकॉर्ड का रखरखाव, भूमि सुधार जोतों का एकीकरण
बकाया आयकर, उत्पादन शुल्क, सिंचाई बकाया को वसूलना
कृषि ऋण का वितरण
बाढ़, सूखा और महामारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय आपदा प्रबंधन
जिला बैंकर समन्वय समिति की अध्यक्षता
जिला योजना केंद्र की अध्यक्षता
जिला मजिस्ट्रेट के रूप में
कानून व्यवस्था की स्थापना
पुलिस और जिलों का निरीक्षण
अधीनस्थ कार्यकारी मजिस्ट्रेटों का निरीक्षण
अपराध प्रक्रिया संहिता की निवारक खंड से संबंधित मुकदमों की सुनवाई करना
मृत्युदंड के क्रियान्वयन को प्रमाणित करना
सरकार को वार्षिक अपराध प्रतिवेदन प्रस्तुत करना
सभी मसलों से मंडलायुक्त को अवगत करवाना
मंडलायुक्त की अनुपस्थिति में जिला विकास प्राधिकरण के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्य करना
मुख्य प्रोटोकॉल अधिकारी के रूप में
जनगणना के कार्य को संपन्न करवाना
दैनिक जरूरत की वस्तुओं की आपूर्ति एवं वितरण पर निगरानी रखना
स्थानीय जनता की समस्याओं को सुना और उनके निवारण हेतु कदम उठाना।
जिला के सरकारी अधिकारियों की गतिविधियों का निरीक्षण करना और उनके लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करना
निर्वाचन अधिकारी के रूप में
जिला में सभी प्रकार के निर्वाचन कार्य को संपन्न करवाना
जिला में होने वाले चुनावों का नियंत्रण व निरीक्षण करना
✍️उपखंड अधिकारी (S.D.O)
राजस्थान में जिलों को उपखण्डों में विभाजित किया गया है और प्रत्येक उपखंड में एक उपखंड अधिकारी होता है जो सामान्यतः राजस्थान प्रशासनिक सेवा (R.A.S.) के अधिकारी होता है।
जिला कलेक्टर के निर्देश में सभी महत्वपूर्ण कार्यों को करता है।
✍️तहसीलदार(कार्यपालक मजिस्ट्रेट)
राजस्थान में राज्य प्रशासन हेतु प्रत्येक उपखंड को तहसीलों में बांटा गया है, जिसका मुख्य शीर्ष अधिकारी तहसीलदार होता है।
तहसीलदार राजस्व तहसीलदार सेवा के अधिकारी होते हैं।
राजस्व तहसीलदार सेवा पर नियंत्रण 1956 में राजस्व मंडल को सौंपा गया था।
✍️जिला प्रशासन के कार्यों की विवेचना
जिले में शांति व कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी कलेक्टर की होती है।
इसके लिए सहयोग पुलिस प्रशासन करता है। जिले में पुलिस विभाग पुलिस अधीक्षक एसपी के नियंत्रण, निर्देशन व पर्यवेक्षक में कार्य करता है।
SP के नियंत्रण में अपर पुलिस अधीक्षक, पुलिस उप अधीक्षक(DSP), वृत निरीक्षक, उप निरीक्षक (मुख्य आरक्षी हैड कांस्टेबल) तथा आरक्षी (कॉन्स्टेबल) होते हैं।
जिला मजिस्ट्रेट(कलेक्टर) के अधीन A.D.M.(अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट), उपखंड स्तर पर SDM (उपखंड मजिस्ट्रेट) और तहसील स्तर पर तहसीलदार (कार्यपालक मजिस्ट्रेट) नियुक्त होते हैं, जो अपने-अपने स्तर पर पुलिस अधिकारियों से तालमेल स्थापित कर शांति व कानून व्यवस्था बनाए रखते हैं।
जिला प्रशासन का महत्वपूर्ण कार्य अपने अधीनस्थ तहसीलों में विभिन्न प्रकार की भूमियों का अभिलेख रखते हुए इसे उद्यतन भी बनाए रखेने का है।
इस हेतु प्रत्येक गांव का एक पटवारी होता है, जो गांव की समस्त भूमि का निर्धारित प्रकारों में वर्गीकरण करता है, खेतों का नाप, नक्शे, मलिकाना हक का विवरण रखता है ।
फसल तैयार होने पर पटवारी उसका विवरण तैयार करता है, जिसे गिरदावरी करना कहते हैं।
पटवारी किसानों से भूमि कर वसूल करता है, जिसे भू-राजस्व/ लगान कहते हैं।
जिला प्रशासन जिले में रह रहे सभी व्यक्तियों को आवश्यक वस्तुएं (जैसे- खाद्यान्न, चीनी, मिट्टी का तेल, डीजल, पेट्रोल, घरेलू गैस सिलेंडर आदि को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराता है तथा साथ ही बाढ़ अकाल तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों को आवश्यक खाद्य सामग्री) उपलब्ध करवाता है। इस कार्य हेतु जिला रसद अधिकारी होता है।
जिले में चिकित्सा सुविधाऍं एवं दवाइयां, टीकाकरण, परिवार कल्याण, महिला एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएं नशा मुक्ति आदि कार्यक्रमों को संचालित करने हेतु मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी होता है तथा उसके सहयोग हेतु ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी (डॉक्टर), नर्स, प्रसाविका (दाई) आदि होते हैं।
जिले में सिंचाई एवं कृषि हेतु सिंचाई एवं कृषि विभाग कार्य करते हैं, जो किसानों को सिंचाई की सुविधा तथा उन्नत खाद्य बीज उपलब्ध करवाते हैं और कृषि हेतु विद्युत आपूर्ति के लिए भी मदद करते हैं।
वनों के संरक्षण एवं विकास हेतु जिला वन अधिकारी, लोकसभा, विधानसभा, पंचायती राज व्यवस्था और शहरी स्थानीय निकाय के चुनाव हेतु जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में कलेक्टर होता है।
जिले में प्राकृतिक आपदा एवं अन्य समस्याओं के निवारण के लिए जिला प्रशासन राज्य सरकार को सूचित करता है तथा आवश्यक व्यवस्था करता है।
सरकार की विभिन्न योजनाओं और नीतियों की जानकारी जनता को देता है ताकि जनता उनका लाभ उठा सके।
केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई योजना का निर्माण एवं क्रियान्वयन जिले के विभिन्न विभागों द्वारा की जाती है जिन पर जिला प्रशासन का नियंत्रण निर्देशन होता है।
पंचायती राज व्यवस्था के सुचारू रूप से संचालन हेतु जिला प्रशासन जिला परिषद को सहयोग प्रदान करता है।
आम जनता की कठिनाइयों एवं शिकायतों के निवारण हेतु जिला स्तर पर "जन अभाव अभियोग एवं सतर्कता समिति" होती है, जिसके माध्यम से जनता अपनी सार्वजनिक व्यक्तिगत समस्याओं का निराकरण करवा सकती है।
प्रत्येक जिले में प्राथमिक शिक्षा माध्यमिक शिक्षा हेतु प्रथक-प्रथक जिला शिक्षा अधिकारी कार्यरत हैं। यह अपने जिले में स्थित विद्यालयों में शैक्षिक कार्यों को सुचारू एवं व्यवस्थित रूप से संचालित करवाने, नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम की पालना करवाने, निजी विद्यालयों को मान्यता देने, जिला स्तर पर विद्यालय खेलकूद प्रतियोगिताओं के अन्य कार्यक्रमों को आयोजित करवाने आदि प्रमुख कार्य करते हैं।
प्रारंभिक शिक्षा हेतु जिले के सभी विकास खंडों में ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी कार्यरत हैं।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री आदि महत्वपूर्ण व्यक्तियों की राजकीय यात्रा को निर्बाध रुप से संपन्न करवाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होती है।
✍️जिले की न्याय व्यवस्था
1. दीवान विवाद- संपत्ति, चीजों की खरीदारी, विवाह, किराया और संविदा संबंधि विवाद दीवानी विवाद के अंतर्गत आते हैं और इन विवादों के निपटारे दीवानी न्यायालय में होते हैैं।
2. फौजदारी विवाद- हत्या, मारपीट, चोरी तथा शांति भंग करने से संबंधित विवाद फौजदारी विवाद के अंतर्गत आते हैं और इनकी सुनवाई फौजदारी न्यायालय में होती है।
3. राजस्व विवाद- भूमि संबंधी विवादों में कृषि, भूमि के उत्तराधिकार, नामांतरण, खातेदारी, लगान आदि के विवाद राजस्व विवाद के अंतर्गत आते हैं।
ऐसे मामले क्षेत्राधिकार के अनुसार उप-तहसीलदार, तहसीलदार अथवा सहायक कलेक्टर के यहां प्रस्तुत होते हैं। जिले में अंतिम रूप से अपीलों का निर्णय जिला कलेक्टर के यहां होता है।
✍️जिले में मुख्यतः तीन प्रकार के न्यायालय कार्यरत हैं-
1. दीवानी न्यायालय
2. राजस्व न्यायालय
3. फौजदारी न्यायालय- इसमें सबसे पहले पीड़ित पक्ष को अपने क्षेत्र के पुलिस थाने में सूचना देनी आवश्यक होती है, जिसे प्राथमिक सूचना या f.i.r. कहते हैं।
इसके बाद पुलिस थान छानबीन कर सबूत इकट्ठा करती है और फिर न्यायालय में इस मामले का चालान प्रस्तुत करती है। न्यायालय प्रस्तुत सबूतों और गवाहों के साथ-साथ दोनों पक्षों के बयानों के आधार पर अपना निर्णय देती है।
इनके अतिरिक्त जिले में कुछ विशिष्ट न्यायालय भी होते हैं।
जैसे- परिवारिक न्यायालय, अनुसूचित जाति एवं जनजाति मामलों संबंधी न्यायालय, श्रम न्यायालय, मोटर वाहन दुर्घटना न्यायालय, जिला उपभोक्ता मंच आदि।
लोक अदालत-
न्यायालय से बाहर आपसी समझाइश के द्वारा विवादों को समाप्त करवाने के लिए देश में लोक अदालत की व्यवस्था की गई है।
प्रत्येक जिले में एक स्थाई लोक अदालत होती है तथा निर्धारित कार्यक्रम अनुसार अदालतों को स्थानीय स्तर पर भी लगाया जाता है।
इसमें न्यायाधीश उस क्षेत्र के प्रमुख व्यक्तियों के सहयोग से विवादाग्रस्त पक्षों के मध्य समझौता करवा कर विवाद का स्थाई समाधान करता है, जो न्यायालय को मान्य होता है। इससे आपसी कटुता दूर होती है तथा सस्ता और त्वरित न्याय प्राप्त होता है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गरीब, पिछड़े व असहाय लोगों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करता है।
✍️प्रमुख शब्दावली
संवैधानिक संस्थाएं- वे संस्थाएं जिन का गठन संविधान के अनुसार हुआ हो। जैसे- लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, पंचायती राज एवं नगरीय स्वशासन की संस्थाएं।
रसद- खाद्य सामग्री। जैसे- जल आनाज आदि
अभाव अभियोग- सुविधाओं आदि की कमी का आक्षेप।
विधिक- कानून संबंधी
उद्यतन- आज का ज्ञान नवीनतम
(i) जिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है-
(अ) पुलिस अधीक्षक
(ब) जिला कलक्टर
(स) जनसम्पर्क अधिकारी
(द) कोषाधिकारी
उत्तर:
(ब) जिला कलक्टर
(ii) न्यायालय से बाहर आपसी समझाइश द्वारा विवादों को समाप्त करवाया जाता है-
(अ) दीवानी न्यायालय में
(ब) फौजदारी न्यायालय में
(स) लोक अदालत में
(द) राजस्व न्यायालय में
उत्तर:
(स) लोक अदालत में
(iii) जिला निर्वाचन अधिकारी का प्रमुख कार्य है-
(अ) शिक्षा की व्यवस्था करना
(ब) बेरोजगारों को रोजगार दिलवाना
(स) चुनाव सम्पन्न कराना
(द) रसद की व्यवस्था करना
उत्तर:
(स) चुनाव सम्पन्न कराना
(iv) खाद्यान्न, चीनी व मिट्टी के तेल की व्यवस्था करता है-
(अ) पटवारी
(ब) जन अभाव अभियोग एवं सतर्कता समिति
(स) जिला रसद अधिकारी
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(स) जिला रसद अधिकारी
(v) जिला स्तर पर विद्यालयी खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन कौन कराता है ?
(अ) जिला रसद अधिकारी
(ब) जिला निर्वाचन अधिकारी
(स) जिला शिक्षा अधिकारी
(द) जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी।
उत्तर:
(स) जिला शिक्षा अधिकारी
(vi) भूमि सम्बन्धी विवाद प्रस्तुत होता है-
(अ) दीवानी न्यायालय में
(ब) फौजदारी न्यायालय में
(स) राजस्व न्यायालय में
(द) जिला उपभोक्ता मंच में
उत्तर:
(स) राजस्व न्यायालय में
(vii) आपसी समझौते द्वारा विवादों के समाधान हेतु किस न्यायालय की व्यवस्था की गयी है ?
(अ) पारिवारिक न्यायालय
(ब) श्रम न्यायालय
(स) जिला उपभोक्ता मंच
(द) लोक अदालत
उत्तर:
(द) लोक अदालत।
(i) जिले का चहुँमुखी विकास ………… की कार्यकुशलता पर निर्भर करता है।
(i) जिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी ……….. होता है।
(iii) जिले का पुलिस विभाग ……….. के नियन्त्रण, निर्देशन एवं पर्यवेक्षण में कार्य करता है।
(iv) जिले में अन्तिम रूप से अपीलों का निर्णय ……….. के यहाँ होता है।
(v) राजस्थान में ………बहुत लोकप्रिय है।
उत्तर:
(i) जिला प्रशासन
(ii) जिला कलक्टर
(iii) पुलिस अधीक्षक
(iv) जिला कलक्टर
(v) लोक अदालतें
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