✍️कोशिका -
कोशिका की खोज सन् 1665 ई. में सर्वप्रथम रॉबर्ट हुक ने कॉर्क की पतली परत को सूक्ष्मदर्शी के नीचे रखकर की।
कॉर्क की परत में मधुमक्खी समान कोस्ट दिखाई दिए, जिसे कोशिका का नाम दिया।
✍️कोशिका संगठन के आधार पर जीव -
1. एक कोशिकीय जीव - एक कोशिका से बने जीव।
उदाहरण - अमीबा, पैरामीशियम आदि।
2. बहुकोशिकीय जीव - एक सेेेे अधिक कोशिकाओं से बने जीव।
उदाहरण- मनुष्य ।
✍️केंद्रक के चारों ओर पाई जाने वाली झिल्ली की उपस्थिति और अनुपस्थिति के आधार पर जीव -
[प्रत्येक कोशिका में एक केंद्र होता है।]
1. प्रोकैरयोट्स - कोशिका झिल्ली उपस्थित
2. यूकैरियोट्स - कोशिका झिल्ली अनुपस्थित
✍️ कोशिका का माप -
1 मीटर के 10 लाख वें भाग के बराबर सूक्ष्म से सेंटीमीटर लंबी तक
सबसे छोटी कोशिका - 0.1 माइक्रोमीटर से 0.5 माइक्रोमीटर (जीवाणु की)
सबसे बड़ी कोशिका - 170 * 130 मिमी. (शुतुरमुर्ग का अंडा)
[नोट:- कोशिका को सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है।]
✍️ कोशिका की आकृति -
🖍️ अनिश्चित आकृति वाली कोशिका (अकार बदलती रहती है)
उदाहरण - अमीबा, माइकोप्लाजमा
🖍️गोल व चपटी कोशिका - रक्त कणिकाएं
🖍️लंबी व तर्कु रूपी कोशिका - पेशी कोशिका
[नोट:- कोशिक के आकार का संबंध कोशिक के कार्य से होता है।
उदाहरण- मनुष्य में तथा चूहे के आकार में बहुत अंतर है, परंतु दोनों की तंत्रिका कोशिका लंबी एवं शाखित होती हैं।]
✍️ उत्तक, अंग तथा तंत्र
1. कोशिका झिल्ली/प्लाज्मा झिल्ली
2. कोशिका द्रव्य
3. केंद्रक
👉1. कोशिका झिल्ली -
कोशिका का बाहरी आवरण होती है।
यह चयनित पदार्थों को अंदर जाने देती है तथा अनुपयोगी पदार्थों को बाहर निकाल देती है।
वसा व प्रोटीन की बनी होती है।
छिद्रयुक्त/रंध्रयुक्त होती है।
जंतु व पादप कोशिका में एक जैसी होती है।
पादप कोशिका में झिल्ली के बाहर सेल्यूलोज पदार्थ का एक अतिरिक्त मोटा आवरण होता है, जिसे कोशिका भित्ति कहते हैं, जिसके कारण पादप कोशिकाओं की आकृति निश्चित होती है।
👉2. कोशिका द्रव्य -
यह कोशिका झिल्ली में केंद्र के मध्य स्थित द्रव्य होता है।
इसमें माइट्रोकांड्रिया, रिक्तिकाॅंए, गोल्जीकाय, अंत: प्रद्रव्यी जालिकाएं, हरित लवक आदि संरचनाएं पायी जाती हैं, जिसे कोशिकांग कहते हैं।
👉3. केंद्रक -
सामान्यतः गोलाकार होता है।
जंतु कोशिका में लगभग मध्य में पाया जाता है, जबकि पादप कोशिका में बड़ी रिक्तिका के कारण एक तरफ होता है।
यह दोहोरी इकाई दिल्ली से घिरा होता है जिसमें पदार्थों के आने जाने के लिए रंध्र होते हैं।
केंद्रक में एक छोटी संरचना होती है जिसे केंद्रिका या न्यूक्लियोलस कहते हैं।
केंद्रक में धागे के समान पाई जाने वाली संरचना को गुणसूत्र कहते हैं।
गुणसूत्रों पर जीन पाए जाते हैं, जो अनुवांशिकी गुणों को एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी तक पहुंचाते हैं।
कोशिका के सभी कार्यों पर केंद्र का नियंत्रण होता है।
कोशिका में स्थित केंद्र के चारों ओर पाई जाने वाली झिल्ली की अनुपस्थिति व उपस्थिति के आधार पर जीवों को क्रमश: प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं एवं यूकेरियोटिक कोशिकाओं में विभाजित किया गया है।
प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं से बने जीव प्रोकैरियोट्स तथा यूकैरियोटिक कोशिकाओं से बने जीव यूकैरियोट्स कहलाते हैं।
✍️कोशिकांग -
कोशिका द्रव्य में पाए जाने वाले मुख्य कोशिकांग निम्न प्रकार के होते हैं-
1. लाइसोसोम -
इसमें शक्तिशाली पाचक एंजाइम होते हैं। जब कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जाती है, तो लाइसोसोम फट जाते हैं और पाचक एंजाइम अपनी ही कोशिका को पचा देते हैं, इसलिए इन्हें आत्मघाती थैली करते हैं।
2. गॉलजीकॉय -
इसका विवरण सर्वप्रथम के कैमिलो गॉलजी ने दिया था।
ये झिल्ली युक्त पट्टीकाएं होती हैं, जो एक के ऊपर एक व्यवस्थित रहती हैं। अंत: प्रद्रव्यी जालिका में संश्लेषित पदार्थ गाल्जी उपकरण में बंद किया जाते हैं तथा उन्हें कोशिका के अंदर तथा बाहर विभिन्न क्षेत्रों में भेज दिए जाते हैं।
3. माइट्रोकांड्रिया -
दोहरी झिल्ली से ढ़की आकृति है, जिसकी भीतरी भित्ती बहुत वलित होती है। इन वलितों को क्रिस्टी कहते हैं।
माइट्रोकांड्रिया में जैविक ऊर्जा एटीपी का निर्माण होता है जिस कारण इसे कोशिका का शक्ति गृह या पावर हाउस कहा जाता है।
4. अंत: प्रद्रव्यी जालिका -
कोशिका द्रव्य में नलीकाओं के जाल के रूप में दिखाई देने वाली संरचना है।
यह दो प्रकार की होती है -
(क) खुदरी अंत: प्रद्रव्यी जालिका- इस पर राइबोसोम पाए जाते हैं, जो प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करते हैं।
(ख) चिकनी अंत: प्रद्रव्यी जालिका
5. प्लेस्टिड -
यह पादप कोशिका द्रव्य में पाए जाते हैं। अधिकांश प्लेस्टिड में एक हरे रंग का वर्णन पाया जाता है, जिसे क्लोरोफिल या पर्णहरित कहते हैं। हरे रंग के प्लेस्टिड को क्लोरोप्लास्ट या हरितलवक कहते हैं। प्रकाश संश्लेषण हेतु क्लोरोफिल वर्णक अत्यंत आवश्यक है।
6. रिक्तिका- पादप कोशिका में बड़ी व जंतु कोशिका में छोटी रिक्तकाएं कहां पाई जाती है।
✍️पादप कोशिका
✍️डॉ हरगोविंद खुराना - सर्वप्रथम प्रोटीन संश्लेषण में न्यूक्लियोटाइड्स की भूमिका को प्रदर्शित किया।
इन्हें 1968 में अनुवांशिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
✍️सिग्नल ट्रांसडक्शन मेकैनिज्म इन प्लांट्स (पुस्तक) - डॉ. सतीश सी. महेश्वरी (लेखक)
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