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हस्तशिल्प

हस्तशिल्प 

हस्तशिल्प 'थेवा कला' के लिए प्रसिद्ध परिवार कौन-सा है ?

(1) सुधार परिवार

(2) शेखावत परिवार  

(3) गहलोत परिवार 

(4) सोनी परिवार 

[CET - 5.2.2023 (S-II ) ] [ P.S. I. Exam, 2011] 

Ans. (4)


प्रसिद्ध मीनाकारी 'थेवा कला' का संबंध किस स्थान से है ? 

(1) बीकानेर 

(2) जयपुर 

(3) बाड़मेर 

(4) प्रतापगढ़ 

[CID. Exam, 2002] [E.O. Exam, 2007] [Agr. Officer : 29.1.2013][महिला पर्यवेक्षक - 6.1.2019] [वनपाल-06.11.2022 ( S-I ) ] [ JEN Degree (TSP)- 16.10.2016] [JEN (विद्युत) डिग्री - 29.11.2020]] अन्वेषक- 27.12.20201] 

Ans. (4) 


राजस्थान का 'राज- सोनी' परिवार आभूषण निर्माण की निम्नलिखित में से किस कला से संबंधित है-

(1) कुंदन कार्य 

(2) मीनाकारी 

(3) पटवा 

(4) थेवा 

[राजस्थान पुलिस 13.5.2022 (S-11)]

Ans. (4) 

व्याख्या:- प्रतापगढ़ की मीनाकारी 'थेवा' कहलाती है। थेवाकला के अंतर्गत हरे, नीले, लाल व पीले काँच पर सोने व चाँदी की आकर्षक चित्रकारी की जाती है। इस कला को उभारने वाला कलाकार नाथूजी सोनी था। उल्लेखनीय है कि नाथूजी सोनी परिवार के शंकरलाल सोनी तथा रामनिवास को भी राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। थेवा कला के प्रसिद्ध कलाकार महेश राज सोनी को राष्ट्रपति द्वारा 2014 में इस कला के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।


राजस्थान में 'ब्लू पॉटरी' का प्रमुख केन्द्र कौनसा है?  

(1) बीकानेर 

(2) डूंगरपुर 

(3) जयपुर 

(4) जैसलमेर 

Ans. (3)


'ब्लू पॉटरी' की प्रसिद्ध कला इससे पूर्व किस नाम से जानी जाती थी? 

(1) नीलगिरि 

(2) जामदानी 

(3) कामचीनी 

(4) मृण्मय 

[Asstt. Agri. Officer- 31.5.2019]

Ans. (3) 


राजस्थान की प्रसिद्ध ब्ल्यू पॉटरी की दस्तकारी का उद्भव कहाँ से हुआ? 

(1) कश्मीर 

(2) पर्शिया 

(3) अफगानिस्तान 

(4) सिंध 

 [R.A.S. Pre Exam, 2003]

Ans. (2)


निम्न में से जयपुर का परम्परागत हस्तउद्योग कौनसा है?

(1) ऊनी खादी

(2) थेवा कला

(3) चित्रकला

(4) ब्लू पॉटरी

[CET - 11.2.2023 (S-II)]

Ans. (4) 


ब्लू पॉटरी को राजस्थान में किस शासक द्वारा लाया गया ? 

(1) रामसिंह 

(2) मानसिंह 

(3) माधोसिंह 

(4) भवानीसिंह 

[महिला पर्यवेक्षक परीक्षा (TSP) - 20.12.2015 ] [III Grade (Punjabi) -28.02.2023] [कर सहायक 14.10.2018] [Veterinary Officer - 02.08.2020] [P.S.I. Exam, 2011] [CET : 8. 1.2023 (S-II)] [ जेल प्रहरी परीक्षा 20-10-2018, S-I]

Ans. (1)


राजस्थान की किस रियासत ने ब्लू पॉटरी को संरक्षण दिया- 

(1) बूँदी 

(2) उदयपुर

(3) जोधपुर 

(4) जयपुर

[JEN (Mechanical) Diploma- 20.05.20221 [III Grade (English) -27.02.2023]

Ans. (4)


ब्लू - पॉटरी से संबंधित किस व्यक्ति को पद्मश्री से  सम्मानित किया गया है? 

(1) कृपाल सिंह रावत 

(2) कृपाल सिंह कुमावत 

(3) कृपाल सिंह शेखावत 

(4) किशन सिंह शेखावत

[Police Constable-2007(III)] [कनिष्ठ वैज्ञानिक सहायक ( विप) 14.9.2019]

Ans. (3)


राजस्थान के कृपालसिंह शेखावत ने उनके किस क्षेत्र में योगदान के लिए 1974 में पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त किया:- 

(1) हाथीदाँत कार्य

(2) ब्लू पॉटरी 

(3) लाख कार्य

(4) साहित्य 

[JEN (Civil) Degree 12.09.2021] [Asstt. Fire Officer -29.1.2022] [कृषि पर्यवेक्षक- 3.3.2019] [CET : 07.01.2023 (S-II ) ] [ वनपाल - 06.11.2022(S-II)]

Ans. (2)


गोपाल सैनी का सम्बन्ध राजस्थान की किस हस्तकला से है? 

(1) टैराकोटा

(2) ब्ल्यू पॉटरी 

(3) काष्ठ कला 

(4) थेवा कला 

[CET : 08.01.2023 (S-I)] 

Ans. (2)

व्याख्या - चीनीदार मिट्टी के बर्तनों पर रंगीन और  आकर्षक चित्रकारी का नाम 'ब्ल्यू पॉटरी' (कामचीनी) है। जयपुर की ब्ल्यू पॉटरी विश्व विख्यात है। ब्ल्यू पॉटरी का जन्म ईरान [पर्शिया ] में माना जाता है। जयपुर शासक रामसिंह- 11 ( 1835-80 ई.) के समय दिल्ली निवासी भोला नामक व्यक्ति से ब्ल्यू पॉटरी का कार्य चूडामन एवं कालूराम को सिखलाकर इन्हें महाराजा स्कूल ऑफ आर्ट्स में काम सिखाने हेतु नियुक्त किया गया। इस कला का विकास सवाई रामसिंह के शासनकाल में हुआ। ब्ल्यू पॉटरी में नीले रंग [कोबाल्ट ऑक्साइड ] की प्रधानता होती है। यह पॉटरी बनाने के लिए गोंद, सोडियम कार्बोनेट, मुल्तानी मिट्टी, क्वार्ट्ज, हरा काँच का घोल तैयार किया जाता है। सन् 1974 में जयपुर के श्री कृपालसिंह शेखावत को ब्ल्यू पॉटरी के लिए 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया है। स्व. नाथी बाई ब्ल्यू पॉटरी की सिद्ध हस्तकार महिला थी । वर्तमान में गोपाल सैनी ब्ल्यू पॉटरी के जाने-माने हस्तशिल्पी हैं।


किस जिले की ब्लैक पॉटरी फूलदानों, प्लेटों और मटकों के लिए प्रसिद्ध है ?

(1) जैसलमेर 

(2) अलवर 

(3) कोटा 

(4) बीकानेर 

[ वनरक्षक - 12.12.2022(S-1)] [AEN - 16.12.2018 ] [ राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल- 02.07.2022] 

Ans. (3)

व्याख्या - चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने का कार्य 'पॉटरी' कहलाता है। राजस्थान में कोटा की ब्लैक पॉटरी व अलवर की बहुत पतली परतदार बर्तन (कागजी ) कला प्रसिद्ध है।


कपड़े पर मोम की परत चढ़ाकर चित्र बनाने को क्या कहते हैं? 

(1) वार्तिक 

(2) मोलेला 

(3) पाने 

(4) फड

 [जेल प्रहरी परीक्षा - 2017 ] 

Ans. (1)

व्याख्या - कपड़े पर मोम लगाकर रंगने की प्रक्रिया बातिक ( वार्तिक) चित्रण, एक शिल्प है। बातिक के कार्य के लिए सीकर का खण्डेला देश-विदेश में प्रसिद्ध है। खण्डेला के 'उमेशचन्द्र शर्मा' बातिक शैली के एक राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय चितेरे हैं।


'नमदा' का उत्पादन..... में होता है। 

(1) टोंक

(2) बूँदी 

(3) जयपुर 

(4) अजमेर

[राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल - 15.05.2022][LDC 16.09.2018] [CET - 5.2.2023 (S-II)] [ RPSC LDC 11 Jan 2014] |Agriculture Officer 29.01.2013]

Ans. (1)

व्याख्या - यह दरी और गलीचे के बीच का विकल्प होता है। इसमें भेड़ की कच्ची ऊन काम में आती है। नमदा उत्पादन के लिए टोंक जिला प्रसिद्ध है। दौसा जिले के लवाण गाँव में विकसित दरी उद्योग अपनी कलात्मक बुनाई तथा रंगों की डिजाइन के लिए प्रसिद्ध है। माना जाता है कि 11वीं सदी में नबी नाम के व्यक्ति ने सम्राट अकबर के घोड़े की ठंड से रक्षा के लिए ऊनी कपड़े से वस्त्र बनाया था। इसी कारण क्राफ्ट का नाम इसके प्रथम निर्माता नबी नाम पर नमदा हो गया। नमदा बनाने का शिल्प राजस्थान मूल की नहीं अपितु ईरान या टर्की देश की है।


निम्नलिखित में से कौनसा स्थान दरी निर्माण के केन्द्र के रूप में प्रसिद्ध है ?

(1) टोंक 

(2) पुष्कर 

(3) जयपुर 

(4) उदयपुर 

[LDC Exam 23.10.16] 

Ans. (1) 


निम्नलिखित में से सही जोड़ा चुनिए-

(1) डोरिया साड़ी - सांगानेर 

(2) नमदा - टोंक 

(3) अजरक प्रिन्ट - बगरू 

(4) लकड़ी के खिलौने - कोटा 

[Stenographer Exam : 30.05.2013] 

Ans. (2) 


नमदा राजस्थान का एक स्थानीय शब्द है। यह एक प्रकार का ऊनी कपड़ा है, जिसका उपयोग फर्श - कवरिंग के लिए किया जाता है और इसका उत्पादन मुख्यतः टोंक में होता है। नमदा बनाने की कला राजस्थान की नहीं है। इसे से आयातित माना जाता है:- 

(1) ईरान 

(2) अफगानिस्तान 

(3) रूस 

(4) चीन 

[राजस्थान पुलिस - 13.5.2022 (S-11)]

Ans. (1)


राजस्थान में दरियों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध स्थान कौनसे हैं ? 

(1) टांकला - सालावास 

(2) मोलेला - बू - नरावतां 

(3) आकोला - झाड़ोल 

(4) गजसिंहपुर - नोखा

[Police Constable Exam- 2007]

Ans. (1)

व्याख्या - टांकला का दरी उद्योग  नागौर जिले का टांकला ग्राम अपनी सुन्दर, आकर्षक एवं मजबूत दरियों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध हैं।

सालावास का दरी उद्योग  जोधपुर (ग्रामीण) जिले का सालावास ग्राम अपने दरी उद्योग के लिए विख्यात है। सालावास में रेशमी, ऊनी एवं सूती दरियाँ आकर्षक रंग एवं बेजोड़ डिजाइन में बनाई जाती हैं।



सुमेलित है?

(1) बादला (पानी की बोतल) - जयपुर

(2) मसूरिया साड़ी - कोटा

(3) नमदा - जोधपुर

(4) संगमरमर पर नक्काशी - टोंक

 [ RAS-2009] [जेल प्रहरी-21-10-2018, S-III]

Ans. (2)

व्याख्या - कोटा, डोरिया व मसूरिया साड़ी के लिए कोटा जिले का कैथून कस्बा प्रसिद्ध है।

जयपुर, नागौर, किशनगढ़ तथा अलवर जिले की थानागाजी तहसील का किशोरी गाँव संगमरमर की मूर्तियों व कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध है।


बादला क्या है?

(1) ग्रामीण भाषा का शब्द 

(2) प्लास्टिक से निर्मित बोतल 

(3) जिंक से निर्मित पानी की बोतल 

(4) मारवाड़ी और मेवाड़ी का मिश्रित शब्द 

[ जेल प्रहरी परीक्षा - 2017] [पटवार- 2011] 

Ans. (3)


जोधपुर का प्रसिद्ध 'बादला' निम्नलिखित में से क्या है? 

(1) लकड़ी का मंदिर 

(2) जस्ते से बनी पानी की बोतल 

(3) जरी की साड़ी 

(4) टेराकोटा की मूर्तियाँ 

[CET 4.2.2023 (1) ] [ पुलिस कॉन्स्टेबल-15.7.2018 (1)] 

Ans. (2) व्याख्या - उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें ।


'बादला' पानी का बर्तन प्रसिद्ध है ?  

(1) जोधपुर 

(2) जैसलमेर 

(3) सिरोही 

(4) कोई नहीं 

[ पटवार- 2011]

Ans. (1)

व्याख्या - जोधपुर के धातु (जिंक) से निर्मित ठण्डे पानी के बर्तन होते हैं और जिन पर कपड़े या चमड़े की परत चढ़ाई जाती है, बादले कहलाते हैं।


मथैरण किस जिले की प्रसिद्ध लोक कला है?

(1) जोधपुर 

(2) चुरु 

(3) बीकानेर 

(4) उदयपुर 

[Police Constable Exam - 2013] 

Ans. (3)

व्याख्या - मथैरण बीकानेर जिले की प्रसिद्ध लोक कला है। इसके द्वारा बीकानेर में धार्मिक स्थलों एवं पौराणिक कथाओं पर आधारित विभिन्न देवी-देवताओं के भित्तिचित्र तथा गणगौर, ईसर, तौरण आदि बनाने व रंगने का कार्य किया जाता है। मथैरण परिवार पारम्परिक जैन मिश्रित राजस्थानी शैली के चित्र बनाने में सिद्धहस्त थे।


'उस्ताद' कहलाने वाले चित्रकारों ने भित्ति चित्र किस नगर में बनाये हैं?

(1) चूरू 

(2) अजमेर 

(3) जोधपुर 

(4) बीकानेर

[E.O. Exam, 2007][II Grade GK 24.12.2022] [वनरक्षक-11.12.2022 (S-I)]

Ans. (4)


राजस्थान में पाई जाने वाली उस्ता कला क्या है?

(1) संगमरमर के पत्थर पर पच्चीकारी

(2) चौकोर चेक पैटर्न में कपास और रेशम का मिश्रण 

(3) संगमरमर के पत्थर पर मीनाकारी

(4) ऊँट के चमड़े पर सोने की मीनाकारी

[ राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल- 02.07.2022] [सहायक सांख्यिकी अधिकारी परीक्षा 27.05.2019]

Ans. (4) ।


स्व. हिसामुद्दीन किस हस्तशिल्प के सिद्धहस्त कलाकार थे?  

(1) थेवा कला 

(2) उस्ता कला 

(3) जट पट्टी 

(4) मीनाकारी 

Ans. (2)


ऊँट की खाल पर स्वर्ण मीनाकारी कला क्या कहलाती है? 

(1) थेवा कला 

(2) ऊस्ता कला 

(3) छपाई कला

(4) दाबू कला 

[बेसिक कम्प्यूटर अनुदेशक - 18.06.2022][III Grade (Sindhi) -01.03.2023] 

Ans. (2)


......... अपने बहुआयामी रूपों जैसे ऊँट की खाल पर मीनाकारी, स्वर्ण मीनाकारी और महलों और हवेलियों में चित्रों (उस्ता कला ) के लिए विश्व प्रसिद्ध है। 

(1) बीकानेर

(2) जोधपुर 

(3) गंगानगर 

(4) उदयपुर 

[ पशुधन सहायक 04.6.2022] [राज. पुलिस कॉन्स्टेबल परीक्षा - 2014] 

Ans. (1)


मुनव्वती कला कहाँ प्रसिद्ध है, जिसमें ऊँट के चमड़े से सजाया जाता है। 

(1) उदयपुर 

(2) जयपुर 

(3) बीकानेर 

(4) जोधपुर 

[राज. पुलिस कॉन्स्टेबल परीक्षा - 13.6.2024(I)]

Ans. (3)


उस्ता कला के विकास के लिए 'उस्ता कैमल हाइड केन्द्र' की स्थापना 1975 ई. में कहाँ की गई थी?

(1) जैसलमेर (2) बीकानेर (3) नागौर (4) बाड़मेर 

[JEN (Agri.) 10.09.2022]

Ans. (2)

व्याख्या - बीकानेर की उस्ता कला (ऊँट की खाल पर चित्रांकन) या मुनव्वती कला प्रसिद्ध है। इस कार्य के लिए उस्ता परिवार के स्वर्गीय हिसामुद्दीन उस्ता प्रसिद्ध रहे हैं जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा सन् 1986 में 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया। बीकानेर के महाराजा अनूपसिंह बीकानेर में सुंदर भित्ति चित्रण हेतु लाहौर से मुगल शैली के 'उस्ता' चित्रकारों को लाये थे, जो उस्ताद कहलाते थे। बीकानेर की मथैरण जाति भी इस कला में पारंगत थी।


बाड़मेर प्रिंट किस नाम से जाना जाता है?  

(1) बादला 

(2) अजरक 

(3) फड़ 

(4) पिछवाई 

[Police Constable Exam - 2013]

Ans. (2)


विश्व प्रसिद्ध 'अजरक प्रिंट' निम्नांकित में से किस स्थान से सम्बन्धित है ? 

(1) साँगानेर 

(2) बगरू 

(3) बाड़मेर 

(4) पाली 

[क. अनुदेशक (कोपा ) - 20.03.2019] [CET - 5.2.2023 (S-1) ] [ II Grade (Hindi) Exam. 2011] [PTI (Grade-III)-25.9.2022][R.A.S. Pre Ex., 2007] [C.I.D. Exam, 2002] [ उद्योग प्रसार अधिकारी - 22.08.2018] [Asst. Agri.Officer 29.1.2013] [ पशुधन सहायक- 21.10.2018] 

Ans. (3) 


निम्नलिखित में से कौन-सा सुमेलित नहीं है? 

(1) थेवाकला - प्रतापगढ़ 

(2) मीनाकारी - जयपुर 

(3) अजरक प्रिन्ट - साँगानेर 

(4) टेराकोटा शिल्प- मोलेला 

[पटवार-23.10.2021 (Shift-1 ) ] [ पुलिस उपनिरीक्षक- 07.10.2018]

Ans. (3) 


मलीर प्रिंट का सम्बन्ध है -

(1) बूँदी 

(2) साँगानेर 

(3) उदयपुर 

(4) बाड़मेर 

 [II Grade (Hindi) - 2011] 

Ans. (4)

व्याख्या- राजस्थान में बालोतरा जिले (पूर्व में बाड़मेर ) की अजरख ( अजरक ) प्रिन्ट (लाल व नीले रंग में दोनों ओर छपाई) व मलीर प्रिंट ( कत्थई व काले रंग की अधि -कता), बगरू की काला-लाल छपाई, सांगानेर की सांगानेरी प्रिन्ट, अकोला (चित्तौड़गढ़) की दाबू प्रिन्ट प्रसिद्ध है।


जाजम / आजम छपाई प्रसिद्ध है - [ वनरक्षक - 12.12.2022(1)]

(1) बाड़मेर 

(2) चित्तौड़गढ़ 

(3) दौसा 

(4) जोधपुर 

[कृषि पर्यवेक्षक- 18.09.2021] 

Ans. (2)

व्याख्या - आकोला (चित्तौड़गढ़) की जाजम प्रिन्ट प्रसिद्ध है। इस प्रकार की छपाई में लाल व हरे रंग का प्रयोग किया जाता है। यहाँ की छपाई के घाघरे प्रसिद्ध है।


राजस्थान का कौनसा शहर बेलबूटों की छपाई की पारंपरिक कला के लिए जाना जाता है ?

(1) जयपुर 

(2) बगरू 

(3) सांगानेर 

(4) बाड़मेर 

[पटवार 23.10.2021 ( Shift-II)] [RAS Pre 20031] 

Ans. (3)*

व्याख्या - 'बेलबूटे' छापने के लिए पीतल के पोले भाँत्यों का उपयोग होता है जिनमें बेलबूटों की आकृतियाँ रंध्रित होती है। छपाई के काम में प्रयुक्त होने वाले लकड़ी अथवा धातु के ठप्पे, जिनमें अनेक प्रकार की आकृतियाँ कुरेदी हुई होती हैं ठप्पा या भाँत्या (सं. भक्ति) कहलाते हैं। छापा और रंग ( लाल और काले रंग की प्रधानता ), सजावटी एवं नाजुक पुष्प पैटर्न सांगानेर की विशेषता है। सांगानेर ( जयपुर ) की सांगानेरी प्रिन्ट / बूटा-बूटी (बेल-बूटों की छपाई) विश्व प्रसिद्ध है।


निम्नलिखित में से कौनसा राजस्थान की प्रसिद्ध हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग तकनीक का नाम है, जिसमें सफेद या ऑफ व्हाइट पृष्ठभूमि पर दबाए गए जटिल पुष्प पैटर्न्स होते हैं:- 

(1) बांधनी 

(2) सांगानेर 

(3) लहरिया 

(4) पटोला

 [Asst Town Planner- 16.06.2023]

Ans. (2) 


'बांधो और रंगों' कला के लिये राजस्थान में कौनसा स्थान प्रसिद्ध है -

(1) जोधपुर 

(2) नाथद्वारा 

(3) बाड़मेर 

(4) जयपुर 

 [JEN (यांत्रिकी) डिप्लोमा - 13.12.2020] 

Ans. (4)


बीकानेर के 'लहरिये व मोण्डे' प्रसिद्ध हैं, तो सांगानेर के -

(1) अजरक प्रिंट 

(2) सांगानेरी प्रिंट 

(3) जाजम 

(4) कशीदाकारी 

[पटवार परीक्षा 2011] 

Ans. (2)

व्याख्या - साँगानेर के छीपे नामदेवी छीपे कहलाते है। सांगानेर के पास अमानीशाह के नाले (द्रव्यवती नदी) से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी ढूंढ नदी सांगानेरी छपाई के लिए वरदान कही जा सकती है।


निम्न में से कौनसा कथन राजस्थान की ब्लॉक छपाई के बारे में सही नहीं है ? 

(1) यह राजस्थान का एक प्राचीन शिल्प रूप है। 

(2) इसे सूती कपड़े पर किया जाता है। 

(3) इसकी प्रक्रिया की शुरुआत 12 वीं सदी से हुई थी। 

(4) इसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग नहीं किया जाता है। 

 [CET - 11.2.2023 (S-II)]

Ans. (4)


....... अपने काले-लाल प्रिंट के लिए प्रसिद्ध है जिसमें फूलों, पत्तियों, जानवरों और पक्षियों को मटिया (मिट्टी) रंग के आधार पर लाल और काले रंग में बनाया जाता है - 

(1) सांगानेरी 

(2) कैथून 

(3) बगरू 

(4) अकोला 

[Assistant Engineer- Civil - 21.05.23] 

Ans. (3) 

व्याख्या - बगरू (जयपुर ग्रामीण) की छपाई (कालालाल छपाई) सूती कपड़े पर हाथ के ठप्पों ( हैंड ब्लॉक प्रिन्टिंग) द्वारा की जाती है। यहाँ की छपाई वनस्पति रंगों की ऐसी देन है। जिसमें घोड़े की खुराताल, गुड़, गोंद के सम्मिश्रण से काले अनार के छिलकों से लाल और हरड़ के पाउडर से पीले रंग बनाये जाते है। इस छपाई में रासायनिक रंगों का उपयोग नहीं किया जाता।


राजस्थान का कौनसा जिला बंधेज साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है ? 

(1) जोधपुर 

(2) कोटा 

(3) शाहपुरा 

(4) उदयपुर

[EO & RO - 14.05.2023 (S - I)] 

Ans. (1) 

व्याख्या - बन्धेज कला के प्रमुख केन्द्र जयपुर, जोधपुर, सीकर तथा झुन्झुनूँ आदि है । बन्धेज एक तकनीक है जिसमें कपड़े को मोड़ने, धागे से उसे कसकर बांधने और वांछित हिस्से को कुशलतापूर्वक रंगने की कला है।


राजस्थान की कौनसी पारम्परिक कपड़ा रंगाई तकनीक से लम्बे समय तक सुगंधित रहने वाले कपड़े / / वस्त्र का उत्पादन किया जाता था-

(1) अमोवा

(2) मलागिरि (मलयगिरि) 

(3) पोमचा 

(4) सांगानेरी 

[ सांख्यिकी अधिकारी- 20.12.20211]

Ans. (2)

व्याख्या - भूरे रंग के मलयगिरि रंग को कई मिश्रणों से तैयार किया जाता था । इस रंग में रंगा हुआ वस्त्र वर्षों तक सुंगधित रहता था । जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय की अंगरखियाँ अभी तक सुगंधित है।


वस्त्र रंगने की मलयगिरी पद्धति में किस रंग की प्रधानता होती है-  

(1) काला 

(2) भूरा 

(3) नीला 

(4) पीला 

[III Grade (Sans..) - 12.2.2023 (S-1)]

Ans. (2) 


निम्न में से असत्य कथन है - 

(1) डूंगरपुर जिले में देवल की खान में से पारेवा पत्थर निकलता है।

(2) काष्ठ पर कलात्मक मूर्तियाँ बनाने के लिए बाँसवाड़ा का तलवाड़ा गाँव प्रसिद्ध है। 

(3) बाँसवाड़ा के चन्दूजी का गढ़ा तथा डूंगरपुर के बोड़ीगामा गाँव में बनने वाले तीरर - कमान प्रसिद्ध है। 

(4) राजस्थान को 'हस्तकलाओं के आगार' के रूप में जाना जाता है। 

[II Grade (Urdu) 2011] 

Ans. (2)

व्याख्या - बाँसवाड़ा के तलवाड़ा गाँव में सोमपुरा जाति के मूर्तिकार काले संगमरमर की मूर्तियाँ बनाने हेतु प्रसिद्ध है।


सोमपुरा शैली जानी जाती है:-

(1) मिट्टी के बर्तन के लिए 

(2) चमड़े के लिए 

(3) चित्रकला के लिए 

(4) स्थापत्य के लिए 

[ARO-29.8.2022] 

Ans. (4) 


कुदरतसिंह को राजस्थान की किस हस्तकला में योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से अलंकृत किया गया है? 

(1) ब्लू पॉटरी

(2) कपड़े की छपाई

(3) मीनाकारी 

(4) पीतल पर मुरादाबादी काम

[I Grade Teacher (GK) -15.10.2022] [Industry Inspector-24.6.2018] [ प्रयोगशाला सहायक - 3.2.2019]

Ans. (3)

व्याख्या - सरदार कुदरत सिंह को प्रमुख शिल्पी मीनाकारी में दक्ष होने पर 1988 में पद्मश्री से अलंकृत किया गया था।


राजस्थान में कहाँ पर प्रसिद्ध मीनाकारी गहने बनाये जाते हैं ?  

(1) जयपुर 

(2) उदयपुर 

(3) जोधपुर 

(4) अजमेर 

[R.A.S. Pre Exam. 20031]

Ans. (1)

व्याख्या - सर्वप्रथम इस कला के शिल्पी लाहौर से राजा मानसिंह प्रथम द्वारा जयपुर ( आमेर ) लाये गये। मीनाकारी के लिए सबसे पहले रत्न व आभूषण पर हल्की-हल्की खुदायी की जाती है जिसे 'टंचाई' कहते है। मीनाकारी गहने जयपुर में विशेष रूप से बनाये जाते है ।


मीनाकारी की कला राजस्थान में सर्वप्रथम किसके द्वारा लाई गई ? 

(1) गजसिंह 

(2) मानसिंह - I

(3) जसवन्तसिंह 

(4) जयसिंह 

[JEN (यांत्रिकी) डिप्लोमा -13.12.2020] | महिला पर्यवेक्षक 29.11.2015 || Asst. Jailer - 15.03.2016] 

Ans. (2)


राजा मानसिंह आमेर में मीनाकारी की कला को प्रारम्भ करने के लिए पाँच कारीगर किस स्थान से लाया ?

(1) दिल्ली 

(2) बुरहानपुर 

(3) वाराणसी 

(4) लाहौर 

[Agri. Officer-29.1.2013] [क. वैज्ञानिक सहायक 22.9.2019] [III Grade (Maths - Science) -25.02.2023][वनपाल - 06.11.2022 (11)] 

Ans. (4) 


टेराकोटा पद्धति से विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनाई जाने वाला स्थल मोलेला किस जिले में स्थित है?

(1) सीकर 

(2) चूरू 

(3) राजसमन्द 

(4) बाड़मेर 

[ वनरक्षक परीक्षा 2013] 

Ans. (3)

व्याख्या - मिट्टी की मूर्तियों व बर्तनों को, जिस पर मुख्य रूप से लोकदेवता व देवियों की प्रतिमाओं का चित्रण किया जाता है, को आग में पकाकर मजबूत बनाने की कला टेराकोटा कहते हैं। इस कला का प्रसिद्ध केन्द्र मोलेला (राजसमंद), बू-नरावता (नागौर) है। इसी प्रकार हरजी गाँव (जालौर) के कुम्हार मामाजी के घोड़े बनाते हैं। मोलेला तथा हरजी दोनों ही स्थानों में कुम्हार मिट्टी में गधे की लीद एवं चावल की भूसी मिलाकर मूर्तियाँ बनाते हैं व उन्हें उच्च ताप पर पकाते हैं। उल्लेखनीय है कि मोलेला के शिल्पी मोहनलाल को इस कला के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। मोलेला शिल्प हेतु काम में ली जाने वाली मिट्टी बनास नदी के निकट वाले उन दो स्थानों से लाई जाती है जिन्हें 'अवला तालाब' तथा 'सोलह की छापर' कहा जाता है।


राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त मोहन लाल किस शिल्प से सम्बन्धित हैं? 

(1) मोलेला मृण्मूर्ति शिल्प 

(2) थेवा कला 

(3) ब्लू पॉटरी 

(4) हाथी दांत कला 

[AEN - 16.5.2014][JEN (Civil)- 18.5.2022] 

Ans. (1)


निम्न दस्तकारों में से किसे टेराकोटा ऑफ मोलेला के लिए पद्मश्री पुरस्कार दिया गया है ?

(1) मोहनलाल कुम्हार 

(2) महेश सोनी 

(3) अर्जुन प्रजापति 

(4) श्री लाल जोशी 

[CET - 5.2.2023 (S-I)]

Ans. (1)


टेराकोटा से उन्नत मूर्तियाँ या देवताओं की मूर्तियाँ बनाने की मोलेला कला में, मिट्टी को मजबूत करने और उसे कड़ा बनाने के लिए उसमें निम्न में से कौनसी सामग्री मिलाई जाती है?

(1) चावल की भूसी और ऊँट का गोबर 

(2) चावल की भूसी और गधे का गोबर 

(3) गेहूँ की भूसी और ऊँट का गोबर 

(4) मक्के की भूसी और ऊँट का गोबर 

[ राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल - 15.05.2022 (11)] 

Ans. (2) 


राजसमन्द जिले में स्थित मोलेला गाँव किस लोक कला के लिए विख्यात है?

(1) मृणमय मूर्तिकला 

(3) वस्त्र छपाई 

(2) काष्ठ कला 

(4) हस्तनिर्मित कागज 

[Lab Assistent (Geography) - 30.06.2022] [III Grade (Punjabi) -28.02.2023] 

Ans. (1)


वह स्थान, जो अपने मृदा शिल्प ( टेराकोटा) के लिए प्रसिद्ध है - 

(1) मोलेला 

(2) कैथून 

(3) बगरु 

(4) सांगानेर 

[पशुधन सहायक परीक्षा - 21.10.2018] [RAS Exam 2015] 

Ans. (1) 


मोलेला ग्राम किस हस्तशिल्प कला के लिए प्रसिद्ध है।  

(1) टेराकोटा 

(2) आभूषण 

(3) कपड़े पर छपाई

(4) ब्लू पॉटरी 

[II Grade (Urdu) -28.02.2023][ ग्राम सेवक - 18.12.2016]

Ans. (1) 


टेराकोटा मूर्तियाँ निम्नलिखित में से किससे बनायी जाती है?

(1) सिरेमिक जैसी मिट्टी 

(2) लकड़ी की कला - कृति से 

(3) लौह अयस्क से 

(4) प्लास्टिक से

 [ राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल-14.07.2018 (II)] 

Ans. (1) 


नागौर का 'बू' गाँव किसलिए प्रसिद्ध हुआ करता था- 

(1) पेचवर्क के लिए

(2) मिट्टी के बर्तन एवं खिलौनों के लिए 

(3) जूट पट्टी के लिए

(4) लोहे के औजारों के लिए

[पटवार 24.10.2021 ( Shift - 1)][ राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल - 14.05.2022] [JEN- 21.8.2016] 

Ans. (2)


काली मिट्टी के बर्तनों के लिए कौनसा स्थान प्रसिद्ध है? 

(1) जयपुर 

(2) बांसवाड़ा 

(3) सवाई माधोपुर 

(4) चित्तौड़गढ़ 

[CET -4.2.2023 (S-II)] 

Ans. (3)

व्याख्या - सवाई माधोपुर के 'श्यामोता गाँव' में कुम्हारों द्वारा बनाये जाने वाले काली मिट्टी के खिलौने एवं बर्तन बड़े प्रसिद्ध है। सवाई माधोपुर क्षेत्र का ब्लेक पॉटरी शिल्प विश्व प्रसिद्ध है।


हस्तकला - स्थान में सुमेलित नहीं है ?

(1) मामाजी के घोड़े - बसन्तगढ़ 

(2) दाबू प्रिन्ट - आकोला

(3) लाख का काम - लक्ष्मणगढ़, इन्द्रगढ़

(4) अजरक प्रिन्ट - बाड़मेर

[JEN (Diploma)- 21.8.2016]

Ans. (1)

व्याख्या - मामाजी के घोड़े हस्तकला जालौर की है जबकि बसंतगढ़ सिरोही में स्थित है।


राजस्थान में लेटा, मांगरोल एवं सालावास जाने जाते है ?  

(1) कपड़े की मदों की बुनाई के लिए 

(2) कपड़े की मदों की छपाई के लिए 

(3) महिलाओं के लिए चमड़े की जूती निर्माण के लिए 

(4) लकड़ी के खिलौने निर्माण के लिए 

[R.A.S. Pre Exam, 2007]

Ans. (1)

व्याख्या - लेटा खेसला उद्योग - जालौर का लेटा ग्राम खेसला उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।


गेहूँ के बींघण का प्रयोग दाबू के लिए कहाँ होता है? 

(1) बगरु 

(2) सवाई माधोपुर 

(3) टोंक 

(4) बाड़मेर 

[ वनरक्षक परीक्षा 2013] 

Ans. (1)

व्याख्या - बगरु में दाबू का विशेष प्रयोग होता है। दाबू का प्रयोग उस स्थान पर करते हैं जिसे छापना नहीं हो। इन स्थानों पर लेई या लुगदी को ठप्पों से लगा देते हैं। बगरु में गेहूँ के बघण का प्रयोग दाबू के लिए होता है, जबकि सवाईमाधोपुर व अकोला में मोम का व बालोतरा में मिट्टी का । बगरु में अभी भी वानस्पतिक रंगों का प्रयोग होने से यह सांगानेर से अधिक पसन्द किया जाने लगा है।


दाबू प्रिन्ट के लिए प्रसिद्ध है -  

(1) गाँव अकोला 

(2) गाँव मोलेला 

(4) हरजी गाँव 

(3) प्रतापगढ़

[Asst. Jailer - 15.03.2016] [CET - 11.2.2023 (S-I ) ] [ कनिष्ठ अनुदेशक (वेल्डर) - 26.03.2019]

Ans. (1)


तोड़यों (ऊँट के बच्चे ) के मुलायम बालों के सूतों के साथ धागा मिलाकर जो बढ़िया कपड़ा तैयार किया जाता है, वह कहलाता है-

(1) नमदा

(2) लूगड़ी 

(3) बाखला 

(4) आसन

 Ans. (3)

 [Police Constable Exam-2007] 

व्याख्या - मारवाड़ में ऊँट के बच्चे को 'तोड़यों" कहा जाता है। जिसके मुलायम बालों को सूत के साथ धागा मिलाकर बहुत बढ़िया कपड़ा तैयार किया जाता है, उसे 'बाखला' कहते हैं। इसकी विशेषता यह है कि वर्षा की नमी में भी यह सूखा रहता है।


'कागजी टैराकोटा' के लिए प्रसिद्ध है:- 

(1) उदयपुर 

(2) जोधपुर 

(3) भरतपुर 

(4) अलवर 

[ पटवार- 2011]

Ans. (4)

व्याख्या - अलवर की बहुत पतली मिट्टी के परतदार बर्तन (कागजी ) कला प्रसिद्ध है। सुनहरी टेराकोटा के लिए बीकानेर प्रसिद्ध है।


निम्नांकित में कौनसा शासक है जिसने राजस्थान में गलीचा बनाने में पहल की:-

(1) आमेर का मानसिंह प्रथम 

(2) बीकानेर का रायसिंह 

(3) मेवाड़ का राजसिंह 

(4) जोधपुर का अजीतसिंह 

 [Agriculture Officer- 29.1.13] 

Ans. (1)

व्याख्या - राजस्थान में गलीचा मुख्य रूप से जयपुर, बीकानेर, अलवर, जोधपुर, सीकर, झुन्झुनूँ तथा टोंक आदि जिलों में निर्मित किया जाता है। आमेर शासक मानसिंह प्रथम ने राजस्थान में गलीचा बनाने की पहल की। इराक के शाह अब्बास द्वारा जयपुर नरेश मिर्जा राजा जयसिंह को एक अद्वितीय गलीचा भेंट किया जो वर्तमान में जयपुर के राजकीय संग्रहालय में स्थित है।


गलीचा निर्माण हेतु प्रसिद्ध है-

(1) अजमेर 

(2) सिरोही 

(3) जयपुर 

(4) पाली 

 [Asst. Agriculture Officer : 29.01.2013]

Ans. (3) 


कठपुतलियों का निर्माण मुख्य रूप से होता है-

(1) उदयपुर 

(2) जोधपुर 

(3) फलौदी 

(4) दौसा 

[Asst. Agriculture Officer : 29.01.2013]

Ans. (1)

व्याख्या- भारत में 'धागा / तार पुतलियों' की परम्परा अत्यंत प्राचीन एवं समृद्ध है। राजस्थान में उदयपुर की परम्परागत पुतलियों को 'कठपुतली' कहते हैं। काठ के एक टुकड़े से तराश कर बनाई गई ये पुतलियाँ रंगबिरंगे पहनावे में बड़ी गुड़ियों के समान लगती है।


चन्दूजी का गढ़ा तथा बोड़ीगामा स्थल किसके लिए विख्यात है? 

(1) कुन्दन कला के लिए 

(2) तीर कमान निर्माण के लिए 

(3) जाजम छपाई के लिए 

(4) मीनाकारी के लिए 

[जेल प्रहरी परीक्षा 29-10-2018, Shift -1] [Librarian III Grade 11.09.2022] 

Ans. (2)

व्याख्या - तीर कमान के लिए राजस्थान के बाँसवाड़ा जिले में स्थित चन्दूजी का गढ़ा तथा डूंगरपुर जिले में स्थित बोड़ीगामा प्रसिद्ध है।


विभिन्न कला स्वरूपों और स्थानों के निम्नलिखित जोड़ों में से कौन-सा जोड़ा सही ढंग से मेल खाता है?

(1) थेवा कला- जोधपुर 

(2) उस्ता कला - उदयपुर 

(3) कुंदन कला - जयपुर 

(4) जस्ता की बादला की बोतलें - हनुमानगढ़ 

 [ राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल - 15.07.2018 (II)] 

Ans. (3)

व्याख्या - थेवा कला (काँच पर हरे रंग से स्वर्णिम नक्काशी ) प्रतापगढ़, उस्ता कला ( ऊँट की खाल पर स्वर्णिम नक्काशी) - बीकानेर, जस्ता (जिंक) की बादला की बोतलें - जोधपुर की है।


राजस्थान में मूर्तिकला के लिये कौन-सा शहर विख्यात है?  

(1) अजमेर 

(2) कोटा 

(3) भीलवाड़ा 

(4) जयपुर 

[RPSC LDC. Exam, 2012]

Ans. (4)

व्याख्या - जयपुर में पत्थर की सुन्दर मूर्तियाँ बनाने के कार्य सर्वाधिक होता है। जयपुर, नागौर, किशनगढ़ तथा अलवर जिले का किशोरी गाँव संगमरमर की मूर्तियों व कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध है। राजस्थान में गलियाकोट (डूंगरपुर) में पत्थर के कलात्मक खिलौने व भीलवाड़ा में संगमरमर पर पच्चीकारी का काम प्रसिद्ध है।


नीचे दिये गये युग्मों में से कौनसा युग्म सही है -  

(1) सोने का काम हरी मीनाकारी के साथ - नाथद्वारा

(2) लकड़ी के घोड़ों के खिलौने - कोटा 

(3) पत्थर के खिलौने - गलियाकोट 

(4) चन्दन प्रिन्टिंग - प्रतापगढ़

[ प्रवक्ता (तकनीकी शिक्षा विभाग) - 12.03.2021]

Ans. (3) 


राजस्थान में कोफ्तगिरी के काम के लिए कौन-से शहर प्रसिद्ध है? 

(1) कोटा एवं बूँदी 

(2) अलवर एवं जयपुर 

(3) झालरापाटन एवं बारां 

(4) बीकानेर एवं जोधपुर 

[संगणक परीक्षा 05.05.2018] 

Ans. (2)

व्याख्या - फौलाद से बनी हुई वस्तुओं पर सोने के पतले तारों की जड़ाई कोफ्तगिरी कहलाती है। यह कला दमिश्क से राजस्थान में मुगलों के समय लाई गई। कोफ्तगिरी जयपुर, उदयपुर एवं अलवर में बहुतायत से होती है।


एक कोफ्तगिरी, राजस्थान का पारंपरिक शिल्प, प्रकार की सजावट है जिसकी उत्पत्ति भारत में...... के साथ हुई है।

(1) गुप्तों 

(2) मराठों 

(3) मुगलों 

(4) सिंधियाओं 

 [ राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल-15.05.2022 (II)] 

Ans. (3)


निम्नलिखित में से कौनसा राज्य कुंदन गहनों के लिए प्रसिद्ध है ?

(1) राजस्थान 

(2) कर्नाटक 

(3) महाराष्ट्र 

(4) ओडिशा 

 [राज, पुलिस कॉन्स्टेबल-16.05.2022 (II)] 

Ans. (1)

व्याख्या - स्वर्णाभूषणों में कीमती पत्थर जड़ने की कला कुन्दन कहलाती है। यह कार्य जयपुर में अधिक किया जाता है।


जिरोही, भाकला, गंदहा किस उद्योग के नाम है?

(1) जटपट्टी 

(2) पेचवर्क 

(3) मीनाकारी 

(4) ब्लू पॉटरी 

[L.S.A. 2016]

Ans. (1)

व्याख्या - जसोल की जटपट्टी : बालोतरा जिले के जसोल गाँव ( पूर्व बाड़मेर जिला ) अपने 'जटपट्टी' उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। जट पट्टियाँ बकरी के बालों से बनती हैं। जट पट्टी उद्योग को जिरोही, भाकला, गंदहा के नाम से भी जाना जाता है।


निम्नलिखित में से कौनसा ( हस्तशिल्प - स्थान ) सुमेलित नहीं है?  

(1) दाबू प्रिन्ट-आकोला गाँव (चित्तौड़गढ़)

(2) अजरख प्रिन्ट - बाड़मेर 

(3) उस्ता कला - बीकानेर 

(4) जट पट्टी - नागौर

[JEN (Mechanical) Degree 20.05.2022]

Ans. (4)


बकरी के बालों से जूट की पट्टियाँ बनाने का मुख्य केन्द्र कहाँ है- 

(1) जसोल (बाड़मेर) 

(2) दूदू (जयपुर) 

(3) खेतड़ी (झुन्झुनूँ) 

(4) गंगापुर (भीलवाड़ा) 

[राज, पुलिस कॉन्स्टेबल-14.6.2024 (I)]

Ans. (1) 


'भरत', 'सूफ', 'हुरम जी', 'आरी' किससे संबंधित हैं- 

(1) पीतल नक्कासी 

(2) गलीचा व दरी उद्योग 

(3) ब्लू पॉटरी 

(4) कढ़ाई व पेचवर्क 

 [JEN (Mech.) Diploma 2016]

Ans. (4)


व्याख्या राजस्थान में कढ़ाई के प्रकार-

(1) लोक शैली कढ़ाई ( Folk Emroidery ) - पश्चिमी राजस्थान में कशीदाकारी को भरत कहते हैं। मोची भारत (बाड़मेर), हीर भारत, मोती भारत / Bead Work (जालौर), मेयो कढ़ाई (अलवर, भरतपुर), सुजनी काम, सूफ, मुक्का, कम्भीरी, हरमजी (कच्छी भरत), खारक, आरी, पेचवर्क, पैबन्धकारी कार्य (Applique Work ) आदि इसके प्रकार हैं।

ओडिशा का पिपली शिल्प को ऐप्लीक के नाम से जाना जाता है। इसमें बेस कपड़े पर कपड़े के रंगीन टुकड़ों को एक साथ सिलाई करना शामिल है। एप्लीक वर्क में पशु-पक्षी, मानव आकृतियाँ आदि के नमूने काटकर विभिन्न टाँकों का उपयोग कर वस्त्र पर लगाए जाते हैं।

(2) धार्मिक कढ़ाई (Religious Embroidery ) - धार्मिक उत्सवों में राजस्थान मे जैनों (जैन कढ़ाई) एवं वैष्णवों (पिछवाई) के मंदिरों में कढ़े हुए वस्त्र चढ़ाते हैं।

(3 ) कोर्ट कढ़ाई (Court Embroidery ) :- यह मुख्यतः तीन प्रकार से की जाती है-

(i) धातु कढ़ाई ( डंके का काम ) - उदयपुर का पुराना कढ़ाई शिल्प ।

(ii) गोटा वर्क- सूती या रेशमी कपड़े पर बादले से छोटीछोटी बिंदकी की कढ़ाई 'मुकेश' कहलाती है। लप्पा, लप्पी, किरण, बाँकड़ी, गोखरू, नक्शी (पतले खजूर अलंकरण वाला गोटा), लहर गोटा ( सामान्य खजूर की पत्तियों वाले अलंकरण युक्त गोटा ), चौदानी, बिजिया आदि गोटे के प्रकार हैं। बादले की झालर को कहा जाता है। यह सद्यः विवाहिता की साड़ी के आँचल और घूँघट वाले हिस्से में लगता है। तार वाले बादले से बनी एक प्रकार की बेल बाँकड़ी जो स्त्रियाँ अपने दुपट्टों और पौशाकों पर लगाती है। जयपुर का गुलाल गोटा देशभर में प्रसिद्ध है। गुलाल गोटा केवल जयपुर राजपरिवार के लोग ही इस्तेमाल किया करते थे। 

(iii) सलमा वर्क- यह मुख्यतः दो प्रकार जारदोजी, कामदानी की होती है। यह जयपुर सलमा वर्क के लिए प्रसिद्ध है। राजस्थान में सुनहरे धागों से जो कढ़ाई का कार्य किया जाता है उसे 'जारदोजी' का कार्य कहा जाता है। इसमें जो सुनहरे तार का प्रयोग होता है उसे 'कलाबत्तू' कहा जाता है। अड्डा वह फ्रेम है जिस पर कपड़े को तान कर जरदोजी/ जारदोजी की कढ़ाई की जाती है।


निम्नलिखित में से कौनसी कपड़े के विभिन्न टुकड़ों से सुन्दर और सजावटी वस्तुएँ बनाने की प्राचीन तकनीक हैं?  

(1) आरी (Aari) 

(2) ऐप्लीक (Applique) 

(3) जरदोजी (Zardozi) 

(4) कचो (Kacho) 

[राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल-13.05.2022 (1)]

Ans. (2)


'मोती भारत' किस जिले में पारंपरिक कढ़ाई का नाम है? 

(1) पाली 

(2) सीकर 

(3) बूँदी 

(4) जालौर 

[Librarian III Grade 11.09.2022] 

Ans. (4) 


लप्पा, लप्पी, किरण, गोखरू एवं बाँकड़ी यह सब -  

(1) राजस्थानी फिल्म सासु माँ के किरदार हैं ।

(2) गोटे के भिन्न-भिन्न प्रकार हैं।

(3) दुल्हन की साड़ियों के नाम हैं।

(4) मोठ की अधिक पैदावार देने वाली किस्में हैं

[कनिष्ठ अनुदेशक- 10.9.2022] [ III Grade Teacher-2006]

Ans. (2)


सीकर के इलाके में कौनसा स्थान गोटा उद्योग हेतु प्रसिद्ध है। 

(1) निचवा 

(2) खूर 

(3) पिपराली 

(4) खण्डेला 

[CET-G (S-II)-28.09.2024] [CET (10+2): 23.10.2024 (S-II)] 

Ans. (4) 


चाँदी के आभूषणों की तारकशी के लिए राजस्थान का कौनसा स्थान प्रसिद्ध है ? 

(1) नाथद्वारा 

(2) चित्तौड़गढ़ 

(3) बाड़मेर 

(4) उदयपुर 

[महिला पर्यवेक्षक 06.01.2019][वनपाल-06.11.2022(S-II)][ वनरक्षक-11.12.2022(S-I)][CET 4.2.2023 (S-I)] [III Grade (English) -27.02.2023] 

Ans. (1)

व्याख्या - लकड़ी के आँगन पर अल्पना करना या तारों से लकड़ी पर कविता करने की कला तारकशी कहलाती है। इसमें मुख्य रूप से शीशम की लकड़ी काम में ली जाती है। राज्य में तारकशी के प्रमुख केन्द्र जयपुर और नाथद्वारा है।


कौनसा (हस्तशिल्प-स्थान ) सही सुमेलित नहीं है?

(1) बंधेज (टाई एंड डाई ) - जयपुर

(2) मसूरिया साड़ी - कैथून 

(3) लकड़ी के खिलौने - बस्सी 

(4) तारकशी का काम उदयपुर -

 [VDO Mains -09.07.2022]

Ans. (4) 


'समुद्र लहर' नाम का लहरिया कहाँ रंगा जाता है-

(1) जयपुर 

(2) जोधपुर 

(3) चित्तौड़ 

(4) कोटा

[JEN (Mech.) Degree 2016]

Ans. (1)

व्याख्या - जयपुर के रंगरेज व नीलगर 'राजशाही लहरिया', 'समुद्र लहर नामक लहरिया' रंगते थे जिसमें चमकदार गुलाबी रंग की आड़ी रेखाएँ बनती थीं ।


संगमरमर की मूर्तियाँ राजस्थान में कहाँ बनती है ?

(1) जयपुर 

(2) किशनगढ़ 

(3) बाँसवाड़ा 

(4) उदयपुर

[R.A.S. Pre Exam.(cancelled) 1999]  

Ans. (1)

व्याख्या - पत्थर की मूर्ति बनाने वाले कारीगर 'सिलावट' कहलाते हैं। सोमपुरा जाति के मूर्तिकार तलवाड़ा में काले संगमरमर की मूर्तियाँ बनाते हैं।

• सफेद संगमरमर की मूर्तियाँ- जयपुर में 

• काले संगमरमर की मूर्तियाँ- तलवाड़ा (बाँसवाड़ा) 

• लाल पत्थर की मूर्तियाँ - थानागाजी (अलवर)


राजस्थान की प्रसिद्ध लोक कला 'बेवाण' है-

(1) खादी के कपड़े पर लोक देवता के जीवन को चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत करना।

(2) लकड़ी से निर्मित सिंहासन जिस पर ठाकुर जी की मूर्ति को शृंगारित करके बैठाया जाता है। 

(3) लकड़ी से निर्मित तलवारनुमा आकृति जिसका उपयोग रामलीला नाटक में किया जाता है।

(4) कपाटों युक्त लकड़ी से निर्मित मंदिरनुमा आकृति। 

[ बेसिक कम्प्यूटर अनुदेशक - 18.06.2022]

Ans. (2)

व्याख्या - बेवाण- लकड़ी के बने मंदिरनुमा देव विमान, जिनकी देव झूलनी एकादशी को झाँकी निकाली जाती है।


लकड़ी के बने देव विमान जिनकी देव झूलनी एकादशी पर झाँकी निकाली जाती है, कहलाती है-

(1) बाजोट 

(2) बेवाण 

(3) खांडे 

(4) चौपड़े 

[JEN (Electric) Diploma - 18.05.2022] 

Ans. (2) 


'बेवाण' कला सम्बन्धित है।  

(1) प्रस्तर मूर्ति कला से 

(2) आँगण चित्रण से 

(3) मृण कला से 

(4) काष्ठ कला से 

[III Grade (SST) - 26.02.2023]

Ans. (4) 


मोजड़ी का संबंध.... से हैं?

 (1) चित्रकारी 

(2) कालीन 

(3) जूते 

(4) आभूषण 

[ राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल-15.05.2022 (1)]

Ans. (3)

व्याख्या - जोधपुर की कशीदादार मोचड़ी / मोजड़ी जूतियाँ व जयपुर की नागरी / नागर जूतियाँ, भीनमाली (जालोर) की जूतियाँ विशेष प्रसिद्ध है। जूते अथवा जूती के लिए जरबा, पैजार, पग़रखी, पखरखा, मोचड़ी आदि शब्दों का प्रयोग होता है। विवाहोत्सवों पर वर-वधू के लिए बनने वाली जूतियाँ 'चोबवाली' कहलाती है। इस पर जरी का काम होता है। दूल्हे की जूतियाँ 'बिनोटा' कहलाती है। डीडवाना - कुचामन जिले (पूर्व नागौर जिला) की परबतसर तहसील के बडू में बनने वाली कशीदायुक्त जूतियों की एक परियोजना संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा यू.एन.डी.पी. के तहत चलाई जा रही है।


राजस्थानी लोकचित्रों में से कौनसा कपड़े पर नहीं बनाया जाता है? 

(1) पट 

(2) पिछवाई 

(3) फंड़ 

(4) पथवारी 

[ राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल - 14.05.2022] 

Ans. (4)

व्याख्या - गाँव के बाहर गंगाजी के मार्ग पर पथ की देवी के बने थानक को कहते हैं। गंगायात्रा में लौटने पर पथवारी की पूजा होती है। विवाह के अवसर पर विदाई से पूर्व और वर के अपने घर लौटने पर भी पथवारी की पूजा होती है। पथवारी को खेतरपाल ( क्षेत्रपाल) भी कहते हैं।


कौनसी राजस्थान में पाई जाने वाली आदिवासी दीवार की एक कला है ?  

(1) पन्ने 

(2) मांडना 

(3) कावड़ 

(4) गोदना 

[ राज. पुलिस कॉन्स्टेबल-14.05.2022]

Ans. (2)

व्याख्या - महिलाओं द्वारा मांगलिक अवसरों पर घर आँगन को लीपपोत कर खड़िया, हिरमिच व गैरूं से अनामिकां की सहायता से ज्यामितीय अलंकरण बनाये जाते हैं जिन्हें राजस्थान में 'मांडणे ' कहते हैं। दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान में मीणा जनजाति की महिलाओं द्वारा घरों में बनायी जाने वाली मोर की आकृति 'मोरड़ी माण्डना' कहलाती है । स्वस्तिक/ सातिए (सबसे छोटा मांडना ) लक्ष्मी, गणेश के चित्र, शंख, चक्र, मंगल कलश, ग्रह-नक्षत्र, पद चिह्न आदि प्रमुख मांडणे हैं।


मांडना एक पारंपरिक लोक कला है-  

(1) गोवा की 

(2) महाराष्ट्र की 

(3) राजस्थान की 

(4) केरल की 

[पशु परिचर-1.12.2024 (S-II)]

Ans. (3) 


कहानी कहने की वह कौनसी मौखिक परम्परा है जो राजस्थान में अभी अस्तित्व में है, जहाँ महाकाव्य महाभारत और रामायण की कहानियों के साथ पुराणों की कहानियों, जाति वंशावली और लोक परम्परा की कहानियों को बताया जाता है। 

(1) कावड़ संवाद 

(2) कावड़ बंचना (वाचन) 

(3) संवाद बंचना (वाचन) 

(4) काव्य संचना

[ राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल - 13.05.2022 (1)] 

Ans. (2)


पारम्परिक कलाकार माँगीलाल मिस्त्री किस क्षेत्र में प्रसिद्ध है?

(1) कावड़ 

(2) कठपुतली 

(3) मांडणा 

(4) फड़ 

 [Lab Assistent (Science) - 29.06.2022] 

Ans. (1) 


किस लोक कला के निर्माण का पुश्तैनी व्यवसाय केवल चित्तौड़गढ़ जिले के ग्राम बस्सी में ही देखा जाता है? 

(1) फड़ 

(2) सांझी 

(3) वील 

(4) कावड़ 

[ कनिष्ठ अनुदेशक- 10.09.2022] 

Ans. (4)


'कावड़' बनाने के लिए कौन प्रसिद्ध है?

(1) उस्ताद लालचन्द  

(2) माँगीलाल मिस्त्री 

(3) साहिबराम

(4) चम्पालाल

 [वनरक्षक-11.12.2022(S-I)]

Ans. (2)

व्याख्या - कावड़ एक मंदिरनुमा काष्ठकलाकृति है जिसमें कई द्वार बने होते हैं। सभी द्वारों या कपाटों पर चित्र अंकित रहते हैं। कावड़ लाल रंग से रंगी जाती है व उसके ऊपर काले रंग से पौराणिक कथाओं का चित्रांकन किया जाता है। इनमें महाभारत, रामायण, कृष्ण लीला के विभिन्न चरित्रों की घटनाओं का विवरण होता है। इन्हीं का वाचन व श्रवण किया जाता है। कावड़ बनाना चित्तौड़गढ़ के बस्सी गाँव के खैरादियों का पुश्तैनी व्यवसाय है। यहाँ के पारम्परिक कलाकार माँगीलाल मिस्त्री ने अपनी कावड़ परम्परा को सुरक्षित रखते हुए कई नये प्रयोग किये हैं । 


रूपाहली और सुनहरी ( स्वर्णिम ) छपाई राजस्थान के किन जिलों में प्रसिद्ध है ?

(1) जयपुर, जोधपुर और जैसलमेर

(2) किशनगढ़, चित्तौड़गढ़ और कोटा

(3) अजमेर, टोंक और बांसवाड़ा

(4) बूँदी, पाली और सिरोही 

 [ वनरक्षक - 13.12.2022(II)] 

Ans. (2)


छातों (अंब्रेला) के लिए प्रसिद्ध है ?  

(1) पाली 

(2) फालना 

(3) जयपुर 

(4) सिरोही 

[ग्राम सेवक, 2008] [महिला पर्यवेक्षक परीक्षा (TSP) 20.12.2015 ]

Ans. (2)

व्याख्या - छातों (अंब्रेला) के लिए पाली जिले में स्थित फालना प्रसिद्ध है।


निम्नलिखित में से किस वस्त्र का संबंध राजस्थान से नहीं है -  

(1) सांगानेरी 

(2) कांधा 

(3) बांधनी 

(4) बाड़मेरी 

[ राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल- 06.11.2020 (II)]

Ans. (2)

व्याख्या - सांगानेरी (जयपुर), बाड़मेरी प्रिंट के वस्त्र तथा राजस्थान की बांधनी साड़ी देश भर में प्रसिद्ध है।


हैण्डलूम मार्क प्रामाणिकता बतलाता है-

(1) हैण्डलूम कपड़ों की 

 (2) शिल्पकला की

(3) हाथ कशीदा की 

(4) हाथ ब्लॉक प्रिंटिंग की

[RAS Exam-2008]

Ans. (1) 

व्याख्या - हैण्डलूम मार्क हैण्डलूम कपड़ों की प्रामाणिकता बतलाता है। हथकरघा निर्मित वस्त्रों की पहचान के लिए हैंडलूम मार्क लगाया जाता है। जिस वस्त्र पर यह मार्क लगा होता है इसका अर्थ है कि वह कपड़ा 100 प्रतिशत हथकरघा का बना हुआ है।


हाल ही में भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री ने राजस्थान की कशीदाकारी शिल्प को भौगोलिक संकेत (जी. आई. टैग) प्रदान किया है। यह शिल्प किस स्थान का प्रसिद्ध है- 

(1) चुरू 

(2) बीकानेर 

(3) कोटा 

(4) जालौर 

[Asst. Professor-7.1.2024] 

Ans. (2) 

व्याख्या - अगस्त, 2023 में राजस्थान के 5 उत्पादों उदयपुर कोफ्तगिरी धातु शिल्प, बीकानेर कशीदाकारी शिल्प, बीकानेर उस्ता कला शिल्प, जोधपुर बंधेज शिल्प, पिछवाई कला (नाथद्वारा, राजसमन्द ) को GI टैग प्रदान किया गया है। राजस्थान में अब तक 21 वस्तुओं का (लोगो सहित शामिल करने पर) का राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान द्वारा भौगोलिक सूचीकरण (GI) किया जा चुका है। उपर्युक्त 4 उत्पादों के अलावा अन्य उत्पादों की सूची इस प्रकार हैं- कोटा डोरिया, ब्ल्यू पॉटरी ऑफ जयपुर, मोलेला क्ले वर्क, राजस्थान की कठपुतली, सांगानेरी हैण्डब्लॉक प्रिंट, बीकानेरी भुजिया, कोटा डोरिया (लोगो), बगरू हैण्डब्लॉक प्रिंट, -थेवा आर्ट, फुलकारी, मकराना मार्बल, मोलेला क्ले वर्क (लोगो), जयपुर की ब्ल्यू पॉटरी (लोगो), राजस्थान की कठपुतली (लोगो), पोकरण पोटरी, सोजत मेहंदी।


राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान ने भौगोलिक सूचक पद में शिल्पकला में जिनका सूचिकरण किया है वे हैं:-

(1) ब्लू पॉटरी जयपुर की एवं चिकनी मिट्टी उद्योग उदयपुर का

(2) जरी उद्योग अजमेर का एवं ब्लॉक प्रिंटिंग सांगानेर का

(3) कशीदाकारी बाड़मेर की एवं ऊनी कपड़े जैसलमेर का

(4) पेंटिंग किशनगढ़ की एवं टोंक के नमदा 

[RAS Exam-2008]

Ans. (1)

व्याख्या - अगस्त, 2023 में राजस्थान के 5 उत्पादों उदयपुर कोफ्तगिरी धातु शिल्प, बीकानेर कशीदाकारी शिल्प, बीकानेर उस्ता कला शिल्प, जोधपुर बंधेज शिल्प, पिछवाई कला (नाथद्वारा, राजसमन्द) को GI टैग प्रदान किया गया है। राजस्थान में अब तक 21 वस्तुओं का ( लोगो सहित शामिल करने पर) का राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान द्वारा भौगोलिक सूचीकरण ( GI) किया जा चुका है। उपर्युक्त 4 उत्पादों के अलावा अन्य उत्पादों की सूची इस प्रकार हैंकोटा डोरिया, ब्ल्यू पॉटरी ऑफ जयपुर, मोलेला क्ले वर्क, राजस्थान की कठपुतली, सांगानेरी हैण्डब्लॉक प्रिंट, बीकानेरी भुजिया, कोटा डोरिया (लोगो), बगरू हैण्डब्लॉक प्रिंट, थेवा आर्ट, फुलकारी, मकराना मार्बल, मोलेला क्ले वर्क (लोगो), जयपुर की ब्ल्यू पॉटरी (लोगो), राजस्थान की कठपुतली (लोगो), पोकरण पोटरी, सोजत मेहंदी। 


राजस्थान सरकार द्वारा हस्तशिल्प / कला के क्षेत्र में राज्य स्तरीय पुरस्कार विजेता को कितनी राशि का पुरस्कार दिया जाता है? 

(1) 5000 रुपये 

(2) 20,000 रुपये

(3) 50,000 रुपये 

(4) 25,000 रुपये

 [LDC Exam - 19.08.2018]

Ans. (4)  

व्याख्या - हस्तशिल्पियों को सम्मानित करने के उद्देश्य से राजस्थान लघु उद्योग निगम लि. द्वारा वर्ष 1983 से भारत सरकार के राष्ट्रीय पुरस्कार के अनुरूप ही राज्य सरकार की ओर से भी शिल्पियों को पुरस्कृत करने की योजना प्रारम्भ की गई, जिसके तहत राज्य स्तरीय पुरस्कार के अन्तर्गत 25000/- रुपये नकद तथा दक्षता प्रमाण-पत्र पाने वाले शिल्पियों को 5000/- रुपये नकद प्रदान किया जाता है।


राजस्थान की प्रथम हस्तशिल्प नीति के बारे में निम्न में से कौनसा कथन सही नहीं है?

(1) राजस्थान की पहली हस्तशिल्प नीति 2022 में जारी हुई ।

(2) इससे आने वाले पाँच वर्षों में 50 हजार से अधिक नए रोजगार के अवसर मिलेंगे।

(3) यह नीति मार्च, 2025 तक प्रभावी रहेगी ।

(4) विलुप्त होती परम्परागत हस्तकलाओं को पुनर्जीवित करना इसका एक उद्देश्य है।

 [II Grade (S-II) -29.1.2023] 

Ans. (3)


किस वर्ष में, राजस्थान की पहली हस्तशिल्प नीति जारी की गई ? 

(1) 2019 

(2) 2018 

(3) 2022 

(4) 2021 

[CET : 07.01.2023 (S-II)] 

Ans. (3)


राजस्थान हथकरघा (हस्तशिल्प) नीति लागू हुई थी ?

(1) 17 सितम्बर, 2022 

(2) 18 सितम्बर, 2022 

(3) 20 दिसम्बर, 2023 

(4) 23 नवम्बर, 2023 

[CET -G (S-II) - 27.09.2024]

Ans. (1)


कौनसा/से कथन सत्य है/हैं- 

1. राजस्थान हस्तशिल्प नीति 17 सितम्बर, 2022 से लागू की गई। 

2. इस नीति का उद्देश्य राज्य के हस्तशिल्पियों और बुनकरों को उन्नत तकनीक, आवश्यक वित्तीय और विपणन सहायता प्रदान कर प्रोत्साहित करना है। 

(1) ना तो 1 और ना ही 2 सत्य है। 

(2) 1 और 2 दोनों सत्य है। 

(3) केवल 2 सत्य है। 

(4) केवल 1 सत्य है। 

[Asst. Professor-7.1.2024] 

Ans. (2) 

व्याख्या - राजस्थान की पहली हस्तशिल्प नीति 2022 का शुभारम्भ 17 सितम्बर, 2022 को किया गया। इसका उद्देश्य हस्तशिल्प के उत्थान के लिए बेहतर विपणन व्यवस्था प्रदान करना, पारंपरिक और विलुप्त कलाओं को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर पैदा करना है। शिल्पकारों को सशक्त बनाने के लिए नीति में हर साल राष्ट्रीय स्तर के हस्तशिल्प सप्ताह का आयोजन, विभिन्न श्रेणियों में राज्य स्तरीय पुरस्कार, ब्रांड निर्माण, ई-मार्केटिंग, सामाजिक सुरक्षा, ऋण सुविधा, छात्रवृत्ति और निष्पक्ष प्रदर्शनियों में भागीदारी के लिए सहायता जैसे प्रावधान भी शामिल है । असम और ओडिशा के बाद राजस्थान देश का तीसरा राज्य है जिसने अपनी पृथकं हस्तशिल्प नीति जारी की।


राजस्थान की हस्तशिल्प वस्तुओं को राजस्थान लघु उद्योग निगम किस ब्राण्ड नाम से विपणन करता है?

(1) राजदरबार 

(2) राजस्थली

(3) राजदर्पण

(4) महाराजा

[RPSC LDC, 11 Jan 2014]

Ans. (2)

व्याख्या - राजस्थान की हस्तशिल्प वस्तुओं के विपणन एवं उन्हें लोकप्रिय बनाने के लिए जयपुर में राजस्थली एम्पोरियम कार्यरत है।


'विकास के लिए फैशन' संबंधित है? 

(1) परिधारों की नई डिजाइन तैयार करना 

(2) फैशन विकास के लिए एक स्वतंत्र संस्थान स्थापित करना 

(3) कन्या महाविद्यालयों में फैशन पाठ्यक्रम लागू करना 

(4) खादी एवं कोटा डोरिया को लोकप्रिय बनाना 

[RAS-2007] 

Ans. (4) 

व्याख्या - राज्य में 'फैशन फोर डवलपमेंट योजना' खादी एवं ग्रामोद्योग को बढ़ावा देने के लिए संचालित की जा रही है। इस योजना में 2500 बुनकरों एवं अन्य कामगारों को उन्नत चरखे, करघे, वार्पिग मशीन की सुविधा प्रदान करने हेतु योजना के प्रारंभ (2008) से ही दीर्घकालीन रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। 


राजस्थान के कोटा और बाराँ जिले में बनाई जाने वाली 'चूंदड़ी' का कार्य............ प्रकार का है- 

(1) टाई एवं डाई 

(2) पॉटरी का निर्माण

(3) हाथ की कढ़ाई 

(4) पेन्टिंग

[LDC Exam-16.09.201]

Ans. (1)

व्याख्या - कोटा एवं बाराँ जिले की टाई व डाई के विभिन्न पैटर्न हैं, जिसमें लहरिया व बंधनी प्रमुख है। 


राजस्थान के निम्न में से किस स्थान पर बड़े और बोल्ड डिजाइन और पैटर्न मुद्रित किये जाते हैं-  

(1) चुरू 

(2) जयपुर 

(3) जोधपुर 

(4) बाड़मेर 

[Stenographer-15.10.2024]

Ans. (3) 


सुमेलित कीजिए- 

(A) बादला (1) टोंक 

(B) ब्ल्यू पॉटरी (2) जयपुर 

(C) नमदा (3) जोधपुर 

(D) अजरक प्रिन्ट (4) बाड़मेर 

कूट :  A   B   C   D             A   B   C   D 

    (1) 4    3   2    1        (2) 2    1    4    3 

   (3) 3    2   1    4        (4) 1    4    3    2 

[AEN Exam: 16.05.2014] 

Ans. (3)


सुमेलित कीजिए -  

(A) अजरक प्रिन्ट        (1) नाथद्वारा 

(B) जाजम प्रिन्ट         (2) चित्तौड़गढ़ 

(C) पिछवाई              (3) अकोला 

(D) दाबू प्रिन्ट            (4) बाड़मेर 

कूट :   (A)   (B)   (C)   (D)             (A)   (B)   (C)   (D) 

     (1)  4       2        1       3            (2) 2       4        1        3 

     (3)  1       2        3      4            (4) 3        1        4        2 

[VDO Mains-09.07.2022]

Ans. (1) 


सुमेलित कीजिए- 

(A) पाने                 (1) लकड़ी 

(B) फड़                 (2) दीवार और फर्श 

(C) मांडना             (3) कपड़ा 

(D) कावड़             (4) कागज 

कूट : (A)   (B)   (C)   (D)        (A)   (B)   (C)   (D) 

    (1)  1       2        3       4      (2) 3       4       2       1 

    (3) 2       3        1        4     (4) 4       3       2        1

[LDC-11.08.2024] [CET (10+2): 23.10.2024 (S-1)]

 Ans. (4)


सुमेलित कीजिए-

(A) अजरख प्रिंट                                (1) कैथून

(B) पावरलूम कपड़ों पर छपाई             (2) जोधपुर

(C) मोठड़ा                                       (3) बालोतरा

(D) मसूरिया                                     (4) बाड़मेर

कूट :

          (A)    (B)     (C)    (D)

(1)      2       3         4          1 

(2)     3       4          1          2

(3)     1       2          3         4

(4)    4       3          3        2

[CET : 07.01.2023 (S-1)] 

Ans. (4) 

व्याख्या- वर्तमान में अजरक प्रिंट बालोतरा जिला


सुमेलित कीजिए 

हस्तशिल्प उत्पाद           स्थान

(1) बादला                (i) जयपुर 

(2) नमदा                (ii) लेटा

(3) पाव रजाई          (iii) जोधपुर

(4) खेसला               (iv) टोंक

(1) 1-iii, 2-iv, 3-i, 4-ii 

(2) 1-iv, 2-iii, 3-1, 4-ii 

(3) 1-iii, 2-iv, 3-ii, 4-1 

(4) 1-iv, 2-iii, 3-ii, 4-1

Ans. (1)


सुमेलित कीजिए सूची-

सूची-(मद )                          सूची -II (जिले)

(a ) नमदा                           1. जयपुर

(b) डोरिया                          2. टोंक

(c) अजरक                         3. बाड़मेर 

(d) मार्बल- मूर्ति निर्माण        4. बीकानेर 

                                         5. कोटा 

कूट :- 

         A        B     C     D 

(1)    2         5     3      1  

(2)   4         3     2      5 

(3)   3         2     5      4   

(4)   1         4      3     2

[CET : 07.01.2023 (S-II)] [RAS (Pre) Exam. 14 June, 2012]

Ans. (1)

व्याख्यावर्तमान में अजरक प्रिंट बालोतरा जिला


जो नगर समुच्चय लकड़ी के खिलौने बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं, वह हैं- 

(1) उदयपुर, सवाई माधोपुर, जोधपुर 

(2) उदयपुर, सवाई माधोपुर, बाड़मेर 

(3) उदयपुर, सवाई माधोपुर, 'जैसलमेर 

(4) उदयपुर, जयपुर, जोधपुर 

[PTI Exam - 30.09.2018] 

Ans. (*) 

व्याख्या - लकड़ी के आकर्षक खिलौनों का काम उदयपुर, सवाई माधोपुर में अधिक होता है। क्या आप जानते हैं? गोड़लिया - पशुओं के शरीर पर भी विभिन्न प्रकार की आकृतियों के बड़े कलात्मक दाग दिये जाते हैं। ये दाग चुराये गये पशुओं की शिनाख्त के अतिरिक्त सामान्य पहचान के लिए भी दिये जाते हैं। दागने की यह क्रिया 'अटेरना' तथा दाग के निशान 'गोड़लिया' कहलाते हैं। 

स्रोत : RBSE, कक्षा 10, पृ. 64


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  दुर्ग

1726 ईस्वी का राजलेख

1726 ईस्वी का राजलेख इसके तहत कलकात्ता, बंबई तथा मद्रास प्रेसिडेंसीयों के गवर्नर तथा उसकी परिषद को विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई, जो पहले कंपनी के इंग्लैंड स्थित विद्युत बोर्ड को प्राप्त थी।  यह सीमित थी क्योंकि - (1) यह ब्रिटिश विधियों के विपरीत नहीं हो सकती थी। (2) यह तभी प्रभावित होंगी जब इंग्लैंड स्थित कंपनी का निदेशक बोर्ड अनुमोदित कर दे। Charter Act of 1726 AD  Under this, the Governor of Calcutta, Bombay and Madras Presidencies and its Council were empowered to make laws, which was previously with the Company's Electricity Board based in England.  It was limited because -  (1) It could not be contrary to British statutes.  (2) It shall be affected only when the Board of Directors of the England-based company approves.

अरस्तू

🧠   अरस्तू यूनान के दार्शनिक  अरस्तू का जन्म 384 ईसा पूर्व में मेसीडोनिया के स्टेजिरा/स्तातागीर (Stagira) नामक नगर में हुआ था। अरस्तू के पिता निकोमाकस मेसीडोनिया (राजधानी–पेल्ला) के राजा तथा सिकन्दर के पितामह एमण्टस (Amyntas) के मित्र और चिकित्सक थे। माता फैस्टिस गृहणी थी। अन्त में प्लेटो के विद्या मन्दिर (Academy) के शान्त कुंजों में ही आकर आश्रय ग्रहण करता है। प्लेटो की देख-रेख में उसने आठ या बीस वर्ष तक विद्याध्ययन किया। अरस्तू यूनान की अमर गुरु-शिष्य परम्परा का तीसरा सोपान था।  यूनान का दर्शन बीज की तरह सुकरात में आया, लता की भांति प्लेटो में फैला और पुष्प की भाँति अरस्तू में खिल गया। गुरु-शिष्यों की इतनी महान तीन पीढ़ियाँ विश्व इतिहास में बहुत ही कम दृष्टिगोचर होती हैं।  सुकरात महान के आदर्शवादी तथा कवित्वमय शिष्य प्लेटो का यथार्थवादी तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाला शिष्य अरस्तू बहुमुखी प्रतिभा का धनी था। मानव जीवन तथा प्रकृति विज्ञान का शायद ही कोई ऐसा पहलू हो, जो उनके चिन्तन से अछूता बचा हो। उसकी इसी प्रतिभा के कारण कोई उसे 'बुद्धिमानों का गुरु' कहता है तो कोई ...

वैश्विक राजनीति का परिचय(Introducing Global Politics)

🌏 वैश्विक राजनीति का परिचय( Introducing Global Politics)