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1793 ईस्वी का चार्टर एक्ट

1793 ईस्वी का चार्टर एक्ट

👉 कंपनी के व्यापारिक अधिकारों को 20 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया।
👉 नियंत्रण मंडल (board of control) के सदस्यों तथा कर्मचारियों के वेतन आदि की भारतीय राजस्व से देने की व्यवस्था की गई।
👉 प्रत्येक प्रांत का शासन एक गवर्नर तथा तीन सदस्यों की कौंसिल को सौंप दिया गया। प्रांतीय काउंसिल के सदस्य केवल वे ही व्यक्ति हो सकते थे, जो कंपनी के कर्मचारियों के रूप में कम से कम 12 वर्षों तक भारत में काम कर चुके हों।
👉 ब्रिटिश भारतीय क्षेत्रों में लिखित विधियों द्वारा प्रशासन की नींव रखी गई तथा सभी कानूनों और नियमों की व्याख्या का अधिकार न्यायालय को प्रदान किया गया।
👉इस एक्ट के तहत गवर्नर जनरल  को अपनी परिषद के निर्णयों को अस्वीकृत करने की शक्ति पुन: दे दी गई और इसे आगे आने वाले गवर्नरों के लिए भी विस्तृत कर दिया गया।
(यह शक्ति सर्वप्रथम लार्ड कार्नवालिस को दी गई थी।)
👉 मुख्य सेनापति का गवर्नर जनरल की परिषद का स्थाई सदस्य होने का अधिकार समाप्त हो गया। (बेशर्त कि उसे उसी रूप में नियुक्त किया गया हो।)
👉 प्रांतीय गवर्नरों को भी अपनी परिषद के निर्णय के विरुद्ध वीटो की शक्ति प्रदान की गई।
👉गवर्नर जनरल को मद्रास व बंबई प्रेसिडेंसी पर अधिक नियंत्रणकारी  शक्ति प्रदान कर , गवर्नर जनरल का मद्रास व बंबई पर अधिकार स्पष्ट कर दिया गया।

Charter Act of 1793 AD


👉The company's trading rights were extended for 20 years.

👉Arrangements were made to pay salaries of members and employees of Board of Control from Indian revenue.

👉The rule of each province was handed over to the council of one governor and three members.  The members of the Provincial Council could have been only those who had worked in India for at least 12 years as employees of the company.

👉The foundations of administration were laid in British Indian territories by written laws and the court was empowered to interpret all laws and rules.

👉Under this Act, the Governor General was re-empowered to reject the decisions of his Council and it was also extended to the Governors who came forward.
(This power was first given to Lord Cornwallis.)

👉The Chief Commander's right to be a permanent member of the Governor General's Council has ended.  (Blessed that he was appointed as the same.)

👉Provincial governors were also given the power to veto against the decision of their council.

👉By giving the Governor General more controlling power over the Madras and Bombay Presidencies, the Governor General's authority over Madras and Bombay was made clear.

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