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सूक्ष्मजीव

✍️सूक्ष्म जीव - ऐसे सजीव जिन्हें हम आंखों की सहायता से नहीं देख सकते सूक्ष्मजीव कहलाते हैं। उदाहरण - अमीबा, जीवाणु, विषाणु आदि।


✍️ सूक्ष्मदर्शी - ऐसा उपकरण जिसकी सहायता से सूक्ष्म जीवों को आसानी से देख सकते हैं, सूक्ष्मदर्शी कहलाता है।
✍️ सूक्ष्म जीव के प्रकार - 
1. विषाणु(Virus) - इसमें सजीव व निर्जीव दोनों के गुण पाए जाते हैं,जिसके कारण इन्हें सजीव व निर्जीव के मध्य की योजक कड़ी कहते हैं। ये पादप व जंतुओं में रोग फैलाते हैं।
उदाहरण- टोबेको मोज़ेक वायरस(TMV), Human Immuno Deficiency Virus (HIV) आदि।
2. माइकोप्लाजमा(Mycoplasma) - यह सबसे छोटी कोशिका है, जो जीवाणु फिल्टर में से भी छन जाती है।
इसके द्वारा बैंगन का लघुपर्ण एवं तिल की फिल्लोडी नामक रोग होते हैं।
इन्हें पादप जगत का बहुरूपिया (jokers of plant kingdom) भी कहते हैं।
3. जीवाणु(Bacteria) - ये प्रोकैरियोटिक एक कोशिकीय जीव हैं, जो हमारे आस-पास प्रत्येक स्थान पर पाए जाते हैं।
उदाहरण - ई. कोलाईं, लैक्टोबैसिलस आदि।
[नोट:-प्रति ग्राम मिट्टी में लगभग 2.5 अरब जीवाणु पाए जाते हैं।]

4. कवक(Fungi)/फफूंद/फंगस - ये एक कोशिकीय से बहुकोशिकीय सरल संरचना वाले जीव होते हैं।
इनकी कोशिका में पर्णहरित नहीं होने से यह अपना भोजन मृतजीवी के रूप में सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों से अवशोषण विधि से प्राप्त करते हैं। 
उदाहरण - मशरूम (सांप की छतरी)
कुछ कवक  पादपों व जंतुओं पर परजीवी के रूप में पाए जाते हैं।
गेहूं पर पक्सिनीया ग्रेमिनिस ट्रिटीसाइ (कला कीट्ट रोग)
बाजरे पर स्कलेरोस्पोरा ग्रामिनीकोला (जोगण रोग)
कुछ कवक शैवालों के साथ सहजीवी के रूप में भी पाए जाते हैं।

5. प्रोटोजोआ(Protozoa) - ये एक कोशिकीय जीव हैं।
उदाहरण- अमीबा, पैरामीशियम

6. शैवाल(Algae) - 
एक कोशिकीय से बहुकोशिकीय सरचना वाले पादप हैं।
इनके कारण तलाब आदि में पानी हरा दिखाई देता है।
उदाहरण- क्लेमाइडोमोनास, क्लोरेला(यूकैरियोटिक, एक कोशिकीय)
स्पाइरोगायरा, यूलोथ्रिक्स (यूकैरियोटिक, बहुकोशिकीय)
नील हरित शैवाल (प्रोकैरियोटिक, बहुकोशिकीय)
✍️लाभदायक सूक्ष्मजीव
दूध को दही में लैक्टोबैसिलस जीवाणुओं द्वारा बदला जाता है।
🖍️यीस्ट - डबल रोटी बनाने में, जलेबी बनाने हेतु प्रयुक्त घोल में खमीर उठाने हेतु।
🖍️क्लोरेला - सूप, आइसक्रीम व  खाद्य सामग्रियों को बनाने में।
🖍️क्लॉस्ट्रीडियम बॉटूलिनम जीवाणु से - विटामिन b12 तथा एन्थ्रेक्नॉइड बेसिलाई नामक जीवाणु से रोग प्रतिरोधक प्रदार्थ तैयार किए जाते हैं।
🖍️पेनिसिलियम कवक से पेनिसिलीन नामक जीवन रक्षक औषधि (टीके एवं प्रतिजैविक के रूप में) बनाई जाती है। इसकी खोज अलेक्जेंडर फ्लेमिंग द्वारा की गई थी।
🖍️राइजोबियम जीवाणु दलहनी पौधों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण का काम करता है।
🖍️जीवाणु - दही, पनीर, सिरका आदि बनाने में काम आते हैं।

✍️नाइट्रोजन स्थिरीकरण या नाइट्रोजन यौगीकीकरण - 
जीवाणुओं की कई प्रजातियां व सूक्ष्मजीवों द्वारा वातावरण में उपस्थित नाइट्रोजन को पादपों हेतु उपयुक्त यौगिक में रूपांतरित करने की प्रक्रिया नाइट्रोजन स्थिरीकरण कहलाती है।

✍️ नाइट्रोजन चक्र
✍️जड़ गाॅंठें या गुलिकाॅंए(Nodules) -
पौधों की जड़ों की गांठदार संरचना। 
इसमें राइजोबियम पाया जाता है।
राइजोबियम जीवाणु नाइट्रोजन को नाइट्रेट में बदलने में सहायक है। 
नाइट्रेट से भूमि उपजाऊ बनती है। 
[नोट:-पौधों में नाइट्रोजन नामक यौगिक है। नाइट्रोजन प्रोटीन का अभिन्न घटक है।]
✍️अन्य - 
जीवाणु अपशिष्ट पदार्थों को अपघटित कर ह्यूमस में बदल देते हैं, जिससे मृदा उपजाऊ बनती है।
✍️जेन्थोमोनास कैम्पेस्ट्रीस नामक सूक्ष्म जीव का उपयोग टूथपेस्ट बनाने में किया जाता है।

✍️हानिकारक सूक्ष्मजीव -

रोगाणु - रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीव

🖍️विषाणु से उत्पन्न रोग- गाय में खुरपका व मुंहपका रोग, भिंडी का पीत सिरा मोजेक, जुखाम, इनफ्लुएंजा (फ्लू), पोलियो, खसरा, चिकन पॉक्स, एड्स, हेपेटाइटिस-ए आदि।
🖍️जीवाणु से उत्पन्न रोग- नींबू में केेंकर रोग, क्षय रोग (TB), हैजा, टाइफाइड, एंथ्रेक्स आदि ।
[नोट:- एंथ्रेक्स मनुष्य एवं जंतुओं में होने वाला भयानक रोग है।]
🖍️कवक से उत्पन्न रोग- गेहूं में रस्ट
🖍️प्रोटोजोआ जनित रोग - अतिसार, मलेरिया

🖍️सूक्ष्मजीव खाद्य पदार्थों को खराब कर देते हैं।
🖍️क्लॉस्ट्रीडियम बॉटूलिनम जीवाणु खाद्य पदार्थ को विषाक्त कर देता है, जिसे खाने से उल्टी-दस्त व कभी-कभी मृत्यु भी हो जाती है।
🖍️सूक्ष्मजीव बहुमूल्य वस्तुओं को खराब कर उनकी गुणवत्ता कम कर देते हैं।

✍️खाद्य परिरक्षण (Food Presentation)
खाद्य पदार्थों व भोजन की पौष्टिकता व गुणवत्ता को यथावत बनाए रखने की प्रक्रिया को खाद्य परिरक्षण करते हैं।

🖍️खाद्य परिरक्षण की प्रक्रियाएं या प्रकार-

1. शीतलन (Refrigeration)-
कम ताप पर खाद्य पदार्थों को रखने की विधि
(आजकल कोल्ड स्टोरेज का प्रचलन है।)
2. निजर्मीकरण(Sterlization)- 
इंजेक्शन की सुई एवं सीरिंज को उबलते जल में गर्म कर रोगाणु मुक्त करने की प्रक्रिया।
ऑपरेशन में प्रयुक्त होने वाले औजारों को सूक्ष्मजीवों से मुक्त करने हेतु ऑटोक्लेव नामक यंत्र का उपयोग किया जाता है।
पराबैंगनी किरणों द्वारा वस्तुओं को रोगाणु रहित किया जाता है।
3. पाश्चुरीकरण (Pasteurization)
60 डिग्री तापमान पर 30 मिनट तक गर्म कर ठंडा किया जाता है। यह प्रक्रिया दो तीन बार दोराई जाती है, जिससे सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं। सूक्ष्मजीवों को नष्ट करने की इस क्रिया को पाश्चुरीकरण कहते हैं।
इसके बाद खाद्य पदार्थ को बोतलों या डिब्बों में पैक कर दिया जाता है। हवा के अभाव में सूक्ष्म जीव वृद्धि नहीं कर पाते और खाद्य सामग्री सुरक्षित रहती है।
4. निर्जलीकरण -
खाद्य पदार्थों से जल निकाल लिया जाता है, जिससे खाद्य सामग्री सुरक्षित रहती है। जैसे-  अनाज को धूप में सुखाना
5. उबालकर
6. रसायन का उपयोग कर-
वे पदार्थ जो खाद्य पदार्थों के परिरक्षण में मदद करते हैं, परिरक्षक कहलाते हैं। उदाहरण - सोडियम बैंजोएट और पोटैशियम मेटाबाईसल्फाइट का उपयोग शरबत, स्कवॉस, कैचअप आदि के परिरक्षण में करते हैं।
7. नमक, शक्कर, तेल, सिरके का उपयोग कर।
8. सूक्ष्म जीव नाशक पदार्थ से -  साबुन,फिनाइल आदि।
9. क्लोरीन, ब्लीचिंग पाउडर, पोटेशियम परमैग्नेट आदि - जल को जीवाणु रहित करने हेतु।
10. कार्बोलीक अम्ल सूक्ष्म कीटनाशक पदार्थ के रूप में



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