😢 यौन अपराध😢
धारा 375- बलात्कार की परिभाषा
धारा 376- बलात्कार के लिए दंड का प्रावधान
इसकी परिभाषा "भारतीय दंड संहिता 1860" की धारा 375 में दी गई है।
16 दिसंबर 2012 को निर्भया बलात्कार होने के बाद गठित "जस्टिस जे एस वर्मा" कमेटी ने बलात्कार की परिभाषा को व्यापक कर दिया।
👉375. एक व्यक्ति ने "बलात्कार" किया है यदि वह -
👉निम्नलिखित सात में से किसी एक प्रकार की परिस्थिति में कहता है:
1. उस स्त्री की इच्छा के विरुद्ध
2. उस स्त्री की सम्मति के बिना
3. उस स्त्री की सम्मति से, जब उसकी सम्मति उसे यह ऐसे किसी व्यक्ति को, जिससे वह हितबद्ध है, मृत्यु या उपहती के भय में डालकर अभिप्राप्त की गई है।
4. उस स्त्री की सम्मति से, जबकि वह पुरुष यह जानता है कि वह उसका पति नहीं है और उसने सम्मति इस कारण दी है कि वह यह विश्वास करती है कि ऐसा अन्य पुरुष है जिससे वह विधिपूर्वक विवाह है या विवाहित होने का विश्वास करती है।
5. उस स्त्री की सम्मति से, जब ऐसी सम्मति देने के समय, वह विकृतचित्तता या मत्तता या किसी संज्ञा शून्यकारी या अस्वास्थ्यकर पदार्थ उसके द्वाराव्यक्तिगत रूप से या किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से दिए जाने के कारण, उस बात की, जिसके बारे में वह सम्मति देती है, प्रकृति और परिणामों को समझने में असमर्थ है।
6. उस स्त्री के सम्मति से या उसके बिना, जब वह 18 वर्ष से कम आयु की है।
7. जब वह स्त्री सम्मति से संसूचित करने में असमर्थ है।
स्पष्टीकरण 1- इस खंड के प्रयोजनों के लिए, "योनि" में वृहत् भगोष्ठ भी होना शामिल होगा।
स्पष्टीकरण 2- सहमति का मतलब एक स्पष्ट स्वैच्छिक समझौता होता है- जब महिला शब्द, इशारों या किसी भी प्रकार के मौखिक या गैर-मौखिक संवाद से विशिष्ट यौन कृत्य में भाग लेने की इच्छा व्यक्त करती है;
बशर्ते एक महिला जो शारीरिक रूप से प्रवेश के लिए विरोध नहीं करती, केवल इस तथ्य के आधार पर यौन गतिविधि के लिए सहमति नहीं माना जाएगा।
अपवाद 1- एक चिकित्सा प्रक्रिया या हस्तक्षेप बलात्कार संस्थापित नहीं करेगा।
अपवाद 2- पुरुष का अपनी पत्नी के साथ मैथुन बलात्संग नहीं है जबकि पत्नी पन्द्रह वर्ष से कम आयु की नहीं है।
- अपने लिंग को किसी भी हद तक, एक महिला के मुंह, योनि, मूत्रमार्ग या गुदा में प्रवेश कराता है या उस महिला को उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करने के लिए कहता है; या
- किसी भी हद तक, किसी भी वस्तु या लिंग के अलावा शरीर का एक हिस्सा, एक महिला के मूत्रमार्ग या गुदा या योनि में प्रवेश कराता है, उस महिला को उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करने के लिए कहता है; या
- एक महिला के शरीर के किसी भी हिस्से को तोड़-मरोड़ कर उस महिला के मूत्रमार्ग, योनि, गुदा या शरीर के किसी भी भाग में प्रवेश कराता है या उस महिला को उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करने के लिए कहता है; या
- अपने मुंह को एक महिला के मूत्रमार्ग, योनि या गुदा, पर लगाता है या उस महिला को उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करने के लिए कहता है।
👉निम्नलिखित सात में से किसी एक प्रकार की परिस्थिति में कहता है:
1. उस स्त्री की इच्छा के विरुद्ध
2. उस स्त्री की सम्मति के बिना
3. उस स्त्री की सम्मति से, जब उसकी सम्मति उसे यह ऐसे किसी व्यक्ति को, जिससे वह हितबद्ध है, मृत्यु या उपहती के भय में डालकर अभिप्राप्त की गई है।
4. उस स्त्री की सम्मति से, जबकि वह पुरुष यह जानता है कि वह उसका पति नहीं है और उसने सम्मति इस कारण दी है कि वह यह विश्वास करती है कि ऐसा अन्य पुरुष है जिससे वह विधिपूर्वक विवाह है या विवाहित होने का विश्वास करती है।
5. उस स्त्री की सम्मति से, जब ऐसी सम्मति देने के समय, वह विकृतचित्तता या मत्तता या किसी संज्ञा शून्यकारी या अस्वास्थ्यकर पदार्थ उसके द्वाराव्यक्तिगत रूप से या किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से दिए जाने के कारण, उस बात की, जिसके बारे में वह सम्मति देती है, प्रकृति और परिणामों को समझने में असमर्थ है।
6. उस स्त्री के सम्मति से या उसके बिना, जब वह 18 वर्ष से कम आयु की है।
7. जब वह स्त्री सम्मति से संसूचित करने में असमर्थ है।
स्पष्टीकरण 1- इस खंड के प्रयोजनों के लिए, "योनि" में वृहत् भगोष्ठ भी होना शामिल होगा।
स्पष्टीकरण 2- सहमति का मतलब एक स्पष्ट स्वैच्छिक समझौता होता है- जब महिला शब्द, इशारों या किसी भी प्रकार के मौखिक या गैर-मौखिक संवाद से विशिष्ट यौन कृत्य में भाग लेने की इच्छा व्यक्त करती है;
बशर्ते एक महिला जो शारीरिक रूप से प्रवेश के लिए विरोध नहीं करती, केवल इस तथ्य के आधार पर यौन गतिविधि के लिए सहमति नहीं माना जाएगा।
अपवाद 1- एक चिकित्सा प्रक्रिया या हस्तक्षेप बलात्कार संस्थापित नहीं करेगा।
अपवाद 2- पुरुष का अपनी पत्नी के साथ मैथुन बलात्संग नहीं है जबकि पत्नी पन्द्रह वर्ष से कम आयु की नहीं है।
👉 बलात्संग के लिए दंड
376. ( 1 ) जो कोई , उपधारा ( 2 ) में उपबंधित मामलों के सिवाय , बलात्संग करेगा , वह दोनों में से किसी भांति के कठोर कारावास से , जिसकी अवधि सात वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी , दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।
( 2 ) जो कोई-
( क ) पुलिस अधिकारी होते हुए—
( i ) उस पुलिस थाने की , जिसमें ऐसा पुलिस अधिकारी नियुक्त है , सीमाओं के भीतर बलात्संग करेगा ; या
( ii ) किसी भी थाने के परिसर में बलात्संग करेगा ; या
( iii ) ऐसे पुलिस अधिकारी को अभिरक्षा में या ऐसे पुलिस अधिकारी के अधीनस्थ किसी पुलिस अधिकारी की अभिरक्षा में किसी स्त्री से बलात्संग करेगा ; या
( ख ) लोक सेवक होते हुए , ऐसे लोक सेवक की अभिरक्षा में या ऐसे लोक सेवक के अधीनस्थ किसी लोक सेवक की अभिरक्षा में की किसी स्त्री से बलात्संग करेगा ; या
( ग ) केंद्रीय या किसी राज्य सरकार द्वारा किसी क्षेत्र में अभिनियोजित सशस्त्र बलों का कोई सदस्य होते हुए , उस क्षेत्र में बलात्संग करेगा ; या
( घ ) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा या उसके अधीन स्थापित किसी जेल , प्रतिप्रेषण गृह या अभिरक्षा के अन्य स्थान के या स्त्रियों या बालकों की किसी संस्था के प्रबंधतंत्र या कर्मचारिवृंद में होते हुए , ऐसी जेल , प्रतिप्रेषण गृह , स्थान या संस्था के किसी निवासी से बलात्संग करेगा ; या
( ङ ) किसी अस्पताल के प्रबंधतंत्र या कर्मचारिबंद में होते हुए , उस अस्पताल में किसी स्त्री से बलात्संग करेगा ; या
( च ) स्त्री का नातेदार , संरक्षक या अध्यापक अथवा उसके प्रति न्यास या प्राधिकारी की हैसियत में का कोई व्यक्ति होते हुए , उस स्त्री से बलात्संग करेगा ; या
( छ ) सांप्रदायिक या पंथीय हिंसा के दौरान बलात्संग करेगा ; या
( ज ) किसी स्त्री से यह जानते हुए कि वह गर्भवती है बलात्संग करेगा ; या
( झ ) किसी स्त्री से , जब वह सोलह वर्ष से कम आयु की है , बलात्संग करेगा ; या
( ज ) उस स्त्री से , जो सम्मति देने में असमर्थ है , बलात्संग करेगा ; या
( ट ) किसी स्त्री पर नियंत्रण या प्रभाव रखने की स्थिति में होते हुए , उस स्त्री से बलात्संग करेगा ; या
( ठ ) मानसिक या शारीरिक नि : शक्तता से ग्रसित किसी स्त्री से बलात्संग करेगा ; या
( ड ) बलात्संग करते समय किसी स्त्री को गंभीर शारीरिक अपहानि कारित करेगा या विकलांग बनाएगा या विदूपित करेगा या उसके जीवन को संकटापन्न करेगा ; या
( ढ ) उसी स्त्री से बारबार बलात्संग करेगा ,
वह कठोर कारावास से , जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी , किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी , जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा , दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।
स्पष्टीकरण इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए-
( क ) " सशस्त्र बल " से नौसेना बल , सैन्य बल और वायु सेना बल अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन गठित सशस्त्र बलों का , जिसमें ऐसे अर्धसैनिक बल और कोई सहायक बल भी हैं , जो केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन हैं , कोई सदस्य भी है ,
( ख ) " अस्पताल " से अस्पताल का अहाता अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत किसी ऐसी संस्था का अहाता भी है , जो स्वास्थ्य लाभ कर रहे व्यक्तियों के या चिकित्सीय देखरेख या पुनर्वास की अपेक्षा रखने वाले व्यक्तियों के प्रवेश और उपचार करने के लिए है ।
( ग ) " पुलिस अधिकारी " का वही अर्थ होगा जो पुलिस अधिनियम , 1861(1861का 5) के अधीन " पुलिस " पद में उसका है ;
( घ ) " स्त्रियों या बालकों की संस्था " से स्त्रियों और बालकों को ग्रहण करने और उनकी देखभाल करने के लिए स्थापित और अनुरक्षित कोई संस्था अभिप्रेत है चाहे उसका नाम अनाथालय हो या उपेक्षित स्त्रियों या बालकों के लिए गृह हो या विधवाओं के लिए गृह या किसी अन्य नाम से ज्ञात कोई संस्था हो ।
👉376 (क) . पीड़िता की मृत्यु या लगातार विकृतशील दशा कारित करने के लिए दंड- जो कोई , धारा 376 की उपधारा ( 1 ) या उपधारा ( 2 ) के अधीन दंडनीय कोई अपराध करता है और ऐसे अपराध के दौरान ऐसी कोई क्षति पहुंचाता है जिससे स्त्री की मृत्यु कारित हो जाती है या जिसके कारण उस स्त्री की दशा लगातार विकृतशील हो जाती है , वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास से , जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम की नहीं होगी किंतु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी , जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा , या मृत्युदंड से दंडित किया जाएगा ।
👉376 (ख) . पृथक् कर दिए जाने के दौरान किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ संभोग/मैथुन - जो कोई अपनी पत्नी के साथ , जो पृथक्करण की किसी डिक्री के अधीन या किसी प्रथा अथवा रूढ़ि के अधीन , उससे पृथक रह रही है , उसकी सम्मति के बिना उसके साथ मैथुन करेगा , वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि दो वर्ष से कम नहींं होगी किंतु सात वर्ष तक की हो सकेगी , दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
👉376 (ग) . प्राधिकार में किसी व्यक्ति द्वारा मैथुन
जो कोई ,
( क ) प्राधिकार की किसी स्थिति या वैश्वासिक संबंध रखते हुए ; या
( ख ) कोई लोक सेवक होते हुए ; या
( ग ) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा या उसके अधीन स्थापित किसी जेल , प्रतिप्रेषण - गृह या अभिरक्षा के अन्य स्थान का या स्त्रियों या बालकों की किसी संस्था का अधीक्षक या प्रबंधक होते हुए ; या
( घ ) अस्पताल के प्रबंधतंत्र या किसी अस्पताल का कर्मचारिवृंद होते हुए ,
ऐसी किसी स्त्री को , जो उसकी अभिरक्षा में है या उसके भारसाधन के अधीन है या परिसर में उपस्थित है , अपने साथ मैथुन करते हेतु , जो बलात्संग के अपराध की कोटि में नहीं आता है , उत्प्रेरित या विलुब्ध करने के लिए ऐसी स्थिति या वैश्वासिक संबंध का दुरुपयोग करेगा , वह दोनों में से किसी भांति के कठोर कारावास से , जिसकी अवधि पांच वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो दस वर्ष तक की हो सकेगी , दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।
स्पष्टीकरण 1- इस धारा में , " मैथुन " से धारा 375 के खंड ( क ) से खंड ( घ ) में वर्णित कोई कृत्य अभिप्रेत होगा ।
स्पष्टीकरण 2- इस धारा के प्रयोजनों के लिए , धारा 375 का स्पष्टीकरण 1 भी लागू होगा ।
स्पष्टीकरण 3 - किसी जेल , प्रतिप्रेषण - गृह या अभिरक्षा के अन्य स्थान या स्त्रियों या बालकों की किसी संस्था के संबंध में , " अधीक्षक " के अंतर्गत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो जेल , प्रतिप्रेषण - गृह , स्थान या संस्था में ऐसा कोई पद धारण करता है जिसके आधार पर वह उसके निवासियों पर किसी प्राधिकार या नियंत्रण का प्रयोग कर सकता है ।
स्पष्टीकरण 4- " अस्पताल " और " स्त्रियों या बालकों की संस्था " पदों का क्रमश : वही अर्थ होगा जो धारा 376 की उपधारा ( 2 ) के स्पष्टीकरण में उनका है ।
👉376 (घ) . सामूहिक बलात्कार
जहां किसी स्त्री से , एक या अधिक व्यक्तियों द्वारा , एक समूह गठित करके या सामान्य आशय को अग्रसर करने में कार्य करते हुए बलात्संग किया जाता है , वहां उन व्यक्तियों में से प्रत्येक के बारे में यह समझा जाएगा कि उसने बलात्संग का अपराध किया है और वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास से , जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम की नहीं होगी किंतु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी , जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा , दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा :
परंतु ऐसा जुर्माना पीड़िता के चिकित्सीय खर्चों को पूरा करने और पुनर्वास के लिए न्यायोचित और युक्तियुक्त होगा : परंतु यह और कि इस धारा के अधीन अधिरोपित कोई जुर्माना पीड़िता को संदत्त किया जाएगा ।
👉376 (घ)(क) . 16 वर्ष से कम आयु की स्त्री के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए दंड-
जहां किसी स्त्री से , जब वह 16 वर्ष से कम आयु की है, एक या अधिक व्यक्तियों द्वारा , एक समूह गठित करके या सामान्य आशय को अग्रसर करने में कार्य करते हुए बलात्संग किया जाता है , वहां उन व्यक्तियों में से प्रत्येक के बारे में यह समझा जाएगा कि उसने बलात्संग का अपराध किया है और वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास से , जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी , जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा , दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा :
परंतु ऐसा जुर्माना पीड़िता के चिकित्सीय खर्चों को पूरा करने और पुनर्वास के लिए न्यायोचित और युक्तियुक्त होगा : परंतु यह और कि इस धारा के अधीन अधिरोपित कोई जुर्माना पीड़िता को संदत्त किया जाएगा ।
👉376 (घ)(ख) . 12 वर्ष से कम आयु की स्त्री के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए दंड-
जहां किसी स्त्री से , जब वह 12 वर्ष से कम आयु की है, एक या अधिक व्यक्तियों द्वारा , एक समूह गठित करके या सामान्य आशय को अग्रसर करने में कार्य करते हुए बलात्संग किया जाता है , वहां उन व्यक्तियों में से प्रत्येक के बारे में यह समझा जाएगा कि उसने बलात्संग का अपराध किया है और वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास से , जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी , जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा , दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा :
परंतु ऐसा जुर्माना पीड़िता के चिकित्सीय खर्चों को पूरा करने और पुनर्वास के लिए न्यायोचित और युक्तियुक्त होगा : परंतु यह और कि इस धारा के अधीन अधिरोपित कोई जुर्माना पीड़िता को संदत्त किया जाएगा ।
👉376 (ङ) . पुनरावृति अपराधियों के लिए दंड
जो कोई , धारा 376 या धारा 376 क या धारा 376 घ के अधीन दंडनीय किसी अपराध के लिए पूर्व में दंडित किया गया है और तत्पश्चात् उक्त धाराओं में से किसी के अधीन दंडनीय किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराया जाता है , आजीवन कारावास से , जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा , या मृत्युदंड से दंडित किया जाएगा ।
👉कोर्ट के महत्वपूर्ण मामले-
1. बुद्धिसत्व गौतमे बनाम शुभ्रा चक्रवर्ती / ए.आई.आर . 1996 एस.सी. 922 ) के मामले में-
यह कहा गया है कि बलात्मकार मानव अधिकारों के विरुद्ध अपराध है ।
2. स्टेट ऑफ राजस्थान बनाम ओम प्रकाश / ए.आई.आर . 2002 एस.सी. 2235 ) के मामले में-
बलात्कार को मानवता के विरुद्ध अपराध बताया गया है ।
3. स्टेट ऑफ पंजाब बनाम रामदेव सिंह ( ए.आई.आर 2004 एस.सी. 1290 ) के मामले में-
बलात्कार को मूल अधिकारों का अतिलंघन माना गया है ।
4. स्टेट ऑफ पंजाब बनाम राकेश कुमार ( ए.आई.आर. 2009 एस.सी. 391 ) के मामले में-
बलात्कार को एक गंभीर सामाजिक अपराध माना गया है ।
✍️377. प्रकृति विरुद्ध अपराधों के विषय में/अप्राकृतिक मैथुन -
इसे प्रकृति के विरुद्ध अपराध भी कहा जाता है।
जो कोई किसी पुरुष , स्त्री या जीवजन्तु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के विरुद्ध स्वेच्छया इन्द्रियभोग करेगा , वह आजीवन कारावास से , या दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि दस वष तक की हो सकेगी , दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
स्पष्टीकरण - इस धारा में वर्णित अपराध के लिए आवश्यक इन्द्रिय भोग गठित करने के लिए प्रवेशन पर्याप्त है।
गुदा मैथुन , मुख मैथुन आदि प्रवृत्ति की व्यवस्था के विरुद्ध इन्द्रिय संभोग है ।
👉कोर्ट के महत्वपूर्ण मामले-
ग्रेस जयमणि बनाम ई.पी. पीटर ( ए.आई.आर. 1982 कर्नाटक 46 ) के मामले में-
गुदा मैथुन एवं मुख मैथुन को प्रकृति के विरुद्ध अपराध माना गया है ।
जमील बनाम स्टेट ऑफ महाराष्ट्र / ए.आई.आर . 2007 एस.सी. 971 ) के मामले में-
अभियुक्त द्वारा एक छ : वर्षीय बालिका के साथ गुदा मैथुन को धारा 377 के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध माना गया है ।
करतार सिंह बनाम स्टेट ( 1993 कि.ला.ज. 1983 दिल्ली ) के मामले में-
अभियुक्त ने एक बालिका को अपनी गोद में बिठाया उसके मुँह में अपना लिंग डाल दिया तथा मुख में ही वीर्यपात हो गया । इसे धारा 377 के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध माना गया । समलैंगिकता आदि ऐसे ही अपराध है ।
संवैधानिकता : ऐसे दो महत्वपूर्ण मामले हैं जिनमें धारा 377 की संवैधानिकता का प्रश्न उठा है ।
1.सुरेश कुमार कौशल बनाम नाज फाउण्डेशन ( ए.आई.आर. 2014 एस.सी. 563 ) के मामले में-
उच्चतम न्यायालय द्वारा धारा 377 को संवैधानिक ठहराते हुए प्रकृति विरुद्ध मैथुन को दण्डनीय अपराध माना गया है । लेकिन
2.नवतेजसिंह जोहर बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया ( ए.आई.आर. 2018 एस.सी. 4321 ) के मामले में-
उच्चतम न्यायालय द्वारा धारा 377 को असंवैधानिक घोषित करते हुए समलैंगिकता को अपराध मानने से इन्कार कर दिया गया है ।
उच्चतम न्यायालय द्वारा यह कहा गया है कि-
( i ) दो वयस्क व्यक्तियों के बीच स्वैच्छिक लैंगिक संभोग प्रकृति की व्यवस्था के विरुद्ध नहीं है ।
( ii ) यह लोक व्यवस्था , नैतिकता एवं शिष्टता को क्षति पहुँचाने वाला नहीं है ।
( iii ) दो वयस्क व्यक्तियों के बीच स्वैच्छिक लैंगिक संभोग को अपराध मानने वाली धारा 377 संविधान के अनुच्छेद 14.15 , 19 एवं 21 का अतिलंघन करती है ।
लेकिन ( i ) अवयस्क , ( ii ) अस्वैच्छिक , एवं ( iii ) जीवजन्तु , के साथ किया गया लैंगिक संभोग यथावत् अपराध माना जाता रहेगा।
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