सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

1784 ईस्वी का पिट्स इंडिया एक्ट

पिट्स इंडिया एक्ट - 1784. ई

 👉 इस एक्ट में पहली बार भारत में कंपनी के अधीन क्षेत्रों को ब्रिटिश अधिपत्य क्षेत्र कहा गया।
👉 ब्रिटिश सरकार को भारत मेंं कंपनी के कार्यों तथा प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान किया गया अर्थात कंपनी के मामलों में पहली बार ब्रिटिश सरकार का नियंत्रण स्थापित हुआ।
👉 यह अधिनियम कंपनी द्वारा अधिग्रहित भारतीय राज्य क्षेत्रों पर ब्रिटिश ताज के स्वामित्व के दावे का पहला वैधानिक दस्तावेज था, जिसका शीर्षक था "भारत में ब्रिटिश अधिकाराधीन क्षेत्र"।

अधिनियम की विशेषताएं

👉 इसके द्वारा द्वैध शासन का प्रारंभ हुआ।
👉 व्यापारिक मामलों के लिए कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स (निदेशक बोर्ड) तथा राजनीतिक मामलों (सैनिक, असैनिक व राजस्व संबंधितों) हेतु बोर्ड ऑफ कंट्रोलर (नियंत्रण बोर्ड) का गठन कर राजनीतिक और वाणिज्य कार्यों को अलग-अलग कर दिया गया।
यह व्यवस्था 1858 ई. तक जारी रही।
👉 बोर्ड ऑफ कंट्रोल (नियंत्रण बोर्ड) में 6 सदस्य होते थे। चांसलर ऑफ एक्सचेंजर, 1 राज्य सचिव तथा उनके द्वारा नियुक्त 4 प्रिवी काउंसिल के सदस्य। इन सदस्यों की नियुक्ति और पदच्युति का अधिकार सम्राट को सौंपा गया।
इस तरह अब भारतीय उपनिवेश के दो शासक थे- 
(1) कंपनी का निदेशक बोर्ड
(2) नियंत्रण मंडल (बोर्ड ऑफ कंट्रोलर) के माध्यम से सम्राट
👉पिट्स इंडिया एक्ट के तहत निर्मित बोर्ड ऑफ कंट्रोल का अध्यक्ष ब्रिटिश मंत्रिमंडल का एक सदस्य होता था।
👉बोर्ड ऑफ कंट्रोल की अनुमति के बिना गवर्नर जनरल को किसी देशी नरेश के साथ संघर्ष आरंभ करने अथवा सहायता और आश्वासन देने का अधिकार नहीं था।
👉इस अधिनियम के तहत गवर्नर जनरल को देशी राज्यों से युद्ध तथा संधि करने से पूर्व एक कंपनी के डायरेक्टरों से स्वीकृति लेना अनिवार्य कर दिया गया।
👉 गवर्नर जनरल की परिषद की संख्या 4 से कम कर के 3 कर दी गई।  इस परिषद में भारत में प्रशासन (सैन्य शक्ति, युद्ध, संधि, राजस्व एवं देसी रियासतों आदि के अधीक्षण की शक्ति) प्रदान की गई।
👉 प्रांतीय परिषद के सदस्यों की संख्या 4 से 3 कर दी गई, इन्हीं सदस्यों में से एक को प्रांत का सेनापति बनाया जाता था (जो अनिवार्य था)।
👉केंद्रीय शासन का अनुपालन न होने पर गवर्नर जनरल को प्रांतीय सरकारों को बर्खास्त करने का अधिकार इस अधिनियम के तहत प्रदान किया गया।
👉 इस एक्ट द्वारा कंपनी के कर्मचारियों को उपहार लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

नोट:- रेगुलेटिंग एक्ट मेंं व्याप्त दोषों को दूर करने के उद्देश्य से 1783 ई. में 'डण्डाज अधिनियम' और पुनः नवंबर, 1783 ई. में 'फॉक्स का भारतीय विधेयक' लाया गया। किंतु दोनों ही विधेयक पारित नहीं हो सके। फॉक्स द्वारा प्रस्तुुुुत विधायक के हाउस ऑफ लॉर्डस में पारित न होने के कारण लॉर्ड नार्थ एवंं फॉक्स की गठबंधन सरकार को त्याग पत्र देना पड़ाकिसी भारतीय विषय पर एक अंग्रेजी सरकार के त्यागपत्र का यह प्रथम और अंतिम दृष्टांत है। इसके बाद पिट्स इंडिया एक्टट 1784 लाया।

Pitt's India Act - 1784 AD


 👉In this act, for the first time, the areas under the company in India were called British dominion.

 👉 The British government was given complete control over the affairs and administration of the company in India, that is, for the first time the control of the British government was established in the affairs of the company.

 👉The Act was the first statutory document claiming the British Crown's ownership over Indian territories acquired by the company, entitled "British territorial territories in India".


 Features of the act


 👉 Duplex rule started by this.

👉The political and commercial functions were separated by forming the Court of Directors  for business affairs and the Board of Controllers  for political affairs (military, civil and revenue related).

 This system continued till 1858 AD.

 👉 Board of Control consisted of 6 members.  Chancellor of Exchanger, 1 Secretary of State and 4 Privy Council members appointed by him. The emperor was empowered to appoint and dismiss these members.

 In this way, there were now two rulers of the Indian colony-

 (1) Board of directors of the company

 (2) Emperor through Board of Control 

 The Chairman of the Board of Control, formed under the Pitt's India Act, was a member of the British Cabinet.

 Without the permission of the Board of Control, the Governor General did not have the right to initiate a conflict with any native king or to give assistance and assurance.

 Under this Act, the Governor General made it mandatory to get approval from the directors of a company before going to war and treaty with the native states.

 👉 Governor General's council was reduced from 4 to 3.  In this council administration in India (military power, power of war, treaty, revenue and superintendence of princely states etc.) was granted.

 👉The number of members of the provincial council was reduced from 4 to 3, one of these members was made the commander of the province (which was mandatory).

 The Governor General was empowered under this Act to dismiss the Provincial Governments for non-compliance with Central rule.

 👉 This act banned the company employees from taking gifts.


 Note: - For the purpose of removing the defects prevailing in the Regulating Act, the 'Dandaz Act' was introduced in 1783 AD and again in November 1783 AD, 'Fox's Indian Bill'.  But both the bills could not be passed.  Lord North and Fox's coalition government had to resign because of Fox's failure to pass the House of Lords in the House of Lords.  This is the first and last instance of an English government resignation on an Indian subject.  It was followed by Pitt's India Act, 1784.


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

प्राकृतिक रेशे

प्राकृतिक रेशे रेशे दो प्रकार के होते हैं - 1. प्राकृतिक रेशे - वे रेशे जो पौधे एवं जंतुओं से प्राप्त होते हैं, प्राकृतिक रेशे कहलाते हैं।  उदाहरण- कपास,ऊन,पटसन, मूॅंज,रेशम(सिल्क) आदि। 2. संश्लेषित या कृत्रिम रेशे - मानव द्वारा विभिन्न रसायनों से बनाए गए रेशे कृत्रिम या संश्लेषित रेशे कहलाते हैं।  उदाहरण-रियॉन, डेक्रॉन,नायलॉन आदि। प्राकृतिक रेशों को दो भागों में बांटा गया हैं - (1)पादप रेशे - वे रेशे जो पादपों से प्राप्त होते हैं।  उदाहरण - रूई, जूूट, पटसन । रूई - यह कपास नामक पादप के फल से प्राप्त होती है। हस्त चयन प्रक्रिया से कपास के फलों से प्राप्त की जाती है। बिनौला -कपास तत्वों से ढका कपास का बीज। कपास ओटना -कंकतन द्वारा रूई को बनौलों से अलग करना। [Note:- बीटी कपास (BT Cotton) एक परजीवी कपास है। यह कपास के बॉल्स को छेदकर नुकसान पहुँचाने वाले कीटों के लिए प्रतिरोधी कपास है। कुछ कीट कपास के बॉल्स को नष्ट करके किसानों को आर्थिक हानि पहुँचाते हैं। वैज्ञानिकों ने कपास में एक ऐसे बीटी जीन को ...

1600 ईस्वी का राजलेख

  1600 ईस्वी का राजलेख 👉 इसके तहत कंपनी को 15 वर्षों के लिए पूर्वी देशों में व्यापार करने का एकाधिकार दिया गया। 👉 यह राजलेख महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने  31 दिसंबर, 1600 ई. को जारी किया। 👉 कंपनी के भारत शासन की समस्त शक्तियां एक गवर्नर(निदेशक), एक उप-गवर्नर (उप-निदेशक) तथा उसकी 24 सदस्यीय परिषद को सौंप दी गई तथा कंपनी के सुचारू प्रबंधन हेतु नियमों तथा अध्यादेश को बनाने का अधिकार दिया गया। 👉 ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना के समय इसकी कुल पूंजी  30133 पौण्ड थी तथा इसमें कुल 217 भागीदार थे। 👉 कंपनी के शासन को व्यवस्थित करने हेतु कलकत्ता, बंबई तथा मद्रास को प्रेसीडेंसी नगर बना दिया गया तथा इसका शासन प्रेसीडेंसी व उसकी परिषद् करती थी। 👉 महारानी एलिजाबेथ ने ईस्ट इंडिया कंपनी को लॉर्ड मेयर की अध्यक्षता में पूर्वी देशों में व्यापार करने की आज्ञा प्रदान की थी। 👉 आंग्ल- भारतीय विधि- संहिताओं के निर्माण एवं विकास की नींव 1600 ई. के चार्टर से प्रारंभ हुई। 👉 ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपना कार्य सूरत से प्रारंभ किया। 👉 इस समय भारत में मुगल सम्राट अकबर का शास...

संवैधानिक विकास

संवैधानिक विकास 👉 31 दिसंबर 1600 को महारानी एलिजाबेथ प्रथम के चार्टर के माध्यम से अंग्रेज भारत आए।  👉 प्रारंभ में इनका मुख्य उद्देश्य व्यापार था जो ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से शुरू किया गया।  👉 मुगल बादशाह 1764 में बक्सर के युद्ध में विजय के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी को दीवानी अधिकार दिए। 👉 1765 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल,बिहार एवं उड़ीसा की दीवानी अधिकार प्राप्त कर लीए। 👉 1858 ईस्वी में हुए सैनिक विद्रोह ऐसे भारत शासन का दायित्व सीधा ब्रिटिश ताज ने ले लिया। 👉 सर्वप्रथम आजाद भारत हेतु संविधान की अवधारणा एम. एन. राय के द्वारा 1934 में दी गई।  👉 एम. एन. राय के सुझावों को अमल में लाने के उद्देश्य से 1946 में सविधान सभा का गठन किया गया। 👉 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। 👉 संविधान की अनेक विशेषता ब्रिटिश शासन चली गई तथा अन्य देशों से भी, जिनका क्रमवार विकास निम्न प्रकार से हुआ- 1. कंपनी का शासन (1773 ई. - 1858 ई. तक)  2. ब्रिटिश ताज का शासन (1858 ई. – 1947 ई. तक) Constitutional development 👉The Brit...

1781 ई. का एक्ट ऑफ सेटलमेंट

1781 ई. का Act of settlement(बंदोबस्त कानून) 👉 1773 ई. के रेगुलेटिंग एक्ट के दोषों को दूर करने के लिए ब्रिटिश संसद के प्रवर समिति के अध्यक्ष एडमंड बर्क के सुझाव पर इस एक्ट का प्रावधान किया गया। 👉 इसके अन्य  नाम - संशोधनात्मक अधिनियम (amending act) , बंगाल जुडीकेचर एक्ट 1781 इस एक्ट की विशेषताएं:- 👉कलकत्ता के सभी निवासियों को सर्वोच्च न्यायालय के अधिकर क्षेत्र के अंतर्गत कर दिया गया। 👉 इसके तहत कलकत्ता सरकार को बंगाल, बिहार और उड़ीसा के लिए भी विधि बनाने का अधिकार दे दिया गया। अब कलकत्ता की सरकार को विधि बनाने की दो श्रोत प्राप्त हो गए:-  1. रेगुलेटिंग एक्ट के तहत कलकत्ता प्रेसिडेंसी के लिए 2. एक्ट ऑफ सेटलमेंट के अधीन बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा के दीवानी प्रदेशों के लिए 👉 सर्वोच्च न्यायालय के लिए आदेशों और विधियों के संपादन में भारतीयों के धार्मिक व सामाजिक रीति-रिवाजों तथा परंपराओं का ध्यान रखने का आदेश दिया गया अर्थात् हिंदुओं व मुसलमानों के धर्मानुसार मामले तय करने का प्रावधान किया गया । 👉 सरकारी अधिकारी की हैसियत से किए गए कार्यों के लिए कंपनी ...

राजस्थान नगरपालिका ( सामान क्रय और अनुबंध) नियम, 1974

  राजस्थान नगरपालिका ( सामान क्रय और अनुबंध) नियम , 1974 कुल नियम:- 17 जी.एस.आर./ 311 (3 ) – राजस्थान नगरपालिका अधिनियम , 1959 (1959 का अधिनियम सं. 38) की धारा 298 और 80 के साथ पठित धारा 297 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए , राज्य सरकार इसके द्वारा , निम्नलिखित नियम बनाती हैं , अर्थात्   नियम 1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ – ( 1) इन नियमों का नाम राजस्थान नगरपालिका (सामान क्रय और अनुबंध) नियम , 1974 है। ( 2) ये नियम , राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से एक मास पश्चात् प्रवृत्त होंगे। राजपत्र में प्रकाशन:- 16 फरवरी 1975 [भाग 4 (ग)(1)] लागू या प्रभावी:- 16 मार्च 1975 [ 1. अधिसूचना सं. एफ. 3 (2) (75 एल.एस.जी./ 74 दिनांक 27-11-1974 राजस्थान राजपत्र भाग IV ( ग) ( I) दिनांक 16-2-1975 को प्रकाशित एवं दिनांक 16-3-1975 से प्रभावी।]   नियम 2. परिभाषाएँ – इन नियमों में , जब तक संदर्भ द्वारा अन्यथा अपेक्षित न हो , (i) ' बोर्ड ' के अन्तर्गत नगर परिषद् ( Municipal Council) आती है ; (ii) ' क्रय अधिकारी ' या ' माँगकर्त्ता अधिकार...

वैश्विक राजनीति का परिचय(Introducing Global Politics)

🌏 वैश्विक राजनीति का परिचय( Introducing Global Politics)

ऐतिहासिक संदर्भ(Historical Context)

 🗺  ऐतिहासिक संदर्भ(Historical Context)

अरस्तू

🧠   अरस्तू यूनान के दार्शनिक  अरस्तू का जन्म 384 ईसा पूर्व में मेसीडोनिया के स्टेजिरा/स्तातागीर (Stagira) नामक नगर में हुआ था। अरस्तू के पिता निकोमाकस मेसीडोनिया (राजधानी–पेल्ला) के राजा तथा सिकन्दर के पितामह एमण्टस (Amyntas) के मित्र और चिकित्सक थे। माता फैस्टिस गृहणी थी। अन्त में प्लेटो के विद्या मन्दिर (Academy) के शान्त कुंजों में ही आकर आश्रय ग्रहण करता है। प्लेटो की देख-रेख में उसने आठ या बीस वर्ष तक विद्याध्ययन किया। अरस्तू यूनान की अमर गुरु-शिष्य परम्परा का तीसरा सोपान था।  यूनान का दर्शन बीज की तरह सुकरात में आया, लता की भांति प्लेटो में फैला और पुष्प की भाँति अरस्तू में खिल गया। गुरु-शिष्यों की इतनी महान तीन पीढ़ियाँ विश्व इतिहास में बहुत ही कम दृष्टिगोचर होती हैं।  सुकरात महान के आदर्शवादी तथा कवित्वमय शिष्य प्लेटो का यथार्थवादी तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाला शिष्य अरस्तू बहुमुखी प्रतिभा का धनी था। मानव जीवन तथा प्रकृति विज्ञान का शायद ही कोई ऐसा पहलू हो, जो उनके चिन्तन से अछूता बचा हो। उसकी इसी प्रतिभा के कारण कोई उसे 'बुद्धिमानों का गुरु' कहता है तो कोई ...

राजस्थान के दुर्ग

  दुर्ग

1726 ईस्वी का राजलेख

1726 ईस्वी का राजलेख इसके तहत कलकात्ता, बंबई तथा मद्रास प्रेसिडेंसीयों के गवर्नर तथा उसकी परिषद को विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई, जो पहले कंपनी के इंग्लैंड स्थित विद्युत बोर्ड को प्राप्त थी।  यह सीमित थी क्योंकि - (1) यह ब्रिटिश विधियों के विपरीत नहीं हो सकती थी। (2) यह तभी प्रभावित होंगी जब इंग्लैंड स्थित कंपनी का निदेशक बोर्ड अनुमोदित कर दे। Charter Act of 1726 AD  Under this, the Governor of Calcutta, Bombay and Madras Presidencies and its Council were empowered to make laws, which was previously with the Company's Electricity Board based in England.  It was limited because -  (1) It could not be contrary to British statutes.  (2) It shall be affected only when the Board of Directors of the England-based company approves.